Friday, June 25, 2021

ऐलनाबाद उप चुनाव और ओमप्रकाश चौटाला: क्या फिर से दोहराया जा सकता है 51 वर्ष पुराना इतिहास

 चंडीगढ़, 25 जून/ एग्रोमीडिया

हरियाणा की हॉट सीट ऐलनाबाद में फिर से उपचुनाव हैं और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी जेल से बाहर आ रहे हैं। ऐसे में ये भी एक प्रश्न है कि क्या 51 साल बाद फिर इतिहास को दोहराया जा सकता है? ध्यान रहे कि कुल पांच बार मुख्यमंत्री रहे और इनेलो पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में दिल्ली की एक सीबीआई कोर्ट द्वारा दी गई 10 वर्ष कारवास की सजा (उसमें से विभिन्न छूटों सहित 9 वर्ष 6 महीने की सजा) पूर्ण होने के बाद अगले सप्ताह तक कानूनी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद रिहा हो रहे हैं।


क्यों खाली है ऐलनाबाद

आगामी कुछ माह में सिरसा ज़िले की ऐलनाबाद सीट का उपचुनाव भी होना है, जहाँ से अक्टूबर, 2019 विधानसभा आम चुनावों में उनके छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला विधायक निर्वाचित हुए थे परन्तु इसी वर्ष 27 जनवरी को केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने उस सीट से त्यागपत्र दे दिया था। हालांकि इस सीट का उपचुनाव सीट रिक्त होने के छः माह के भीतर अर्थात आगामी 27 जुलाई से पहले हो जाना चाहिए, परन्तु गत माह भारतीय चुनाव आयोग द्वारा निर्णय लिया गया है कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हालात सामान्य होने के बाद ही उपचुनाव करवाया जाएगा।

चुनाव आयोग के पाले में होगी गेंद

बहरहाल, क्या अब बड़े चौटाला ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ सकते है? इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि यह इस पर निर्भर करेगा कि क्या भारतीय चुनाव आयोग उनकी चुनाव लड़ने सम्बन्धी अयोग्यता अवधि को आरपी एक्ट (कानून), 1951 की धारा 11 में हटाता है अथवा नहीं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), 1988 में दोषी साबित होने कारण कानूनन चौटाला रिहाई से 6 वर्षो तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते।

51 वर्ष पूर्व भी चौटाला ने जीता था ऐलनाबाद उपचुनाव

आज से 51 वर्ष पूर्व मई, 1970 में ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला उपचुनाव ऐलनाबाद से ही जीता था जब उस सीट से 1968 विधानसभा आम चुनावो में निर्वाचित राव बीरेंदर सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी (वीएचपी ) के विधायक लाल चंद का चुनाव रद्द कर दिया गया था और उपचुनाव करवाना पड़ा था। उस समय बंसी लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जबकि भजन लाल उनके मंत्रिमंडल में थे।

ये है चौटाला की चुनावी यात्रा

हेमंत ने बताया कि जब जून, 1987 में देवी लाल प्रदेश के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अगस्त, 1987 में अपने चौटाला को राज्य सभा सांसद बनवाया था। दरअसल, कांग्रेस के एम.पी.कौशिक जो अप्रैल, 1984 में राज्य सभा सांसद बने थे की मई, 1987 में मृत्यु के बाद रिक्त हुई सीट से पहले कुछ समय के लिए जनता दल के कृष्ण कुमार दीपक और फिर उनके त्यागपत्र के बाद चौटाला को शेष बची अवधि अर्थात अप्रैल, 1990 तक राज्य सभा सांसद बनाया गया। हालांकि राज्य सभा सांसद रहते हुए चौटाला प्रदेश के पहली बार 2 दिसंबर, 1989 को पहली बार मुख्यमंत्री बने। चूँकि चुनावी हिंसा के कारण दो बार महम विधानसभा उपचुनाव रद्द करना पड़ा था, इसलिए चौटाला ने मई, 1990 में सिरसा के दड़बा कलां से उपचुनाव जीता। फिर वर्ष 1993 में नरवाना उपचुनाव जीता. उसके बाद 1996 , 2000 , 2005 और 2009 विधानसभा आम चुनावों में नरवाना, रोड़ी, उचाना कलां और ऐलनाबाद सीटों से चुनाव जीता।

.......अब ओम प्रकाश चौटाला लड़ सकते हैं चुनाव! रिहाई से 6 वर्षो तक चुनाव लड़ने पर है प्रतिबन्ध परन्तु आयोग दे सकता है राहत: एडवोकेट हेमंत

 चंडीगढ़ (24 जून, 2021) एचपी न्यूज 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला लंबे समय के बाद जेल से मुक्त होकर बाहर आ रहे हैं। ऐसे में ये सवाल सबके मन में है कि क्या वे आगामी विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं?

जी हाँ! अगर चुनाव आयोग चाहे तो वे चुनाव लड़ सकते हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार वैसे तो लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (1 ) के अनुसार  अपनी रिहाई  से   छः वर्ष की अवधि तक  अर्थात जून, 2026  तक ओम प्रकाश चौटाला  कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकतें है, लेकिन अब रिहाई के बाद चौटाला के पास भारतीय  चुनाव आयोग  के पास उक्त कानून की धारा 11 में एक  याचिका दायर  अपनी छः वर्ष की  अयोग्यता अवधि को  कम करने या पूर्णतया हटाने  की प्रार्थना करने का  विकल्प है जिसे करने के लिए तीन सदस्यी चुनाव आयोग कानूनन सक्षम है।

इनको भी मिली है राहत  
हेमंत कुमार के अनुसार सितम्बर, 2019  में  भारतीय चुनाव आयोग ने सिक्किम के वर्तमान  मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग की  भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत  दोषी पाए  जाने के कारण  उन पर लगी  छ: वर्ष के लिए चुनाव लड़ने की अयोग्यता सम्बन्धी  अवधि को घटाकर 1 वर्ष 1 माह कर दिया है। आयोग ने यह निर्णय तमांग द्वारा  जुलाई, 2019  में दायर एक  याचिका पर दिया था। हेमंत के अनुसार इससे पहले हालांकि  तमांग अगस्त, 2024  तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते थे परन्तु  10  सितम्बर, 2019 के बाद वह चुनाव लड़ने के लिए कानूनी  सक्षम हो गए। इसी कारण वह  सिक्किम विधानसभा का  उपचुनाव  चुनाव लड़ सख्त थे  क्योंकि मई, 2019 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने समय वह विधायक नहीं थे।

ये थी सजा

गौरलतब है कि चौटाला को जनवरी, 2013 में दिल्ली की रोहिणी सीबीआई  कोर्ट  द्वारा प्रदेश के  जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), 1988 की धारा 13 (2 ) एवं आई.पी.सी. की धाराओं 120  बी, 418 , 467  एवं 471  में  दोषी पाए जाने पर दस वर्ष की कठोर सजा दी गयी थी जिसके बाद से वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। हालांकि  समय समय पर परोल, फर्लो, बीमारी  आदि कारणों से  वह कुछ  समय के लिए  जेल से बाहर आते रहे एवं गत कुछ माह से  वह  कोविड-19 के फलस्वरूप उत्पन्न परिस्थितयों से  परोल पर  बाहर हैं, उन्हें उनकी वृद्ध आयु और दिव्यांगता के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र  दिल्ली ( एनसीटी)  सरकार  अर्थात दिल्ली के उप-राज्यपाल की मंजूरी से उन्हें उनकी  छः महीने की लंबित सजा से  छूट दे दी गयी है, जिस कारण उनकी शेष बची जेल में रहने की  सजा समाप्त हो जायेगी क्योंकि जेल नियमों  में मिली रेमिशन्स (छूटों) आदि को मिलाकर  उनके नौ वर्ष छः महीने की सजा पहले ही पूरी हो चुकी है।

क्या इनको भी मिलेगी जेल से रिहाई  

अब यह देखने लायक होगा  कि क्या उनके बड़े पुत्र और जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला, जो हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता भी  है एवं शेर सिंह बढ़शामी जिन्हे  उपरोक्त  केस में ही दोषी पाए जाने पर 10-10 वर्षो की सजा मिली  थी, क्या उन्हें भी जेल से जल्द रिहाई मिल सकेगी?