Saturday, August 27, 2011

आंख मूंदकर लूटने में जुटे हैं सरपंच, भाग-4




कागजों में ही खड़ोंजे से सीसी बन गई गलियां
कार्रवाई रजिस्टर में खाली जगह पर लाईने लिखकर की लीपापोती
कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
हरियाणा सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण का प्रयास अपने आप में कितना फलीभूत हो रहा है, यह तो सरकार ही जाने, लेकिन पंचायतों के नुमाइंदे कुछ ज्यादा ही सशक्त हो रहे हैं। कुरुक्षेत्र के खंड लाडवा के गांव मेहरा की पंचायत ने तो सशक्तिकरण की हदें ही पार कर दी। गंगापुत्रा टाइम्स ने भ्रष्टाचार की दलदल में धंसे सरपंच की इस कथा को जिस प्रकार खंगाला है, उसका चौथा भाग आपके सामने हैं।
            ग्रामीणों के अनुसार सरपंच द्वारा ऋषिपाल के घर से लेकर सुरेश पाल के घर तक की गली साल 2006-07 में ईंटों की बनाई गई थी, लेकिन उसी गली को वर्ष 2008 में फर्जी तौर पर सीसी की बनी दिखाकर  सरकारी पैसे व सामान का गबन किया गया और इसी गली को सीसी की बनाने के लिए पंचायत की स्टॉक बुक में से 22 फरवरी 2008 को 1600 फुट बजरी भी जारी की गई तथा मजदूरों को लेबर भी फर्जी मस्ट्रोल तैयार कर दी गई। आर.टी.आई. एक्ट 2005 के तहत ली गई जानकारी में पंचायत द्वारा 31 दिसम्बर 2007 को गली को लेकर जो रैजुलेशन पास किया गया, उस रैजुलेशन में नीचे कुछ जगह खाली पड़ी हुई थी, लेकिन जांच के दौरान फर्जी तौर पर उस स्थान पर कुछ लाईनें भी लिखी गई, जबकि असली रैजुलेशन की प्रति कॉपी कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा आर.टी.आई. के दौरान प्राप्त की हुई थी। इतना ही नहीं सरपंच द्वारा स्टॉक बुक का फर्जी पेज भी तैयार किया गया, जिसमें ईंटों की एंट्री बाउचर नं.41, 5 अगस्त 2008 में दिखाई गई, जबकि असली स्टॉक बुक में यह एंट्री वाउचर नं.41, 5 अगस्त 2008 में यही ईंटें महिला मंडल में लगी हुई दिखाई गई। इतना ही नहीं इसी गली को सीसी की बनी हुई दिखाने के लिए 23 अगस्त 2008 को 250 कट्टे सीमेंट भी स्टॉक बुक में जारी करके गली में लगा हुआ दिखाया गया तथा आरसीसी की गली में 3 अगस्त 2008 को स्टॉक रजिस्ट्रर से 2700 फुट कोरसैंट रेता भी जारी कर गली में लगा हुआ दिखाया गया। इसी तरह गांव की कई अन्य गलियों को बनी दिखाने के लिए हेर-फेर किया गया तथा 7 दिसम्बर 2007 को पंचायत द्वारा एक रैजुलेशन पास कर दूसरी गली को सीसी की बनी दिखाया गया, जिसमें 3600 फुट बजरी भी स्टॉक रजिस्ट्रर से जारी की गई तथा पंचायत द्वारा 7 दिसम्बर को डाले गए रैजुलेशन में जो नीचे खाली स्थान पड़ा हुआ था, उसमें भी सरपंच द्वारा फर्जी तौर पर कुछ लाईनें लिखी गई हैं, जिससे साफ पता चलता है कि सरपंच द्वारा ग्राम सचिव के साथ मिलकर पंचायती रिकार्ड से भी छेडख़ानी की गई है। यही नहीं गांव निवासी निर्मल ङ्क्षसह पुत्र साहब ङ्क्षसह ने बताया कि पेमैंट ऑफ स्ट्रीट स्कीम के तहत एसडीओ पंचायती राज खंड लाडवा द्वारा वर्ष 2009-10 में हरबंस ङ्क्षसह के घर से राधाकृष्ण मंदिर तक जो गली बनाई गई उस गली की लागत 10 लाख रुपये दिखाई गई है। इसके अलावा रण ङ्क्षसह के घर से सेवाराम व जरनैल ङ्क्षसह के घर तक बनाई गई गली में 3 लाख 37 हजार रुपये का खर्च दिखाया गया, जबकि विभाग द्वारा ही इस गली की जांच के दौरान इस गली पर खर्च राशि 56 हजार रुपये दिखाई गई है। इतना ही नहीं एसडीओ पंचायती राज द्वारा नारंग पती चौपाल से कालू राम की बैठक तक बनाई गई गली पर 4 लाख 84 हजार 400 रुपये की राशि खर्च दिखाई गई। निर्मल ङ्क्षसह ने बताया कि पंचायती राज द्वारा बनाई गई इस गली के बीच में मोटाई कम है और साइडों में अधिक दिखाई गई है। गली बनाते समय उसमें सीमेंट व रेत-बजरी लगाया गया, वह भी कम मात्रा में है और पंचायती राज द्वारा इस गली की मोटाई अधिक दिखाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर गबन किया गया। इसी मामले की जांच भी लोकायुक्त हरियाणा द्वारा उपायुक्त कुरुक्षेत्र को भेजी गई। लोकायुक्त द्वारा भेजी गई जांच को उपायुक्त द्वारा अतिरिक्त उपायुक्त को भेज दी गई। अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा की गई जांच में भी ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए सरपंच को क्लीन चिट दे डाली तथा उपायुक्त के माध्यम से लोकायुक्त हरियाणा को जांच रिपोर्ट भेज दी। भ्रष्टाचार की कड़ी यहीं समाप्त नहीं होती, आगे का खुलासा पढि़ए अगले अंक में।
                                                            क्रमश:

Who and when are getting married Rahul Gandhi?



With Thanks from -        http://planet6oclock.com/planet6oclock/
The whole nation is worried about two people.Who and when are they getting married. First is Rahul Gandhi. Whole India wants to know who is Rahul Gandhi's girlfriend? So here is the name of Rahul's girlfriend.Rahul Gandhi, the most promising of them all young politician's offsprings, is supposedly seeing a Spanish girl Veronica.(Veronique)
Rahul quips when asked about the affair"Now you people are talking like my mother and sister. They often jokingly threaten that if I don't propose to her, they will do it on my behalf. But I have no immediate plans for marriage."

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
कुछ मुद्दे....जो हमारे लिए वांछित होने चाहिए....!!
Rajeev Thepda from Ratnawali
मिस्टर राहूल,तुम्हारे कहने अनुसार अगर लोकपाल भी भ्रष्ट होगा तो तुम प्लीज़ चिंता मत करो,उसे जनता बदल देगी,ठीक उसी तरह जिस तरह आने वाले चुनावों में वह तुम समस्त लोगों को बदल देने वाली है....!!
ओ संसद के तमाम सांसदों,तुम सब जिस तरह जन-लोकपाल के प्रश्न पर जिस तरह का दोहरा आचरण कर रहे हो,उसका प्रत्युत्तर जनता तुम्हें जल्द ही देने वाली है,तुम जैसे तमाम सांसदों का अबकी बार संसद से सफाया होकर ही रहेगा,तुम्हारा धनबल,बाहुबल या कोई भी छल-कपट तुम्हें नहीं बचा पायेगा...!!
एक अपील हम जनता से....आने वाले चुनावों में वह साफ़-स्वच्छ छवि वाले वाले उम्मीदवार को हो अपना मत दे,ऐसे किसी को उम्मीदवार को वह धन आदि की कमी के चलते हारने ना दे,उसे भरोसा दे,और इतना ही नहीं उसके जीतते ही उसके घर जाकर उसे बधाई देने के पश्चात उस पर जनता के लिए कार्य करने का नैतिक दबाव बनाए...!!
अब जनता आने वाले दिनों में अपने-अपने क्षेत्र के सांसदों से उसके किये-धरे का चिठ्ठा मांगे,और जिसने जो कुछ भी अवैध अर्जित किया हो,उसकी बाबत सवाल पूछे,उसका समुचित उत्तर ना मिल पाने पर उस सांसद का क्या करना है उसके बारे में मिल बैठ कर सोचे...!!
यह भी बड़ी अजीब बात है की आप चोरी करो,डाका डालो,लड़कियों के साथ बिस्तर गर्म करो,देश की सुरक्षा तक के साथ खिलवाड़ करो,देश का धन बाहर ले जाओ...अपना ही घर बस भरते जाओ,भरते जाओ,भरते जाओ और हम कुछ कहें या पूछे तो कहो यह अशोभनीय है,यह भाषा अनुचित है,असंसद्नीय है ,तो अब तुम्ही बताओ हमें ,क्या उचित है,क्या अनुचित !!
दोस्तों, भारतमाता किसी अन्ना के बहाने से आप-हम-सबे दिलों पर यह दस्तक दे रही है,के हम भी अब सुधर जाएँ,बदल जाए और एक हद तक सच्च्चरित्र हो जाएँ(क्यूंकि हम भी तो पूरा नहीं बदल सकते...!!??)सिर्फ दूसरों को गरियाने से कुछ नहीं बदलेगा,हरेक चीज़ के इकाई हम खुद हैं,हमें खुद को जिम्मेदार-सभ्य और निष्कलंक नागरिक बनना होगा...!!
अगर सच में ही हम खुद को भारतीय कहतें हैं,तो भारतीयता के निम्नतम कसौटी के ऊपर खुद को कसना होगा,एक नागरिक के रूप में हमारे भी क्या कर्तव्य हैं,उन्हें पूरा करना ही होगा,वरना एक जन-लोकपाल तो क्या एक लाख लोकपाल या जन-लोकपाल भी रत्ती-भर मात्र भी कुछ नहीं उखाड़ पायेंगे,आन्दोलन का रोमाच एक बात है...और खुद को बदलना बिलकुल दूसरी बात..!!
हमारे ह्रदय में हमारी आत्मा में क्या पक रहा है,इसी पर देश का भविष्य सुनिश्चित है,हम खुद को कुछ बनाना चाहते हैं,या देश को सचमुच कहीं ले जाना चाहते हैं,यह बिलकुल स्पष्ट तय नहीं है तो इस आन्दोलन-वान्दोलनों का कोई अर्थ नहीं है ,सिर्फ हमारी खुद के गुणवत्ता ही देश को वाजिब उंचाई प्रदान कर सकती है..!!
अब सिर्फ यही आत्म-मंथन करना है,के हम क्या थे,क्या हैं,और क्या होंगे अब....!!सिर्फ एक नेक विचार देश को नयी उंचाईयां प्रदान कर सकता है,क्या कुछेक विचारों पर सोचने को,उन्हें अपने दिल में जगह देने को,उन पर चलने को हम तैयार हैं....??
अन्ना एक निमित्त बन चुके...अब आगे का काम तो हम अरबों लोगों का ही है,सत्ता के लोगों का अहंकार संभवतः अन्ना को "भूतकाल"में परिणत कर दे, क्योंकि डोलते हुए भयभीत सांसदों से अब शायद कोई उम्मीद ही नहीं के सकती,तो अगर अना ना रहें तो हमें क्या करना है....!!????
प्रश्न तो ढेर-ढेर सारे हैं....आर उत्तर खुद हमारे ही भीतर....उत्तर ढूँढ लें,समस्याएं स्वतः ही हल हो जायेंगी,यह समय आन्दोलन से अधिक अपने भीतर झाँकने का है,खुद को सही दिशा प्रदान करने का है....!!
हर तरफ-हर जगह यह लिखा हुआ पाया जा रहा है,मैं अन्ना हूँ,मैं अन्ना हूँ,मैं अन्ना हूँ....ज़रा सोचिये...एक अन्ना ने एक आंधी पैदा कर दी है...हम सब यदि अन्ना हो गए,तो फिर देश को उंचाईयों पर पहुँचते देर ही कहाँ लगेगी...!!


Thursday, August 25, 2011

आंख मूंदकर लूटने में जुटे हैं सरपंच, भाग-2



लोकायुक्त तक पहुंच चुकी है मेहरा की आवाज
नियमों को ताक पर रखकर परिजनों को बांट डाले प्लाट
आबंटन 2010 में और 2011 में बने अलग राशनकार्ड
कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
हरियाणा सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण का प्रयास अपने आप में कितना फलीभूत हो रहा है, यह तो सरकार ही जाने, लेकिन पंचायतों के नुमाइंदे कुछ ज्यादा ही सशक्त हो रहे हैं। कुरुक्षेत्र के खंड लाडवा के गांव मेहरा की पंचायत ने तो सशक्तिकरण की हदें ही पार कर दी। गंगापुत्रा टाइम्स ने भ्रष्टाचार की दलदल में धंसे सरपंच की इस कथा को जिस प्रकार खंगाला है, उसका दूसरा भाग आपके सामने हैं।
            हरियाणा सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए 100-100 गज के रिहायसी प्लाट देने की योजना जनहित में  आरंभ की थी, लेकिन सरपंच यतेंद्र वर्मा ने इसे निजी हित में बदल डाला। गांव वासी सुबे ङ्क्षसह पुत्र रूड़ा राम के अनुसार उन्होंने इस मामले में हरियाणा के लोकायुक्त को 14 मई 2011 को शिकायत नं.241/2011 के तहत शिकायत भेजी थी, जिसे लोकायुक्त की ओर से उपायुक्त कुरुक्षेत्र को जांच के लिए भेज दिया गया है। उपायुक्त ने इसे अतिरिक्त उपायुक्त को भेजा और राजनीतिक दबाव में आकर अतिरिक्त उपायुक्त ने उनकी शिकायत को निराधार कर अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को भेज दी।
क्या हैं गांव वासियों के आरोप?
गांव वासियों के अनुसार सरपंच ने अपने सगे चाचा नाथीराम पुत्र हंसराज के लडक़ों रामशरण व रामकरण के नाम 100-100 गज के प्लाट अपै्रल 2010 में काट दिए। उस समय ये दोनों भाई अपने पिता के साथ संयुक्त राशन कार्ड में थे और परिवार के पास संयुक्त रूप से 5-6 एकड़ कृषि भूमि थी। इन लोगों ने 1 मार्च, 2011 को अपने पिता से अलग राशन कार्ड बनवाए, जबकि प्लाट एक साल पहले कट चुके थे। इसी प्रकार सरपंच द्वारा अपने दादा के भाई ब्रह्मानंद व ब्रह्मानंद के पुत्रों राजबीर व हरिचंद के नाम भी 100-100 गज के प्लाट काट दिए, जबकि राजबीर मेहरा में नहीं लाडवा में रहता है। यही नहीं हरिचंद व ब्रह्मानंद संयुक्त परिवार में रहते हैं।
क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन पटवारी द्वारा की गई जांच का हवाला दिया है कि रामशरण पुत्र नाथीराम के नाम 5 कनाल 15 मरले भूमि रिकार्ड में दर्ज है, हरिचंद पुत्र ब्रह्मानंद के पास कोई भूमि नहीं तथा वह गांव में रहता है, रामकरण पुत्र नाथीराम के नाम भी 5 कनाल 15 मरले कृषि भूमि है, राजबीर पुत्र ब्रह्मानंद के पास कोई कृषि योग्य भूमि नहीं है। प्लाटों के आबंटन के दौरान वह गांव में ही रहता था,  ब्रह्मानंद पुत्र छज्जूराम के नाम 100 गज का प्लाट दिया गया है, उस समय उसको उसके पुत्रों ने घर से निकाला हुआ था।
क्या है कागजों में छुपी सच्चाई?
उपरोक्त मामले में हरिचंद पुत्र ब्रह्मानंद का बयान कुछ इस प्रकार है कि उसका राशनकार्ड नं.808715, मकान नं.455, गांव मेहरा में ही पड़ता है व राजबीर का बयान है कि उसका राशनकार्ड नं.808714, मकान नं.454 है। इन दोनों का बयान है कि ब्रह्मानंद उनके पिता हैं और वह उनके साथ ही गांव में रहते हैं। जब ब्रह्मानंद के बेटों का बयान है कि ब्रह्मानंद उनके पिता हैं और उनके साथ ही रहते हैं तो एक साथ तीनों सदस्य प्लाटों के हकदार कैसे हो गए। मजेदार बात यह है कि दूसरे आरोप में भी जिन राशनकार्डों की प्रति सबूत के तौर पर लगाई गई है, वह मार्च 2011 में बने हैं, जबकि प्लाट आबंटन अपै्रल 2010 में हो चुका था। अब गौर करने वाली बात तो यह भी है कि तत्कालीन पटवारी अमरनाथ ने किस आधार पर जांच कर अपनी रिपोर्ट अतिरिक्त उपायुक्त को सौंपी है और उसी रिपोर्ट को आधार बनाकर अतिरिक्त उपायुक्त ने सरपंच ने क्लीन चिट देते हुए आरोपों को ही निराधार साबित कर दिया।
            यही नहीं पट्टे पर गांव की पंचायती भूमि का आबंटन भी इतना विवादों में घिरा है कि इसकी अलग कहानी अगले अंक में आपके सामने होगी।
                                                            क्रमश:

हरियाणा के सांस्कृतिक प्रहरी अनूप लाठर


पवन सोंटी/ कुरुक्षेत्र
                                                1. हरियाणवी संस्कृति
            हरियाणा आज सांस्कृतिक समृद्धि के शिखर पर है। स्वतंत्र भारत के नक्शे पर 1966 में उदय हुए इस छोटे  से प्रदेश ने वह समय भी देखा जब इसकी अपनी सांस्कृतिक पहचान ही नहीं रही थी, और एक आज का दौर है जब यह प्रांंत सांस्कृतिक रूप से प्रौढ़ नजर आता है। एक प्रांत का अपनी लुप्त हो चुकी सांस्कृृतिक पहचान को पुन: उभारना व उसे निखार कर दुनिया को अचंभित कर देना कोई छोटी बात नहीं। इसके पीछे कारण तलाशने पर पता चालता है कि कोई न कोई हस्ति है जो इसके पीछे खुद को होम करके प्रदेश को सांस्कृतिक पहचान दिलवाने के लिये जीवन लगा चुकी है।
            जैसे राजनैतिक उत्थान के लिये बलिदान की जरूरत होती है, उसी प्रकार सांस्कृतिक उत्थान व उसके बचाव के लिये भी बलिदान आवश्यक है। बलिदान का अर्थ यह नहीं कि शरीर त्याग कर ही आदमी उस मान को प्राप्त करे। बलिदान तो इच्छाओं, पद, पहचान, धन व लोभ-मोह का भी हो सकता है। सांस्कृतिक सैनिकों के लिये शारीरिक बलिदानों की अपेक्षा त्याग अधिक मायने रखता है, तभी वह संस्कृति को बचाने व उसके बढ़ाने में ध्वज वाहक का कार्य कर सकते हैं। अगर हरियाणवी संस्कृति पर दृष्टि पात करें तो हल्के से अवलोकन से ही ज्ञात हो जाता है कि यह कोई थोपी या अपनाई गई संस्कृति नहीं बल्कि इतिहास में दफन होने के बाद पुन: प्रतिष्ठित संस्कृति है, जोकि आज अपने प्राचीन गौरवमयी रूप को और निखार कर सामने आई है। समय के साथ इसने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। उत्तर भारत पर होने वाले बाहरी आक्रमणों व दिल्ली के नजदीक होने के कारण इसे अनेक बलित परिवर्तनों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद इसका अपने रूप को पुन: प्राप्त कर लेना अपने आप में किसी घोर आश्चर्य से कम नहीं है। इस सांस्कृतिक उत्थान के पीछे अगर गहराई से नजर दौड़ाई जाए तो मालूम होता है कि कोई खुद को जलाकर इसे रोशन कर रहा है जिसके बल पर आज हरियाणवी संस्कृति के गौरववत् प्रत्येक हरियाणवी दुनिया में अपना भाल ऊंचा रखता है।
            अनूप लाठर एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके बलिदान, त्याग व सेवा स्वरूप आज हरियाणवी संस्कृति इस मुकाम पर है। इस शख्स की सांस्कृतिक साधना का ही परिणाम है कि आज देश के कोने-कोने से लेकर पाकिस्तान सहित दुनिया के दर्जनों देशों में हरियाणवी के दिवाने गर्व महसूस करते हैं। पिछले 30 वर्ष के उनके अनथक प्रयास की बदौलत आज हरियाणा के कितने ही युवक व युवतियां देश की भिन्न-भिन्न संस्कृतिक विधाओं में अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं। कला क्षेत्र से हट कर भी मीडिया जगत में उनके अनुयायी हर ओर देखने को मिलते हैं। अखबारों के डैस्क से लेकर समाचार चैनलों के ऐंकर और न्यूज हैड तक उनके मंजे हुए कलाकारों की बदौलत दुनिया के सामने हरियाणवी का प्रस्तुतिकरण किसी न किसी रूप में बखूबी हो रहा है।
            अगर फिल्म जगत की बात की जाए तो माया नगरी मुम्बई की दहलीज़ पर भी आज हरियाणवी अपनी संस्कृति के साथ दस्त$ख दे चुकी हैं। आज अनूप लाठर की बदौलत एक ऐसी सांस्कृतिक सैनिकों की फौज तैयार हो चुकी है जिसे संगठित करके आज के फिल्म निर्माता व निदेशक हरियाणवी में उच्च दर्जे की कलात्मक हरियाणवी प्रस्तुतियां सामने ला सकते हैं। अब सही वक्त आ गया है कि हरियाणा का फिल्म निर्माता जागे और अपने प्रदेश के कलाकारों के बल पर अपनी संस्कृति को चलचित्र व छोटे पर्दे पर गौरव के साथ प्रस्तुत करे ताकि वर्षों के प्रयास से जिन्दा हुई यह गौरवमयी संस्कृति अपनी पहचान कायम रख सके।
           
                                                           
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Wednesday, August 24, 2011

देश के किसान हैं दूर्दशा के शिकार : घासीराम नैन



कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
संसद में बैठा प्रत्येक सांसद जनता का प्रतिनिधि है और आम जनता की भांति किसानों के हितों की रक्षा करना भी उसकी जिम्मेवारी है। उक्त शब्द भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष घासीराम नैन ने बुधवार को जाट धर्मशाला में किसानों की बैठक लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि आज देश को आजाद हुए 64 साल हो चुके हैं और हमने 65वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है, लेकिन आज भी इन 65 सालों में देश के किसानों की दूर्दशा हो रही है, जिसकी जिम्मेवार केंद्र सरकार है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का वास्तविक मूल्य भी नहीं मिल पाता। प्रत्येक सरकार फसलों का न्यूनतम मूल्य तो घोषित करती है, लेकिन किसान की फसल के वास्तविक मूल्य का कोई ध्यान नहीं करता। उन्होंने मांग की कि आने वाले धान के सीजन में मोटी धान का रेट दो हजार रुपये प्रति क्विंटल तथा बासमती से सम्बंधित धान का रेट 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल व कपास का भाव 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। नैन ने कहा कि सरकारों ने किसानों को बार-बार मजबूर कर कमजोर कर दिया है और आज किसान अपने हक की बात नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान भी भ्रष्टाचार से बुरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि वे अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किया गया आंदोलन जायज है, जिसका देश का हर किसान समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आने वाले चार या पांच दिनों में सरकार द्वारा अन्ना हजारे की शर्तों को मानकर जनलोकपाल बिल लागू नहीं किया तो प्रदेश का हर किसान उनके समर्थन में उतर जाएगा। उसके लिए चाहे उन्हें किसी भी प्रकार की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े, वे हर प्रकार की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल को लागू करवाने के लिए वे सडक़ों पर, रेलमार्गों पर भी उतरने के लिए तैयार हैं या फिर किसी अन्य प्रकार का प्रदर्शन करने की जरूरत पड़ी तो प्रदेश का कोई भी किसान उस आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा।

लालबत्ती के चक्कर में झींडा ने बेचा सिख संगत को

एचएसजीपीसी को लगा करारा झटका
युवा प्रदेशाध्यक्ष अजराना ने दिया इस्तीफा, 
कहा- सी.एम. से मिलकर झींडा ने खड़े किए 11 प्रत्याशी
लालबत्ती के चक्कर में झींडा ने बेचा सिख संगत को
कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एडहॉक) को उस समय करारा झटका लगा। जब युवा प्रदेशाध्यक्ष कंवलजीत सिंह अजराना ने इस संगठन व अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। युवा प्रदेशाध्यक्ष ने यह इस्तीफा मंगलवार को एचएसजीपीसी के मुख्यालय दो सडक़ां में भेज दिया है। इसकी घोषणा मंगलवार को यहां रेलवे रोड पर स्थित एक निजी होटल में पत्रकारवार्ता में की है। सिखों के युवा नेता कंवलजीत सिंह अजराना ने पत्रकारों को कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में प्रदेशाध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कहने पर कमजोर 11 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने झींडा को दो टूक शब्दों में कहा कि हरियाणा में अलग कमेटी का मुद्दा खत्म कर दिया जाएगा। यह मुद्दा तभी खत्म होगा जब हरियाणा में एचएसजीपीसी से कोई भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं करेगा। सी.एम. के कहने पर झींडा ने चुन-चुन ऐसे प्रत्याशियों को खड़ा किया, जो किसी भी सूरत पर जीत हासिल नहीं कर सकेंगे। करनाल से जब कोई प्रत्याशी नहीं मिला तो मजबूरन स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि झींडा कांग्रेस मुख्य एजैंट बनकर प्रदेश की सिख संगत को गुमराह कर रहा है। इसके साथ ही एचएसजीपीसी की जगह अब यह संगठन झींडा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल सितम्बर में जो संघर्ष शुरू किया था। उस आंदोलन को झींडा ने मुख्यमंत्री के इशारे पर बंद कर दिया। जेल में बंद होने के बावजूद झींडा ने सभी नेताओं को किसी न किसी बहाने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास ले गए और आगामी कार्रवाई करने के लिए झींडा ने मुख्यमंत्री से आदेश भी मांगे थे। उन्होंने कहा कि जगदीश सिंह झींडा के इस विश्वासघात को आने वाली पीढिय़ां हमेशा याद रखेंगी। उन्होंने कहा कि झींडा ने अनेकों बार कमेटी के नाम पर प्रदेश की सिख संगत को मुख्यमंत्री के हाथों से बेचा है। अब लालबत्ती लेने की चाह में हरियाणा की 11 की 11 सीटों पर झींडा अपने प्रत्याशियों को हरवाना चाहता है। झींडा ने हमेशा अपने चहेतों को 11 सदस्यीय कमेटी में 11 सदस्यीय कमेटी में रखा है। अजराना ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे के अनुसार 25 अगस्त से पहले झींडा व उसके परिजनों को अमृत छकना है, लेकिन झींडा के परिवार के सभी सदस्य सिख धर्म के मर्यादाओं का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में झींडा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की  पोल अपने-आप प्रदेश की सिख संगत के सामने आ जाएगी। कांग्रेस ने दो बार अपने चुनावी एजैंडों में अलग कमेटी के मुद्दे को रखा, लेकिन झींडा ने कांगेस के हाथों अपने-आप को बेचकर सरकार को अलग कमेटी बनाने के लिए कभी मजबूर नहीं किया। इस मौके पर हरपाल सिंह मोहनपुर, परमजीत सिंह अजराना, कंवरजीत सिंह गोगपुर, हरी सिंह मेहरा, नसीब सिंह नंबरदार, परमजीत सिंह, साहब सिंह, केवल सिंह, सुरजीत सिंह, हरविंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, सर्वजीत सिंह आदि मौजूद थे।

आंख मूंदकर लूटने में जुटे हैं सरपंच



कुछ इस तरह सशक्त हो रही हैं पंचायती राज संस्थाएं, आंख मूंदकर लूटने में जुटे हैं सरपंच
लोकायुक्त तक पहुंच चुकी है मेहरा की आवाज
लाखों के गबन को सामने लाएगा कागजों का पुलिंदा
कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
हरियाणा सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण का प्रयास अपने आप में कितना फलीभूत हो रहा है, यह तो सरकार ही जाने, लेकिन पंचायतों के नुमाइंदे कुछ ज्यादा ही सशक्त हो रहे हैं। कुरुक्षेत्र के खंड लाडवा के गांव मेहरा की पंचायत ने तो सशक्तिकरण की हदें ही पार कर दी।  यूं तो लोगों को पहले से ही एहसास था कि पंचायती रिकार्ड में भारी गोलमाल हो रहा है, लेकिन गांव के कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जब जानकारी निकलवाई गई तो लाखों के गबन की परतें खुलने लगी। पंचायत रिकार्ड में फर्जी रसीदें बनाकर पैसे निकालने के मामले सामने आने लगे तो सरपंच द्वारा जानकारों के नाम प्लाट काटने, पिछले प्लान में ईंटों से बनी गली को कागजों में सीसी की दिखाकर पैसे डकारने के मामले तथा फर्जी मैस्ट्रोल तैयार कर, फर्जी बिल चढ़ाकर पैसा डकारना व कई अन्य प्रकार के मामलों का खुलासा हुआ। यह देख ग्रामीणों का खून खौला तो वे हरियाणा के लोकायुक्त तक पहुंचे। गांव निवासी निर्मल ङ्क्षसह पुत्र साहिब ङ्क्षसह ने लोकायुक्त कार्यालय हरियाणा चंडीगढ़ को 22 जून, 2011 को गांव के सरपंच यतेंद्र वर्मा के खिलाफ गबन के आरोपों को सबूत सहित भेजा। वहां से विभागीय तरीके से घूमते हुए कार्रवाई उपायुक्त कुरुक्षेत्र पहुंची। उसके बाद अतिरिक्त उपायुक्त ने मामले को बड़ी सफाई से लीपापोती करते हुए रिपोर्ट बना डाली। अब मामला तो लोकायुक्त के आदेशों की इंतजार में है, लेकिन लाखों का गबन सरपंच के लिए पचाना व अधिकारियों के लिए दबाना गले की फांस बनता जा रहा है। गंगापुत्रा टाइम्स टीम ने जागरूक ग्रामीणों की मदद से लाखों के गबन सम्बंधी कागजातों का भारी पुलिंदा जुटाया और उसकी छानबीन की तो प्रशासन की भी दोगली नीति सामने आने लगी।
इसे लेकर इतनी लम्बी कहानी बनती है, जिसे एक खबर में समेटना आसान नहीं। इन परतों को उधेड़ते हुए गंगापुत्रा टाइम्स का प्रयास रहेगा कि सम्पूर्ण तथ्य पाठकों के सामने परत दर परत रखे जाएं। कागजों के पुलिंदे का पहला भाग पढि़ए अगले अंक में।
                        क्रमश:

Friday, August 19, 2011

मेरा हरियाणा ....



हरियाणा का इतिहास बड़ा गौरवपूर्ण है और यह वैदिक काल से आरंभ होता है। यह राज्‍य पौराणिक भरत वंश की जन्‍मभूमि माना जाता है जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। महाभारत में हरियाणा की चर्चा हुई है। भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में मुसलमानों के आगमन और दिल्‍ली के भारत की राजधानी का एक हिस्‍सा बन गया और 1857 में स्‍वतंत्रता के प्रथम महासंग्राम से पूर्व तक यह गुमनाम बना रहा। सन् 1857 के विद्रोह को कुचलने के बाद जब ब्रिटिश प्रशासन फिर से स्‍थापित हुआ तो झज्‍झर और बहादुरगढ़ के नवाबों, बल्‍लभगढ़ के राजा तथा रिवाड़ी के राव तुलाराम की सत्‍ता छीन ली गई। उनके क्षेत्र या तो ब्रिटिश क्षेत्रों में मिला लिए गए या पटियाला, नाभा और जींद के शासकों को सौंप दिए गए। इस तरह हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्‍सा बन गया। एक नवंबर, 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद हरियाणा पूर्ण बन गया।
हरियाणा के पूर्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में पंजाब, उत्तर में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में राजस्‍थान है। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली हरियाणा से जुड़ा है। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली के दायरे में हरियाणा भी है।
कृषि:-
 हरियाणा की 56 प्रतिशत से अधिक जनसंख्‍या की जीविका का आधार कृषि है और राज्‍य के सकल घेरेलू उत्‍पाद में कृषि का योगदान 26.4 प्रतिशत है। चावल, गेहूं, ज्‍वार, मक्‍का, जौ, गन्‍ना, कपास, दलहन, तिलहन और आलू राज्‍य की प्रमुखता से उगाई जाने वाली फसलें हैं। सूरजमुखी तथा सोयाबीन, मूंगफली तथा बागवानी को भी विशेष प्रोत्‍साहन दिया जा रहा है। राज्‍य में गहन और विस्‍तृत खेती को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं। मृदा उर्वरता रखने के लिए ढेंचा, मूंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

उद्योग

हरियाणा का औद्योगिकी आधार विशाल है। हरियाणा कारों, ट्रैक्‍टरों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का सबसे बड़ा उत्पादक है। हरियाणा विश्‍व बाजार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है।

बिजली

हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्‍य है जहां 1970 में सभी गांवों में बिजली दी गई थी। सन 1966 में राज्‍य में राज्‍य में 20,000 नलकूप थे जिनकी संख्‍या मार्च 2008 में बढ़कर 4.51 लाख हो गई। बिजली की औसत दैनिक उपलब्‍धता 2007-08 में 7.23 करोड़ यूनिट हो गई। बिजली उपभोक्‍तओं की संख्‍या 2007-08 में 42.70 लाख हो गई, 31 मार्च, 2009 तक बिजली स्‍थापित उत्‍पादन क्षमता 4,636.23 मेगावाट थी।

परिवहन

सड़कें: सड़कें हरियाणा में सभी गांव पक्‍की सड़कों से जुड़े हैं। राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 34,772 किलोमीटर है।
रेलवे: कालका, अंबाला, कुरूक्षेत्र, रोहतक, जींद, हिसार, अंबाला, पानीपत और जखाल यहां के प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों में से है। जगाधारी शहर में रेलवे की एक वर्कशॉप है।
उड्डयन: हरियाणा में असैनिक हवाई अड्डे-हिसार, करनाल, पिंजौर, नारनौल और भिवानी में हैं।

पर्यटन स्‍थल:-r

पर्यटन स्‍थल हरियाणा में 44 पर्यटक परिसर हैं। प्रमुख पर्यटन केंद्रों मं ब्‍लू जे (समालखा), स्‍काईलार्क (पानीपत), चक्रवर्ती झील और ओएसिस (उचाना), पराकीट (पीप्ली), किंगफिशर (अंबाला), मैगपाई (फरीदाबाद), दबचिक (होडल), जंगल बबलर (धारूहेड़ा), रेड विशप (पंचकुला) और बड़खल झील, सुल्‍तानपुर पक्षी विहार (सुल्‍तानुपर, गुड़गांव), दमदमा (गुड़गांव) और चीड़ वन के लिए प्रसिद्ध मोरनी हिल्‍स पर्यटकों के रूचि के कुछ अन्‍य केंद्र है। सूरजकुंड का विश्‍वप्रसिद्ध शिल्‍प मेला हर वर्ष फरवरी में आयोजित किया जाता है। इसी तर‍ह पिंजौर की प्राचीन विरासत को बढ़ावा देने के लिए पिंजौर विरासत उत्‍सव प्रतिवर्ष बनाया जाता है।