Monday, September 10, 2018

महाराष्ट्र में हिंसक हुआ भारत बंद

कई जगह हो रहा है व्यापक असर,  करीब 20 राजनीतिक पार्टियों का है समर्थन


नई दिल्ली (ब्यूरो): पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों के खिलाफ विपक्ष के भारत बंद के दौरान कई जगह हिंसक झड़पे होने के समाचार मिल रहे हैं। इस भारत बंद की अगुवाई कांग्रेस कर रही है और उसके साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, एनसीपी, RLD, RJD, CPI, CPM, AIDUF, NC, JMM, JVM, DMK, TDP, KERALA CONGRESS (M), RSP, IUMP, LOK TANTRIC JANTA DAL, SWABHIMAN PAKSHA- R Shetty  सहित करीब 20 राजनीतिक पार्टियों का समर्थन है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने भी विरोध का समर्थन किया है लेकिन भारत बंद से दूर हैं। भारत बंद को देखते हुए कई राज्यों ने सरकारी छुट्टी का ऐलान किया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि भारत बंद के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं होगी।

राहुल ने गांधी की समाधि पर चढ़ाया मानसरोवर का जल

भारत बंद की अगुवाई के लिए कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गांधी राजघाट पहुंचे। राहुल गांधी बीते कुछ दिनों से मानसरोवर की यात्रा पर गए हुए थे और वहां से लौटकर वह सीधे बंद का समर्थन करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और उन्होंने कैलाश झील से लाए गए जल को बापू की समाधि पर चढ़ाया। इसके बाद उन्होंने मार्च की अगुवाई की। राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं समेत विपक्ष के के कई नेता भी राजघाट से महंगाई के खिलाफ मार्च पर निकल चुके हैं। यह मार्च रामलीला मैदान तक जाएगा

पुणे में कई बसों में पत्थरबाजी

महाराष्ट्र में विपक्ष का भारत बंद बेहद आक्रामक और हिंसक रूप ले लिया है। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकतार्ओं ने पुणे में कई बसों में पत्थरबाजी की। महाराष्ट्र में कई स्थानों से आगजनी की भी खबर आ रही है। दक्षिण राज्य केरल में भी विपक्ष के भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है। केरल में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक भारत बंद रहेगा। राज्य में अधिकतर जगह दुकानें बंद हैं इसके साथ ही राज्य की बस सेवा पूरी तरह ठप है।

बिहार में पप्पू यादव ने रोकी रेल

बिहार से आ रही खबर में बताया गया है कि बंद के दौरान पटना में सांसद पप्पू यादव ने भारत बंद के दौरान प्रदर्शन किया, उन्होंने अपने समर्थकों के साथ ट्रेन रोक दी। दरभंगा में प्रदर्शनकारियों ने कमला फास्ट पैसेंजर को रोका और रेल की पटरियों पर लेट गए। बिहार के जहानाबाद में राजद कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक पर आगजनी की है, जिसके कारण कई गाडिय़ों के परिचान पर अवरोध के खतरे मंडराने लगे हैं। बिहार के खगडिय़ा में बंद समर्थकों ने एनएच 31 को जाम किया। यही नहीं आरजेडी के कार्यकत्र्ताओं ने बस स्टेंड पर प्रदर्शन किया है। 
कर्नाटक सरकार ने बंद के चलते सोमवार को सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी का ऐलान कर दिया है। सरकारी दफ्तरों में भी छुट्टी रहेगी। कलबुर्गी में भारत बंद का व्यापक असर है। यहां बस सर्विस पूरी तरह से ठप है। मेंगलुरु में कुछ उपद्रवियों ने एक प्राइवेट बस पर पत्थर फेंके हैं।

दबाव का असर: राजस्थान में की वैट में कटौती

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का कहना है कि हम प्रदर्शन के जरिए मोदी सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि वे पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें। जिस तरह उन्होंने हमारे दबाव के कारण राजस्थान में वैट में कटौती की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की बैठक में पेट्रोल-डीज़ल की बात ही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यह बेहद खतरनाक संकेत है क्योंकि केन्द्र सरकार इसे कोई समस्या ही नहीं मान रही है।
गुजरात में कई स्थानों से हिंसक झड़पों की खबर

बंद के दौरान गुजरात के अहमदाबाद में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। यहां के इसनपुर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने स्कूल बंद करवाया, इसके अलावा भी कई प्राइवेट स्कूलों की छुट्टी घोषित की गई है। गुजरात में कई स्थानों से हिंसक झड़पों की खबर आ रही है। ओडिशा के भुवनेश्वर में भारत बंद का असर व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। सड़कों पर विपक्षी पार्टियों के कार्यकत्र्ता प्रदर्शन कर रहे हैं ओर कई ट्रेन के परिचालन को रोक दिया गया है। 
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने सुबह-सुबह प्रदर्शन किया। यहां भी बंद का असर देखने को मिल रहा है। इधर दिल्ली में बंद का असर साफ-साफ दिख रहा है। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी बंद के व्यापक असर की खबर है। इसके अलावा उत्तर पदेश और उत्तराखंड में भी बंद के असर देखने को मिल रहे हैं। हालांकि यहां से अभी तक कोई हिंसक वारदात की खबर नहीं आयी है। 
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के इस बंद से किनारा कर लिया है। भारत बंद से कई चीजों को बाहर रखा गया है। इसमें दवा की दुकान अस्पताल और एंबुलेंस को राहत दी गई है, ताकि मरीजों और तीमारदारों को किसी तरह की समस्या न हो। 

Wednesday, September 5, 2018

वनवास में पांडवों की शरणस्थली था काम्यकेश्वर तीर्थ

कमोदा तीर्थ पर 8 को लगेगा शुक्ला सप्तमी मेला


कुरुक्षेत्र, 08 सितंबर। 
गांव कमोदा के श्री काम्यकेश्वर महादेव मंदिर एवं तीर्थ पर भाद्रपद माह की 8 सितंबरको रविवारीय शुक्ला सप्तमी मेला आयोजित होगा। तीर्थ में शुक्ला सप्तमी के शुभ अवसर पर स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होती है। तीर्थ में स्वच्छ जल भरा गया। ग्रामीणों द्वारा मेले की तैयारियां शुरू कर दी हैं। 
धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवारीय शुक्ल सप्तमी के दिन तीर्थ में स्नान करने से मोक्ष व पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति होती है। महर्षि पुलस्त्य जी और महर्षि लोमहर्षण जी ने वामन पुराण में का यकवन तीर्थ की उत्पति का वर्णन करते हुए बताया कि इस तीर्थ की उत्पति महाभारत काल से पूर्व की है। एक वार नैमिषारण्य के निवासी बहुत ज्यादा संख्या में कुरुक्षेत्र की भूमि के अंतर्गत सरस्वती नदी में स्नान करने हेतु काम्यवक वन में आए थे। वे सरस्वती में स्नान न कर सके। उन्होंने यज्ञोपवितिक नामक तीर्थ की कल्पना की और स्नान किया, फिर भी शेष लोग उस में प्रवेश ना पा सके तब से मां सरस्वती ने उनकी इच्छा पूर्ण करने के लिए साक्षात कुंज रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए और पश्चिम-वाहनी होकर बहने लगी। इससे स्पष्ट होता है कि काम्यकेश्वर तीर्थ एवं मंदिर की उत्पति महाभारत काल से पूर्व की है।
वामन पुराणा के अध्याय 2 के 34 वें श्लोक के काम्यकवन तीर्थ प्रसंग में स्पष्ट लिखा है कि रविवार को सूर्य भगवान पूषा नाम से साक्षात रूप से विद्यमान रहते हैं। इसलिए वनवास के समय पांडवों ने इस धरा को तपस्या हेतु अपनी शरणस्थली बनाया। द्यूत-क्रीड़ा में कौरवों से हारकर अपने कुल पुरोहित महर्षि धौम्य के साथ 10 हजार ब्राह्मणों के साथ यहीं रहते थे। उनमें 1500 के लगभग ब्राह्मण श्रोत्रिय-निष्ठ  थे जो प्रतिदिन वैदिक धर्मानुष्ठान एवं यज्ञ करते थे।
ग्रामीण सुमिंद्र शास्त्री ने बताया कि मंदिर में भाद्रपद माह में 8 सितंबर को रविवारीय शुक्ला सप्तमी मेला लगेगा। उनके अनुसार इसी पावन धरा पर पांडवों को सांत्वना एवं धर्मोपदेश देने हेतु महर्षि वेदव्यास जी, महर्षि लोमहर्षण जी, नीतिवेता विदुर जी, देवर्षि नारद जी, वृहदश्र्व जी, संजय एवं महर्षि मरकडेय जी पधारे थे। इतना ही नहीं द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण जी अपनी धर्मपत्‍‌नी सत्यभामा के साथ पांडवों को सांत्वना देने पहुंचे थे। पांडवों को दुर्वासा ऋषि के श्राप से बचाने के लिए और तीसरी बार जयद्रथ द्वारा द्रोपदी हरण के बाद सांत्वना देने के लिए भी भगवान श्रीकृष्ण का यकेश्र्वर तीर्थ पर पधारे थे। पांडवों के वंशज सोमवती अमावस्या, फल्गू तीर्थ के समान शुक्ला सप्तमी का इंतजार करते रहते थे।