Saturday, June 23, 2012

बोरवेल में माही की जिंदगी के आड़े आई चट्टान

गुड़गांव: बोरवेल में माही की जिंदगी के आड़े आई चट्टान

23 जून 2012 



गुड़गांव।
तीन दिन से बोरवेल में फंसी 4 साल की मासूम बच्ची माही को बचाने की कोशिश अब भी जारी है। माही बुधवार रात 11 बजे खेलते-खेलते बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में गिर गई थी। तब से वह उसी गड्ढे में फंसी हुई है। शुक्रवार रात से ही बोरवेल के बगल में दूसरा गड्ढ़ा खोदकर माही तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सुरंग के रास्ते में पत्थर आने की वजह से माही तक पहुंचने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं।

ताजा जानकारी के मुताबिक बोरवेल के बगल में 80 फीट से ज्यादा गहरा गड्ढा खोदा जा चुका है। लेकिन पत्थर बीच में होने की वजह से अभी भी वहां तक खुदाई नहीं हो पाई है। जहां माही फंसी हुई है। जाहिर है 56 घंटे से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी माही को बचाने की मुहिम अंजाम तक नहीं पहुंच पा रही है, ऐसे में सब माही की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं।

गुड़गांवः बोरबेल में गिरी माही, बचाने का काम जारी


बचाव जल से जुडे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बड़ी बोर मशीन द्वारा 80 फीट तक खुदाई की जी चुकी है। दोनों गड्ढ़ों के बीच की दूरी आठ फिट है, लेकिन उसे खोदने के काम में एक पत्थर बड़ी बाधा बन गया है।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी नीरज उपाध्याय की पांच साल की बेटी माही बुधवार को उस समय बोरवेल में गिर गई, जब उसका जन्मदिन मनाया जा रहा था। नीरज मानेसर में एक कारखाने में सुरक्षा पर्यवेक्षक हैं और कसान गांव मे अपनी पत्नी और दो बच्चों को साथ रहते हैं।

आर्मी की 3 इंजिनियर रेजीमेंट और एनएसजी इस बचाव कार्य मे जुटी है। एक अधिकारी के अनुसार बच्ची और बचाव कार्यों तक एक पाइप के द्वारा ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है।

इस बीच पुलिस ने प्लॉट के मालिक नजफगढ़ निवासी रोहतेश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन लगातार प्रयासों के बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।




देश के ‘खासमखास’ उड़ा रहे हैं गैस सब्सिडी पर मौज!


नई दिल्ली।
जिस रसोई गैस सिलेंडर को देने के लिए आम आदमी को कई दिनों इंतजार कराया जाता है। वही, सिलेंडर मंत्रियों, सांसदों और अफसरों को देते हुए तमाम नियम-कायदे ताक पर रख दिए जाते हैं। आम आदमी के लिए भले ही सरकार साल में मात्र 18 सिलेंडर ही रियायती दर पर देने की योजना रखती हो, लेकिन नेताओं की रसोई में जमकर सब्सिडी के सिलेंडरों की खपत हो रही है। यह खुलासा पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी की ओर से शुक्रवार को शुरू किए गए ट्रांसपरेंसी पोर्टल से हुआ है।

रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने की बात सरकार आए दिन करती है। इसके पीछे सरकार की दलील है कि 344 रुपए की सब्सिडी वाले सिलेंडर बेचने से सरकारी तेल कंपनियों आईओसी, एचपीसील, और बीपीसीएल को 43 हजार करोड़ का नुकसान होगा।

ऐसे में सरकार हर परिवार के लिए सालाना 6 एलपीजी सिलेंडर की सीमा लगाने पर विचार कर रही है। लेकिन एक सच यह भी है कि सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की सबसे ज्यादा खपत गरीब तबका नहीं, बल्कि देश के वीवीआईपी मंत्री, नेता और उद्योगपति करते हैं। इस बात का खुलासा एक ट्रांसपेरेंसी पोर्टल के जरिए हुआ है जिसका मकसद सिलेंडर सप्लाई को पारदर्शी बनाना है।

रसोई गैस की कालाबाजारी पर सरकार की पैनी नजर


इस पोर्टल का उद्धाटन शुक्रवार को पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने किया। इसी पोर्टल पर मौजूद एक गैस डिस्ट्रीब्यूटर के आंकड़ों ने हमारे माननीय मंत्रियों के घर सिलेंडर की खपत का सच सामने ला दिया है।

पोर्टल के मुताबिक यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के निवास पर पिछले एक साल में 91 सिलेंडर भेजे गए, इस लिहाज से उन्होंने 31 हजार 318 रुपये का सब्सिडी लाभ लिया है। पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के यहां 79 सिलेंडर पहुंचे, जिन पर सब्सिडी के रूप में सरकार को 27189 रुपए का नुकसान हुआ।

वहीं, विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर के घर 77 सिलेंडर इस्तेमाल किए गए, जिसके चलते उन्हें 26 हजार 501 रुपए की सब्सिडी का लाभ मिला। यही नहीं, जेल में रहने के बावजूद पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के यहां 89 सिलेंडर मुहैया कराए गए जबकि पूर्व चीफ जस्टिस के. जी. बालकृष्णन के घर 60 सिलेंडर पहुंचाए गए।

फिलहाल नहीं बढ़ेंगे डीजल, रसोई गैस के दाम



कैबिनेट मंत्रियों की बात करें तो उनके यहां भी हर महीने तीन से ज्यादा सब्सिडी वाले सिलेंडर भेजे गए। भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल के यहां 41 सिलेंडर पहुंचे, जबकि उनकी पार्टी के मुखिया और कृषिमंत्री शरद पवार ने सब्सिडी वाले 31 सिलेंडर इस्तेमाल किए, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने 34 सिलेंडर इस्तेमाल किए। वहीं, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के नाम 35 सिलेंडर चढ़े हैं, उनकी पार्टी के दिग्गज नेता वेंकैया नायडू को 33 सिलेंडर मिले।

मंत्री और नेताओं की तरह, कॉरपोरेट की हस्तियां भी सब्सिडी वाले सिलेंडर के इस्तेमाल में पीछे नहीं हैं। रेनबैक्सी के संस्थापक स्वर्गीय भाई मोहन सिंह के नाम पिछले साल 52 सिलेंडर भेजे गए जबकि बेनेट कोलमैन प्रमोटर समीर जैन को 39 सिलेंडर मुहैया कराए गए।

वहीं, भारती ग्रुप के चेयरमैन सुनील मित्तल और उनके बेटे कवीन दोनों को 27 सिलेंडर मिले। सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की खपत की सच्चाई सामने आने के फौरन बाद ही तेल मंत्रालय ने बयान जारी सफाई दी।

ट्रांसपेरेंसी पोर्टल पर मौजूद एलपीजी सिलेंडर की खपत के आंकड़ों के आधार पर सब्सिडी के बेजा इस्तेमाल की बात कर रही प्रेस रिपोर्ट्स गलत हैं। वर्तमान में लागू नियम-कायदों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति चाहे जितने सिलेंडर इस्तेमाल कर सकता है, इसको लेकर कोई सीमा नहीं है।

पारदर्शी गैस सिलेंडर फटेगा नहीं,पिघल जाएगा


तेल मंत्रालय भले ये सफाई दे रहा हो कि सब्सिडी को लेकर नियम कायदों की अनदेखी नहीं हो रही, लेकिन नियमों के मुताबिक, दिल्ली में 21 दिन बाद ही दूसरा गैस सिलेंडर बुक हो सकता है। यानी एक साल में कुल 18 सिलेंडर मिलते हैं।

खास बात ये भी है कि अब ज्यादातर मंत्रियों के घर में पाइपलाइन गैस कनेक्शन की सुविधा है। इसके बावजूद उनके यहां खपत होने वाले घरेलू गैस सिलेंडरों की संख्या तय सीमा से कहीं ज्यादा है। यही नहीं, कई वीवीआईपी को दो गैस कनेक्शन की सुविधा भी मिली है। जबकि एक उपभोक्ता को केवल एक कनेक्शन देने का प्रावधान हर एक गैस एजेंसी कर रही है।

दिल्ली: रसोई गैस पर सब्सिडी जारी रहेगी

उपभोक्ता के पास एक से ज्यादा कनेक्शन होने पर दूसरे कनेक्शन सरेंडर करने का निर्देश भी दिया जा रहा है। लेकिन आंकड़ों को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि ये नियम कायदे सिर्फ महंगाई के बोझ तले दबी आम जनता के लिए हैं, ना कि वीवीआईपी के लिए।

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