Sunday, October 27, 2013

रत्नावली- 2013......ताजा समाचार....


रंग बिरंगी रोशनियों के बीच रत्नावली का रंगारंग आगाज

लाठर ने बना दिया रत्नावली को कुवि का हैरिटेज ट्रैडिशन: कुलपति

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर। (पवन सोंटी)
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हरियाणवी संस्कृति का महाकुम्भ रंग बिरंगी रोशनियों के बीच दीप प्रज्ज्वल के साथ शुरु हो गया। 
कार्यक्रम का शुभारम्भ कुवि $कुलपति डा. डी.डी.एस. संधू ने दीप जला कर किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में रत्नावली, हरियाणा दिवस राज्यस्तरीय समारोह के इस भव्य आयोजन के लिये कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को शुभकामनााऐं दी। संधू ने कहा कि अनूप लाठर ने रत्नावली को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का हैरिटेज ट्रैडिशन बना दिया है। उनके सफल निर्देशन में रत्नावली ने अपनी 29 साल की निर्विधन लम्बी यात्रा तय करते हुए बहुत से नए आयाम स्थापित किये हैं। आज रत्नावली उनके निर्देशन में इतना विस्तार पा चुका है कि इसके मंच से आज 30 विधाऐं मंचित हो रही हैं। कुलपति ने इस सबके लिये लाठर को बधाई देते हुए कहा कि वह आगे भी इसी प्रकार विश्वविद्यालय को सेवाऐं देते रहें यह उनकी कामना है।
 गौरतलब है कि अनूप लाठर अगले वर्ष कुवि से अपनी सेवाओं से सेवानिवृत होने जा रहे हैं। उनके नेतृत्व में रत्नावली का यह अंतिम आयोजन हो रहा है। इसे लेकर कुलपति ने कामना करते हुए कहा कि कोई ऐसा उपाय निकले कि अनूप लाठर आगे भी उनके साथ इस विश्वविद्यालय में रहें।
    इस अवसर पर कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ निर्णायकों का भी आभार जताया जिनकी बदौलत रत्नावली इतना भव्य आयोजन बन चुका है। उन्होंने याद किया कि किस प्रकार बुजुर्ग दूर दूर से रत्नावली में सांग देखने आते हैं। उन्होंने कहा कि रत्नावली एक सांस्कृतिक यज्ञ हैं जिसमें जीतने के लिये नहीं अपितु प्रतिभागि इस यज्ञ में अपनी आहुति डालने आते हैं। प्रतिभागियों के लिये यह आयोजन अपनी संस्कृति को देश के सामने रखने के लिये भाग लें। इसके साथ ही कुलपति ने इस आयोजन की भव्य कवरेज के लिये प्रिंट व इलैक्ट्रानिक मीडिया का आभार जताते हुए आह्वान किया कि इसे केवल क्षेत्रीय स्तर पर न समेटा जाए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रकाशन व प्रसारण हो। इसके साथ ही उन्होंने विभाग के निदेश अनूप लाठर को सुझाव दिया कि न्यू मीडिया टूल का अधिक से अधिक प्रयोग करते हुए रत्नावली को फेसबुक व यू-ट्यूब आदि पर भी प्रसार किया जाए जहां से वह देश के बाहर दुनिया तक फैले। कार्यक्रम के आरम्भ में अनूप लाठर ने युवाओं के प्रेरणास्रोत नवीन गुलिया सहित सभी आगंतुकों का स्वागत किया व आभार जताया। कुवि छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा. अनिल वशिष्ठ ने अपने धन्यवाद भाषण में सभी का आभार जताते हुए रत्नावली की वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए बताया कि जिस प्रकार इंद्रधनुष में पहले सात रंग माने जाते थे जो कि फिर 526 गिने गए और आज हजारों रंगों की खोज इसमें हो चुकी है। रत्नावली भी इसी प्रकार उनकी नजर में हजारों रत्नों का गुच्छा बन चुका है। उन्होंने कहा कि आज रत्नावली की छटा हरियाणा से बाहर देश और विदेशों तक पहुंच चुकी है। इस काम को मीडिया ने सुगम बनाया है। उद्घाटन समारोह के अंत में अनूप लाठर ने अपनी पत्नी प्रो. अनू सिंह लाठर का भी आभार जताया जिनके सहयोग व त्याग की बदौलत वह अपनी सांस्कृतिक यात्रा को जारी रख सके और आज रत्नावली का 29 वां आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर कुवि कुल सचिव केसी रल्हन, डीएस डब्लयू अनिल वशिष्ठ, सी आर ड्रोलिया, लोक सम्पर्क विभाग के निदेश डा. ब्रिजेश साहनी, प्रो. अनु सिंह लाठर, प्रो. चतर सिंह आदि अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।  इस अवसर पर कुलसचिव ने कुलपति को समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

हरविंद्र राणा ने जंघम जोगी व डीजे कैंडी ने किया फोकट्रोनिका का प्रस्तुतिकरण

 

रत्नावली के रंगारंग आयोजन को हरियाणवी कलाकार हरविंद्र राणा ने जंघम जोगियों के साथ और भी रंगीन बना दिया। उन्होंने पहले गुरु महिमा के साथ सरस्वती वंदना की व बाद में शिव विवाह की 
हजारों वर्ष पुरानी गाथा को गायन जंघम जोगियों की शैली में प्रस्तुत किया। उनके पश्चात रेडियो मिर्ची से आए डी.जे. कैंडी ने हरियाणवी लोक गीतों को धूम धड़ाके के साथ मिक्स कर के फोकट्रोनिका का प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया व आडिटोरियम हाल में खचा खच भरे दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

 

आडिटोरियम में जमा हरियाणवी पॉप सांग रंग

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर।
रत्नावली समारोह के पहले दिन आडिटोरियम में हरियाणवी पॉप सांग का आयोजन किया गया। हरियाणवी लोक गीतों को पाश्चात्य संगीत व पाश्चात्य वेशभूषा के साथ रंग बिरंगी रोशनियों के बीच दर्शकों को बांधने में सफल रहा।  
सबसे पहले मंच पर आई डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर की टीम ने जब दुल्हा दुल्हन की वेषभूषा के साथ जब छोटी सी बनड़ी फेर्यां मैं जकड़ी, थम ज्याए क्यूं ना जी सोने की तगड़ी........के साथ धमाल मचाते मंच पर आए तो हजारों दर्शकों से भरा आडिटोरियम तालियों की गूंज से गर्ज उठा। इसके साथ ही यूटीडी कुवि की टीम ने  मोबाई आल़ी छोरी गजब कर गी..., सीआर किसान कालेज जींद की टीम ने अपनी प्रस्तुति कुछ यूं दी...इस डालां नजर मिलाई रे, वा छोरी नजर मिलगी.....। दोहपर बाद तक प्रस्तुतियों  का रंग यूं ही जमा रहा। उधर ओपन एयर थियेटर में हरियाणवी स्किट के माध्यम से ज्वलंत समस्याओं पर जम कर कटाक्ष किये गए। इसके साथ ही हरियाणी चुटकुलों ने भी दर्शकों को खूब गुदगुदाया। स्किट में 20 टीमों ने अपने नाम दर्ज करवाए। देर सांय तक प्रस्तुतियां चलती रही। सबसे पहले पानीपत के एसडी कालेज की टीम ने अपनी प्रस्तुति इसा देख्या सुपना दी। उसके पश्चात गुरुनानक खालसा कालेज यमुनानगर की टीम ने माणस कड़ै गए नाम से अपनी स्किट पेश की। जेबीएम कालेज जुलाना की टीम ने देशी फिल्म इंडस्ट्री के नाम से अपनी प्रस्तुति दी। आरके एसडी  कालेज कैथल की टीम ने पर्दाफाश  के माध्यम से आज के नकली संतों पर कटाक्ष किया।

 संवाद देखिये.....
भक्त: बाबा बालक कोनी होंदा...
चेला: बस तेरा काम होग्या, कुटिया मैं ध्यान करण आ जाईये।

इनके अतिरिक्त यूनिवॢसटी कालेज कुरुक्षेत्र आदि सहित सभी टीमों ने रोचक प्रस्तुतियां दी। सभी स्कीटों में प्रतिभागियों ने समाज हित में संदेश भी दिये।

सीनेट हाल में हुआ भ्रष्टाचार आदि ज्वलंत समस्याओं पर चिंतन

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर।
सीनेट हाल में आयोजित हरियाणवी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
 इसमें दो दर्जन के करीब प्रतिभागियों ने भागीदारी की। यूटीडी, कैथल, भिवानी व रोहतक आदि क्षेत्रों से पहुंचे युवा प्रतिभागियों ने अपने विचारों से सबको उद्वेलित कर दिया। प्रतिभागियों ने कन्या भू्रण हत्या पर व्यंग्य के माध्यम से लोक गीत को कुछ यूं उल्टा कि बाबू देश जांदे प्रदेश जाईयों, मेरी खतर छोरी....., इसके साथ ही समाज के परिवर्तन की जिम्मेवारी भी युवाओं के कंधों पर डालने
 का प्रयास व्याख्यानों के माध्यम से किया गया। यह़ी नहीं भ्रष्टाचार को आम व नींबू की तरह आचार की संज्ञा देते हुए ऐसा लत डालने वाला आचार बताया कि इसकी आदत बनने के बाद छोडऩा मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। इसके साथ ही भ्रष्टाचारी व बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया गया। कोनी मिला मुकाम अब तक होगी क्रांति फिर आदि से युवाओं की उबलती भावनाओं को दिखानेे के साथ शराब के बदले वोट की राजनीति को बदलने का भी आह्वान किया।
 

आरके सदन में बही भजनों की गंगा

रत्नावली के दौरान आर के सदन में आयोजित हरियाणवी भजन में श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया।
 इस प्रतियोगिता में कुल 12 टीमों ने भाग लिया। भजनों की बानगी कुछ यूं रही ... कर्म किया फल पड़ै भोगना नहीं कोई तकदीर बणै.....कर्म तै राजा सेठ बादशा... कर्म तै नग्र फकीर बणै....., आगे देखिये ....रै बंदे सोच समझ कै चाल... गलती मैं जो बणी सो बणी.., एक भजन और यूं रहा... धर्म छोड़ कै  बंदे तनै पछताणा होगा रै....सांई के दरबार मैं तनै एक दिन आणा होगा रै...। युवा भजनियों ने कुछ यूं भक्ति धारा बहाई कि ......लोभी मन काहे बिचारै रे....। भजन समारोह के भजनों ने श्रोताओं को भक्ति रस की पावन डोर से बांधे रखा।

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