नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज) : जस्टिस सीएस कर्णन सोमवार रिटायर हो रहे हैं, मगर वह अब भी फरार हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज कर्णन 9 मई से भूमिगत हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी मानते हुए 6 महीने की सजा सुनाई थी। यह पहला मौका है, जब कोई जज अपनी फेयरवेल में शामिल नहीं होगा, अगर वह सामने भी आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
जस्टिस कर्णन ने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन की लिखी चि_ियों का स्वत संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू किया था। इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। ऐसा करने वाले वह किसी हाई कोर्ट के पहले जज थे। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को अवमानना के मामले में दोषी करार देते हुए 6 महीने की सजा सुनाई थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद ही जस्टिस कर्णन कोलकाता से अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु आ गए थे। उनके पीछे अगले ही दिन पश्चिम बंगाल पुलिस की दो टीमें भी चेन्नई पहुंच गईं थी। तब से अब तक तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई ठिकानों में जाकर तलाश कर चुकी है, लेकिन जस्टिस कर्णन का कोई पता नहीं चल पाया है।
हालांकि जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को असंवैधानिक बताया था। उन्होंने कहा था, 8 फरवरी से ये सात जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे हैं। इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है. इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूंगा।
जस्टिस कर्णन ने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन की लिखी चि_ियों का स्वत संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू किया था। इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। ऐसा करने वाले वह किसी हाई कोर्ट के पहले जज थे। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को अवमानना के मामले में दोषी करार देते हुए 6 महीने की सजा सुनाई थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद ही जस्टिस कर्णन कोलकाता से अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु आ गए थे। उनके पीछे अगले ही दिन पश्चिम बंगाल पुलिस की दो टीमें भी चेन्नई पहुंच गईं थी। तब से अब तक तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई ठिकानों में जाकर तलाश कर चुकी है, लेकिन जस्टिस कर्णन का कोई पता नहीं चल पाया है।
हालांकि जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को असंवैधानिक बताया था। उन्होंने कहा था, 8 फरवरी से ये सात जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे हैं। इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है. इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूंगा।