Thursday, November 1, 2012

रत्नवाली का रंगारंग समापन,पीड़ पर्वत हो गई है अब पिंघलनी चहिये: कुलदीप शर्मा


पीड़ पर्वत हो गई है अब पिंघलनी चहिये: कुलदीप शर्मा
रत्नावली के समापन अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने युवाओं में भरी उर्जा
कुरुक्षेत्र/शशि रावत
            कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 4 दिन से चल रहे रंगारंग सांस्कृतिक माहोत्सव रत्नावली का समापन हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने अपने शायराना अंदाज में इस शेर के साथ किया कि पीड़ पर्वत हो गई है अब पिंघलनी चाहिये।
 उन्होंने मुख्यअतिथि के रूप में अपने भाषण के दौरान युवाओं से आह्वान किया कि आगे बढ़ें, देश को सुदृढ़ बनाऐं व देश की सरंचना में अपना सहयोग दें। उन्होंने रत्नावली जैसे अनोखे आयोजन के लिये कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधु व कुवि के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को बधाई देते हुए कुवि स्टाफ व सभी प्रतिभागियों को भी बधाई दी।
            कुलदीप शर्मा ने कहा कि कुरुक्षेत्र भारत की संस्कृति का केंद्र रहा है और यह हरियाणा की संस्कृति का भी केंद्र है। यहां स्थित कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने अपनी मेहनत व उपलब्धियों के दम पर सभी विश्वविद्यालयों में विशेष पहचान बनाई है। उन्होंने कुवि में अपने शिक्षार्जन के दौरान नरहरी भवन के आवास की यादों को भी ताजा किया। उन्होंने बताया कि वह अनूप लाठर को उस वक्त से जानते हैं जब वह राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र थे और अनूप लाठर कुवि के युवा कलाकारों को लेकर वहां गए थे। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने भारत की गौरवमयी संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा कि वह दुनिया में घूमे हैं लेकिन इतनी समृद्ध संस्कृति कहीं नहीं देखी। उन्होंने कहा कि जिस भारत को कभी सपेरों व गरीब लोगों के देश के बारे में जाना जाता था, आज वह भारत तरक्की के शिखर पर है। भारत दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र है जहां कि 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों की है। उन्होंने युवाओं में उत्साह का संचार करते हुए उनकी तुलना उस बीज से की जिसमें छोटा होने के बावजूद अपार संभावनाऐं होती हैं। कुलदीप शर्मा ने रत्नावली को देश भर में कुवि का अनूठा प्रयास बताते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व अनूप लाठर ने जिस प्रकार प्रदेश के युवाओं को उनकी संस्कृति से जोड़ा है इसके लिये वह बधाई के पात्र हैं।
            उनसे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया व समारोह में भाग लेने वाले प्रतिभागियों और उपस्थित सभी लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि 27 साल से यह रत्नावली समारोह हर वर्ष अनूठे प्रयासों से अपनी विशेष पहचान बनाता आ रहा है और आज धरोहर बन चुका है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इसमें ज्यादा विधाऐं जुड़ती जा रही हैं उसी प्रकार इसके प्रसार में भी नए आयाम स्थापित होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 27 साल से जिस प्रकार बिना किसी शिकायत व अनुशासन हीनता के यह समारोह चला आ रहा है यही इसकी सफलात का राज है। कुलपति ने कहा कि आज पश्चिमी सभ्यता का भी कुछ असर हमारी संस्कृति पर पड़ रहा है। हमें ध्यान रखना चहिये कि रत्नावली में अपनी संस्कृति को पूरी तरह से प्रदुषण मुक्त रखा जाऐ। रत्नावली मात्र प्रतियोगिता तक ही सीमित न रहे बल्कि यह एक शैक्षिणक प्लेट फार्म भी बनना चाहिये ताििक 5000 वर्ष पुरानी हरियाणा की गौरवमय संस्कृति को दुनिया जान सके। इसके साथ ही उन्होंने युवा एवं सांस्कृतिक विभाग व इसके निदेशक अनूप लाठर व आयोजन से जुड़े सब लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार यह विभाग रत्नावली को नेट व यूट्यूब के माध्यम से दुनिया के सामने ला रहा है वह बहुत ही सराहनीय कदम है। उनसे पूर्व छात्र कल्याण अधिष्ठाता अनिल वशिष्ठ ने प्रतिभागियों, स्टाफ व आयोजन से जुड़े सभी लोगों को अभूतपूर्व अनुशासन के लिये बधाई दी।
            इस अवसर पर कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक एवं रत्नावली के सूत्रधार अनूप लाठर ने 4 दिवसीय इस समारोह की 27 वर्ष की यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा की कोई विधा ऐसी नहीं है जो रत्नवाली में शामिल न हो। आज रत्नावली में 25 अलग अलग विधाऐं हैं जिनसे हरियाणा का युवा पूरी तरह जुड़ चुका है। उन्होंने विशेष रूप से इलैक्ट्रोनिक व प्रिंट मीडिया का आभार जताया। लाठर ने कहा कि अखबारों ने रत्नावली की इतनी विहंगम कवरेज छाप कर हरियाणा की संस्कृति के उत्थान में बहुत ही सराहनीय भूमिका निभाई है, इसके लिये स्थानीय पत्रकारों और समाचार पत्रों के वे आभारी हैं। उन्होंने टीवी चैनलों व उनके पत्रकारों का भी आभार जताया जिन्होंने इतना समय देकर रत्नावली को देश के कोने कोने में बैठे हरियाणवी प्रेमियों तक पहुंचाया व केबल संचालकों तथा स्टाफ को भी बधाई दी जिनके प्रयासों से कुवि परिसर में चल रहे इस रंगारंग महोत्सव का सीधा प्रसारण जनता को घर बैठे उपलब्ध हुआ।  कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्यअतिथि के सामने चुनींदा कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी गई। 

रत्नवाली का रंगारंग समापन
यूटीडी ने फिर जमाया ओवर आल ट्राफी पर कब्जा
कुरुक्षेत्र/पूनम यादव
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पिछले चार दिनों से चल रहा सांस्कृतिक महाकुम्भ मंगलवार को सम्पन्न हो गया। इन चार दिनों में विभिन्न मंचों से आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्र्वाधिक अच्छे प्रदर्शन के कारण ओवर आल ट्राफी सेे यूटीडी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को नवाजा गया। गौरतलब है कि गत वर्ष भी यह खिताब यूटीडी को ही मिला था। समापन समारोह के अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने सभी प्रतियोगिताओं के प्रथम विजेताओं को अपने हाथों से पुरस्कार प्रदान किये। हरियाणवी भजन में पहले स्थान पर यूटीडी कुरुक्षेत्र रहा, हरियाणवी गज़ल में यूसीके कुरुक्षेत्र, डेक्लामेशन में एनएम गर्वनमैंट पीजी कालेज हांसी, हरियाणवी कविता में जेबीएम कालेज आफ ऐजूकेशन जुलाना, महिला एकल नृत्य में यूटीडी कुरुक्षेत्र, पुरुष एकल नृत्य में अग्रवाल कालेज बल्लभगढ़, मोने एक्टिंग में आरकेएसडी कालेज कैथल, हरियाणवी लोकगीत में सीआर किसान कालेज जींद, रागनी में डीएवी कालेज यमुनानगर, टिट बिटस में केएम गर्वनमैंट कालेज नरवाना, हरियाणवी फोक इंस्ट्रूमैंटल सोलो में गुरुनानक खालसा कालेज यमुनानगर, महिला वर्ग की लोक परिधान प्रतियोगिता में करनाल का पं. चिरंजी लाल शर्मा कालेज व इसी प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग में यूटीडी कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहे।
            आन दा स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता में यूटीडी कुरुक्षेत्र व पेंटिंग प्रदर्शनी में भी यूटीडी कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहे। हरियाणवी क्विज में एसबीडीएस कालेज आफ ऐजूकेशन रतिया, हरियाणवी पॉप सोंग में गवर्नमैंट कालेज फार वूमैन करनाल, हरियाणवी स्किट में आरकेएसडी कालेज कैथल और सांग में केएम गवर्नमैंट कालेज नरवाना व आरकेएसडी कालेज कैथल संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहे। हरियाणवी ऐकांकी में पं. चिरंजी लाल शर्मा गवर्नमैंट पीजी कालेज करनाल, हरियाणवी समूह गान में आई जी महिला महाविद्यालय कैथल व हरियाणवी आरकैस्ट्रा में आई जी कालेज पानीपत पहले स्थान पर रहे। ओल्ड ऐंटिक हरियाणा क्लैक्शन प्रदर्शनी में डीएवी कालेज यमुनानगर, चौपाल में यूटीडी बीपीएस खानपुर कलां, रसिया व समूह नृत्य में डीएवी कालेज फार गल्र्ज यमुनानगर प्रथम स्थान पर रहे।

फिर मिलने का वादा कर बिछुड़ एक संस्कृति के ध्वज वाहक
कुरुक्षेत्र/अंशुल गर्ग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 4 दिन चला हरियाणवी संस्कृति का मेला अपनी छाप छोडक़र मंगलवार को बिछुड़ गया।  इसके साथ ही हरिणावी संस्कृति के ध्वज वाहक भी फिर मिलने का वादा करते हुए एक दूसरे से विदा हुए। 4 दिन तक चले इस समारोह के दौरान विश्वविद्यालय परिसर ऐसा जान पड़ता था मानो समूचा हरियाणा यहां सिमट आया हो।  समारोह के दौरान कुवि परिसर में आलम यह था कि चारों और घाघरा, चूंदड़ी, कुड़ती, धोती-कुर्ता, खंडका व हरियाणवी आभूषणों की झंकार यहां कि फिजां को हरियाणा के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के रंग में रंगती रही। इन कलाकारों ने चार दिन तक कुवि की फिजां को ऐसा बनाऐ रखा मानो समूचा हरियाणा यहीं सिमट गया हो। अंतिम दिन हरियाणवी संस्कृति के यह ध्वज वाहक कुवि के मंच से मुख्यअतिथि का अर्शिवाद पाकर अपनी संस्कृति को दुनिया में फैलाने के लिये बिखर गए। इसके साथ ही एक दूसरे फिर मिलने का वादा करना भी ये नहीं भूले।




झूलण चाल्लो री, हेरी सामण आया सै....
रत्नावली के अंतिम दिन समूह नृत्य में डीएवी यमुनानगर ने मचाई धूम
कुरुक्षेत्र/पूनम यादव
पींघ पाटड़ी पींघण चाल्ली.........झूलण चाल्लो री, हेरी सामण आया सै.....। कुछ ऐसे ही उल्लास भरे हरिणावी गीतों पर थिरकते हरियाणा के युवाओं ने हरियाणा की लोक संस्कृति को और भी रंगीन बनाया। जी हां, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली समारोह के अंतिम दिन आडिटोरियम में सबसे लोकप्रिय विधा यानि हरियाणवी समूह नृत्य का आयोजन हुआ। समूह नृत्य की रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुबह प्रतियोगिता आरम्भ होने से पहले ही पूरा आडिटोरियम खचाखच भर गया था। हालांकि ओपन ऐयर थियेटर में प्रोफैशनल कलाकारों द्वारा रागनी कम्पीटीशन का भी समानांतर कार्यक्रम चल रहा था, लेकिन दर्शकों की भीड़ इतनी रही कि दोनों जगह पांव रखने का स्थान नजर नहीं आ रहा था। आडिटोरियम में तो सीटों के अलावा खाली पड़ी जगह में भी दर्शकों की भारी भीड़ थी। प्रतियोगिता के दौरान पर्दा गिरने का समय ही होता था जो तालियों की गडग़ड़ाट से कुछ शुन्य सा होता था नहीं तो सारा समय हाल तालियों से गूंजता रहा। रंगीन रोशनियों में मंच पर हरियाणवी वेष भूषा में नाचते कलाकार, चारों और से आती मधुर संगीत के साथ गीतों की ध्वनि और हजारों तालियों की गूंज ने माहौल को आनंदमय बनाऐ रखा। काम करैं से खेतां के मांह, गोरी की याद सतावै सै आदि विरह भरे शब्दों के साथ युवा कलाकारों ने हरियाणा के उल्लास भरे महीनों भागण और सामण से सम्बंधित गीतों पर जम कर ठुमके लगाऐ। पंडित चिरंजी लाल शर्मा गर्वनमैंट पीजी कालेज करनाल ने देखूं बाट पिया की मैं..., एसडी कालेज नरवाना ने मां बरसण लागी बादली, बुद्धा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन करनाल ने दिल्ली देश देखी एक चुनरिया और मेरा ढोल कुएं मैं लटकै सै...गीतों के सुरों पर नृत्य के रंग बिखेरे। बीपीएसएम खानपुर कलां की टीम ने हरियाणा के भूगोल को कुछ इस प्रकार बताया उत्तर मैं गिरीराज हिमालय बीच उंचा बसै हरियाणा ...। माता सुंदरी खालसा गल्र्ज कालेज निसिंग की टीम ने मैं तो चली ओ पिया के देश गीत पर ठुमके लगाऐ। जीजीडीएसडी कालेज पलवल ने छोरी पिया नै सतावै सै...छोरी बिना मेरा जिया ना लागै....आदि गीतों के बोलों के साथ नृत्य किया। डीएवी कालेज यमुनानगर की टीम ने झूलण चाल्लो री, हेरी सामण आया सै.....। इसके साथ ही अन्य सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां काफी रोचक रही। प्रतियोगिता में पहले स्थान पर डीएवी कालेज फार गल्र्ज यमुननगर रहा व दूसरे स्थान पर संयुक्त रूप से यूटीडी कुरुक्षेत्र जीजीएसडीएस पलवल रहे। तीसरे स्थान पर एसडी गल्र्ज कालेज नरवाना रहा।

कला पारखियों ने भी निभाई निर्णायक भूमिका
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली समारोह के दौरान जहां प्रदेश के कोने कोने से आए मंजे हुए कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे थे तो वहीं उनकी कला को परख रहे थे जाने माने कला के पारखी। जी हां रत्नावली के दौरान जिन जजों ने प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका निभाई उनमें सुमार थे हरियाणा के हास्य सम्राट दरियाव सिंह मलिक, जाने माने पत्रकार ओमकार चौधरी व कमलेश भारतीय तथा निरूपमा दत्त। इनके साथ ही डा. रीतू, प्रो. रोशन लाल, राजीव, डा. अंजुल, संतोष नाहर, आजाद सिंह, रघु मलिक, डीएस मलिक, कुमारी वंदना, कुमारी अंजू, दानिष, आरएस वत्स, कनिका, संगम, जितेंद्र, सलूजा व रामपाल आदि।

विद्यार्थियों  ने किया 4 दिन तक रत्नावली का सफल संचालन
रत्नावली समारोह के दौरान कलाकारों के साथ साथ मंच व अन्य संचालन क्रियाओं में भी विद्यार्थियों की भूमिका निर्णायक रही। 
कुवि आडिटोरियम, ओपन ऐयर थियेटर, सिनेट हाल, क्रश हाल, आरके सदन और खुले मंच पर मंच संचालन विद्याथियों के हाथों में रहा और निर्बाध रूप से इस युवा टीम ने सफल संचालन किया। कुवि के पूर्व छात्र प्रवीन शर्मा के नेतृत्व में सुनील कौशिक, सुषमा, राहुल टांक, स्वाति गुप्ता, पंकज शर्मा, भावना, महक, जेशना, योगेश, शाक्षी, रेनू, सनमीत, विशाल, राघव, प्रवीन, रोबीन, सिद्धांत, अरविंद्र, इशान, नवदीप, अन्नु, नुपुर, दिपेश आदि की टीम ने मंच व मंच से पीछे का कार्यभार संभाला तो सभी कार्यक्रमों का सम्पूर्ण ब्यौरा ऐकत्रित करने में पवन सौन्टी के नेतृत्व में शशि रावत, अंशुला गर्ग व पूनम यादव की टीम ने सराहनीय भूमिका निभाई।
जर्मन लोगों ने दी सबको राम-राम
रत्नावली का लुत्फ उठाने के लिये विशेष तौर पर जर्मन से आया विदेशी जोड़ा हरियाणवी समूह गान के दौरान हाल में जमा रहा। यही नहीं प्रतियोगिता के बीच में जब उनको अपने उद्गार प्रकट करने का मौका मिला तो उन्होंने ठेठ हरियाणवी अभिवादन यानी राम-राम करके सबको अपने प्रति आकर्षित किया। इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा की मोहक संस्कृति की तारीफ करते हुए अनूप लाठर का आभार भी जताया जिन्होंने उनको यह समारोह देखने का मौका दिया।

सांग में केएम गर्वनमैंट कालेज नरवाना व आरकेएसडी कालेज कैथल रहे प्रथम
कुरुक्षेत्र/पवन सोंटी
हरियाणवी संस्कृति के महाकुम्भ रत्नावली के तीसरे दिन भी गत देर सांय तक सांगों की प्रतियोगिता चलती रही। तीसरे दिन जहां पं मांगे राम लिखित जयमल फत्ता सांग की प्रस्तुति केएम कालेज नरवाना ने दी तो वहीं पं. मांगे राम लिखित एक अन्य सांग राजा उत्तान पार की दूसरी शादी की प्रस्तुति राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय जींद ने दी। प्रतिायोगिता में कुल 6 टीमों ने भाग लिया जिनमें से केएम गर्वनमैंट कालेज नरवाना व आरकेएसडी कालेज कैथल प्रथम स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर यूटीडी कुरुक्षेत्र व गर्वनमैंट पीजी कालेज जींद रहे। मोने ऐक्टिंग में पहला स्थान आरकेएसडी कालेज कैथल को मिला, दूसरे स्थान पर गर्वनमैंट कालेज घरौंडा रहा व तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से बीपीएस इंस्टीट्यूट आफ हायर लर्निंग खानपुर कलां व सीआर किसान कालेज जींद रही।
            उधर हरियाणवी आरकैस्ट्रा में पहले स्थान पर आईबी कालेज पानीपत व दूसरे स्थान पर डीएवी कालेज यमुनानगर रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से केएम राजकीय महाविद्यालय नरवाना व आरकेएसडी कालेज कैथल रहे। गत देर सांय तक आडिटोरियम हाल में हरियाणवी आरकैस्ट्रा की धूम रही। गौरतलब है कि हरियाणवी आरकैस्ट्रा वही विधा है जिसे अनूप लाठर ने 1985 में तैयार करवाया था। आज अन्य प्रदेशों के भी लोक आरकैस्ट्रा अंत: विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में इसका अनुसरण करते हुए पहुंच रहे हैं।

मूक अभिनय में हुए सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार
कुरुक्षेत्र/पूनम यादव
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल में चल रहे रत्नावली समारोह के दौरान गत दिवस देर सांय तक ओपन ऐयर थियेटर में चली मूक अभिनय में कलाकारों ने सामजिक कुरीतियों पर जम कर प्रहार किये। नि:शब्द अभिनय द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति जितनी कठिन जान पड़ती है, इन युवा कलाकारों ने उसे उतनी ही आसानी से दर्शकों के सामने रखा। सीआर किसान कालेज जींद के प्रतिभागी ने हरियाणवी संस्कृति बचाने के लिये अपने अभिनय द्वारा आवाज उठाई। पंडित चिरंजी लाल शर्मा गर्वनमैंट कालेज करनाल के प्रतिभागी ने बेरोजगारी की समस्या को उठाया तो गर्वनमैंट पीजी कालेज हिसार के प्रतिभागी ने भ्रुण हत्या की सामाजिक कुरीति पर करारा व्यंग्य किया। आरकेएसडी कालेज कैथल के प्रतिभागी ने देख तमाशा दारू का शिर्षक से अपनी प्रस्तुति दी। बीपीएसएम यूटीडी खानपुर कलां, सोनीपत की प्रतिभागी ने आत्माओं के प्रवेश के माध्यम से यमराज के सामने विभिन्न आत्माओं के माध्यम से राजनेताओं आदि पर करारे व्यंग्य कसे। एमएम कालेज आफ ऐजूकेशन फतेहाबाद ने कदे हां कदे ना शिर्षक से अपनी प्रस्तुति दी।

क्या कहते हैं कलाकार
कुरुक्षेत्र/पूनम यादव
रत्नावली समारोह दर्शक व प्रतिभागी सबके लिये समान महत्व रखता है। जब कुछ प्रतिभागियों से बात की तो उनका कहना था कि रत्नावली उनके खून में बसता है। यह हरियाणवी संस्कृति का वह महाकुम्भ है जो प्रदेश की संस्कृति को प्रति वर्ष समृद्ध करता जा रहा है। यूटीडी कुरुक्षेत्र से हरियाणवी एकल नृत्य में आई व प्रथम पुरस्कार विजेता जीेंद निवासी ज्योति के अनुसार नृत्य उसका पैशन है। वह सातवीं कक्षा से हरियाणवी नृत्य कर रही है। ज्योति के अनुसार रत्नवाली में वह 5 वर्ष से भाग ले रही है और हर बार प्रथम रहती है। मजेदार बात यह है कि वह शिक्षा अंग्रजी विभाग से ग्रहण कर रही है और रूचि कला में सर्वाधिक है। ज्योति एम. ए. अंतिम वर्ष की छात्रा है। उसके अनुसार जब तक वह खुद विश्वविद्यालय में है तो रत्नावली में भाग लेती रहेगी और आगे अपने बच्चों को भी नृत्य सिखाने का सपना दिल में संजोए है। गर्वनमैंट कालेज फार गल्र्ज जींद की छात्रा व रागनी गयिका प्रीति अटकन के अनुसार वह आठवीं कक्षा से रागनी गा रही है। इस बार पहली दफा रत्नावली में भाग लिया है। प्रीति के अनुसार रत्नावली उसके लिये एक रोमांचक अनुभव रहा। वह अपने गुरु बेअंत सिंह मान हांसी से आज भी संगीत की शिक्षा ले रही है। उसका कहना है कि किसी भी कलाकार को प्रति दिन कम से कम एक घण्टा सुबह व एक घण्टा शाम को अभ्यास करना चाहिये। प्रीति के अनुसार उसके पापा का सपना है कि वह इंडियन आईडल व सारेगामा का भाग बने।





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