Tuesday, March 13, 2012

कृपया अपने विचारों और रचनाओं को आवाज के लिए भेज कर इसे समृद्ध करें...

…………..काफी दिन से बीमारी के कारण मैं आवाज पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाया इसके लिए मुझे खेद है| आगे मेरा प्रयास रहेगा कि इसे नियमित तरो-ताजा रखा जाए|
...आप पाठकों का सहयोग इसके लिए अपेक्षित है| कृपया अपनी रचनायो और विचारों से आवाज को समृद्ध करने में सहयोग दें|
आप के सहयोग की आशा में आप का अपना:-


पवन सोंटी "पूनिया"
कुरुक्षेत्र , हरियाणा (भारत )
awaajsamachar@gmail.com
pawansonti@gmail.com


Wednesday, March 7, 2012

होली के पावन पर्व......सुनीता धारीवाल परिवार के साथ हमने असमय खो दिया एक होनहार सितारा


होली के पावन पर्व पर सभी पाठकों को आवाज परिवार की और से हार्दिक बधाई 

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।

राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।

होली एक सामाजिक पर्व है। यह रंगों से भरा रंगीला त्योहार, बच्चे, वृद्ध, जवान, स्त्री-पुरुष सभी के ह्रदय में जोश, उत्साह, खुशी का संचार करने वाला पर्व है। यह एक ऐसा पर्व है जिसे भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में किसी ना किसी रूप में मनाया जाता है। इसके एक दिन पहले वाले सायंकाल के बाद भद्ररहित लग्न में होलिका दहन किया जाता है। इस अवसर पर लकडियां, घास-फूस, गोबर के बुरकलों का बडा सा ढेर लगाकर पूजन करके उसमें आग लगाई जाती है।

वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। उस समय खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लेने का विधान समाज में व्याप्त था। अन्न को होला कहते है, इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पडा। वैसे होलिकोत्सव को मनाने के संबंध में अनेक मत प्रचलित है। कुछ लोग इसको अग्निदेव का पूजन मानते हैं, तो कुछ इसे नवसंम्बवत् को आरंभ तथा बंसतांमन का प्रतीक मानते हैं। इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था। अतः इसे मंवादितिथि भी कहते हैं।

होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के दर्प में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।

सुनीता धारीवाल परिवार के साथ हमने असमय खो दिया एक होनहार सितारा
कुरुक्षेत्र (पवन सौन्टी)



गत लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से आजाद उम्मीद्वार के तौर पर चुनाव लड़ चुकी सुनीता धारीवाल के युवा पुत्र अंकित धारीवाल की अचानक मृत्यु हो गई है। मृत्यु का कारण ब्रेन हैमरेज बताया गया है। अंकित धारीवाल मास कम्यूनिकेशन का अन्तिम वर्ष का होनहार छात्र था। अंकित धारीवाल की मृत्यु पर कई सामाजिक, धार्मिक व राजनैतिक संगठनों ने शोक प्रकट किया है।
            इस उर्जावान युवा से धारीवाल परिवार के साथ राष्ट्र को भी बहुत उम्मीदें थी। मैं जब पहली बार इसे जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र में मिला था तो एक नजर में इससे बहुत प्रभावित हुआ था। जब सुनीता बहन जी ने बताया कि यह जनसंचार की पढ़ाई कर रहा है तो एक पत्रकार के नाते मेरी उनसे लम्बी बात हुई थी। उनके विचारों से मुझे काफी आशा जगी थी कि यह युवा जरूर जीवन में कुुछ किर्तीमान स्थापित करेगा। यह दुर्भागय ही है कि वक्त के करुर पंजों ने आज उस होनहार को हमसे झीन लिया। यह अपूर्णीय क्षति सुनीता बहन जी के परिवार के साथ मुझे अपने से भी जुड़ी लग रही है। मुझे इस युवा के संसार छोडऩे के समाचार से उसी प्रकार धक्का लगा जैसा कि 19 अप्रैल 2008 की सुबह अपने इसी उम्र के युवा भतीजे रजनीश चौधरी से लगा था। मैने युवा पुत्रनुमा भतीजे और मेरे हर सुख दुख के साथी उस रजीनश उफ राजू को खोने का जो गम उस वक्त हुआ था आज वैसा ही अहसास आज हो रहा है। इस दुखद घड़ी में मैं पवन सौन्टी अपनी और व युवा मजदूर किसान मोर्चा की ओर से, सम्पूर्ण आवाज परिवार की ओर से शैलेंद्र चौधरी लाडवा, सुरेंद्र पाल वधावन शाहबाद, मेघराज मित्तल, सुबे सिंह, विनय चौधरी, नवनीत चौधरी, पवन शर्मा, विक्रम शर्मा, सतविंद्र टाया, सुबेसिंह कश्यप, जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र से प्रबंधक चौधरी भल्ले सिंह, पूर्व महावचिव दलबीर ढाण्डा आदि सब शोक संतप्त धालीवाल परिवार के साथ हैं। भगवान इस परिवार को यह पहाड़ जैसा दुख सहने की शक्ति प्रदान करे व अंकित को फिर से किसी भी रूप में इस परिवार में भेज कर अपने चमत्कार को अपने भक्तों को दिखाऐ।
इस दुखद घड़ी में एक  संदेश सभी पाठकों के लिये कि इस असामयिक मौत से धारीवाल परिवार को सहानूभूति प्रकट करने वाले सज्जन उनके वर्तमान आवास चंडीगढ न जाकर उनके पैतृक नगर खनौरी मण्डी में पंहुचे। रस्म क्रिया का आयोजन 11 मार्च रविवार को उनके पैतृक नगर खनौरी मण्डी में ही होगा।   

Tuesday, March 6, 2012

राहुल गांधी का गुस्‍सा उनकी पार्टी के काम नहीं आ पाया, ताजा चुनाव परिणाम

राहुल गांधी
उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी को पूरे चुनावी दोरे में गुस्‍सा बहुत आया लेकिन उनका यह गुस्‍सा उनकी पार्टी के काम नहीं आ पाया. एक तरफ राहुल गांधी का गुस्‍सा था और एक तरफ यूपी की जनता का गुस्‍सा. राहुल गांधी का गुस्‍सा तो कोई खास गुल नहीं खिला पाया लेकिन यूपी की जनता ने अपने गुस्‍से की पूरी भड़ास बीएसपी पर उतारी.
पिछले चुनाव में प्रचंड बहुमत पर सवार होकर मायावती का हाथी जिस अंदाज से लखनऊ में सत्ता के शिखर पर पहुंचा था कुछ उसी अंदाज में जनता के गुस्‍से ने पार्टी को बाहर का रास्‍ता भी दिखा दिया.
राहुल ने खूब गुस्‍सा दिखाया, महाराष्‍ट्र में यूपी के लोगों के भीख मांगने की बात कहकर उनकी आत्मा को भी ललकारा लेकिन यूपी की जनता के गुस्‍से की आंच में समाजवादी पार्टी ने अपनी साइकिल को लखनऊ की गद्दी तक पहुंचा दिया.
7 चरणों तक चले उत्तर प्रदेश चुनाव में कुछ ऐसे लम्‍हे भी आए और कुछ नेताओं ने अपने अभिनय के ऐसे-ऐसे गुर भी दिखाए जिसके सामने बॉलीवुड की अच्‍छी से अच्‍छी स्क्रिप्‍ट भी पानी मांगती फिरे.
कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले महासचिव राहुल गांधी को ही ले लें. इस चुनाव में उनका एक बिल्‍कुल अलग रूप देखने को मिला और वह था 'एंग्री यंग मैन' वाला रूप.
फिल्‍म 'दीवार' के अमिताभ बच्‍चन वाले अंदाज में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जाकर अपना गुस्‍सा दिखाया. उनका गुस्‍सा मायावती और उनके उस हाथी की तरफ था, जो गरीबों के लिए आया सारा पैसा हड़प जाता था. उनका गुस्‍सा उस समाजवादी पार्टी की तरफ भी था, जिसे वे मुस्लिमों के पिछड़ेपन के लिए जिम्‍मेदार मानते हैं. उनका गुस्‍सा खासकर इस बात पर तो कुछ ज्‍यादा ही उमड़ जाता कि यूपी के लोगों को दिल्‍ली, पंजाब और महाराष्‍ट्र में काम की तलाश में जाना पड़ता है.
पूरे चुनावी दौर में उनका गुस्‍सा इस कदर बढ़ा हुआ था कि हफ्तों तक दाढ़ी नहीं बनाई और गाहे-बगाहे वे अपनी बाहें चढ़ाते हुए देखे गए.
अपने गुस्‍से में उन्‍होंने ऐसा काम कर डाला, जिसके लिए उनकी खूब आलोचना भी हुई. उन्‍होंने एक चुनावी सभा में समाजवादी पार्टी के तथाकथित घोषणात्र को फाड़ दिया था. उनकी गुस्‍से के इस परफॉर्मेंस पर सामने बैठे समर्थकों ने ताली बजाकर खूब आनंद भी लिया.
आखिर उनके इस गुस्‍से पर सपा के युवराज अखिलेश यादव को यह कह कर अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ी कि कोई राहुल गांधी को अपने गुस्‍से पर नियंत्रण करना सिखाए, वरना वे एक दिन स्‍टेज से कूद जाएंगे.
यूपी चुनावों के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी का गुस्सा शांत हो गए. वे जब प्रेस कांफ्रेस करने आए तो उनके अंदर वो गुस्सा नजर नहीं आया. जिसका प्रत्यक्षदर्शी पूरा भारत रहा.


पंजाब विधानसभा चुनाव की मतगणना
पंजाब में भाजपा-शिरोमणि अकाली दल फिर सत्ता में
पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन ने कांग्रेस को हराकर एक बार फिर जीत का परचम लहराया.
शिरोमणी अकाली दल ने 56, भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 46 और अन्य पार्टियों ने तीन सीट पर जीत हासिल की.
मतगणना में जीते प्रत्याशियों के नाम:
 अबोहर- सुशील कुमार जाखड़ (कांग्रेस)
अदमपुर- पवन कुमार टीनू (शिअद)
अजनाला- बॉनी अमर पाल सिंह (शिअद)
अमरगढ़- इकबाल सिंह झुंदन (शिअद)
अमलोह-रंदीप सिंह (कांग्रेस)
अमृतसर सेंट्रल- ओम प्रकाश सोनी (कांग्रेस)
अमृतसर ईस्ट- नवजोत सिद्धू (भाजपा)
अमृतसर नॉर्थ- अनिल जोशी (भाजपा)
अमृतसर साउथ- इंद्रवीर सिंह भुलिया (शिअद)
अमृतसर वेस्ट- राज कुमार (कांग्रेस)
आनंदपुर साहिब-मदन मोहन मित्तल (भाजपा)
आतमनगर- सिमरजीत सिंह बैंस (निर्दलीय)
अटारी- गुलजार सिंह रानिके (शिअद)
बाबा बकाला- मंजीत सिंह (शिअद)
बालाचौर- नंद लाल (शिअद)
बलौना- गुरतेज सिंह (शिअद)
बंगा-त्रिलोचन सिंह (कांग्रेस)
बरनाला- केवल सिंह ढिल्लन (कांग्रेस)
बांसी पठाना- जस्टिस निर्मल सिंह (शिअद)
बटाला-अश्विनी शेखरी (कांग्रेस)
भटिंड़ा रुरल-दर्शन सिंह कोट्फट्टा (शिअद)
भटिंड़ा अर्बन- सरुप चन्द सिंघला (शिअद)
भदौर- मोहम्मद सिद्दीक (कांग्रेस)
भागा पुराना-महेशेंदर सिंह (शिअद)
भोय-सीमा कुमारी (भाजपा)
भोल्थ-बीबी जागीर कौर(शिअद)
भूचौ मंदी-अजायब सिंह भट्टी (कांग्रेस)
भुद्धलादा- छतिन सिंह (शिअद)
चब्बेवाल- सोहन सिंह खंदल (शिअद)
चमकौर साहिब-चरनजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस)
ढाका- मनप्रीत सिंह अयाली (शिअद)
देशुआ- अमरजीत सिंह (भाजपा)
डेराबाबा नानक-सुखजिंदर सिंह (कांग्रेस)
डेरा बास्सी-एनके शर्मा (शिअद)
धरमकोट- तोता सिंह (शिअद)
धूरी-अरविंद खन्ना (कांग्रेस)
दीना नगर-अरुणा चौधरी (कांग्रेस)
दिरबा- संत बलवीर सिंह घूनस (शिअद)
फरीदकोट- दीप मल्होत्रा (शिअद)
फतेहगढ़ छूरेन- त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा (कांग्रेस)
फतेहगढ़ साहिब- कुलजीत सिंह नागरा (कांग्रेस)
फजिल्का-सुरजीत कुमार जयानी (भाजपा)
फिरोजपुर सिटी- परमिंदर सिंह पिंकी (कांग्रेस)
फिरोजपुर रूरल- जोगिंदर सिंह जिंदू (शिअद)
गरशंकर- सुरेंदर सिंह भुलेवल रतन (शिअद)
गहनौर- हरप्रीत कौर (शिअद)
गिद्दरबहा-अमरिंदर सिंह राजा (कांग्रेस)
गिल-दर्शन सिंह शिवालिक (शिअद)
गुरुदासपुर-गुरुबचन सिंह बभेली (शिअद)
गुरुहर सहाय-गुरुमीत सिंह सोधी (कांग्रेस)
होशियारपुर- सुन्दर श्याम अरोरा (कांग्रेस)
जगरांव-एसआर कलेर (शिअद)
जैतू-जोगिंदर सिंह (कांग्रेस)
जलालाबाद- सुखबीर सिंह बादल (शिअद)
जालंधर कैंट- प्रगट सिंह (शिअद)
जालंधर मध्य- मनोरंजन कालिया (भाजपा)
जालंधर नार्थ- केडी भंडारी (भाजपा)
जालंधर वेस्ट- चुन्नी लाल भगत (भाजपा)
जंडैला-बलजीत सिंह जलाल (शिअद)
कपूरथला-राना गुरुजीत सिंह (कांग्रेस)
करतारपुर-सरवन सिंह (शिअद)
खदोर साहिब-रमनजीत सिंह सिक्की (कांग्रेस)
खन्ना- गुरकीरत सिंह (कांग्रेस)
खरार- जगमोहन सिंह (कांग्रेस)
खेमकरन- बिरसा सिंह (शिअद)
कोटकापुरा-मंतार सिंह बरार (शिअद)
लांबी- प्रकाश सिंह बादल (शिअद)
लेहरा- रविंदर कौर भट्ठल (कांग्रेस)
लुधियाना सेंट्रल- सुरिंदर कुमार डावर (कांग्रेस)
लुधियाना ईस्ट- रंजीत सिंह ढिल्लन (शिअद)
लुधियाना नॉर्थ- राकेश पांडेय (कांग्रेस)
लुधियाना साउथ- बलविंदर सिंह बैंस (निर्दलीय)
लुधियाना वेस्ट- भारत भूषण आसू (कांग्रेस)
मजीथा- बिक्रम सिंह (शिअद)
मेलेरकोटला- नेसारा खातून (शिअद)
मलौत- हरप्रीत सिंह (शिअद)
मनसा- प्रेम मित्तल (शिअद)
मौर-जनमेजा सिंह (शिअद)
महल कालान- हरचंद कौर (कांग्रेस)
मोगा- जोगिंदर पाल जैन (कांग्रेस)
मुकरैन- रजनीश कुमार (निर्दलीय)
मुक्तसर- करनकौर (कांग्रेस)
नाभा-साधू सिंह (कांग्रेस)
नकोदर- गुरप्रताप सिंह (शिअद)
नवान शहर- गुरुइकबाल कौर (कांग्रेस)
निहालसिंह वाला- राजविंदर कौर (शिअद)
पठानकोट- अश्विनी कुमार शर्मा (भाजपा)
पटियाला- अमरिंदर सिंह (कांग्रेस)
पटियाला रूरल- ब्रह्म मोहिंदर (कांग्रेस)
पट्टी- आदेश प्रताप सिंह (शिअद)
पायल- चरनजीत सिंह अटवाल (शिअद)
फगवाड़ा- सोम प्रकाश (भाजपा)
फिलौर- अविनाथ चंद्र (शिअद)
कादिआन- चरनजीत कौर बाजवा (कांग्रेस)
रायकोट- गुरचरन सिंह (कांग्रेस)
राजासंसी- सुखविंदर सिंह सकारिया (कांग्रेस)
राजपुरा- हरदयाल सिंह कम्बौज (कांग्रेस)
रामपुरा फूल-सिकंदर सिंह मलूका (शिअद)
रूपनगर- डॉ दलजीत सिंह चीमा (अकाली)
एसएएस नगर-बलविंदर सिंह सिद्धू (कांग्रेस)
सहनवाल- सरनजीस सिंह ढिल्लन (शिअद)
समाना- सुरजीत सिंह राखरा (शिअद)
समराला- अमरीक सिंह (कांग्रेस)
समरूर- प्रकाश चंद्र गर्ग (शिअद)
सनौर- लाल सिंह (कांग्रेस)
सरदुलगढ़- अजीत इंदर सिंह (कांग्रेस)
शाहकोट- अजीत सिंह कोहर (शिअद)
शामचौरासी- मुनिंदर कौर जोशी (शिअद)
सुतराना- बलविंदर कौर लुंबा (शिअद)
श्रीहरगोविंदपुर- देशराज दुग्गा (शिअद)
सुजानपुर- दिनेश सिंह (भाजपा)
सुल्तानलोधी- नवतेज सिंह (कांग्रेस)
सुनाम- परविंदर सिंह धिंसा (शिअद)
तलवंडी साबू- जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू (कांग्रेस)
तरनतारन- हरप्रीत सिंह संद्धू (शिअद)
उरमार- संगत सिंह (कांग्रेस)
जीरा- हरि सिंह (शिअद)
पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस भाजपा-शिरोमणि अकाली दल गठबंधन में बराबर टक्कर थी.
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस ने 117 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जबकि शिरोमणि अकाली दल ने 94 और भाजपा ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था.

पिछले विधान सभा चुनाव में अकाली दल ने 50 सीटें, कांग्रेस ने 42, भाजपा ने 19 और निर्दलीयों ने छह सीटें जीती थीं.


हाल ही में गठित सांझा मोर्चा भी मैदान में था. राज्य के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल की नवगठित पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) इसका नेतृत्व किया.

लाम्बी विधानसभा सीट पर 84 वर्षीय मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का अपने ही छोटे भाई पीपीपी उम्मीदवार 81 वर्षीय गुरदास बादल और अपने चचेरे भाई कांग्रेस के महेशिंदर सिंह बादल से सामना था.

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह पटियाला शहरी सीट से जबकि उप मुख्यमंत्री व अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल फरीदकोट जिले की जलालाबाद सीट से किस्मत आजमा रहे थे.

चुनावी समर में उतरे अन्य प्रमुख नेताओं में पीपीपी अध्यक्ष मनप्रीत बादल (गिदरबाह व मौर), पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल (कांग्रेस, लेहरागाना) और अमरिंदर के बेटे रानिंदर सिंह (कांग्रेस, सामना) शामिल हैं.

 
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बहुमत की ओर बढ़ती नज़र आ रही है.
राज्य विधानसभा के 240 सीटों के नतीजे आ गए हैं. इनमें से 143 सीटों पर समाजवादी पार्टी विजयी रही है.
बहुजन समाज पार्टी ने 45 सीटें जीती हैं, जबकि 30 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने सफलता हासिल की है. कांग्रेस को 13 सीटें मिली हैं. दो सीटें राष्ट्रीय लोकदल को और सात सीटें अन्य के खाते में गई हैं.
बाकी सीटों में 78 पर समाजवादी पार्टी, 35 पर बहुजन समाज पार्टी, 19 पर भाजपा और 15 सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं.
कांग्रेस की अमिता सिंह अमेठी सीट से चुनाव हार गई हैं. उन्हें समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रसाद ने 8760 मतों से मात दी. फरूखाबाद से केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद भी हार गई हैं, वे पाँचवें स्थान पर रहीं.
राजनीतिक विश्लेषक बद्री नारायण ने बीबीसी से कहा कि राहुल गाँधी को मुस्लिम बहुल और सुरक्षित सीटों पर समर्थन मिला है. मतलब कांग्रेस अपने से अलग हुए वोट बैंक की तरफ बढ़ी है.
इन राज्यों के नतीजों को वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिहाज से अहम माना जा रहा है.
वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी ने 403 में से सबसे ज्यादा 206, समाजवादी पार्टी ने 97, भाजपा ने 51 और कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थीं.
राष्ट्रीय लोकदल को जहां 17 सीटें मिली थीं वहीं दस सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवार जीते थे.





Last Updated at 5:45 PM On 6/3/2012
Partywise Results

Goa Result Status
Status Known For 40 out of 40 Constituencies
Party WonLeadingTotal
Bharatiya Janata Party19221
Indian National Congress909
Maharashtrawadi Gomantak303
Others707

Manipur Result Status
Status Known For 59 out of 60 Constituencies
Party WonLeadingTotal
Indian National Congress36541
Nationalist Congress Party101
All India Trinamool Congress707
Lok Jan Shakti Party101
Naga Peoples Front314
Others415

Punjab Result Status
Status Known For 117 out of 117 Constituencies
Party WonLeadingTotal
Bharatiya Janata Party12012
Indian National Congress46046
Shiromani Akali Dal56056
Others303

Uttar Pradesh Result Status
Status Known For 403 out of 403 Constituencies
Party WonLeadingTotal
Bahujan Samaj Party483280
Bharatiya Janata Party321749
Indian National Congress181028
Nationalist Congress Party011
Rashtriya Lok Dal459
Samajwadi Party15368221
Others7815

Uttarakhand Result Status
Status Known For 70 out of 70 Constituencies
Party WonLeadingTotal
Bahujan Samaj Party303
Bharatiya Janata Party26430
Indian National Congress221133
Uttarakhand Kranti Dal(P)101
Others303