चंडीगढ़, 25 जून/ एग्रोमीडिया
हरियाणा की हॉट सीट ‘ऐलनाबाद’ में फिर से उपचुनाव हैं और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी जेल से बाहर आ रहे हैं। ऐसे में ये भी एक प्रश्न है कि क्या 51 साल बाद फिर इतिहास को दोहराया जा सकता है? ध्यान रहे कि कुल पांच बार मुख्यमंत्री रहे और इनेलो पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में दिल्ली की एक सीबीआई कोर्ट द्वारा दी गई 10 वर्ष कारवास की सजा (उसमें से विभिन्न छूटों सहित 9 वर्ष 6 महीने की सजा) पूर्ण होने के बाद अगले सप्ताह तक कानूनी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद रिहा हो रहे हैं।
क्यों खाली है ऐलनाबाद
आगामी कुछ माह में सिरसा ज़िले की ऐलनाबाद सीट का उपचुनाव भी होना है, जहाँ से अक्टूबर, 2019 विधानसभा आम चुनावों में उनके छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला विधायक
निर्वाचित हुए थे परन्तु इसी वर्ष 27 जनवरी को केंद्र के तीन
कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने उस सीट से त्यागपत्र दे दिया था। हालांकि इस
सीट का उपचुनाव सीट रिक्त होने के छः माह के भीतर अर्थात आगामी 27 जुलाई से पहले हो जाना चाहिए, परन्तु गत माह भारतीय
चुनाव आयोग द्वारा निर्णय लिया गया है कि कोविड-19 महामारी से
उत्पन्न हालात सामान्य होने के बाद ही उपचुनाव करवाया जाएगा।
चुनाव आयोग के पाले में होगी गेंद
बहरहाल, क्या अब बड़े चौटाला
ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ सकते है? इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई
कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि यह इस पर निर्भर करेगा कि क्या भारतीय
चुनाव आयोग उनकी चुनाव लड़ने सम्बन्धी अयोग्यता अवधि को आरपी एक्ट (कानून),
1951 की धारा 11 में हटाता है अथवा नहीं। भ्रष्टाचार
निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), 1988 में दोषी साबित होने कारण
कानूनन चौटाला रिहाई से 6 वर्षो तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते।
51 वर्ष पूर्व भी चौटाला ने जीता था ऐलनाबाद
उपचुनाव
आज से 51 वर्ष पूर्व मई,
1970 में ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला उपचुनाव
ऐलनाबाद से ही जीता था जब उस सीट से 1968 विधानसभा आम चुनावो
में निर्वाचित राव बीरेंदर सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी (वीएचपी ) के विधायक लाल
चंद का चुनाव रद्द कर दिया गया था और उपचुनाव करवाना पड़ा था। उस समय बंसी लाल
प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जबकि भजन लाल उनके मंत्रिमंडल में थे।
ये है चौटाला की चुनावी यात्रा
हेमंत ने बताया कि जब जून, 1987 में देवी लाल प्रदेश के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, तो
उन्होंने अगस्त, 1987 में अपने चौटाला को राज्य सभा सांसद
बनवाया था। दरअसल, कांग्रेस के एम.पी.कौशिक जो अप्रैल,
1984 में राज्य सभा सांसद बने थे की मई, 1987 में
मृत्यु के बाद रिक्त हुई सीट से पहले कुछ समय के लिए जनता दल के कृष्ण कुमार दीपक
और फिर उनके त्यागपत्र के बाद चौटाला को शेष बची अवधि अर्थात अप्रैल, 1990 तक राज्य सभा सांसद बनाया गया। हालांकि राज्य सभा सांसद रहते हुए चौटाला
प्रदेश के पहली बार 2 दिसंबर, 1989 को पहली
बार मुख्यमंत्री बने। चूँकि चुनावी हिंसा के कारण दो बार महम विधानसभा उपचुनाव
रद्द करना पड़ा था, इसलिए चौटाला ने मई, 1990 में सिरसा के दड़बा कलां से उपचुनाव जीता। फिर वर्ष 1993 में नरवाना उपचुनाव जीता. उसके बाद 1996 , 2000 , 2005 और 2009 विधानसभा आम चुनावों में नरवाना, रोड़ी, उचाना कलां और ऐलनाबाद सीटों से चुनाव जीता।
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