Wednesday, November 30, 2011

भ्रष्ट अफसर को पकड़वाने पर एसोसिएशन देगी एक लाख का ईनाम : गोगी



ऑल हरियाणा भारत पैट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की बैठक आयोजित
कुरुक्षेत्र/ पवन सोंटी
 ऑल हरियाणा भारत पैट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की एक बैठक पिपली के निकट जीटी रोड स्थित एक होटल में आयोजित हुई। जिसमें प्रदेशभर से पैट्रोलियम डीलर्स ने भाग लिया।
बैठक में एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष शमशेर सिंह गोगी ने घोषणा की कि जो डीलर भ्रष्ट अफसर को पकड़वाएगा उसे एसोसिएशन की ओर से एक लाख रुपए का ईनाम दिया जाएगा। बैठक में मुख्य मुद्धा 25 नवंबर को अम्बाला में भारत पैट्रोलियम के टैरीटोरियल मैनेजर अनिल कुमार को सीबीआई द्वारा 3 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाना था। अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेशाध्यक्ष शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि कंपनी में भ्रष्टाचार इतना है कि मैनेजमैंट द्वारा बनाई गई व्यवस्था कार्यों पर हावी है। यहां देश के कानून की कोई मान्यता नहीं। यही कारण है कि कंपनी अधिकारी डीलरों और ट्रांसपोर्टरों को ब्लैकमेल करते हैं। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के पास कम से कम दो करोड़ रुपए रिश्वत के सबूत हैं जो डीलरों की ओर से अधिकारियों को दिया गया है। अगर सीबीआई चाहे तो वह ये सबूत सीबीआई को सौंपेंगे। उन्होंने अनिल कुमार से पहले के भी कुछ अधिकारियों के नाम लेते हुए बताया कि उन अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर उच्चाधिकारियों तक शिकायतें की गई हैं, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। गोगी ने कहा कि रिश्वत केवल एक अधिकारी तक सीमित नहीं, बल्कि ऊपर से नीचे तक एक चेन के माध्यम से सभी को जाती है और निचले अधिकारी उपरी अधिकारियों के लिए काम करते हैं। भारत सरकार और पैट्रोलियम मंत्रालय अगर ईमानदारी से सीबीआई द्वारा जांच करवाना चाहे तो तेल उद्योग के सभी अधिकारियों की जांच होनी चाहिए। खासतौर पर पिछले 10 साल में पानीपत क्षेत्र में कितने पैट्रोल पम्प अलाट किए गए और इनमें कितनी रिश्वत ली गई। उन्होंने कहा कि पैट्रोलियम कंपनियों में अंगे्रजी राज चल रहा है। हिंदुस्तान के कानून इनके लिए कोई मायने नहीं रखते। पैट्रोलियम विभाग के इंजिनियरिंग शैक्शन के माध्यम से एक चेन की तरह रिश्वतखोरी का घपला चलता है जिसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि पैट्रोलियम कम्पनियां घाटे में नहीं बल्कि इनका दिवाला अफसरों ने निकाल रखा है। सभी भ्रष्ट अफसरों को कठोर सजा मिलनी चाहिये व इन्हें हरियाणा से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिये। 

अन्नागिरी पर चलेगी असोसिएसन        
शमशेर सिंह गोगी के नेतृत्व में एसोसिएशन ने निर्णय लिया कि बीपीसी के चेयरमैन व जीएम से मिलेंगे और पैट्रोलिय मंत्रालय को भी इस भ्रष्टाचार के बारे में अवगत करवाया जाएगा। इसके साथ ही अगर कोई इमानदार सांसद मिला तो उसके माध्यम से यह आवाज संसद में भी उठाई जाऐगी। अगर फिर भी सरकार व मंत्रालय नहीं जागा तो ऐसोसिएशन अन्नागिरी पर उतरेगी और आंदोलन का राह अपनाऐगी।  इसके साथ ही प्रदेशाध्यक्ष ने घोषणा की कि जिन डीलर्स ने पहले भी किसी अधिकारी को पैसे दिए हों, वो लिखकर अपनी शिकायत एसोसिएशन को दे, वह कंपनी से उनके पैसे वापिस दिलवाएंगे। इस अवसर पर प्रदेश महासचिव गौरव गोयल, प्रदेश उपाध्यक्ष अदर्श पाल, विनोद गुलिया, अजय गोयल हिसार, कालू अग्रवाल नारनौल, राजेंद्र कलेर कुरुक्षेत्र व ढिल्लो सहित भारत पैट्रोलियम की अंबाला, हिसार व रेवाड़ी टैरीटरी से दर्जनों पैट्रोलियम डीलर मौजूद थे।
फोन : 9416000541

Tuesday, November 29, 2011

आम आदमी' के मुद्दों पर मौन 'एंग्री यंगमैन'!

'आम आदमी' के मुद्दों पर मौन 'एंग्री यंगमैन'!

   
'आम आदमी' के मुद्दों पर मौन 'एंग्री यंगमैन'!
  
गरीबों के मसीहा। मजलूमों के मददगार। आम के साथ इनका 'हाथ'। भ्रष्टाचार और अत्याचार देख तमतमाया हुआ एंग्री यंगमैन। कुछ इसी अंदाज में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी जब पूर्वांचल की यात्रा पर निकले तो लगा कि कांग्रेस की काया पलट हो जाएगी। आम आदमी की सहानुभूति मिलेगी। पर यह क्या आम आदमी की बात करने वाले राहुल ने अपनी पूरी यात्रा के दौरान एक बार भी उनकी बात नहीं की। उनसे जुड़े मुद्दों की बात नहीं की। उनसे बात नहीं की।
राहुल ने बात की तो राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की। सपा, बसपा और भाजपा की। उनकी कमियों की। एक बार भी आम आदमी के दुखों की बात नहीं की, बल्कि उनकी दुखती रग पर प्रहार किया। राहुल ने जब भी गरीबों का गाल सहला कर उनका भरोसा जीतने की कोशिश की, तब मंहगाई और मुश्किलों का तमाचा पड़ा। गरीबों की तरफदारी करने वाला मंहगाई पर मौन रहा।
क्या ऐसे ही जवाब देंगे?

राहुल जब यात्रा पर निकलने वाले थे तो पूरा यूपी 'जवाब हम देंगे' की होर्डिंग से पटा पड़ा था। राहुल ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि आपकी परेशानियों पर जवाब हम देंगे। यहां तो लोगों को जवाब देना तो दूर अपने कार्यकर्ताओं तक को जवाब नहीं दिया गया। राहुल ने कहा कि आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों की रीढ़ तोड़ देने वाला यूपी अब दूसरे राज्यों की ओर देख रहा है। परप्रांत में जाकर विकास में अपनी मेहनत मजदूरी से योगदान दे रहा है। बदले में उन्हें कुछ नहीं मिलता। पर खुद ही राहुल और उनके दिग्गज साथी महंगाई जैसे मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए थे। जब खुद के कार्यकर्ताओं ने मंहगाई का मुद्दा उठाया तो खामोशी की चादर ओढ़ ली। सिद्धार्थनगर में गांव के लोगों ने रोका तो राहुल मुस्कराते हुए गाड़ी से उतरे। वहीं एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा कि ‘महंगाई को लेकर बहुत किरकिरी हो रही है, कुछ कीजिए। वर्ना जनता जीने नहीं देगी।’ इस मुस्कराते हुए राहुल मौन रहे। कोइ प्रतिक्रिया नही दी।

बांसी रैली के भीड़ से आवाज आई ‘सांसदों के लिए संसद में एक रुपए की चाय, डेढ़ रुपए में दाल, एक रुपए में रोटी मिलती है। जबकि हम लोगों को इतने पैसे में सिर्फ रोटी मिलती है। ऐसी महंगाई क्यों।’ राहुल ने अनसुना कर दिया। सभा स्थल पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने माला से स्वागत करने के साथ उन्हे एक पत्र थमाया। इस पत्र में महंगाई के मुद्दे पर बोलने का आग्राह था। यहां भी राहुल ने इस मुद्दे को नजर अंदाज कर दिया। दरअसल, महंगाई और उसके बाद एफडीआई संबंधित केन्द्र सरकार के फैसले ने राहुल गांधी के यूपी दौरे के दौरान बन रहे माहौल को बिगाड़ दिया। राहुल गांधी गरीबों के सबसे बड़े पैरोकार बन कर उभर रहे थे। केन्द्र के निर्णय ने विपक्ष को केन्द्र सरकार और कांग्रेस को घेरने का मंहगाई के साथ नया मुद्दा दे दिया।

पंचर हो गये हवा भरते भरते

इधर राहुल गांधी विपक्ष को ललकार रहे थे तो उधर विपक्ष इनकी यात्रा की हवा निकालने में जुटा हुआ था। राहुल की चुटकी लेते हुए भाजपा नेता उमा भारती ने कहा कि राहुल गांधी को बहुत गुस्सा आता है तो अब मुझे भी गुस्सा आ रहा है। गुस्सा इतना कि वालमॉर्ट का एक भी स्टोर खुला तो आग लगा दूंगी। मायावती ने कहा कि वह विदेशी कंपनियां यूपी में नहीं खुलने देंगी। राहुल के विदेशी दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने रीटेल कारोबार में एफडीआई की अनुमति दी है। इससे छोटे व्यापारियों और किसानों को तो नुकसान होगा। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी।

पूर्वांचल के दौरे पर थे पर ज्वलंत समस्याओं पर चुप्पी साधे रहे। गोरखपुर जिले में स्थित बन्द पडा खाद कारखाना, दिमागी बुखार की भयावहता, बन्द सुगर मिल, गन्ना किसानों की बदहाली आदि मुद्दों का जिक्र तक नहीं किया। दिमागी बुखार से प्रतिदिन मौतें हो रही है इससे विकलांग हुए लोगों की अलग समस्या है। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज संसाधनों की मार झेल रहा है, राष्ट्रीय राजमार्ग की बुरी हालत है। प्रदेश का विभाजन हो रहा है। पर इन तमाम मुद्दों पर राहुल की खामोशी ने पूर्वांचल के लोगों को मायूस किया है। यही कारण था जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

ऐसे ही बचते रहे, तो बची हुई सीटें आएंगी 'हाथ'

राजनीति में एक-दूसरे पर छींटाकशी आम बात है, लेकिन सिद्धांतों को तिलांजली दे देना यह साबित करता है कि इस हमाम में सब नंगे हैं। हर राजनेता और राजनीतिक पार्टी कोरी राजनीति करते हैं। किसी को न तो आम आदमी की फिक्र है ना किसी को विकास, महंगाई और बेरोजगारी जैसी भयंकर समस्याओं से मतलब। एक एक करके हर किसी के चेहरे से मुखौटा उतर जाता है। वही हाल राहुल का है। इनको चेहरा बना कर कांग्रेस विधान सभा के मैदान में उतरने वाली है। सरकार बनाने तक ख्वाब देख रही है। पर जिनके कंधों पर कांग्रेस के उद्धार का भार है, वह नाजुक मुद्दे पर बोलने से इस कदर बचता रहा। ऐसा ही बचते रहे, तो इनके हिस्से बची बचाईं सीटें ही हाथ आने वाली हैं। अपने राजनीतिक सलाहकारों की वजह से वह एक बार बिहार चुनाव खो चुके हैं। अब यूपी की बारी है। उसके बाद केंद्र भी हाथ से निकलता दिख रहा है। राहुल का तो कुछ नहीं होगा, लेकिन दिग्गी राजा का राजनीतिक कद जरूर घटा दिया जाएगा।
(पेशे से पत्रकार मुकेश कुमार 'गजेंद्र' फिलहाल दैनिक भास्कर समूह से संबद्ध हैं।)

Monday, November 28, 2011

एफडीआई पर विपक्ष अड़ेगा, संसद में फिर हंगामे के आसार

28 नवम्बर 2011
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस/आईबीएन-7

नई दिल्ली।
रिटेल सेक्टर में एफडीआई निवेश पर संसद में हंगामे को देखते हुए राज्यसभा और लोकसभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इससे पहले, खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने के खिलाफ विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के कारण सोमवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा की अध्यक्ष मीरा कुमार ने विपक्षी दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।


एफडीआई पर विपक्ष अड़ेगा, संसद में फिर हंगामे के आसार


सोमवार को लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मुरली मनोहर जोशी ने एफडीआई के मसले पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था।

इसी मसले पर राज्यसभा भी 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इससे पहले लोकसभा में मुरली मनोहर जोशी ने कार्यस्थगन का नोटिस देकर चर्चा कराने की मांग की है। वहीं राज्यसभा में बीजेपी नेतदा अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने का नोटिस दिया।

दूसरी तरफ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सरकार नहीं चाहेगी कि एफडीआई मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूरी मिले। बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बीजेपी हमेशा चाहती है कि संसद चले। हमारी पार्टी नियम के तहत चर्चा कराने की मांग कर रही है। कांग्रेस इसे मान नहीं रही है और अड़ियल रुख अपनाए हुए है।

जावड़ेकर ने कहा कि एफडीआई से बेरोजगारी बढ़ेगी। वहीं, मार्केट के जानकार विजॉन ने बताया कि सरकार ने एक तरफा फैसला लिया है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता पी. एल. पुनिया नेस सरकार की पहल का बचाव करते हुए कहा कि ये नया विषय नहीं है। ये साल 2006 से लागू है। उन्होंने कहा कि इससे कोई हानि नहीं है। इस पर चर्चा होनी चाहिए। इस पर बीजेपी का कहना है कि बीजेपी पार्टी नए सुझाव और विषयों का स्वागत करने वाली पार्टी है।

कुरुक्षेत्र उत्सव-गीता जयंती समारोह पर विशेष-प्रस्तुति: अनूप लाठर



गीता जंयती अहसास करवाता है उस कर्म
संदेश का जिसने जन्म तो कुरुक्षेत्र की पवित्र धरा पर लिया लेकिन पूरी
दुनिया को अपने आलोक से चमकाया
 
प्रस्तुति:
अनूप लाठर
( लेखक वरिष्ठ सांस्कृतिक कर्मी एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक हैं)

कुरुक्षेत्र उत्सव - गीता जंयती समारोह एक अनूठा उत्सव है जो कि मार्घशीष
महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी
दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्योतिसर के पवित्र स्थान पर गीता का
उपदेश दिया था। पिछली शदी के नौवें दशक में आरम्भ हुए इस उत्सव का गहनता
से अवलोकन करें तो इसने जहां अपनी छोटी उम्र में विशेष पहचान बनाई वहीं
कई गिरावटों का भी सामना किया। कभी यह राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा तो कभी
जिला स्तर के आयोजन की तरह सिमट कर रह गया। शब्दानुसार कुरुक्षेत्र उत्सव
कुरुक्षेत्र नामक उस पावन धरा के महिमा मण्डन का उत्सव है जिस पर धर्म की
स्थापना हुई। इसके साथ जुड़ा शब्द गीता जंयती अहसास करवाता है उस कर्म
संदेश का जिसने जन्म तो कुरुक्षेत्र की पवित्र धरा पर लिया लेकिन पूरी
दुनिया को अपने आलोक से चमकाया।
       कुरुक्षेत्र और गीता बेशक एक दूसरे के प्रायवाची नजर आते हों, लेकिन
इनमें व्यापक भेद को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। कुरुक्षेत्र शब्द
गीता से प्राचीन है। इस क्षेत्र पर धर्म की स्थापना महाराजा कुरु ने
महाभारत से कहीं पहले कर दी थी और गीता का संदेश महाभारत युद्ध के दौरान
ब्रहमंड में गूंजा। यही वह पावन स्थली है जहां पर सरस्वती के तट पवित्र
तट पर श्रृष्टी की रचना हुई। यहीं पाणिनी ने ऐतिहासिक टिपणियां लिखी,
यहीं पर चीनी यात्री ह्यूनसांग ने भारत यात्रा के खुलासे किये, इसी
क्षेत्र की चर्चा होती है बौध साहित्य में 16 जनपदों में से एक के रूप
में जिसे ब्रह्म देश के रूप में संबोधित किया गया है।

महाराज कुरु की कर्मस्थली है कुरुक्षेत्र
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुरक्षेत्र के नाम से उस 48 कोस की भूमि को
जाना जाता है जिस क्षेत्र पर महाराजा कुरु ने अपने काल में सोने का हल
चलाया था। मान्यताओं के अनुसार महाराजा कुरु की इस कठोर तपस्या से
महाराजा इंद्र का सिंहासन डोल गया। वह धरती पर आए और महाराज कुरु से पूछा
कि यह क्या हो रहा है? महाराजा कुरू ने जवाब दिया कि वह अष्ट धर्म यानि
पुरुषार्थ का बीज बो रहे हैं। उनके हल में भगवान शिव का नंदी बैल और
यमराज का भंैसा जुड़ा देख महाराज इंद्र डर गए। वह तुरंत भगवान विष्णु के
पास पहुंचे और उनको सारा वृतांत सुनाया और कहा कि अगर धरती पर भगवान शिव
के नंदी और यम के भैंसे को कुरु जैसे लोग हल में जोडऩे लगे तो इससे
विलक्षण और क्या हो सकता है। भगवान विष्णु तुरंत धरती पर महाराज कुरु के
सामने प्रकट हुए और पूछा कि महाराज ये क्या कर रहे हो? महाराज कुरु ने
सीधा सा उत्तर दिया कि वह परोपकार की खेती कर रहे हैं। जब भगवान विष्णु
ने पूछा कि इसका बीज कहां से लाओगे तो महाराज कुरु ने सीधा सा जवाब दिया
कि अपनी देह से बीज बोऐंगे। भगवान विष्णु ने तुरंत अपने सुदर्शन चक्र से
उसके बाजू को काट कर टुकड़े कर दिये, महाराजा कुरु शरीर के उन टुकड़ों को
भूमि में बोते रहे, थोड़ थोड़ा करके उनके सारे शरीर के टुकड़े हो गए और
उन्होंने सारे शरीर को बो दिया। इस पर प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने
उन्हें दिव्य शरीर प्रदान किया। उन्होंने कुरु से कहा कि वह वरदान मांगे
तो कुरु ने तीन वरदान मांगे जिनमें अपने लिये मोक्ष की कामना की। जिस 48
कोस के क्षेत्रफल में उन्होंने हल जोता था उसके बारे में मांग की कि उसे
उनके नाम से ही जाना जाए और तीसरे वरदान के रूप में उन्होंने मांगा कि इस
क्षेत्र में कोई भी बिना भेदभाव के आए उसे मोक्ष की प्राप्ति हो। भगवान
विष्णु तथास्तु कह कर अंतरध्यान हो गए। यही नहीं भगवान ने इस क्षेत्र की
रक्षा के लिये करीब 8000 दिव्य धर्नुधर रक्षक भी इस क्षेत्र की रक्षा
हेतू दिये। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आज भी महाराज कुरु व उनके रक्षक इस
क्षेत्र की रक्षा करते हैं। पदमपुराण में उल्लेख है कि हरिद्वार में केवल
जल पवित्र है, लेकिन कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, कैथल व जींद जिलों के
बीच फैले इस 48 कोस के कुरुक्षेत्र में जल, थल और वायु तीनों ही पवित्र
हैं।

महाभारत - कुरुक्षेत्र और गीता का संदेश

       महाराजा कुरु के वंशज ही माने जाते हैं कौरव और पांडव। जब उनके बीच
युद्ध का समय आया तो ऐसा क्या था कि उनको इस युद्ध के लिये कुरुक्षेत्र
की ओर खींच लाया। इसके पीछे भी यही मान्यता है कि यह भूमि वरदान प्राप्त
थी और यहां मोक्ष प्राप्ति का वरदान भगवान विष्णु ने महाराजा कुरु को
दिया था। इसके साथ ही बिना भेदभाव के इस भूमि में आने वालों को मोक्ष की
प्राप्ति भी दी गई थी। संभवत: यही कारण है कि इस भूमि का धर्म युद्ध के
लिये चयन किया गया। इसके बाद यह भूमि और पवित्र इस कारण हो गई कि यहीं से
महाभारत युद्ध के दौरान दुनिया को कर्म का संदेश देने वाली गीता की वाणी
ब्रहमांड में गूंजी। महाभारत में वर्णित है कि जब अर्जुन सामने की कौरव
सेना में अपने पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्या व बंधु बांधवों को देख कर
हथियार डालने की बात करते हैं तो उनके सारथी भगवान श्री कृष्ण उन्हें मोह
से त्याग हेतू धर्म व कर्म का संदेश देते हैं और अपन दिव्य रूप दिखाते
हैं। अर्जुन व भगवान श्री कृष्ण के बीच का यही संवाद है गीता का अमर
संदेश।


गीता के संदेश को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास भी है गीता जयंती समारोह
दो दशक से कुरुक्षेत्र में मनाया जा रहा गीता जयंती समारोह एक तरह से
गीता के अमर संदेश को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास है जो काफी सफल भी हो
रहा है। इस समारोह के दौरान गीता के रहस्य को विभिन्न विधाओं के माध्यम
से जनता तक पहुंचाने का प्रयास होता है। गीता मनीषी अपने विचारों द्वारा
गीता के संदेश को जन जन तक पहुंचाते हैं। और इस प्रकार अध्यात्म व
संस्कृति के साथ इतिहास को भी ताजा करता है यह समारोह। इस दौरान लोगों की
अपार भीड़ जहां पवित्र ब्रह्म सरोवर तट पर जुटती है वहीं सनिहित सरोवर,
ज्योतिसर तीर्थ व पिहोवा में भी भारी भीड़ होती है। यही नहीं कुरुक्षेत्र
भूमि में फैले अनेक स्थानों को पहचान दिलवाने के लिये वहां पर भी
कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उधर झांसा रोड़ पर स्थित भद्रकाली
मंदिर में इस दौरान श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रहती है। यहां के बारे में
मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने यहां पर अश्व दान
किये थे जो प्रथा आज तक चली आ रही है।

कुरुक्षेत्र उत्सव कब और कैसे?
कुरुक्षेत्र उत्सव- गीता जयंती समारोह का आयोजन 1989 के बाद से उत्तर
क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग और
हरियाणा पर्यटन विभाग के साथ सामूहिक रूप से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के
सहयोग से प्रति वर्ष किया जाता है। आरम्भ मे इस आयोजन में लोकसम्पर्क
विभाग व शिक्षा विभाग की टीमें ही सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती थी,
लेकिन धीरे- धीरे यह उत्सव फैलाव पाता गया। 1999 में हरियाणा के तत्कालीन
राज्यपाल महावीर प्रसाद जो कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अध्यक्ष भी थे,
व केद्रीय प्रयटन मंत्री जगमोहन के प्रयासों और सरकार के सहयोग से यह
समारोह विशाल रूप धारण कर गया। एक दौर ऐसा आया जब इसे महाभारत उत्सव का
नाम देने का प्रयास किया गया, लेकिन व्यापक नाकारात्मक प्रतिक्रियाओं के
कारण वह नहीं हो सका। वर्ष 2002 के बाद इसमें नए आयाम लेकर आया शिल्प
मेला जिसने विशेष पहचान दिलवाने का काम किया। यह पांच दिवसीय मेला भी इस
उत्सव का प्रमुख आकर्षण बन चुका है। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए 2003
के बाद यह दस दिन का कर दिया गया। दुर्भाग्य की बात है कि उसके बाद से
धीरे धीरे यह उत्सव सिमटता गया और किसी जिला स्तरीय समारोह की तरह रह
गया। बाहर से दर्शक आने रुक सा गए। हालांकि पूरे प्रदेश से डीआरडीए के
माध्यम से शिल्पकारों के आने से यह प्रदेश स्तरीय होने का आभास सा करवाता
रहा।


सरस मेला ला सकता है राष्ट्रीय पहचान
पवन सौन्टी

इस बार समारोह में एक नया अध्याय जुडऩे जा रहा है जिसे नाम दिया जा रहा
है सरस मेले का। अतिरिक्त उपायुक्त सुमेधा कटारिया के अनुसार इस मेले में
देश के कोने कोने से शिल्पकार भाग लेंगे। पूरे देश की जिला ग्रामीण विकास
ऐजेंसियां इस मेले में अपनी झलक दिखाऐंगी। इसके माध्य से पूरे देश के
हुनर, कला, पारमपरिक हस्तकला, काष्ठ कला, शिल्प, चित्रकारी, नक्काशी व
कपड़ा रंगने जैसी कलाओं का प्रदर्शन व लोक कलाओं का प्रदर्शन भी इस मेले
में होगा। इसके साथ ही प्रदेश के विकास की झांकी को लेकर राज्य स्तरीय
प्रदर्शनी भी हरियाणा के विकास की मुंहबोलती तस्वीर देगी।
दूरदर्शन से भी दिखेगी कुरुक्षेत्र की झांकी
हरियाणा के हिसार स्थित दूरदर्शन केंद्र द्वारा इस समारोह के दौरान दो
डाक्यूमैंटरी फिल्मों का भी प्रसारण किया जाएगा जो कुरुक्षेत्र के बारे
में दर्शकों को व्यापक जानकारी देंंगी। जाने माने लेखक व कुरुक्षेत्र के
सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल के अनुसार उनके द्वारा
लिखित सिंधुवन आदी धाम डाक्यूमैंटरी का प्रसारण समारोह के पहले दिन 2
दिसम्बर को होगा व आस्था का प्रतीक कुरुक्षेत्र का प्रसारण 6 दिसम्बर को
होगा।

Thursday, November 17, 2011

कांग्रेसी कार्यालय पर हो रहा है राष्ट्रध्वज का अपमान?


कांग्रेसी कार्यालय पर हो रहा है राष्ट्रध्वज का अपमान?
लाडवा, शैलेंद्र चौधरी
एक ओर तो कांग्रेसी सांसद राष्ट्रध्वज की आजादी दिलवाने के नाम पर खुद की पीठ ठोंकते नहीं थकते तो दूसरी और उनकी पार्टी के कार्यालय पर ही राष्ट्रध्वाज का अपमान हो रहा है। हल्का लाडवा के लिये लाडवा में पूर्व सांसद कैलाशो सैनी द्वारा खोले गए कांगे्रस के कार्यालय के उपर जहां कांग्रेसी ध्वाज लगा है वहीं राष्ट्रीयध्वज भी लगाया गया है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इस ध्वज की ओर न तो पूर्व सांसद का ही ध्यान है और न ही उनके द्वारा रखे गए किसी कर्मचारी अथवा पार्टी कार्यकर्ता का। अनदेखी के कारण राष्ट्र का गौरवमय प्रतीक आज अपनी बदहाली की कहानी स्वंय ब्यान कर रहा है। यह ध्वज मैला होने के साथ-साथ आगे के किनारे से बुरी तरह फट चुका है और हवा में लहराते हुए इसके फटे किनारे राष्ट्रभक्तों के दिल को ठेस पहुंचाते हैं। इसे लेकर राष्ट्रप्रेमियों में गहरा रोष है। लोगों का कहना है कि जब देखभाल ही नहीं की जा सकती तो राष्ट्रध्वज को लगाना क्या जरूरी है। अगर लगाने वालों में सच्ची राष्ट्र भक्ति होती तो इस ध्वज को उचित तरीके से ससम्मान उतार कर नया ध्वज लगाया जाना चाहिये था। लोगों की मांग है कि राष्ट्रध्वज का अपमान करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिये ताकि इस राष्ट्र के प्रतीक का सम्मान बहाल रह सके।

धान के बाद आलू से घबराऐ किसान

धान के बाद आलू से घबराऐ किसान
कोलड स्टोरों में भरा पड़ा है पुराना आलू, नए की भी आवक शुरु
लाडवा, शैलेंद्र चौधरी
पिछले एक वर्ष से खेती किसानों के लिये बुरी तरह गले का फंदा बनती जा रही है। अभी हाल ही में किसान धान से बुरी तरह घाटा खाए बैठे हैं और अब आलू भी उनके गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस बार आलू की रोपाई गत वर्ष की अपेक्षा अधिक है और कोल्ड स्टोरों में भी पुराना आलू भारी मात्रा में जमा पड़ा है। इस बार गत वर्ष की अपेक्षा 300 हैक्टेयर आलू की रोपाई अधिक हुई है। ऐसे में आलू के दिनो दिन घटते दाम किसानों के माथे पर परेशानी की लकीरें खींच रहे हैं। इन दिनों ताजा आलू के थोक बाजार में शुरुआती दौर के भाव 700 से 900 रूपये क्विंटल तक चल रहे हैं जबकि पुराना आलू 100 से 200 रूपये क्विं टल तक पिट रहा है। ज्यों ज्यों ताजा कच्चे आलू की आवक आरम्भ होगी तो इसके भाव जमीन को छू सकते हैं।
गौरतलब है कि गत वर्ष आलू का सीजन जब यौवन पर आया था तो 100 रूपये कट्टा से भी कम पर दाम लुडक गए थे जिस कारण किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा था। उस मंदी को देखते हुए अधिकतर किसानों ने अपना आलू कोल्ड स्टोरों में रख दिया था। आज नौबत यह है कि उस स्टोर किये हुए आलू का दाम इतना कम है कि उसे बेच कर स्टोर का किराया भी पूरा नहीं किया जा सकता। इसके गिरते दाम ताजा आलू के लिये भी खतरे की घंटी बन रहे हैं। अगर ताजा आलू के भाव ज्यादा नीचे गिरे तो किसानों को भूखों मरने की नौबत आ जाऐगी। 
            ध्यान रहे कि  गत वर्ष किसानों को पहले तो धान की फसल ने धोखा दिया था फिर आलू ने उनके घाटे को बढ़ा दिया था। किसानों की परेशानियां यही खत्म नहीं हुई थी बल्कि उसके बाद गेहूं की फसल ने पीले रत्वे की चपेट में आकर किसानों के नसीब पोंछ दिये थे। जिन किसानों ने आलू के घाटे को पूरा करने के लिये टमाटर लगाऐ थे उन्होंने भी किसानों को तली में लगा दिया था। किसान की कमर टूटनी यहीं नहीं रूकी बल्कि इस बार धान की फसल ने उनको फिर से धोखा दे दिया। बासमती तो गत वर्ष की अपेक्षा आधे दामों पर लुडक गई जबकि लागत दुगनी हो चुकी थी। अब किसानों के लिये आलू भी खतरे की घंटी बजा रहे हैं।
क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी?
आलू की ताजा स्थिति को लेकर जिला बागवानी अधिकारी डा. महेंद्र सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि गत वर्ष जिला कुरुक्षेत्र मेें 6200 हैक्टेयर में आलू की खेती की गई थी जबकि इस वर्ष 6500 हैक्टेयर में आलू की फसल लगी है। उन्होंने बताया कि इस बार अभी तक बहुत भारी मात्रा में आलू का स्टाक स्टोरों में मौजूद है। आलू के दामों को लेकर उन्होंने किसी भी प्रकार की भविष्य वाणी से इनकार कर दिया।
उचित कृषि नीति बनाऐ सरकार: सौन्टी

उधर किसानों के लिये घाटे का सौदा बनती खेती को लेकर युवा मजदूर किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष पवन सौन्टी का कहना है कि सरकार कि ओर से उचित कृषि नीति के अभाव में किसान मर रहा है। सरकार को किसानों की अपेक्षा भारी उद्यौगों व कार्पोरेट घरानों की चिंता है जहां से नेताओं को भारी चंदा मिलता है। सरकार को हर वर्ष आंकलन करके फसलों के अनुरूप कृषि उत्पादन के निर्यात व देश में उचित वितरण का प्रबंध करना चाहिये व किसान की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लेते हुए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिसों के अनुरूप दाम निश्चित करने चाहियें। स्टाक योग्य फसलों के संग्रहण व उनकी कीमत के अनुरुप बिना ब्याज के ऋण की सुविधा सरकार की ओर से किसानों के लिये लागू की जानी चाहिये ताकि किसान घाटे के समय अपने उत्पाद को सरकार के पास गिरवी रख कर धन ले सकें और उचित मूल्य मिलने पर उसे बेच कर सरकार का कर्जा भी चुकता कर सकेें और खुद भी घाटे से बच सकें।

Wednesday, November 16, 2011

....जो तू जोहरी है तो ये बात तुझे जेब़ नहीं...., मुझको परख, मेरी शोहरत का इंतज़ार ना कर...युवा और उत्सव होते हैं एक दूसरे के प्रयायवाची: दिनेश यादव.


तीन शेरों के माध्यम से दिया मुख्यातिथि ने संदेश
कुवि का 34वां अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह हार्षोल्लास के साथ सम्पन्न
युवा और उत्सव होते हैं एक दूसरे के प्रयायवाची: दिनेश यादव

यमुनानगर, 15 नवम्बर। पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

            स्थानीय डीएवी कन्या महाविद्यालय में चल रहा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का 34वां युवा समारोह मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे यमुनानगर के अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश यादव ने अपने हाथों पुरस्कार वितरण किया। इस अवसर पर यादव ने दो अलग-अलग शेर सुनाकर जहां प्रशासन, शिक्षक वर्ग व युवा वर्ग की जिम्मेवारियों का अहसास करवाया वहीं दोनों वर्गों के लिये एक शेर सुनाते हुए सांझी सांस्कृतिक जिम्मेवारी का भी अहसास करवाया। यादव ने कहा कि युवा व उत्सव एक दूसरे के प्रयायवाची हैं। जो उत्सव में शामिल होता है वह अपने आप युवा हो जाता है। उन्होंने बताया कि वह अपने समय में सभी युवा समारोहों में भाग लिया करते थे।
            दिनेश यादव ने प्रशान व शिक्षक वर्ग की जिम्मेवारियों को समझाते हुए कहा कि हमारी डयूटी बनती है कि शिष्य की काबलियत को पहचानें। यादव ने अपने शेर से अपने इस संदेश को कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....जो तू जोहरी है तो ये बात तुझे जेब़ नहीं...., मुझको पर, मेरी शोहरत का इंतज़ार ना कर....
            इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का संदेश कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....तुझमें हीरे की शिफ्त है तो अंधेरे में मिल..., धूप में तो कांच का टुकड़ा भी चमक जाता है...।
            बाद में उन्होंने युवा वर्ग व शिक्षक तथा प्रशासक वर्ग को सामूहिक रूप से सांस्कृतिक जिम्मेवारियों को निभाने का संदेश कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें, आओ ये मौसम बदलें....।
            ....आईने कहां बदल पाऐंगे अपनी सूरत, आओ हम खुद बदल कर देखें...।
    इसके पश्चात उन्होंने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। मुख्यातिथि ने लम्बे समय तक बैठ कर हरियाणवी समूह नृत्य प्रतियोगिता का आनंद भी लिया। उनसे पहले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि डीएवी कालेज इस युवा समारोह के सफल आयोजन के लिये बधाई का पात्र है। इतने कम समय में एक विशाल समारोह का सफल आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या सुषमा आर्या और उनकी टीम की गहरी लगन का ही प्रतिफल है। इसके लिये उन्होंने कालेज प्रशासन व सभी बच्चों का भी आभार जताया। लाठर ने मुख्यातिथि दिनेश यादव का  परिचय करवाते हुए कहा यादव उनके सांस्कृतिक मित्र, संस्कृति मित्र व सांस्कृतिक परिवार के सदस्य हैं। कार्यक्रम के आरम्भ में डीएवी कालेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गैस्ट आईटम के रूप में इंडियन क्लासिकल डांस व वैस्ट्रन ग्रुप सोंग प्रस्तुत किया।


फागण मैं होग्या चाल़ा....
हरियाणवी समूह नृत्य पर झूमे दर्शक
यमुनानगर, 15 नवम्बर।
 (विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)


            .....फागण मैं होग्या चाल़ा... छुट्टी आग्या मेरे घर आल़ा...., कुछ ऐसे ही गीतों के बोल थिरकने को मजबूर करते रहे हजारों की संख्या में बैठे युवा दर्शकों को। जी हां कुवि के 34 वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के  अंतिम दिन डीएवी कालेज के खुले मंच पर हरियाणवी समूह नृत्य की यादगार प्रस्तुतियां हुई। मंच पर सजा चर्खा, न्यार (घास) की गठरियां और कुछ इन बोलों के साथ हुआ मंचन काट भरोटा बांध लिया जी ....सीमा पै करूं देश की सेवा...। होर बता के चाहिये ....जी लागै ना तेरे बिना मेरा... गेल मनैं ले जाईये औ.....। मेरी घड़वा दे रमझौल फौज मैं जावैगा...मेरे पिया तू कदसी उलटा आवैगा...। यह प्रस्तुति थी करनाल जोन की।
            कुरुक्षेत्र जोन की और से भी फागण के महीने को लेकर कुछ इस प्रकार गीतों पर युवा नर्तकों ने धमाल मचाया...फागण आया रंग भर्या गोरी खेलैंगे रंग गुलाल...., फागण का यू मस्त महीना मन मैं मिलण की आस....। हिसार जोन की टीम ने बिन साजन घर मैं अकेली... कद आवै मेरे मन का मेली....., याद सतावै, जिया जल़ावै...साजन गए मेरे फौज मैं... आदि गीतों के मिश्रित बोलों पर अपनी थिरकन से मंच को तरंगित किया।
            यमुनानगर जोन की ओर से डीएवी कालेज की टीम ने ग्राम्य जीवन की झांकी को मंच पर रच कर अपने समूह नृत्य में ग्रामीण रंगत देने का सफल प्रयास किया। मंच पर सजी मंधाणी, चूल्हे पर चढ़ा तवा, कुंए से पानी भरना व सिर पर पीतल की टोकणी और औखली में धान कूटती नार। इस मंच सज्जा के साथ गीत के बोल भी कुछ इस प्रकार ताल मिलाते नजर आऐ....काम करां दिन रात सखी री.. पिया की याद सतावै सै...। रेलगाड्डी कू कू बुलावै हे....बिन पिया के हुई मैं उदास देखूं बाट पिया की मैं। अम्बाला जोन के कलाकारों ने अपने गीतों म्हारी हेली मैं चौंसठ पैड़ी.....आदि पर नृत्य प्रस्तुत किया।

            उधर अभिव्यक्ति सदन में हरियाणवी एकल नृत्य की प्रस्तुतियां हुई। प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग में अम्बाला जोन के कलाकार ने अपने गीत मार गए छोरे तेर ढूंगे नै पर नृत्य किया। इसके बाद करनाल जोन के कलाकार ने लियो ना पंग्गा मैं छोरी गाम की गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। यमुनानगर जोन की ओर से आगी छौरी सपने के मैं मेरी करगी नींद हराम... गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। दूसरी और इस प्रतियोगिता के महिला वर्ग में यमुनानगर जोन की ओर से नाड़ा तो मेरा बाजणा...गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया गया।

नए रूप में हुआ सांग का मंचन
यमुनानगर, 15 नवम्बर।
यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

34वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के दौरान दूसरे दिन देर रात तक चली सांग प्रतियागिता ने कभी लुप्त प्राय: हो चुके लोकनाट्य सांग के नविनिकृत रूप को पेश किया। एक दौर था जब सांग देखने के लिये महिलाओं का आना वर्जित था। और एक आज का दौर है जब महिलाऐं सांग में भूमिका निभा रही हैं। जहां कभी सांग में महिला पात्रों की भूमिका पुरुष निभाते आए वहीं आज छात्राओं द्वारा आयोजित सांग में पुरुष पात्रों तक की भूमिका छात्राऐं निभा रही हैं। यह सच मे हरियाणवी संस्कृति के मूल यानि सांग की पुन: स्थापना की कड़ी में सबसे सफल पायदान माना जा सकता है। प्रतियोगिता में यमुनानगर जोन की टीम ने पूर्ण रूप से सांग को महिला रंग में ही रंग डाला और कमोबेश सभी कलाकर लड़कियां ही रही। इस टीम द्वारा मंचित पिंगला-भरथरी सांग में रागणी गायन से लेकर मखौलिये तक के किरदार छात्राओं ने बहुत ही सराहनीय तरीके से निभाऐ। विभिन्न जोन से आई टीमों द्वारा सबसे ज्यादा पिंगला-भरथरी सांग का ही मंचन हुआ। राजा भरथरी अपनी रानी पिंगला के प्यार में इतना अंधा होता है कि उसकी चाल पर नगर सेठ की शिकायत को नहीं समझ पाता और अपने भाई विक्रम को जल्लादों के हवाले कर देता है। एक बार एक गरीब ब्रहमण को शिवजी खुश होकर अमर फल देते हैं जिसे धन के लालच में वह ब्रहमण राजा को भेंट करता है। राजा उसे अपनी प्रिय रानी पिंगला को देता है। लेकिन पिंगला एक दरोगा से प्रेम करती है और वह अमरफल उस दरोगा को दे देती है। दरोगा अय्यास होता है। वह कोठे पर जाता है और वह अमरफल उस कोठे वाली को दे देता है। वह अमरफल को राजा के पास लेकर आती है। राजा उस के हाथ से अमरफल पाकर बहुत परेशान होता है। उसे रानी पर शक होता है और उसे बुलवाकर पूछता है तो पहले झूठ बोलने के बाद अंत में सच कबूल कर लेती है। इसके बाद राजा को अपने प्रिय भाई विक्रम की याद आती है। जल्लाद बतातें हैं कि उन्होंने विक्रम को मारा नहीं था, बल्कि जंगल में यूं ही छोड़ दिया था। राजा उनसे अपने भाई को बुलवाता है।
            विक्रम के बोल राजा के कानों में कुछ इस प्रकार गूंजते हैं....आज का बोल्या याद राखिये विक्रम भाई का..दुनिया मैं तै खो देगा तनै भ्रम लुगाई का।
           

आई एम कन्फ्यूज लिलो.........लाठर की खोज ने किया हरियाणवी को आधुनिकता से दो चार



आई एम कन्फ्यूज लिलो.........
हरियाणवी पॉप सोंग ने किया पाश्चातय विधा का हरियाणवी में समावेश
लाठर की खोज ने किया हरियाणवी को आधुनिकता से दो चार


यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)
डीएवी कालेज फार गल्र्ज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के पहले दिन 13 नवम्बर को देर रात तक प्र्रतियोगिताऐं चलती रही। देर शाम आयोजित हरियाणवी पॉप सोंग प्रतियोगिता में 5 जोन से आए कलाकारों ने हरियाणवी में पाश्चातय विधा का समावेश करते हुए मंच पर ऐसा रंग जमाया कि युवा वर्ग अपनी सीटों से उठ कर नाचने को मजबूर हो गया। आई एम कन्फ्यूज लिलो......के साथ जब मंच पर हरियाणवी व पाश्चातय अंदाज में लिलो चमन के किस्से की रागनी पेश की तो दर्शक दांतों तले उंगली दबा कर रह गए। अंग्रजी बोल से शुरु हुए इस पॉप में लिलो चमन के संवाद गायन शैली में कुछ इस प्रकार रहे....साचम साच बता लिलो के खुशी मना री सै....के बुझैगा चमन आज मेरे ब्याह की त्यारी सै....। और गीत का अंत भी अंग्रेजी संवाद म्हारी कन्फूजन होगी सोलव रै लिलो...से हुआ। इसके बाद  झूमै रै झूमै रै मेरा घाघरा...चाल्ली मैं दिल्ली आगरा...., मैं आया हरियाणे का छौरा....। इस मिश्रित पॉप में कमोबेश सभी रंगों को समेटने का प्रयास किया गया। फागण को केंद्र लेकर मंचित इस गीत में जहां मंच पर फूल वर्षा हुई वहीं ठेठ हरियाणा की कोरड़ा मार होली को भी मंचित करने का प्रयास किया गया। कुछ इस प्रकार के  बोलों के साथ गीत समाप्त हुआ....ले ल्यो रै ले ल्यो रै मजे सारे के दिन आया फागण का...। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर द्वारा अपनी सांस्कृतिक  प्रयोगशाला रत्नावली के माध्यम से तैयार इस विधा ने जता दिया कि हरियाणवी गीत आधुनिकता के साथ आधुनिक युवाओं के लिये कैसे अच्छे मनोरंजन का माध्यम बन चुके हैं। आज का युवा किस प्रकार इन पर थिरकत है यह भरे पांडाल में बखूबी देखा गया। पॉप सांग की रंगा रंग प्रस्तुति से यह आभास हो गया कि हरियाणी संगीत देश के किसी भी कोने में नाचने के लिये प्रयोग हो सकता है। बोल चाहे किसी श्रोता को समझ ना आते हों, लेकिन उनकी मिठास व उल्लास बरबस ही थिरकने को मजबूर कर देता है।
            इसी मंच से देर रात तक इंडियन आरकैस्ट्राव हरियाणवी आरकैस्ट्रा की रंगारंग प्रस्तुतियां होती रही। हरियाणवी आरकैस्ट्रा में हरियाणा के लोक वाद्यवृंदों तुम्बा, डेरु, घड़वा, चिमटा, सारंगी आदि की मिश्रित ताल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किये रखा। 
            उधर अभिव्यक्ति सदन में आयोजित संस्कृत नाटक में अम्बाला जोन ने सबसे पहले अपनी प्रस्तुति दी। दमन चक्रम नाटक में इन कलाकरों ने जुपीटर ग्रह की रूढिवादिता को लेकर लम्बा मंचिय अभिनय प्रस्तुत किया। कथा के अनुसार दो भाई होते हैं परमैथ्यू और अतलस।  उन में से एक की मौत हो जाती है और वह जूपिटर पर चला जाता है, तब दूसरा भाई उसे छुड़ाने जाता है। वह उसकी आत्मा को मुक्त करवाकर ही साथ लेकर वापिस लौटता है। इस कथा को युवा कलाकारों बहुत ही भाव पूर्ण अभिनय से मंचित किया। दूसरा नाटक लेकर पहुंची करनाल जोन की टीम ने अपने नाटक अश्वस्थामा के माध्यम से महाभारत की कथा के एक पात्र को जीने का प्रयास किया। महाभारत के युद्ध की के इस भाग को कलाकारों ने पूरे ही वास्तविक अंदाज में पेश किया। यमुनानगर जोन की टीम ने कुमार स्वामी नाटक में गुरु शिष्य की परम्परा के माध्यम से उस स्थिति को पेश किया जिसमें गुरु शिष्य को अपने लाभ व हित के लिये प्रयोग करते हैं। कथा में कुमार स्वामी का गुरु उसे राजनैतिक रूप से प्रयोग करता है। वह कुमार स्वामी से अनशन करवाता है। अंत में कुमार स्वामी गुरु की राजनैतिक सोच से परेशान होकर अनशन तोडऩा चाहता है। तब गुरु उसकी हत्या कर देता है। इसी मंच से मिमिकरी प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ जिसमें 4 टीमों ने भाग लिया। सभी कलाकारों ने अपने हास्यप्रद अभिनय से विभिन्न विषयों पर कटाक्ष करके दर्शकों को लोट-पोट किया।


म्हारे टेम मैं तो पोतडय़ां मैं ब्याह दिया करदे................
हरियाणवी स्किट के माध्यम से हुए सामजिक कुरीतियों पर कटाक्ष
यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

डीएवी कालेज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34 वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के दूसरे दिन मुख्य आकर्षण हरियाणवी स्किट का रहा। सीमित समय में मंचित की जाने वाली इन हास्य लघु नाटिकाओं के माध्यम से युवा कलाकारों ने सामाजिक कुरीतियों पर जम कर कटाक्ष किये। सबसे पहले कुरुक्षेत्र जोन की टीम ने अपनी प्रस्तुति धरती नै कोण सुधारैगा के माध्यम से भ्रष्टाचार पर जम कर कटाक्ष किये। संवाद कु छ इस प्रकार रहे... भ्रष्टाचार नै कदम कदम पै ढाल राख्या है ढेरा, वो भारत देश है मेरा....।  यू सै समाज की चौथी टांग.....करीना के आंख्यां मैं दो आंसू के आज्यां उसके पलकां के  फोटू.....। हिसार जोन की टीम ने माणस कडै़ गए के माध्यम से समाज की कुव्यवस्था पर कुछ इस प्रकार कटाक्ष किये... विसकी मैं होवै विष्णु, बीयर मैं ब्रह्मा अर देशी मैं दादा। देश काला होग्या रै...माणस नै माणस.....।
            यमुनानगर जोन की टीम ने हरियाणा के लोकनाट्य सांग को बचाने का आह्वान आपनी प्रस्तुति सांग मंडली के माध्यम से जहां सांग में आई गिरावट को उभारने का प्रयास किया वहीं यह संदेश भी दिया कि लोक कलाकारों को संरक्षण देने की जरुरत भी है। संदेश भी कुछ इस प्रकार दिया.... कलाकारां नै 2 रोटी दे द्यो बस याहे दरकार सै......सांग बचा ल्यो इसनै गा ल्यो, बस याहे पुकार सै। इसके साथ ही नाटिका में अनेक अन्य विषयों पर भी व्यंग्य साधे गए। देखिये कुछ संवाद...
            इसनै तो मैं पलकां पै बिठा कै राखूंगा....
            क्यूं पलाकं पै के तेरी फूफी नै सौफा सैट फिट करवा राख्या सै.....
            ..............तेरे बरगे सुथरे गंडासे नै जाम मैं चूंटियां नी लागैंगी तो के खसरे के टीके लागैंगे।

            इसके पश्चात करनाल जोन की टीम ने भी भ्रष्टाचार मिटाने का संदेश देती अपनी प्रस्तुति पेश की। स्किट में एक किन्नर के संवाद कुछ इस प्रकार रहे.... मैं माणस जमा लुगाई बटा दो....। इज्जत का परमट तो राम नै कोनी दिया म्हारे तै......। वहीं वर्तमान को अपने समय से जोड़ती वृद्धा के संवाद भी कुछ इस प्रकार रहे....ऐरे कड़ै की पढी लिखी...म्हारे टेम मैं तो पोतड़्यां मैं ब्याह दिया करदे...। अंत में अम्बाला जोन की और से धरती नै स्वर्ग बणावांगे स्किट प्रस्तुत की गई। कलाकारों ने जमूरे और मदारी के माध्यम से जहां समाज के विभिन्न वर्गों की बिगड़ी व्यवस्था पर व्यंग्य किये वहीं समाज सुधार का संदेश भी दिया। संवाद देखिये ...आलतू फालतू..सीला कर जवान तू मुन्नी कर बदनाम तू.........। इसी मंच पर दोपहर बाद माईम की प्रतियोगिता आयोजित हुई।
            उधर अनुभूति सदन में आयोजित हरियाणवी लोक गायन की एकल विधा में 4 जोनों से आए प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अम्बाला जोन के एसडी कालेज से व यमुनानगर जोन की ओर से गवर्नमैंट कालेज नारायणगढ़ के प्रतिभागी ने एक ही गीत पर अलग अलग घाल दे पिया नै जिया नै... पर खूब तालियां बटोरी। हिसान जोने की ओर से गर्वनमैंट पीजी कालेज हिसार की टीम ने कांटे राहे मैं बो गई.... गीत गाया। करनाल जोन की ओर से गीत पेश किया। इसी मंच से हरियाणवी लोक वाद्य यंत्र प्रतियोगिता का अयोजन किया गया जिसमें सारंगी, तुम्बा, घड़वा, ढोलक आदि हरियाणवी वाद्य यंत्रों की धुनों ने अपनी मधुर तान से फिजां को तरंगित किया।
            दूसरी और श्रृजन सदन के खुले मंच पर वैस्ट्रन वोकल सोलो में टैक्रिकल जोन के प्रतिभागी ने से इट सोंग प्रस्तुत किया। इसके पश्चात यमुनानगर जोन की ओर से प्रतिभागी ने अपने सोंग स्टोरी आफ माई लाईफ की प्रस्तुति दी। हिसार जोन से टीयर्सफुल विस्पर्स सोंग प्रस्तुत किया गया। वैस्ट्रन इंस्ट्रूमैंटल सोलो में कुरुक्षेत्र जोन ने गिटार, अम्बाला जोन ने भी गिटार, हिसार जोन की ओर से प्रतिभागी ने वाईलिन बजाई व कैथल के प्रतिभागी ने ड्रम पर अपनी प्रस्तुति दी। वैस्ट्रन ग्रुप सोंग  में हिसार जोन का सोंग गैट ऑन दॉ फलोर, करनाल जोन का बार्बी ऐलोन, अम्बाला जोन का शेप आफ माई हार्ट व रेन ओवर मी का रिमिक्स प्रस्तुत किया। युवाओं की प्रतिभा का दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया।




इक पल ना लगै दिल तेरी याद मैं......
गजलों से झलकी हरियाणवी की मिठास
यमुनानगर/(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

.......इक पल ना लगै दिल तेरी याद मैं....चैन की नींद सोवै सै सारा यू जहान, ...फेर ल्यूं मैं नजर चांद नै देख कै......। जी हां, गजल जैसी भावपूर्ण मिठास भरी विधा हरियाणवी में भी है जो अहसास करवाती है इस भाषा की मिठास का। माना जाता रहा है कि हरियाणवी अक्खड़ भाषा है, लेकिन गजलों की मिठास ने इस विचार को पूरी तरह नकारा साबित कर दिया है। स्थानीय डीएवी कालेज फार गल्र्ज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के पहले दिन गत देर सांय आयोजित हरियाणवी गजल प्रतियोगिता में हरियाणा के शिवालिक की पहाडिय़ों से जुड़े यमुनानगर व पंजाब से जुड़े अम्बाला से लेकर हिसार तक के युवा गजल गायकों ने अपने भावों को गजलों के माध्यम से प्रस्तुत किया। अपने अपने जोन से प्रतियोगिताओं में चुन कर आए इन कलाकारों ने मंच के माध्यम से हरियाणवी गजलों को बहुत ही संजीदा अंदाज में पेश किया। उपरोक्त पंक्यिां जहां कुरुक्षेत्र जोन से आई प्रतिभागी की हैं तो वहीं तकनीकि जोने से आए गायक ने कुछ यूं अपनी गजल पेश की.... ए मुहब्बत तेरे अंजाम पै रोणा आया.....यूं तै हर सांझ उम्मीदां मैं गुजर जावैगी....। अम्बाला जोन से आए प्रतिभागी के बोल कुछ यूं रहे....उसनै मन्ने याद किया सै उसनै प्यार निभाया सै....। करनाल जोन की और से कुछ इस अंदाज में प्रस्तुति दी गई....बेखबर सै तू बलम प्यार तै-इकरार तै....मेरा दिल घबरावै बालम एक तेरे इनकार तै.......। यमुनानगर जोन के प्रतिभागी के बोल कुछ यूं रहे.... करो ना मखौल यारो, पड़ ज्यांगा टूटकै...दिल के जख्मां का जहान मैं कोए पुछणिया कोन्या....., रोणे नै करै सै मेरा दिल दोस्तो....., मतलब के सै यार प्यार मैं मिलदी आज वफा कोन्या, उजड़ लिया संसार मेरे पै किम्मे आज बच्या कोन्या....। हिसार जोन की ओर से कुछ इस अंदाज में गजल प्रस्तुत की गई....इन प्रीत आल़े घावां का किते हो बताणा इलाज सै....., घट्टा भी पड़ जै ओटणा इसा लेणा देणा प्रीत का....। इसी मंच से इससे पूर्व इंडियन लाईट वोकल व सामान्य लोक गीत प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। सबसे रोचक प्रस्तुतियां हरियाणवी गजल की रही।

Tuesday, November 15, 2011

डीएवी कालेज पर पूरा प्रदेश कर सकता है गर्व: लाठर



दीप प्रज्वलन के साथ हुआ 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह का आगाज
डीएवी कालेज पर पूरा प्रदेश कर सकता है गर्व: लाठर

यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह का शुभारम्भ 13 नवम्बर को स्थानीय डीएवी गल्र्ज कालेज में रविवार को मुख्य अतिथि के हाथों दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तीन दिवसीय इस समारोह में कुुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभी 6 क्षेत्रों से विजेता टीमें भाग ले रही हैं। समारोह में 27 प्रतियोगिताओं के लिये हरियाणा भर से कुवि से संबंधित कालेजों की क्षेत्रानुसार विजेता टीमें भाग ले रही हैं।
            कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के युवा एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने कहा कि कुवि के युवा समारोह की यह 34वीं सिढ़ी है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस आयोजन के लिये डीएवी कालेज का आभार जताते हुए कहा कि यह ऐसा कालेज है जिस पर पूरा प्रदेश गर्व कर सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अभी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय रत्नावली का महाआयोजन करके निपटा था कि अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह की तारीख आ गई। इसके आयोजन के लिये उन्होंने मात्र कुछ दिन पहले ही डीएवी कालेज की प्राचार्या सुषमा आर्या से बात की थी और उन्होंने इतने कम समय में इतने विशाल कार्यक्रम का सफल आयोजन कर दिया। इसके लिये उन्होंने सुषमा आर्या व उनके कालेज का आभार जताते हुए कहा कि यहां से उनको सदा सम्भव सहायता मिलती है। लाठर ने कहा कि यहां का स्टाफ एक परिवार की तरह है जो मिलजुल कर किसी भी आयोजन को पूरी निष्ठा से सफल बनाता है। उन्होंने अपनी और से इस आयोजन के लिये कालेज को बधाई देते हुए आशा जताई कि जिस प्रकार कार्यक्रम को धमाकेदार आगाज हुआ है तो इसका पूर्ण आयोजन भी सफल होगा।
            कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष एवं डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर की प्राचार्या सुषमा आर्या ने इस अवसर पर आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया व मुख्यातिथि का आभार जताया। उन्होंने प्रदेश के कोने कोने से आए युवा कलाकारों को आर्शिवाद देते हुए कहा कि वह अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन करें कालेज की और से उनको भरपूर सहयोग मिलेगा। उन्होंने मुख्यातिथि का परीचय देते हुए कहा कि वह हरियाणवी संस्कृति के ऐसे ध्वाज वाहक हैं जिन्होंने अपने प्रयासों से हरियाणा की लुप्त होती लोक नाट्य विधा सांग को पुन: जिंदा किया। ऐसे महानुभाव के हाथों शुभारम्भ से ही कार्यक्रम के सफल आयोजन की नींव पक्की हो गई है। अंत में उन्होंने बाहर से आए हुए अतिथि कलाकारों व शिक्षकों का स्वागत किया।

शास्त्रीय नृत्य ने पेश की सत्यम शिवम सुंदरम की त्रिवेणी
यमुनानगर/  कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह का शुभारम्भ अवसर पर सबसे पहली प्रस्तुति रही शास्त्रीय नृत्य की। डीएवी कालेज के अभिव्यक्ति सदन के विशाल मंच पर शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से सत्यम शिवम सुंदरम की त्रिवेणी को पेश किया। कलाकारों ने लय ताल व वेश भूषा के साथ तबले, हारमोनियम व बांसुरी आदि वाद्ययंत्रों की ताल पर थिरकते पावों ने भारत की समृद्ध शास्त्रीय नृत्य शैली के दर्शन करवाऐ। मंच के माध्यम से अम्बाला जोन, करनाल जोन, यमुनानगर जोन, हिसार जोन व कुरुक्षेत्र जोन के प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। हिसान जोन की और से जयपुर घराने को प्रस्तुत करते हुए कत्थक के माध्यम से तांडव नृत्य पेश किया जो कि भगवान शिव की नृत्य शैली मानी जाती है । गौरतलब है कि कत्थक एक ऐसा नृत्य है जिसे कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कथा का यह नृत्य रूपांतरण होता है। करनाल जोन की टीम ने लखनऊ घराने के अनुसार अपनी प्रस्तुति में दो रागों का मिश्रण करते हुए श्रंगार रस की प्रस्तुति दी। यमुनानगर जोन ने जयपुर और लखनऊ घराने का मिलाजुला रूप दिखाते हुए भगवती लक्ष्मी की स्तुति प्रस्तुत की। इसमें तराना, ठुमरी, गतिकास, ठोर ठुमरे इत्यादि के भावों को प्रस्तुत किया। 

चाक्की पै दलिया सै पीसणा...
समूह गान में जमाया मंच पर रंग

यमुनानगर/
(कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना)
डीएवी कालेज के अभिव्यक्ति सदन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह के दौरान सामन्य व हरियाणवी समूह गान प्रतियोगिताओं  का आयोजन किया गया। सामान्य समूहगान में मुख्य रूप से देश भक्ति के गीतों की प्रस्तुति हुई। सबसे मंच पर आऐ हिसार जोन की टीम ने कुछ इस प्रकार अपनी राष्ट्रभक्ति पेश की- हमारा वतन जहां से प्यारा ...तुझको नमन तुझको नमन.......। इसके पश्चात अम्बाला जोन की टीम ने अपनी धरती अपना अम्बर अपना हिंदुस्तान के माध्यम से देश भक्ति से भरपूर प्रस्तुति दी। यमुनानगर जोन की ओर से उज्वल पावन देश हमार कोटी-कोटी जन इसके वासी...हम सब का है यह दुलारा ..........गीत की प्रस्तुति दी।
            इसके पश्चात आयोजित हरियाणवी समूह गान में 4 जोनों ने भागीदारी की। अम्बाला जोन से आए कलाकरों ने कुछ इस प्रकार अपनी गायन शैली को प्रस्तुत किया...जी मेरा तरसै...बादल बरसै...रूत सामण के आयो रे......., करनाल जोन की टीम ने अपने गीत सुण ले सुण ले री सास मेरी बात...चाक्की पै दलिया सै पीसणा...के माध्यम से हरियाणा की ग्रम्य जीवन शैली में कामकाजी महिलाओं की व्यस्तताओं का वर्णन किया। यमुनानगर जोन की टीम ने झूलण चाल्लो री सखी बागां मैं सामण आयो रे............प्रस्तुत किया। कुरुक्षेत्र जोन ने कुछ इस प्रकार अपनी प्रतिभा दिखाई...फागण के दिन चार सखी री...फागण के दिन चार........।
            उधर अनुभूति सदन में क्लासिकल वोकल की तीन विधाओं की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिनमें में अम्बाला, करनाल, हिसार, यमुनानगर व कुरुक्षेॠत्र की टीमों ने भाग लिया। क्लासिकल वोकल सोलो में अम्बाला जोन की टीम ने अहीर भारव राग में अलबेला सजन आयो रे ....की प्रस्तुति दी। करनाल जोन की ओर से भीम प्लासे राग में तुम संग लागे मनवा.......की प्रस्तुति दी। हिसार जोन की टीम ने रूपाली राग में मान ले हमरे मितवा........प्रस्तुत किया। यमुनानगर जोन ने मधुबंती राग में पिया मोरे घर आए............प्रस्तुत किया।


रेखाऐं तो अपने हाथों पर भी हैं बापू...पर साली किस्मत ही...............
कोरियोग्राफी के माध्यम से हुए सामाजिक कुरितियों पर कटाक्ष

(यमुनानगर/ कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना)

रेखाऐं तो अपने हाथों पर भी हैं बापू...पर साली किस्मत ही खराब है...............। ये संवाद हैं डीएवी कालेज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की 34व अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के दौरान मंचित कोरियोग्राफी में सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग्य करते कलाकारों के। जी हां, कोरियोग्रफी जैसी विधा के माध्यम से अपने अभिनय की बदौलत युवा कलाकारों ने जम कर सामाजिक कुरितियों पर कटाक्ष किये। मर गई, खत्म हो गई है मानवात..दुष्ट चक्र है ये गरीबी का जिसे आप सब.........। कोरियोग्रफी में कलाकारों ने नारी उत्पीडऩ व गरीबी  सहित अनेका मुद्दों को उठाया। देश की कल आज और कल की दशा को राजाओं, अंग्रेजों व आज के काले अंग्रजों के जन उत्पीडऩ को भी दिखाने का प्रयास किया। कचरा गरीबी, इच्छा शक्ति व कृष्ण अवतार आदि सभी प्रस्तुतियां सराहनीय रही। ओपन ऐयर पर बने श्रृजन मंच पर मंचित इन प्रस्तुतियों की रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हजारों की संख्या में बैठे दर्शक बार बार तालियों की आवाज से खुले माहौल को गंजायमान करते रहे। दोपहर बाद तक चलती रही ये प्रस्तुतियां दर्शकों को बांधने में पूरी तरह कामयाब रही।


समूह नृत्य में भांगड़े ने जमाया रंग
बुल्ला नचिया सी जग याद करदा...वारस बुल्ले ......

(यमुनानगर/ कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना)


कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह के दौरान डीएवी कालेज के ओपन ऐयर मंच पर दोपहर बाद सामान्य समूह गान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें मुख्यत: पंजाबी भांगड़ा ही छाया रहा। प्रतियोगिता में सभी 6 जोन की टीमों ने भागीदारी की व जमकर नृत्य किया। यमुनानगर जोने के प्रतिभागियों ने कुछ इस तरह से अपने गीत को नृत्य में रंगा...बुल्ला नचिया सी जग जाणदा...वारस बुल्ले तों असी अखवाण चल्ले....मुच्छां खुङ्क्षडयां....पुत पंजाब दे भंगड़ा पौण चल्ले......। अम्बाला जोन की टीम ने अपने गीत  लड़ी पावण वालिये कुडिय़े तेरे सदके जांवां.... के साथ वीर जवानों की जंग जीत कर घर आने की खुशी व स्वागत में हार्षोल्लास के माहौल का वर्णन किया। करनाल जोन की टीम ने ......जी म्हारो रूण-झुण बाजै घूंघरा....के माध्यम से पीर बाबा की स्तुति के साथ रंगीले फागण को भी मंचित किया। टैक्रीकल जोन ने रब दी सौं लग्गे बड़ी जान तौं पियारी...तेरे उत्ते आ गया दिल नी कोके वालिये ...........गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।




इस प्रकार रहा पहले दिन का परिणाम
यमुनानगर/ परमेश त्यागी
डी ऐ वी कालेज में आयोजित कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 34वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह के पहले दिन के परिणाम कुछ इस प्रकार रहे। क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल सोलो नॉन परकसन में कुरुक्षेत्र जोन से यूटीडी कुरुक्षेत्र की टीम रिकमेंडिड रही। जबकि यमुनानगर जोन से गुरु नानक गल्र्स कालेज व करनाल जोन से राजकीय स्नातकोत्तर कालेज करनाल की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही। कोरियाग्राफी में यमुनानगर जोन से हिंदू गल्र्स कालेज जगाधरी टीम रिकमेंडिड रही। जबकि अंबाला जोन से एसए जैन कालेज अंबाला तथा करनाल जोन से आर्य पीजी कालेज पानीपत की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही। ग्रुप सांग जनरल में यमुनानगर जोन से डीएवी गल्र्स कालेज की टीम रिकमेंडिड रही। जबकि हिसार जोन से सीआरएम जाट कालेज तथा अंबाला जोन से एसए जैन कालेज अंबाला की टीम संयुक्त रुप से कमेेंडिड रही। क्लासिकल वोकल सोलो में करनाल जोन से राजकीय महिला महाविद्यालय करनाल की टीम रिकमेंडिड रही। जबकि यमुनानगर जोन से डीएवी गल्र्स कालेज तथा राजकीय कालेज हिसार की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही। क्लासिकल डांस सोलो में यमुनानगर जोन से डीएवी गल्र्स कालेज की टीम रिकमेंडिड तथा अंबाला जोन से एसडी कालेज अंबाला कैंट व हिसार जोन से एसडी महिला महाविद्यालय हांसी की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही। ग्रुप सांग हरियाणवी में अंबाला जोन से एसडी कालेज अंबाला की टीम रिकमेंडिड तथा यमुनानगर जोन से डीएवी गल्र्स कालेज व कुरुक्षेत्र जोन से यूनिवर्सिटी कालेज कुरुक्षेत्र की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही। क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल सोलो परकसन में यमुनानगर जोन से एमएलएन कालेज की टीम रिकमेंडिड तथा अंबाला जोन से एसडी कालेज व करनाल जोन से राजकीय कालेज पानीपत की टीम संयुक्त रुप से कमेंडिड रही।