जस्टिस कर्णन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सहित सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों के खिलाफ जारी किया गैर-जमानती वारंट
आखिर उस देश का क्या होगा, जहां के जज ही आपस में झगड़ने लगे हो! भारत में सर्वोच न्यायालय व कलकत्ता उच्च न्यायालय के जजों के कानूनी झगड़े ने तो न्यायपालिका को ही मज़ाक बना कर रख दिया है।इस मामले में कोर्ट की कार्यवाही में अवमानना का सामना कर रहे कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सी एस कर्णन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस जे एस खेहर सहित सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है।
हाई कोर्ट में जाने से प्रतिबंधित चल रहे कर्णन ने कोलकाता के अपने घर से ही सुओ-मोटो न्यायिक आदेश जारी कर दिया। आदेश देते समय जस्टिस कर्णन ने कहा कि, 'यह आम जनता को भ्रष्टाचार और अस्थिरता से बचाने के लिए देश के हित में है।' उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को जस्टिस खेहर सहित 7 जजों के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी करने का निर्देश दिया। उन्होंने दिल्ली के डीजीपी या पुलिस कमिश्नर को इस आदेश का पालन करने का आदेश दिया।
उन्होंने CJI खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष, जस्टिस कुरियन जोसेफ के खिलाफ यह गैर जमानती वॉरंट जारी किया। कर्णन ने इन सभी जजों को उनके समक्ष पेश होने को कहा था। मंगलवार को दिए आदेश में उन्होंने कहा कि ये सभी 'आरोपी' जज 'अनुपस्थित' रहे।
जस्टिस कर्णन का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों के द्वारा उनका मेडिकल परीक्षण कराए जाने के एक दिन बाद आया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया था कि जस्टिस कर्णन की दिमागी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। हालांकि इसके बाद कर्णन ने भी सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों को AIIMS के मानसिक रोग से जुड़े बोर्ड के सामने पेश करने का आदेश दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कर्णन पर अवमानना मामले में सुनवाई चल रही थी। जस्टिस कर्णन ने 20 जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया था।
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