जारी है डेंगू का प्रकोप
आइये जानें इसके लक्षण, उपचार व सावधानियाँ.......
कुरुक्षेता, 30 अक्तूबर 2017: इन
दिनों देश भर में डेंगू ने कहर बरपा रखा है। सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है तो
हजारों पीड़ित अस्पतालों में भर्ती हैं। पहले हम देशभर में डेंगू की स्थिति पर
चर्चा करते हैं।
इसकी गंभीरता को लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित
है और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तमिलनाडु में तो डेंगू बुखार के
प्रकोप को लेकर केंद्रीय दल भी भेजा गया जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
(एम्स),
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी),
नई दिल्ली, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज
(एलएचएमसी) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), नई
दिल्ली के डॉक्टर शामिल थे। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 2017
(12.10.2017 तक) के दौरान तमिलनाडु में कुल 12324 डेंगू के मामलें दर्ज किए गए और डेंगू के कारण 18
लोगों की मृत्यु हुई।
यही नहीं 27 सितंबर 2017 की मीडिया रिपोर्टों
के अनुसार जम्मू संभाग में डेंगू के मरीजों की संख्या विगत एक महीने में 145 तक पहुँच चुकी है। पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में हजारों लोग डेंगू
की चपेट में हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
स्वास्थ्य विभाग डेंगू की रोकथाम और रोगियों के बेहतर उपचार करने में जुटा है। सरकारी
आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक डेंगू के 18238 मामले
सामने आये हैं जबकि 35 लोगों की मौत हुई है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के अनुसार महाराष्ट्र
में मच्छर जनित रोगों व स्वाइन फ्लू से अब तक 685, गुजरात
में 434 राजस्थान में 230, उत्तर
प्रदेश में 165, मध्य प्रदेश में 140
और केरल में 130 लोगों की मौत हुई है। मुख्य सचिव ने तर्क
दिया है कि राज्य में बुखार के सभी मामले डेंगू के नहीं हैं।
पंजाब
सरकार चला रही है डेंगू फ्री एप्प:
डेंगू बुखार व चिकनगुनिया बीमारियों से लोगों को
बचाने के लिए पंजाब के स्वास्थ्य विभाग ने 'डेंगू फ्री
पंजाब' एप्प तैयार किया है। इस एप में डेंगू व चिकनगुनिया
रोग के वाहक एडीज एजिप्ट मच्छर के पैदा होने से लेकर उससे बचाव से संबंधित हर तरह
की जानकारी है। विभाग का दावा है कि पंजाब पहला प्रदेश है, जहां
इस तरह का एप्प लांच किया गया है।
डेंगू
के बारे में समझें जरूरी बातें
जब डेंगू इतना डरावना होता जा रहा है तो आम आदमी
को इसके बारे में जानने की जरूरत है, ताकि इसके डर
को कम करने के साथ-साथ इस बीमारी का सही उपचार भी हो सके। आइये जानते हैं डेंगू के
लक्षण, उपचार व सावधानियाँ:
कैसे
होता है डेंगू
डेंगू एडीज इजिप्टी नस्ल की मादा मच्छर के
काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर
दिन में,
खासकर सुबह काटते हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़
पाता। इनका आकार सामान्य मच्छरों से बड़ा होता है और ये साफ जगह पर रहते हैं। डेंगू
बुखार से पीड़ित मरीज को जब कोई एडीज मच्छर काटता है तो वह उस मरीज के खून के साथ
डेंगू वायरस भी अपने शरीर में ले लेता है। जब यह डेंगू वायरस वाला मच्छर किसी और को
काटता है तो उससे वह वायरस उस मनुष्य के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू से पीड़ित हो जाता है।
क्या
हैं डेंगू के लक्षण व प्रकार?
मच्छर के काटने से करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण नजर आने लगते हैं। शरीर में
बीमारी पनपने की अवधि 3 से 10 दिनों की
भी हो सकती है।
डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है: क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक
बुखार (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)। इन तीनों में से दूसरी और तीसरी किस्म का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता
है।
साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और
इससे जान का कोई खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या
DSS डेंगू बुखार हो और उसका फौरन उपचार शुरू न किया जाए तो
जान भी जा सकती है।
साधारण
डेंगू बुखार के लक्षण:
ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार होना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को
दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है, बहुत ज्यादा कमजोरी लगना,
भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द होना, शरीर खासकर चेहरे,
गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रेशे होना आदि।
यह करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म
का डेंगू बुखार होता है।
डेंगू
हैमरेजिक बुखार (DHF) के लक्षण:
नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना, स्किन पर गहरे नीले-काले
रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना,
अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों
के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो वह डीएचएफ़ हो सकता है। खून के टेस्ट से इसका
पता लग सकता है।
डेंगू
शॉक सिंड्रोम (DSS) के लक्षण:
इस बुखार में DHF के
लक्षणों के साथ-साथ 'शॉक' की अवस्था के
भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद
उसकी चमड़ी ठंडी महसूस होती है। मरीज धीरे-धीरे बेहोश होने लगता है। मरीज की नब्ज कभी
तेज और कभी धीरे चलने लगती है। मरीज का ब्लड प्रेशर एकदम कम हो जाता है।
प्लेटलेट्स
की भूमिका
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से
दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह
डेंगू हो सकता है। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या
उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। डेंगू का वायरस
आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग
शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन
सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक
गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स
का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें।
प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।
उपचार:
अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका
इलाज घर पर किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले
सकते हैं। एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते
हैं। अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा
है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें। मरीज को आराम करने दें।
मरीज में DSS या DHF
का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसे जल्दी-से-जल्दी किसी फिजीशियन डॉक्टर
के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में
प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से
प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं
होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में
ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया
जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन
है।
किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में
पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो
और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी
डेंगू की दवा ही है।
सावधानियाँ:
अधिक ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं। खाने में हल्दी, अजवाइन,
अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल
करें। इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं। हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच
सके। पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं। मिर्च
मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
बचाव
हेतु करें मच्छरों का कंट्रोल
घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को
साफ करें। अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन
ऑयल डालें। रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक
बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें,
उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न
रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। अगर मुमकिन हो तो
खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें। मच्छरों
को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं
से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।
जानकारी
स्रोत: नवभारत टाइम्स व अन्य सूचनाएँ