Monday, December 30, 2013

किस्मत से मिलते हैं अम्मा जी जैसे किरदार

किस्मत से मिलते हैं अम्मा जी जैसे किरदार
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28 अक्तूबर 1971 को सोनीपत में जन्मी फिल्म एवं टेलीविजन अभिनेत्री मेघना मलिक यूं तो कई चर्चित धारावाहिकों और फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभा चुकी हैं परन्तु ना आना इस देस लाडो में अम्मा जी के किरदार ने उन्हें जो पहचान दी, वह बेजोड़ है। उनकी अब तक की अभिनय यात्रा, टीवी इंडस्ट्री के अनुभवों, हरियाणवी सिनेमा और यहां की घटनाओं पर मेघना ने खुलकर विचार जाहिर किए। हरिभूमि के संपादक ओमकार चौधरी ने उनसे यह खास बातचीत की।

मेघना जी, कला के क्षेत्र में आने का फैसला कब और कैसे लिया। कब ये अहसास हुआ कि आपके भीतर एक अभिनेत्री जन्म ले चुकी है?
इसे प्रोफेशन के रूप में अपनाने के बारे में तो नहीं सोचा था पर जब भी स्टेज पर होती थी.. मुझे सबसे ज्यादा खुशी उसी समय होती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय गई। पढ़ती थी तो मैं इंटरव्यू देखती और सुनती थी नसीरूद्दीन शाह के ओमपुरी जी के। मुझे उनकी फिल्मों में कुछ अलग दिखता था। उसी समय मुझे पता लगा कि ये दोनों राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के हैं। मैं अपने आपको खोजना चाह रही थी। वही खोज मुझे वहां तक लेकर गई।

ना आना इस देस लाडो तक का सफर भी कोई बहुत आसान नहीं रहा। कैसे याद करती हैं संघर्ष के उन दिनों को?
ग्यारह साल के संघर्ष के बाद मुझे वो भूमिका मिली..तब भी मैं कहूंगी कि मैं खुशकिस्मत थी कि मुझे ऐसा कुछ मिला जो खाली पॉपुलर ही नहीं हुआ, एक अलग किस्म की सराहना लोगों के बीच मिली। एक अलग तरह का सम्मान उसके जरिए मुझे प्राप्त हुआ।

संघर्ष के उन दिनों को कैसे याद करेंगी और जो इस वक्त स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें क्या सलाह देंगी, क्योंकि कई बार लोग कुंठित हो जाते हैं।
इस क्षेत्र में बहुत मेहनत है। मैं सिर्फ ग्लैमर के कारण यहां नहीं आई। एक्टिंग में मुझे सबसे ज्यादा सकून मिलता था। बहुत सारे लोग ग्लैमर की वजह से आते हैं। उनके बड़े सपने होते हैं। नाकामियां भी होती हैं। मेरा कहना है कि यहां वो ही आएं जो इसे जुनून की तरह लेते हों। कई बार कामयाबी बहुत जल्दी मिल जाती है और कई बार बहुत देर भी लग जाती है। यही कहूंगी कि वो ही आएं, जो वाकई सिर्फ यही (अभिनय) करना चाहते हैं।

फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाने और पहचान बनाने के लिए क्या गॉड फादर जरूरी है? और जिसके नहीं होते क्या उसे बहुत ज्यादा मुश्किलें पेश आती हैं?
गॉड फादर का तो मुझे मालूम नहीं..मेरा तो कोई गॉड फादर नहीं है (खुलकर हंसती है) उनके लिए मैं बोल नहीं सकती, जिनके पास गॉड फादर हैं। मैं तो यही कहूंगी कि दो चीजें अहम हैं। एक आपकी मेहनत और दूसरे लगन। यही चीजें आपको मंजिल तक लेकर जाएंगी। पहचान और स्थान बनाने के लिए जो एकदम एंड रिजल्ट चाहते हैं तो वो सही रास्ते पर नहीं हैं। आप अपने काम में लगे रहें। सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने काम के प्रति ईमानदार रहें। कहीं न कहीं उसका प्रतिफल आपको जरूर मिलता है।

अम्मा के किरदार ने आपको घर-घर तक पहुंचाया। हर टीवी दर्शक के दिल पर छाप दिया। क्या अब वही किरदार आपके लिए एक चुनौती नहीं बन गया है?
जो भी किरदार मिलता है..वो हमारे हाथ में नहीं होता। एज एन एक्टर हम यहां आते हैं। मेरा यही रहता है कि जो किरदार मुझे दिया गया है, उसके प्रति ईमानदार रहूं। उसमें जो भी डाल सकती हूं..डालूं। मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि सुबह उठूं और पाऊं कि मेरे पास काम है। जो भी करती हूं..लोग उसकी कद्र करते हैं। कौन सी चीज हिट होती है वो पता चल जाए तो इंसान फिर वही करे..जो हिट होगा। अब मेरे पास वैसे ही (अम्मा) किरदार आएं और रहें, यदि इसी टेंशन में रहूं..कि ये उतना ही लोकप्रिय होगा या नहीं..तो ये सही नहीं है।

लाइफ ओके पर आजकल आपका गुस्ताख दिल सीरीयल आ रहा है। बरखा के केरेक्टर को आप एंजाय कर पा रही हैं पूरी तरह से?
ये अम्मा जी के किरदार से बहुत भिन्न है। ये अफसोसजनक पहलू है टेलीविजन इंडस्ट्री का कि कोई भी कहानी उठा लें..उसमें गिने चुने किरदार होते हैं। उनकी रूपरेखा भी वैसी ही रहती है। इस दृष्टि से देखें तो टेलीविजन इंंडस्ट्री में कहानी के मामले में बहुत गरीबी है। अपने काम को देखूं तो पहले मैंने एक अलग तरह का किरदार निभाया, जिसमें इस किस्म की महिला थी..गांव की..दबंग महिला। इसे देखूं तो ये बिल्कुल शहरी महिला है..कन्फ्यूज सी। मैं अपने को लकी मानती हूं कि लोग मुझे अम्मा जैसे किरदार में भी देखना पसंद करते हैं और इस तरह के किरदार भी लेकर लोग आते हैं कि ये मेघना को दे दो। इसमें भी ये कुछ न कुछ तो (कमाल) कर ही देगी।

दोनों किरदारों की तुलना करें तो अम्मा का किरदार कहीं अधिक प्रभावशाली था?
अम्मा जी जैसा किरदार टेलीविजन हिस्ट्री में किसी महिला एक्टर के लिए कभी-कभी ही आएगा और जिसे ऐसा किरदार करने को मिल जाए तो मानना चाहिए कि वो बड़ी किस्मत लेकर आई है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो अम्मा जी का फलक बहुत बड़ा था। ये कहानी तो ड्राइंग रूम ड्रामा है। यहां तो मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है कि मेरे पंख कट गए हैं। कलाकार के खेलने के हिसाब से कहूं तो वो फुटबॉल के मैदान की तरह था और ये बहुत ही सीमित टेबल टेनिस की तरह है।

झलक दिखला जा के पिछले संस्करण में आप दिखाई दी। लोगों को पता चला कि मेघना डांसर भी है। उसका अनुभव कैसा रहा?
उसमें मैंने पूरे मजे लिये। गिनती वाला डांस ना मैंने कभी किया और ना सीखा। बस मेरा ये होता है कि कोई चैलेंज ले लिया तो उसमें कुछ ना कुछ तो करना ही है। ना मैं नंबरों की टेंशन में थी और ना वोटों की टेंशन में। मैं सिर्फ उसका आनंद ले रही थी। मेरे लिए वो अलग एरिया था, जिसे मैं विकसित कर रही थी। उसमें मैंने पूरा रस लिया।

हरियाणा की चर्चा करें तो यहां आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव देखे जा रहे
हैं। आपका जन्म यहीं हुआ। पढ़ाई-लिखाई यहीं हुई। इन बदलावों को किस दृष्टि से देखती हैं?
बदलाव साफ तौर पर महसूस किया जा रहा है। राज्य औद्योगिक दृष्टि से आगे बढ़ा है। लोगों का लाइफ स्टाइल भी बदला है। उनकी परचेजिंग पावर बढ़ी है। गुड़गांव में मैंने देखा है। हरियाणा से जब गुजरती हूं तो हाइवे (सड़कों) का निर्माण भी हो रहा है। देखकर अच्छा लगता है। काफी इंस्टीट्यूट खुल गए हैं। स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटी बन गए हैं। मैं रोहतक गई तो देखा कि वहां फिल्म, आर्किटैक्चर और फाइन आर्ट का इंस्टीट्यूट एक ही छत के नीचे शुरू हुआ है। ये जानकर अच्छा लगता है कि इस तरह की ग्रोथ और डवलपमैंट हो रहा है।

लेकिन सोच में जिस तरह के बदलाव आने चाहिए। परिपक्वता आनी चाहिए, वो नजर नहीं आते हैं। क्या ये एक कमी महसूस होती है?
ये तो सही है कि नौजवान पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी की सोच में एक टकराव देखा जा रहा है। ये हो सकता है कि वे अपने आब्जेक्टिव को ज्यादा आक्रामक तरीके से फालो करना चाहते हैं। वो जो करना चाहते हैं..वो जानते हैं कि उसकी क्या दिशा है..तो ये टकराव भी इसी का सूचक है कि बदलाव आ रहा है और लोग जागरूक हो रहे हैं। दूसरे राज्यों में और देशों में यूथ जिस तरह से सोचता है वह अपने प्रदेश में भी आए तो कोई गलत बात नहीं है। अगर किन्हीं मामलों में हमारी सोच पिछड़ी हुई है तो उसे आगे लाना चाहिए। और हर समाज में एक टकराव तो रहता ही है। ये टकराव समाज के लिए हमेशा अच्छा ही रहा है।

महिलाओं की तरक्की और सशक्तिकरण के बारे में जब बात की जाती है तो कुछ नाम गिना दिए जाते हैं। क्या वाकई आधी आबादी को पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं?
हर क्षेत्र में अब महिलाएं तरक्की कर रही हैं। पर ये वो हैं जिन्होंने या तो हिम्मत दिखाई है या परिवारों से टकराव करते हुए आगे बढ़ी हैं या उनके परिवारों ने उन्हें बढ़ने में सहायता की है। हां, बड़ा तबका ऐसा है, जहां ये सोच अभी पहुंच नहीं पाई है। हम अक्सर पढ़ते हैं कि लड़कियों को मार डाला। ये अकेले हरियाणा की प्राब्लम नहीं है। मेरी मीडिया से भी गुजारिश है कि एक अभियान ऐसा छेड़ा जाए जिसमें प्रदेश के हर कोने की ऐसी महिलाओं के साप्ताहिक इंटरव्यू छापे जाएं, जिन्हें पढ़कर उन महिलाओं में भी हिम्मत आ जाए, जो अभी तक साहस नहीं जुटा पाई हैं।

दो और मसले हैं। कन्या भ्रूण हत्या और आनर किलिंग। इनकी वजह से हरियाणा की बदनामी होती है। इसके मूल में क्या सोच है और आपकी दृष्टि में समाधान क्या है?
देखिए, किलिंग में आनर तो हो ही नहीं सकता। हत्या के साथ सम्मान शब्द जुड़ ही नहीं सकता। जहां तक भ्रूण हत्या का प्रश्न है, जब तक हम दूरस्थ इलाकों तक ये संदेश नहीं पहुंचाएंगे कि वे पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। मां-बाप की सेवा कर सकती हैं, तब तक इस सोच में बदलाव नहीं आएगा। लोगों को यह समझाने की जरूरत कि आज लड़की बोझ नहीं है। वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। अपना ही नहीं, परिवार और मां-बाप का भी ध्यान रख सकती है। बेटे से ज्यादा रख सकती है। शिक्षा और आत्मनिर्भता हर तरह की समस्या की कुंजी है। दूसरे, मुझे बहुत अफसोस होता है, जब सुनती हूं कि मां ही आनर किलिंग की इंजीनियर हैं। मां का ये फर्ज है कि वो खुद फख्र से जियें और अपनी बेटियों को भी फख्र से जीने की सीख दें।

हरियाणवी सिनेमा उतना लोकप्रिय क्यों नहीं हो पाया? आप जैसे कलाकार हरियाणवी सिनेमा में काम करके इसे ऊंचाइयों पर पहुंचाने में योगदान दें तो शायद इसका कुछ भला हो?
एक तो हरियाणा के दर्शकों की सिनेमा की आधी भूख हिंदी फिल्में शांत कर देती हैं। बाकी पंजाबी सिनेमा से हो जाती है। देखिए, सिनेमा का व्यवसायिक तौर पर सफल होना बहुत जरूरी है। जो लोग हरियाणवी सिनेमा में लगे हैं, उन्हें देखना पड़ेगा कि आज के दर्शक का एक्सपोजर हो चुका है। हिंदी सिनेमा और क्षेत्रीय सिनेमा जहां पहुंच चुका है, उसे समझने की जरूरत है। एक परिपक्व सोच चाहिए। इतना कॉम्पीटीशन है। इसमें किस तरह की कहानियां चलेंगी, उसकी पहचान करना जरूरी है। और मेरे सामने यदि कोई ऐसी कहानी आती है, जिसमें कुछ करने को हो तो मैं हरियाणवी फिल्में फिल्में जरूर करूंगी।
www.omkarchaudhary.com

Sunday, December 8, 2013

दिली - छतीशगढ़ में अटकी सांसें ....राजस्थान व मध्यप्रदेश में भाजपा की धमाकेदार जीतResults till 4:23 Pm India Assembly election 2013--दिली में भाजपा सबसे बड़ा दल ---छतिसगढ़ में कांटे की टक्कर में उलझा कमल और पंजा ...

दिली - छतीशगढ़ में अटकी सांसें ....राजस्थान व मध्यप्रदेश में भाजपा की धमाकेदार जीत
पवन सोंटी/ कुरुक्षेत्र|
देश के 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों को लोकसभा के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था| इस सेमीफाइनल ने भाजपा की बांछें तो जरूर खिला दी हैं, लेकिन अब तक की स्थिति ने दिली और
छतीशगढ़ में सांसे भी रोक रखी हैं| दिली में जहाँ अभी तक का आंकड़ा 33 के आसपास रुका है तो वहीँ अन्य का आंकड़ा भी एक की जीत व एक की लीड पर रुका है| आआपा  अभी सरकार बनाने से तो दूर है, लेकिन सरकार बिगाड़ने के काफी करीब जरुर है| 70 में से जादुई आंकड़ा 36 भाजपा से एक कदम दूर नजर आ रहा है| उधर छतीशगढ़ में भाजपा जादुई आंकड़े के आस पास घूम रही है, लेकिन कांग्रेस को थोड़ी आक्सीजन मिल रही है...अभी रात बाकी है,,,,देखिये क्या होता है...लेकिनइतना जरुर है कि मोदी कार्ड सफल हो गया है...लोकसभा इससे दूर नजर नही आती....

Results on : 08-Dec-2013
Assembly Election 2013 Results Live Update
Delhi   
Total Seats: - 70/70
Party Leads Won
BJPBJP 3 30
CongressCONG 1 7
CongressAAP 6 21
Others 1 1

Chhattisgarh   
Total Seat: - 90/90
Party Leads Won
BJPBJP 21 24
CongressCONG 18 25
Others 1 1

Rajasthan   
Total Seats: - 199/199
Party Leads Won
BJPBJP 12 147
CongressCONG 2 23
Others 5 10

Madhya Pradesh   
Total Seats: - 230/230
Party Leads Won
BJPBJP 54 106
CongressCONG 31 31
Others 8 -



Results on : 08-Dec-2013
Assembly Election 2013 Results Live Update
Delhi   
Total Seats: - 70/70
Party Leads Won
BJPBJP 5 28
CongressCONG 2 6
CongressAAP 7 20
Others 1 1

Chhattisgarh   
Total Seat: - 90/90
Party Leads Won
BJPBJP 25 19
CongressCONG 24 19
Others 3 -

Rajasthan   
Total Seats: - 199/200
Party Leads Won
BJPBJP 18 142
CongressCONG 4 20
Others 7 8

Madhya Pradesh   
Total Seats: - 230/230
Party Leads Won
BJPBJP 73 86
CongressCONG 41 22
Others 8 -

4 State Election Results.. 4 राज्यों की विधानसभा चुनावों के ताजा परिणाम....

Results on : 08-Dec-2013
Assembly Election 2013 Results Live Update
Delhi   
Total Seats: - 70/70
Party Leads Won
BJPBJP 9 25
CongressCONG 4 4
CongressAAP 7 19
Others 1 1

Chhattisgarh   
Total Seat: - 90/90
Party Leads Won
BJPBJP 26 19
CongressCONG 24 19
Others 2 -

Rajasthan   
Total Seats: - 199/200
Party Leads Won
BJPBJP 23 136
CongressCONG 5 20
Others 8 7

Madhya Pradesh   
Total Seats: - 230/230
Party Leads Won
BJPBJP 73 86
CongressCONG 41 22
Others 8 -

Mizoram   
Total Seats: - 0/40
Party Leads Won
BJPBJP - -
MNF - -
MPC - -
ZNP - -
MDF - -
Others - -

Wednesday, December 4, 2013

धर्मनगरी से धरा गया नारायण साईं




हाईवे पैट्रोल पम्प से दिखाई पुलिस ने गिरफ्तारी
पवन सौन्टी/कुरुक्षेत्र

लम्बे समय से देश की पुलिस को छकाने वाला नारायण साईं आखिर धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से धरा गया। हालांकि पुलिस के अनुसार कुरुक्षेत्र में उसका कोई ठिकाना नहीं था और न ही वह यहां रूका था। मात्र संयोग ही है कि उसे पिपली नैशनल हाईवे नम्बर 1 पर स्थित एक पैट्रोल पम्प से गाड़ी में तेल डलवाते हुए दबोचा गया। दिल्ली व सूरत पुलिस द्वारा सांई की यहां से गिरफ्तारी के बाद अचानक कुरुक्षेत्र का नाम राष्ट्रीय मीडिया में चर्चित हो गया। गौतलब है कि आसाराम के बेटे नारायण सांई पर दो महिलाओं द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद से वह भगौड़ा था जिस पर 5 लाख का इनाम तक घोषित किया गया था।

 मजेदार बात तो यह है कि कुरुक्षेत्र पुलिस को इसकी सूचना मीडिया के माध्यम से ही लगी। जिला पुलिस अधीक्षक वाई पूर्ण कुमार ने स्थानीय मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे जाने पर बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही लगी है। वह पूर्ण विवरण जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। उधर पिपली हाईवे स्थित पैट्रोल पम्प के कर्मचारी शिव मोहन के अनुसार गत रात्रि 11 बजे के करीब 5-6 गाडिय़ां उनके पम्प पर तेल डलवाने के लिये रूकी थी। उनमें से 2 पर लाल बत्ती भी लगी थी। उसके अनुसार उन्होंने गाडिय़ों में नारायण सांई को नहीं पहचाना। जो लोग गाडिय़ों में स्वार थे वो सब सादे कपड़ों में थे। यही नहीं उन लोगों ने पैट्रोल पम्प का नाम पता भी पूछा। गाडिय़ों में से उतरे लोगों ने पैट्रोल पम्प कर्मचारियों से यह भी जानकारी ली की क्या सीसी टीवी कैमरे चालू हैं। कर्मचारियों के अनुसार उन्होंने बताया कि कैमरे काफी समय से खराब हैं। कर्मचारियों के अनुसार गाडिय़ों का काफिला अम्बाला की तरफ से आया था और दिल्ली की तरफ निकल गया। उधर नारायण सांई को गिरफ्तार करने वाली पुलिस का कहना है कि उसे पिपली स्थित पैट्रोल पम्प से पकड़ा गया जबकि लोगों को यह संदिग्ध नजर आता है। पैट्रोल पम्प कर्मचारी के अनुसार गाडिय़ों का काफिला आया और तेल डलवा कर चला गया। उन्होंने पैट्रोल पम्प के सीसी टीवी कैमरे के बारे में जानकारी ली व पैट्रोल पम्प का नाम पता जाना। इसके अतिरिक्त कोई ऐसी घटना उस पैट्रोल पम्प पर नहीं हुई जिससे लगे कि तेल डलवाते हुए किसी को दबोचने का प्रयास किया गया हो।