Friday, September 9, 2011

सांग उत्सव के दूसरे दिन कृष्णा देवी फूल बहादुर नामक सांग का मंचन



चंडीगढ / पवन सोंटी
 हरियाणा सरकार के सूचना जन सपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित सांग उत्सव के दूसरे दिन कृष्णा देवी फूल बहादुर नामक सांग का मंचन किया गया। श्याम लाल सांगी द्वारा निर्देशित बनवारी लाल सांगी द्वारा लिखित इस सांग के माध्यम से संदेश दिया गया है कि घमण्डी व्यक्ति का सिर हमेशा नीचा होता है। कलाकारों के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा। हरियाणवी संस्कृति के प्रचार एवं प्रसार के लिए सैक्टर-18 के टैगोर थियेटर में आयोजित किये गये सांग उत्सव में दर्शकों की आज भारी भीड़ उमड़ी।
             सांग की कहानी में चितौड़ शहर के राजा जगत सिंह राजपूत का एक बुद्घिमान पुत्र फूल बहादुर होता है। दूसरी तरफ कश्मीर के राजा रत्तुधज की बेटी कृष्णा देवी है और कृष्णा देवी के पिता को अपनी बेटी के समझदार और सुन्दर होने का अहंकार है। एक दिन राजा रत्तुधज अपनी बेटी कृष्णा देवी के लिए योग्य वर ढंूढऩे के लिए घर से निकल पड़ता है, जब वह चलते-चलते चितौड़ शहर पहुंचता है तो उसकी मुलाकात फूल बहादुर नामक युवक से होती है। बातचीत के दौरान राजा रत्तुधज चितौड़ पहुंचने का कारण बताता है। फूल बहादुर व रत्तुधज के बीच लगी शर्त को फूल बहादुर जीत लेता है और राजा रत्तुधज को मुंह की खानी पड़ती है।
             आज के सांग में कलाकारों के सजीव अभिनय के साथ-साथ संगीत की लयबद्घता सोने पर सुहागे का काम कर रही थी। जगत सिंह राजपूत का किरदार निभा रहे राजेन्द्र धमाका के हास्य-पुट ने दर्शकों को खुब गुदगुदाया। इस सांग में फूल बहादुर का किरदार श्याम लाल सांगी, कृष्णा देवी का किरदार राजू, जगत सिंह राजपूत का किरदार राजेन्द्र धमाका, रत्तुधज का किरदार इन्द्र सिंह, बांदी का किरदार लाड्ड़ ने निभाया। इनके अलावा, हारमोनियम पर सत्ते व नफे सिंह, ढोलक पर मैन पाल, नगाड़ा पर मदन, कलारनेट पर राज सिंह और भठियारी पर विजय, रामेहर व नरेन ने साथ दिया।
             इस अवसर पर विााग के अतिरिक्त निदेशक श्री भाल सिंह बल्हारा ने कहा कि पिछले कई सालों से मुयमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मुयमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं वित्तायुक्त डॉ0 के के खण्डेलवाल, मुयमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा निदेशक जन सपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग श्री शिव रमन गौड़, हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण के लिए गभीर प्रयासरत है। सांग उत्सव का आयोजन भी इन्ही की सोच का एक हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणवी संस्कृति सामाजिक मूल्यों एवं संस्कारों से परिपूर्ण है।

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