Monday, July 23, 2012

तीज्जां पै... महा सिंह पूनिया


आज फेर मन्नै... गांम याद आग्या...

आगी तीज, बिखेरगी बीज, सुण कहबत मेरा भीत्तरल्या न्यूं जाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
लागते साम्मण झूल्लती होड़ गीत छोरियां नै यू गाणा,
नीम्बा कै निम्बोल़ी लाग्गी साम्मणियां कद आवैगा,
मरियो री ओ नन्दू नाई कोथल़ी कद ल्यावैगा,
एक बै फेर मन्नैं साम्मण की याद दिलाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
वो छोरियां अर बहूआं की कोथल़ी और सिंधारै की त्यारी,
लत्ते देखण बुलाया करती छन्नों, भतेरी, केल़ा और प्यारी,
तीय्ल़ दिखावण पै ओ भाईचारा, जब कट्ठा होया करदा गांम सारा,
आज फेर कोयल की कूक बणकै, साम्मण का गीत गाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
वो राम्मा किसनी करते होड़ कोथली सिंधारे का जाणां,
पैहर के तड़कै पील़ी पाट्टी पींग तांही रोक्या करते टांह्णा,
कल्लेवार तक गीत गाती लुगाईयां के टोल़ का झूल्लण जाणां,
बड़े-बढे़रे, बुड्ढे-ठेरे, सब पै साम्मण का रंग छाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
बग्गड़, घेर, उगाड़ अर गांम के गौरे, वो पींगां पै झूल्लणां,
जात-पात सब भेद भूलाकै सारे बाल़कां का मस्ती मैं टूलणां,
झूलते होड़ यू गाणा गीत.. मेरी पींग तल़ै लांड्डां मोर नाच्चै,
सुण कै मेरे भीत्तरले मैं बैठ्या ओ बाल़क मन जाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
वा पींग वा पंझाल़ी, ओ पाटड़ा ओ खाट ओ खटोल्ले का डाल़णा,
हांग भरै जब देवर सारे जोश मैं, भाभियों का ओ किलकी मारणा,
पींग चढ़ा दी चोट्टी मैं, बार-बार कहणै तै ना तल़ै तारणा,
नीच्चै-नीच्चै गोड्ड़े मारणा, आज फेर मेरे भीत्तरले नै भाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
तीज्जां कै पहलड़े दिन पींग अर पंझाल़ी तांहि टाह्ल़ा रोकणा,
मजाक-मजाक मैं लाम्बा हाथ लपाकै सास्सू का नाक तोड़णां,
जै टूट ज्यां रस्सा तै कइयां के कुल्ले अर सर फोड़णा,
गांम के गोरै लाग्या तीज्जां का मेल़ा, मेरे दिल पै छाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
दादी अर मां का तीज्जां आल़े दिन घर मैं कढ़ाई चढ़ाणां,
सारा कुणबा का बैठके पूड़े, गुलगुले, सुहाल़ी, मीठीरोटी खाणा,
तात्ते-तात्ते पूड़े करदे री मां, हाथ जल़ै मुंह मीठा री मां...
बालकां का गीत आज फेर मेरे मन नै भाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
अरै! कित गए वैं दिन, कित गए वैं साम्मण के मेल्ले,
कित गए वैं झूल-झूल्लाण आल़े, कित गए छोरियां के रेल्ले,
कित गई वा साम्मण की बहार, कित गए वैं धक्कम पेल्ले,
बदलते जमाने की तस्वीर का यू दुख मन्नै भीत्तर तै खाग्या,
के बताऊं भाई, आज फेर मन्नै मेरा गांम याद आग्या...
............................डॉ.महा सिंह पूनिया
...........प्रभारी धरोहर हरियाणा संग्रहालय, कुरुक्षेत्र विश्वविधालय, कुरुक्षेत्र 

Thursday, July 19, 2012

इंद्रधनुषी रंगों से झिलमिलाती कविताओं का खूबसूरत गुलदस्ता है-रेनबो कॅलरज़





समीक्षा-सुरेंद्र पाल वधावन शाहाबाद मारकंडा

- प्रिसिंपल एस.एस.प्रिंस का अंग्रेज़ी भाषा में नवप्रकाशित काव्य संग्रह -रेनबो कॅलरज़ -जीवन के इंद्रधनुषी रंगों से झिलमिलाती कविताओं का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। 81 वर्षीय प्रिसिंपल एस.एस.प्रिंस चंडीगढ़ के जानेमाने शिक्षाविद् और एक स्थापित रचनाकार हैं। -रेनबो कॅलरज़ -में कुल 45 कविताएं हैं जो लेखक के निजी अनुभवों पर आधारित होने के साथ-साथ जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण की व्यापकता का बोध कराती हैं। लिब्रेशन ऑफ गॉड, शीर्षक कविता में कवि मानव जाति  से यह आग्रह करता है-आओ-परमात्मा को आजाद कर दें और उसे उसके सही स्थान पर प्रतिष्ठित करें,वह स्थान है मानव का हृदय। कवि ने सुंदर प्रतीकों के माध्यम तथा अंग्रेज़ी भाषा की एक विशिष्ठ शैली और अंदाज़ में हर कविता में कोई न कोई संदेश देकर इस काव्यसंग्रह को सार्थकता के अंजाम तक पहुंचाया है। -बर्डज़-नामक कविता की एक वानगी देखिए -मैं कुछ पक्षियों को नियागरा फॉल के उपर से जादुई परवाज़ करते हुए देखता हूं,जो कनाडा से अमरीका जा रहे हैं। इन पक्षियों को न पासपोर्ट न वीजा न इमीग्रेशन चैक और न ही कस्टम कलेयरैंस चाहिए,यह पक्षी उतने ही आजाद हैं जितनी  हवा। इस हवा में वह पंख खोलकर सुंदर रुप में आकाश में उड़ते हैं।
कवि प्रकृति का अद्भुत चितेरा है उसने अपनी रचनाओं में कुदरत के दृश्यों का खूबसूरत $खाका खींचा है। -हेवन ऑन अरथ-कविता में कश्मीर वादी के सौंदर्य को भाषा की जादूगरी से नयी रंगत प्रदान की है।- द् रिवर गंगा,द्-मैजिक वैली,द्-रिवर ब्यास आदि में उसका प्रकृति से गहरा अनुराग प्रदर्शित होता है। रेनबो कॅलरज़ के बहुरंगी आयाम में आध्यात्मिक और धार्मिक कविताओं का एक अलग सा फलेवर है जिनमें -गुरनानक देवजी:द् ग्रेट रीडीमर,ट्रिब्यूट-टू-गुरगोबिंद सिंह,गुरु ग्रंथ- अवर सिपिरचुअल गाईड -का उल्लेख किया जा सकता है। काव्यसंग्रह की कुछ कविताएं इतिहास से संबंधित हैं जिन्में द्-ट्री आफ फ्रीडम,फ्रीडम,नोबल मारटायरज़,इन मैमोरी ऑफ गांधी आदि शुमार हैं। प्रिसिंपल एस.एस.प्रिंस के इन इंद्रधनुषी रंगों में जीवन के फलसफा से भरी कविताओं का अलग मिजाज है। पुस्तक का आवरण अत्यंत आकर्षक है। कुल मिलाकर एक पठनीय और संग्रहनीय काव्य संग्रह है।

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Thursday, July 12, 2012

A Man With Mission "Anoop Lather" By English Media...Clik here






Worldwide prestigious magazine “Times” from US

Worldwide prestigious magazine “Times” from US...
Vikas Gahlot 10:10pm Jul 10
Worldwide prestigious magazine “Times” from US in her recent edition declared Dr. Manmohan Singh as under achiever. The Indian PM is just a puppet in the hands of UPA chairperson Mrs. Sonia Gandhi (Worlds 4th richest politician). Then what. Main opposition party of our Country is not efficient to grasp this opportunity to make unstable this corrupt UPA government. Leaders of BJP like B.S. Yedureepa, Mr. Sanjay Joshi, Mrs. Vasundera Raje Sindhiya and Mr. Narendera Modi think they are above party organisation. Yesterday ABVP celebrated his 63rd foundation day. BJP leaders must learn a lesson from this great student’s organisation of India regarding discipline & punctuality. Organisation must be at first priority either it is a political party or it is a student’s organisation. Discipline of ABVP workers is great. They deserve for congratulations in which manner they sustain their existence from the last 63 years. Party President of BJP must organise a refresher course for BJP leaders & workers, so that they can learn a lesson how to maintain discipline, under the care taking of A.B.V.P. or R.S.S. Party or organisation is supreme not an individual.
Jai Ma Bharti
Vikas