Saturday, March 8, 2014

प्यार पर आज रात की लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ..



"प्यार..."

प्रेयसी को दिया ..
उसने ना लिया,
माँ से मिला ...
ना एहसास किया,
पिता से चाहा...
छीन लिया,
खुलकर लुटाया यारों पर..
वो लूट गए और और दगा दिया|
...पत्नी और प्यारे भाईयों ने
खूब प्यार लुटाया है मुझ पर,
मैं मुर्ख हूँ, याँ हूँ नादाँ ..
एहसास ही ना कर पाया हूँ,
आज झूठे प्यार की आशा में
मैं प्यार लुटाता फिरता हूँ,
दू बूँद प्यार की आशा में
फ़िर बीच तुम्हारे आया हूँ||

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