Wednesday, May 29, 2013

समलैंगिकता कितनी जायज ! Ranjana Jaiswal



फ़्रांस में समलैंगिक विवाह को मान्यता क्या मिली,हजारों लोग उसके खिलाफ सड़क पर उतर आए |और उधर समलैंगिक प्रेम-सम्बन्धों पर आधारित फ्रांसीसी फिल्म “ब्लू इज द वार्मेस्ट कलर :द लाइफ आफ एडले”को ६६ वें कान फिल्म महोत्सव में शीर्ष पुरस्कार पाम डी’ओर से सम्मानित किया गया |इस फिल्म की कहानी १५ साल की एक लड़की की है ,जो अपने से अधिक उम्र की एक महिला से प्यार कर बैठती है |इस फिल्म में बचपन से वयस्क उम्र के बीच के परिवर्तन का शानदार फिल्मांकन है |यह फिल्म किसी के गहरे प्रेम में होने और फिर दिल टूटने की दास्तान है|यह फिल्म शुरू से ही विवादों में रही |सबसे अधिक कंटोवरसी फिल्म की दो नायिकाओं के १२ मिनट के अंतरंग सीन को लेकर थी |यह फिल्म २० फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ चुनी गयी तो इसका कारण सिर्फ यह तो नहीं हो सकता कि फंस में अभी तुरत समलैंगिक विवाह को मान्यता मिली है,जिसके विरोध में पेरिस में हजारों प्रदर्शकारियों ने जुलूस निकाला था |
मई महीने के शरू में ही पाकिस्तान की समलैंगिक जोड़ी रेहाना कौसर[३४]और सोबिया[२९]ने मौत की धमकी मिलने के बावजूद ब्रिटेन के लीड्स में शादी कर ली |शादी के बाद इस जोड़ी ने ब्रिटेन में राजनीतिक शरण की माँग की है |
समलैंगिकता को लेकर बहस हमेशा चलती रहती है |कुछ इसके पक्ष में हैं तो अधिकांश विपक्ष में |पर इसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता |यह हमेशा से समाज का हिस्सा रही है |कुछ वैज्ञानिक खोज यह बताते हैं कि कुछ लोगों में एक खास किस्म की यौनवृत्ति होती है। समलैंगिकता दो तरह की होती है। नंबर एक-यह किसी का निजी चुनाव भी हो सकती है। यह तादाद समाज में कम ही है। लेकिन ज्यादातर तो विषमलिंगी साथी के अभाव में ही यह रास्ता अख्तियार करते हैं । इसे उनका चुनाव नहीं कह सकते। यह उनकी अपनी यौनाकांक्षा को मिटाने की मजबूरी होती है ।
साहित्य भी समलैंगिकता के प्रश्नों से जूझता रहा है |अब तक समलैंगिकता को विषय बनाकर लिखी गई सबसे बेहतरीन कहानी मुझे इस्मत चुगताई की ‘लिहाफ’ लगती है| उस समय समलैंगिकता एक अपराध था, लेकिन समलैंगिकता की प्रवृति समाज में बड़े पैमाने पर थी| चोरी छुपे बहुत से लोग इस तरह अपनी यौन जरूरतें पूरी करते थे| साहित्य में भी बहुत सारे बड़े नाम ऐसे रहे हैं जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल रहे| आस्कर वाइल्ड को तो इसी कारण जेल भी भुगतनी पड़ी| फिराक गोरखपुरी जैसे महान शायर और हिंदी साहित्य में देशप्रेम के एक बड़े कवि दद्दा का नाम भी ऐसे मामलों में लिया जाता है| कवि और उपन्यासकार अंचल जी भी घोषित रूप से समलैंगिक थे| ये एक यौन प्रवृति रही है जिसे एक समय में समाज बहुत बुरा मानता था |लेकिन था ये अनादिकाल से| अब इसे यौन अधिकारों का विषय माना जाने लगा है और सरकार और कानून भी इसे अपराध नहीं मानता |
पर इसका विरोध हमेशा से होता रहा है और होता रहेगा |इसका बड़ा कारण तो मुझे यह लगता है कि चोरी-छिपे हम हर चीज को स्वीकारते हैं ,पर खुलेआम नहीं |हमारी दोहरी मानसिकता समलैंगिकता तो दूर यौन शिक्षा को भी बुरा मानती है | हमारे इस दोहरे व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आज समाज में एक वीभत्स किस्म की यौन-भुखमरी देखी जा रही है। जिसे दूर करने के लिए यौन-शिक्षा जरूरी है |स्वस्थ यौन शिक्षा ही लोगों को स्वस्थ मानसिकता दे सकती है। गांधीजी कहते थे कि यौनशिक्षा दो तरह की होती है। एक वह है यौनेष्णा को भड़काती है और दूसरी प्रशमित करती है। गांधी पहली वाली शिक्षा के खिलाफ थे। आज लोग चोरी-छिपे गलत संसाधनों से पहली वाली यौन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं |जिसका परिणाम बलात्कार के रूप में दिख रहा है |जरूरी है कि हम स्वस्थ मानसिकता से सारे पुराने पूर्वाग्रहों को छोड़कर यौन और समलैंगिक सम्बन्धों के बारे में पुनर्विचार करें |

-एक नाराज औरत की डायरी


  • Omi Srivastava aap ki iss ma rajana kya rai hai.
  • Kavi Pramod yeh maansik se jyadaa sharirik jaroorat ki purtee ke liye bana hua ak aisa chalan hai jise logon ne prachaar kar kar ke ak jeevan aadarsh ka darjaa dene ki koshish ki hai....
  • Ranjana Jaiswal मनुष्यता की रक्षा जिसमें हो ,उसी में मेरी राय है |
  • विशाल कृष्ण सिंह hats off.. to this article.. n ur puont of view.. fully agree.. with u didi
  • Kavi Pramod waise sambhog ka prakratik swarup jo anand ki charm seema tak le jaaye wo stri aur purush ke milan se hi sambhav hai....samlaingikata is ka ek vikrat ya kamjor paryaay hai jo shayad paristhitiyon ke kaarn viksit hota hai
  • Arvind Shukla acchi hai
  • Ahad Prakash ITs not good for us
  • Manoj Kumarjha समलैंगिकता स्वाभाविक प्रवृत्ति है। आधुनिक अनुसंधानों से यह सिद्ध हो चुका है कि यह कोई विकृति नहीं। इसे स्वाभाविक रूप में लेना चाहिए।See Translation
  • Ranjana Jaiswal धन्यवाद मित्रों अपने लेख-संग्रह का लिंक दिया है क्योंकि इस मुद्दे पर उसमें विस्तार से विचार किया गया है |
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी 'विनय' शत प्रतिशत विकृति है।
    यदि समलैंगिकता मनुष्यता है तो मुझे इस मनुष्यता से घृणा है। इस मनुष्यता से पशुता कहीं अच्छी है, क्योंकि वहाँ समलैंगिकता नहीं है।
    See Translation
  • Manoj Gupta रंजना जी मेरी समझ में तो ईसे मनोरोग ही कहा जा सकता है
    क्युकी किसी पुरुष का किसी पुरुष के साथ अथवा किसी स्त्री का किसी स्त्री के साथ में सम्बन्ध तभी स्थापित हो सकता है जब बिपरीत लिंग का अभाव हो अथवा मस्तिस्क के एक कोने में बिपरीत लिंग के प्रति घृणा का भाव हो ...यदि अभाव है तो ईस कमी की पूर्ति हो जाने पर सायद एसी स्थिति न बने और यदि घृणा का भाव है तो कारण पर जाना नितांत आवश्यक है।हा यदि यिन दोनों से अलग कोई बात है तो मनोरोग ही कहा जा सकता है।
  • Himalayan Gaire Your thoughts are appreciable and ultimately we need to educate ourselves about the ill-effects of the bilingual sex and about the perverted sex education that is prevalent in the society rather than the open discussion and open education about sex to minimise/remove the criminal activity arising out of the ill-gotten sex education.
  • B.k. Shukla Ye vikriti ke alawa kuchh bhi nahi..............paani na milne par log gaddhe ka ganda pani bhi to pee lete hai
  • Yuvamajdoorkissanmorcha Ymkm बहुत ही उत्तम विषय चुना है आपने बहस के लिए..
  • B.k. Shukla vishay to uttam hai lekin badhawa dene ki pravritti kisi ki bhi nahi honi chahiye
  • B.k. Shukla prakriti ke viprit jana theek nahi hota
  • Rajesh Tyagi मनुष्य की लैंगिकता का विकास अपने आप में एक लम्बी सामाजिक-ऐतिहासिक प्रक्रिया है, जो उसके जैविक विकास के साथ साथ जारी है। इसकी नैसर्गिक मुख्यधारा भी है और गौण धाराएँ भी। विज्ञानं के नए खुलासों और नए प्रयोगों के साथ यह नए आयाम हासिल कर रही है। ज्ञान के नए स्रोत क्रिया और आनंद के नए द्वार खोल रहे है। मगर इस विकास क्रम में पूर्णत: उन्मुक्त यौन जीवन के अभाव में यौन विकृतियाँ भी मौजूद हैं और पल बढ़ रही हैं। समलैंगिकता उन्ही विकृतियों में से एक है।
  • Om NanyAdi Raj रंजना जी, जब एक "नाराज औरत" समाज के प्रति इतना चिंतनशील हो सकती है, तो वह खुश होकर अप्रत्याशित बहुत सारी रचनात्मकता समाज को दे सकती है। हम उस दिन की प्रतीक्षा मे हैं।See Translation
  • Zahid Baig |इसका बड़ा कारण तो मुझे यह लगता है कि चोरी-छिपे हम हर चीज को स्वीकारते हैं ,पर खुलेआम नहीं |हमारी दोहरी मानसिकता समलैंगिकता तो दूर यौन शिक्षा को भी बुरा मानती है | हमारे इस दोहरे व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आज समाज में एक वीभत्स किस्म की यौन-भुखमरी देखी जा रही है। जिसे दूर करने के लिए यौन-शिक्षा जरूरी है |स्वस्थ यौन शिक्षा ही लोगों को स्वस्थ मानसिकता दे सकती है। गांधीजी कहते थे कि यौनशिक्षा दो तरह की होती है। एक वह है यौनेष्णा को भड़काती है और दूसरी प्रशमित करती है। गांधी पहली वाली शिक्षा के खिलाफ थे। -sahamatSee Translation
  • Manoj Kumarjha जो समलैंगिकता को विकृति मानते हैं, उन्हें सेक्स मनोविज्ञान के विकास का ज्ञान नहीं है। ऐसे लोग नासमझ हैं। ये नैतिककतावादी हैं, जिनमें चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से समझने की प्रवृत्ति नहीं है। समलैंगिकता पर काफी अध्ययन हो चुका है और यह पाया गया है कि यह प्रवृत्ति पशुओं में भी है। यह एक प्रवृत्ति है, विकृति नहीं....See Translation
  • Rajesh Tyagi मनोज जी को विश्वास है की विकृति पशुओं में नहीं हो सकती। ये कौन सा वैज्ञानिक शोध है???
  • Arun Sharma Is bat par jitna bhi bahs ki jay iska koi ant nahi hai
  • Danish Khan agar aap samlangik hoti to,rply ?
  • Ranjana Jaiswal तो दानिश भाई आप मेरे वाल पर नहीं होते

समलैंगिकता कितनी जायज ! Ranjana Jaiswal



फ़्रांस में समलैंगिक विवाह को मान्यता क्या मिली,हजारों लोग उसके खिलाफ सड़क पर उतर आए |और उधर समलैंगिक प्रेम-सम्बन्धों पर आधारित फ्रांसीसी फिल्म “ब्लू इज द वार्मेस्ट कलर :द लाइफ आफ एडले”को ६६ वें कान फिल्म महोत्सव में शीर्ष पुरस्कार पाम डी’ओर से सम्मानित किया गया |इस फिल्म की कहानी १५ साल की एक लड़की की है ,जो अपने से अधिक उम्र की एक महिला से प्यार कर बैठती है |इस फिल्म में बचपन से वयस्क उम्र के बीच के परिवर्तन का शानदार फिल्मांकन है |यह फिल्म किसी के गहरे प्रेम में होने और फिर दिल टूटने की दास्तान है|यह फिल्म शुरू से ही विवादों में रही |सबसे अधिक कंटोवरसी फिल्म की दो नायिकाओं के १२ मिनट के अंतरंग सीन को लेकर थी |यह फिल्म २० फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ चुनी गयी तो इसका कारण सिर्फ यह तो नहीं हो सकता कि फंस में अभी तुरत समलैंगिक विवाह को मान्यता मिली है,जिसके विरोध में पेरिस में हजारों प्रदर्शकारियों ने जुलूस निकाला था |
मई महीने के शरू में ही पाकिस्तान की समलैंगिक जोड़ी रेहाना कौसर[३४]और सोबिया[२९]ने मौत की धमकी मिलने के बावजूद ब्रिटेन के लीड्स में शादी कर ली |शादी के बाद इस जोड़ी ने ब्रिटेन में राजनीतिक शरण की माँग की है |
समलैंगिकता को लेकर बहस हमेशा चलती रहती है |कुछ इसके पक्ष में हैं तो अधिकांश विपक्ष में |पर इसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता |यह हमेशा से समाज का हिस्सा रही है |कुछ वैज्ञानिक खोज यह बताते हैं कि कुछ लोगों में एक खास किस्म की यौनवृत्ति होती है। समलैंगिकता दो तरह की होती है। नंबर एक-यह किसी का निजी चुनाव भी हो सकती है। यह तादाद समाज में कम ही है। लेकिन ज्यादातर तो विषमलिंगी साथी के अभाव में ही यह रास्ता अख्तियार करते हैं । इसे उनका चुनाव नहीं कह सकते। यह उनकी अपनी यौनाकांक्षा को मिटाने की मजबूरी होती है ।
साहित्य भी समलैंगिकता के प्रश्नों से जूझता रहा है |अब तक समलैंगिकता को विषय बनाकर लिखी गई सबसे बेहतरीन कहानी मुझे इस्मत चुगताई की ‘लिहाफ’ लगती है| उस समय समलैंगिकता एक अपराध था, लेकिन समलैंगिकता की प्रवृति समाज में बड़े पैमाने पर थी| चोरी छुपे बहुत से लोग इस तरह अपनी यौन जरूरतें पूरी करते थे| साहित्य में भी बहुत सारे बड़े नाम ऐसे रहे हैं जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल रहे| आस्कर वाइल्ड को तो इसी कारण जेल भी भुगतनी पड़ी| फिराक गोरखपुरी जैसे महान शायर और हिंदी साहित्य में देशप्रेम के एक बड़े कवि दद्दा का नाम भी ऐसे मामलों में लिया जाता है| कवि और उपन्यासकार अंचल जी भी घोषित रूप से समलैंगिक थे| ये एक यौन प्रवृति रही है जिसे एक समय में समाज बहुत बुरा मानता था |लेकिन था ये अनादिकाल से| अब इसे यौन अधिकारों का विषय माना जाने लगा है और सरकार और कानून भी इसे अपराध नहीं मानता |
पर इसका विरोध हमेशा से होता रहा है और होता रहेगा |इसका बड़ा कारण तो मुझे यह लगता है कि चोरी-छिपे हम हर चीज को स्वीकारते हैं ,पर खुलेआम नहीं |हमारी दोहरी मानसिकता समलैंगिकता तो दूर यौन शिक्षा को भी बुरा मानती है | हमारे इस दोहरे व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आज समाज में एक वीभत्स किस्म की यौन-भुखमरी देखी जा रही है। जिसे दूर करने के लिए यौन-शिक्षा जरूरी है |स्वस्थ यौन शिक्षा ही लोगों को स्वस्थ मानसिकता दे सकती है। गांधीजी कहते थे कि यौनशिक्षा दो तरह की होती है। एक वह है यौनेष्णा को भड़काती है और दूसरी प्रशमित करती है। गांधी पहली वाली शिक्षा के खिलाफ थे। आज लोग चोरी-छिपे गलत संसाधनों से पहली वाली यौन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं |जिसका परिणाम बलात्कार के रूप में दिख रहा है |जरूरी है कि हम स्वस्थ मानसिकता से सारे पुराने पूर्वाग्रहों को छोड़कर यौन और समलैंगिक सम्बन्धों के बारे में पुनर्विचार करें |

-एक नाराज औरत की डायरी


  • Omi Srivastava aap ki iss ma rajana kya rai hai.
  • Kavi Pramod yeh maansik se jyadaa sharirik jaroorat ki purtee ke liye bana hua ak aisa chalan hai jise logon ne prachaar kar kar ke ak jeevan aadarsh ka darjaa dene ki koshish ki hai....
  • Ranjana Jaiswal मनुष्यता की रक्षा जिसमें हो ,उसी में मेरी राय है |
  • विशाल कृष्ण सिंह hats off.. to this article.. n ur puont of view.. fully agree.. with u didi
  • Kavi Pramod waise sambhog ka prakratik swarup jo anand ki charm seema tak le jaaye wo stri aur purush ke milan se hi sambhav hai....samlaingikata is ka ek vikrat ya kamjor paryaay hai jo shayad paristhitiyon ke kaarn viksit hota hai
  • Arvind Shukla acchi hai
  • Ahad Prakash ITs not good for us
  • Manoj Kumarjha समलैंगिकता स्वाभाविक प्रवृत्ति है। आधुनिक अनुसंधानों से यह सिद्ध हो चुका है कि यह कोई विकृति नहीं। इसे स्वाभाविक रूप में लेना चाहिए।See Translation
  • Ranjana Jaiswal धन्यवाद मित्रों अपने लेख-संग्रह का लिंक दिया है क्योंकि इस मुद्दे पर उसमें विस्तार से विचार किया गया है |
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी 'विनय' शत प्रतिशत विकृति है।
    यदि समलैंगिकता मनुष्यता है तो मुझे इस मनुष्यता से घृणा है। इस मनुष्यता से पशुता कहीं अच्छी है, क्योंकि वहाँ समलैंगिकता नहीं है।
    See Translation
  • Manoj Gupta रंजना जी मेरी समझ में तो ईसे मनोरोग ही कहा जा सकता है
    क्युकी किसी पुरुष का किसी पुरुष के साथ अथवा किसी स्त्री का किसी स्त्री के साथ में सम्बन्ध तभी स्थापित हो सकता है जब बिपरीत लिंग का अभाव हो अथवा मस्तिस्क के एक कोने में बिपरीत लिंग के प्रति घृणा का भाव हो ...यदि अभाव है तो ईस कमी की पूर्ति हो जाने पर सायद एसी स्थिति न बने और यदि घृणा का भाव है तो कारण पर जाना नितांत आवश्यक है।हा यदि यिन दोनों से अलग कोई बात है तो मनोरोग ही कहा जा सकता है।
  • Himalayan Gaire Your thoughts are appreciable and ultimately we need to educate ourselves about the ill-effects of the bilingual sex and about the perverted sex education that is prevalent in the society rather than the open discussion and open education about sex to minimise/remove the criminal activity arising out of the ill-gotten sex education.
  • B.k. Shukla Ye vikriti ke alawa kuchh bhi nahi..............paani na milne par log gaddhe ka ganda pani bhi to pee lete hai
  • Yuvamajdoorkissanmorcha Ymkm बहुत ही उत्तम विषय चुना है आपने बहस के लिए..
  • B.k. Shukla vishay to uttam hai lekin badhawa dene ki pravritti kisi ki bhi nahi honi chahiye
  • B.k. Shukla prakriti ke viprit jana theek nahi hota
  • Rajesh Tyagi मनुष्य की लैंगिकता का विकास अपने आप में एक लम्बी सामाजिक-ऐतिहासिक प्रक्रिया है, जो उसके जैविक विकास के साथ साथ जारी है। इसकी नैसर्गिक मुख्यधारा भी है और गौण धाराएँ भी। विज्ञानं के नए खुलासों और नए प्रयोगों के साथ यह नए आयाम हासिल कर रही है। ज्ञान के नए स्रोत क्रिया और आनंद के नए द्वार खोल रहे है। मगर इस विकास क्रम में पूर्णत: उन्मुक्त यौन जीवन के अभाव में यौन विकृतियाँ भी मौजूद हैं और पल बढ़ रही हैं। समलैंगिकता उन्ही विकृतियों में से एक है।
  • Om NanyAdi Raj रंजना जी, जब एक "नाराज औरत" समाज के प्रति इतना चिंतनशील हो सकती है, तो वह खुश होकर अप्रत्याशित बहुत सारी रचनात्मकता समाज को दे सकती है। हम उस दिन की प्रतीक्षा मे हैं।See Translation
  • Zahid Baig |इसका बड़ा कारण तो मुझे यह लगता है कि चोरी-छिपे हम हर चीज को स्वीकारते हैं ,पर खुलेआम नहीं |हमारी दोहरी मानसिकता समलैंगिकता तो दूर यौन शिक्षा को भी बुरा मानती है | हमारे इस दोहरे व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आज समाज में एक वीभत्स किस्म की यौन-भुखमरी देखी जा रही है। जिसे दूर करने के लिए यौन-शिक्षा जरूरी है |स्वस्थ यौन शिक्षा ही लोगों को स्वस्थ मानसिकता दे सकती है। गांधीजी कहते थे कि यौनशिक्षा दो तरह की होती है। एक वह है यौनेष्णा को भड़काती है और दूसरी प्रशमित करती है। गांधी पहली वाली शिक्षा के खिलाफ थे। -sahamatSee Translation
  • Manoj Kumarjha जो समलैंगिकता को विकृति मानते हैं, उन्हें सेक्स मनोविज्ञान के विकास का ज्ञान नहीं है। ऐसे लोग नासमझ हैं। ये नैतिककतावादी हैं, जिनमें चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से समझने की प्रवृत्ति नहीं है। समलैंगिकता पर काफी अध्ययन हो चुका है और यह पाया गया है कि यह प्रवृत्ति पशुओं में भी है। यह एक प्रवृत्ति है, विकृति नहीं....See Translation
  • Rajesh Tyagi मनोज जी को विश्वास है की विकृति पशुओं में नहीं हो सकती। ये कौन सा वैज्ञानिक शोध है???
  • Arun Sharma Is bat par jitna bhi bahs ki jay iska koi ant nahi hai
  • Danish Khan agar aap samlangik hoti to,rply ?
  • Ranjana Jaiswal तो दानिश भाई आप मेरे वाल पर नहीं होते