Tuesday, August 28, 2018

सिद्धु के पाक दौरे पर विशेष आलेख----शहादत पर अगर कोई नेता या सरकार सच में दुखी होते हैं तो जंग जारी रहनी चाहिए...

सियासत जबतक भूखी रहेगी, ये ख़त्म नहीं होने वाली...
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नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान गए तो देशद्रोही हो गए। और नरेंद्र मोदी पाकिस्तान गए तो स्टेट्समैन हो गए। मोदी जी नवाज़ शरीफ़ के अनौपचारिक बुलावे पर पाकिस्तान गए तो दोस्ती का नया आग़ाज़ हो गया और सिद्धू बरसों पुराने दोस्त के औपचारिक न्यौते पर गए तो हिंदुस्तान आहत हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पूरे देश की पीठ में छुरा घोंपने वाले नवाज़ शरीफ़ को मोदी गले लगाएं तो मास्टरस्ट्रॉक हो जाता है और पाक आर्मी चीफ़ जनरल बाजवा को सिद्धू गले लगाएं तो शहादतों का अपमान हो जाता है। हज़ारों शहादतों और तीन युद्ध हिंदुस्तान पर थोपने वाले पाकिस्तान से मोदी दोस्ती की बात करें तो अमन की कोशिश कहलाएगी लेकिन सिद्धू अमन की उम्मीद जता देंगे तो वो गद्दारी हो जाएगी।
25 दिसंबर 2015... अचानक मीडिया में भूचाल आ गया।
पाकिस्तान को सबक सिखाने और लाल आंखें दिखाने की बात कहकर सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच गए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अपने तथाकथित दोस्त नवाज़ शरीफ़ को जन्मदिन की बधाई दी, उनके परिवार की एक शादी में शामिल हुए, सबको गले लगाया, सबसे हाथ मिलाया। उनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी थे, शायद भावी प्रधानमंत्री भी, कैबिनेट मंत्री भी, सांसद भी, ब्यूरोक्रेट्स भी और शायद आर्मी के अधिकारी भी होंगे। शायद इसलिए क्योंकि उस दौरान हमारी मीडिया ये नोटिस नहीं कर रही थी।
देखा जाए तो जिनसे मोदी मिले वो तमाम लोग वहीं थे, जिनकी सरपरस्ती में हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ रोज़ साज़िशें हुईं, सीज़फ़ायर के उल्लंघन हुए, कभी युद्ध में तो कभी बिना युद्ध के हमारे जवान शहीद हुए। लेकिन दोस्ती के एक नए आग़ाज़ की दलीलों तले तमाम शहीद परिवारों की चीखें दबा दी गईं और चेहरे पर अमन की चाहत वाली स्माइल सजा ली गई। ये स्माइल पाकिस्तानी मीडिया से लेकर हिंदुस्तानी न्यूज़ एंकर्स ने भी ओढ़ ली, कूटनीतिक विषलेशकों और बीजेपी के प्रवक्ताओं के चेहरे पर भी बिखर गई।
उस वक़्त ना ये बहस हुई कि मोदी जी ने किससे हाथ मिलाया और वो किसके गले मिले।
तबतक भारत को पता भी नहीं था कि पाकिस्तानियों के भीतर भी हमने कैटेगरी बना रखी हैं। पता ही नहीं था कि कौन हमारा बड़ा दुश्मन है और कौन छोटा। ये तो आज पता चला है कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन पाकिस्तानी आर्मी चीफ़ है। ना वहां का प्रधानमंत्री, ना वहां के मंत्री, ना नेता और ना ब्यूरोक्रेट्स। हमने तो आईएसआई को भी अपना दुश्मन मानने की बजाए एक जांच एजेंसी मान लिया था, जो पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की जांच करने के लिए भारत बुलाई गई थी। हमारी मीडिया को उस वक़्त सब भारत के दोस्त और माफ़ी योग्य दुश्मन लग रहे थे। लेकिन किसी ने नहीं बताया कि आर्मी चीफ़ को इस गंगा स्नान से बाहर रखा गया है। किसी ने नहीं बताया कि हमारे देश को सबसे गले मिलना गवारा है, बजाए जनरल बाजवा के। अगर बताया होता तो शायद सिद्धू उसके गले नहीं लगते।
उन दिनों किसी को ये बताने की फुर्सत ही कहां मिली। कांग्रेस उस वक़्त की बीजेपी बनी हुई थी और मीडिया व बीजेपी अमन के फ़रिश्ते। और तो और बीजेपी के महासचिव व आरएसएस के कद्दावर नेता दावा कर रहे थे एक दिन हिंदुस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक हो जाएंगे, वो भी बिना किसी लड़ाई और झगड़े के। वो बता रहे थे कि तीनों बिछड़े हुए भाई हैं, एक ना एक दिन गले लग ही जाएंगे। लेकिन उस वक़्त राम माधव ने भी नहीं बताया कि जब तीन देश गले मिल जाएंगे तो वहां के आर्मी चीफ़ उन देशों का हिस्सा होंगे या नहीं ? क्या भारत-पाक दोस्त बनने या एक होने में वहां के आर्मी चीफ़ को माफ़ कर देना शामिल होगा या उन्हें दोनों देशों के बॉर्डर पर नॉ मेंस लैंड में खड़ा कर दिया जाएगा ?  ये किसी ने नहीं बताया।
जेडीयू जो उस वक़्त आरजेडी के साथ थी। उसके प्रवक्ता टीवी पर मोदी के पाकिस्तान जाने का विरोध कर रहे थे। उन्हें संबित पात्रा ने याद दिलाया कि तीन साल पहले जेडीयू के सीएम नीतीश भी पाकिस्तान गए थे, जबकि बिहार की तो पाक से ना कोई सरहद लगती है और कोई यारी। फिर भी वो वहां से शांति-शांति करते वापिस आए थे। संबित पात्रा ने सवाल पूछा कि अगर नीतीश जा सकते हैं तो मोदी क्यों नहीं। आज संबित पात्रा से मोदी की छोड़िए कोई ये तक नहीं पूछ रहा कि बिना मतलब पाकिस्तान जाने वाले नीतीश आपके सहयोगी हो जाएंगे और न्यौते पर पाक जाने वाले सिद्धू देशद्रोही हो जाएंगे। कैसे ?
आपको उस वक़्त कुछ नहीं बताया गया, ना उस वक़्त पूछा गया। क्योंकि वो 2015 का दौर था, उससे पिछले साल चुनाव हुए ही थे। लेकिन ये 2018 का दौर है, इससे अगले साल चुनाव होने ही वाले हैं। अब आपके हर बयान को, हाथ मिलाने या गले मिलने को राष्ट्रीयता की कसौटी पर तौला जाएगा। अब आप विरोधी हैं तो आपके विरोध में ही बोला जाएगा। अब शहादतें भी याद आएंगे और दावतें भी याद आएंगी।
जब याद ही करने लगे तो रीता बहुगुणा जोशी और राहुल कंवल का संवाद भी याद आ गया। राहुल कंवल आजतक के एंकर हैं। रीता कांग्रेस की नेता थीं, अब यूपी की बीजेपी सरकार में मंत्री हैं। टीवी डिबेट में रीता जी मोदी की पाक यात्रा पर सेना और शहीदों को याद कर रही थीं, सवाल उठा रहीं थी कि आख़िर पाकिस्तान के साथ अमन की बात कैसे हो सकती है?
उस वक़्त राहुल कंवल ने कहा था कि मैंने बरसों बॉर्डर पर रिपोर्टिंग की है, फौजी देश के लिए हमेशा शहादत के लिए तैयार रहते हैं लेकिन जब भी अमन की कोई कोशिश होती है या कोई उम्मीद जगती है तो फौजी सबसे ज़्यादा ख़ुश होते हैं।
ख़ैर इन बातों ज़िक्र भी बेकार है क्योंकि दो देशों की दुश्मनी हमारी सियासतों की खुराक बन चुकी है। सियासत जबतक भूखी रहेगी, ये ख़त्म होने वाली नहीं है। ना सियासत की ये भूख ख़त्म होगी, ना ये खुराक। क्योंकि इस खुराक में जो जिस्म भूने जाते हैं वो किसान के बेटे होते हैं, जिनके ख़ून से तड़का लगता है वो ग़रीब और मिडल क्लास परिवारों के बेटे होते हैं। और सियासी लोग ना ग़रीब हैं, ना मिडल क्लास वाले हैं और ना किसान।
अगर देश ने ये मान लिया है कि 23 साल के राजेश पुनिया की शहादत पर हमारे नेताओं को भी शहीद के परिवार की तरह ही दुख होता है तो दुश्मनी जारी रहनी चाहिए। अगर देश को लगता है कि 22 साल के कैप्टन कपिल कुंडू के शहीद होने पर सरकार उसी भी तरह रोई थी, जिस तरह एक मां का कलेजा फटा था... तो दुश्मनी जारी रहनी चाहिए। गांव के गांव में चुल्हे ठंडे हो जाते हैं लेकिन अगर सच में देश को लगता है कि किसी शहादत के बाद देश के किसी नेता के घर में एक वक़्त का ख़ाना भी छोड़ा जाता है तो दुश्मनी जारी रहनी चाहिए। हमें शांति और दोस्ती की कोई कोशिश करने वाले ना नेहरू चाहिए, ना राजीव, ना अटल और ना मोदी।
आपका रिपोर्टर (महेंद्र सिंह)
नोट: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और सियासी मामलों के अच्छे जानकार हैं।

Wednesday, August 22, 2018

प्रशासक संभालेंगे धर्मशाला की कमान, कानून के अनुसार होगा संचालन

सीएम की मध्यस्थता के सिमटे जाटों के धरने


कुरुक्षेत्र, 22 अगस्त: जाट धर्मशाला, कुरुक्षेत्र के मुख्य गेट के सामने व भीतर चल रहे धरने मुख्यमंत्री हरियाणा, मनोहर लाल की मध्यस्थता से गत देर रात समाप्त हो गए। मुख्यमंत्री ने पहले सर्किट हाऊस में दोनों ग्रुपों के 5-5 लोगों से अलग-अलग लंबे समय तक बातचीत की व फिर सामूहिक बैठक में मसले पर चर्चा हुई।
धर्मशाला के निवर्तमान प्रधान अंग्रेज सिंह ने इस विषय में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने फैसला करवाया कि बुधवार से प्रशासक धर्मशाला की कमान संभालेंगे। इसके बाद कमेटी बनाने का प्रयास होगा। अगर सामाजिक तौर पर सहमति बनती है तो ठीक है, नहीं तो चुनाव के द्वारा कमेटी गठित होगी। फिलहाल जाट धर्मशाला में कोई कमेटी मान्य नहीं है। सदस्यता को लेकर कानून देखा जाएगा व जो सदस्यता कानून मान्य होगी उसी के आधार पर कमेटी का गठन किया जाएगा। शीघ्र ही प्रशासक भी बदला जाएगा। हालांकि आज जब उन्होंने प्रशासक अनिल यादव से फोन पर बात की और धर्मशाला में आने बारे पूछा तो यादव ने कहा कि आज वह अपने घर गए हैं और कल धर्मशाला आएंगे।
अंग्रेज सिंह ने आए हुए सैंकड़ों लोगों का धरने को सफल बनाने के लिये आभार जताया व आगे सभी को संगठित रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि जाट समाज के सभी लोगों को धर्मशाला से जुड़े रहना चाहिये व आगे भी इसकी भलाई के लिये काम करते रहना चाहिये। जब भी धर्मशाला पर आंच आए तो फौरन संगठित होना चाहिये। इस अवसर पर जसमेर घराड़सी, जय प्रकाश सारसा, यशपाल चहल, नसीब सिंह भाणा, बूरा खाप के प्रधान रणबीर सिंह, ऐडवोकेट सुलतान सिंह, दलबीर डांडा, टेकचंद हथीरा, रणसिंह देशवाल, होशियार सिंह नंबरदार किरमच, अजैब सिंह सिरसला, रमेश रतनडेरा, किरमच के पूर्व सरपंच रमचंद्र, पूर्ण सिंह किरमच, मिया सिंह बारना, अजमेर सिंह जैनपुर, रणदीप नम्बरदार गुढ़ा, पवन सौंटी, दिवान चंद सारसा, रणबीर नाँदल भूतमाजरा, शिव राम नाँदल, शमशेर रतनडेरा, रमेश घराड़सी, धर्मसिंह मलिक सारसा, रामकुमार सरपंच खानपुर, कृष्ण घराड़सी पूर्व सरपंच, ओमप्रकाश बड़ाम, रामरतन बारवा, सतबीर बरगट, बलदेव राठी, आशीष फौजदार, बलबीर बारना, धनीराम बपदी, केहर सिंह सिंघपुरा, जय सिंह देशवाल, सुमेर हथीरा, जोगिंद्र बारना, प्रभात शादिपुर आदि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


Tuesday, August 21, 2018

पांचवें दिन भी धर्मशाला के बाहर जारी रहा जाटों का धरना, प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध

श्रद्धांजली सभा के साथ हुई धरने की शुरुआत


कुरुक्षेत्र, 21 अगस्त (धरतीपुत्र ब्यूरो): जाट धर्मशाला, कुरुक्षेत्र के मुख्य गेट के सामने चल रहा जाट समाज का धरना आज पांचवें दिन भी लागातार जारी रहा। आज के धरने की शुरुआत हरियाणा के भागल गांव निवासी सैनिक राजेश पूनिया को श्रद्घांजलि देने व मौन रखने के साथ हुई।
इस अवसर पर जाट सभा जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र के निवर्तमान प्रधान अंग्रेज सिंह किरमच ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि जाट समाज का योगदान हर स्तर पर बढ़-चढ़ कर रहा है। खेल से लेकर सीमा की रक्षा तक यह समाज सबसे अग्रणी भूमिका में रहा है। आज दुखद बात यह है कि समाज के कुछ शरारती तत्वों को प्रशासन के संरक्षण देने के कारण इस समाज की सबसे सम्मानीय धरोहर जाट धर्मशाला के गेट पर तालेबंदी की नौबत आई हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन व कुछ नेताओं के संरक्षण में असमाजिक तत्वों द्वारा धर्मशाला की बेअदबी से दुखी जाट समाज 26 अगस्त को काला दिवस मनाऐगा। इस काला दिवस पर जाट समाज के लोगों द्वारा काली पट्टियों के साथ सरकार और प्रशासन तथा गुण्डा तत्वों के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि 17 अगस्त को प्रशासन द्वारा कुरुक्षेत्र धर्मशाला मे आए हजारों जाटों के साथ जो धोखा किया गया उसके जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिये। हजारों लोगों को यह धर्मशाला खाली करवाने के नाम पर बाहर निकालने के बाद कुछ गुण्डा तत्वों को सरकारी संरक्षण में धर्मशाला में छुपा कर रखा जा रहा है। न तो प्रशासन अपने आश्वासन के अनुरूप उन्हें बाहर निकाल रहा है और न ही प्रशासक कार्यभार संभाल रहे हैं।
कुछ वक्ताओं ने तो आरोप लगाया कि प्रशासक मिलीभगत के तहत ही धर्मशाला की व्यवस्था को सुधारने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। नहीं तो 29 जुलाई से चाबियां लेने के बाद भी आज तक अपना काम क्यों नहीं संभाल रहे। अगर धर्मशाला पर काबिज लोगों को जल्दी ही बाहर नहीं निकाला गया तो जाट समाज कठोर निर्णय लेने पर विवश होगा और उसके लिये प्रशासन व धर्मशाला के प्रशासक ही जिम्मेवार होंगे।
आज के धरने में रणसिंह देशवाल, अजैब सिंह सिरसला, रमेश रतनडेरा, रणपत खरक, चीका के भूना गांव से कपिल व रवि, अजमेर फौजी जैनपुर, रणदीप नम्बरदार गुढ़ा, विक्रम मुरादनगर, बूजमोहन तोमर एडीओ, गुरनाम अंटेहड़ी, विजय नंबरदार झिंझरपुर, जोगिंद्र श्योंसर, नैन खाप प्रवक्ता रणधीर सिंह, लोन से होशियार सिंह नैन, महीपाल जाजनपुर, दिवान चंद सारसा, रामनिवास कलोदा, सुनील कंूडू, रणबीर नाँदल भूतमाजरा, सूबे सिंह बदनपुर, शिव राम नाँदल, साहब सिंह पंजेटा, करनैल सिंह दूधला, जोनी सूरा, गुरनाम ईशरगढ़, हरबंश लाल बड़ाम, नरेश शिमला, तेजिंद्र लंडी, सुरेंद्र किरमच, सतबीर बरगट, आशीष फौजदार लाडवा, बलबीर व लाभ सिंह, मोरथला, जरनैल सूरा भगवानपुर, धनीराम बपदी, केहर सिंह सिंघपुरा, जय सिंह देशवाल, बलबीर बारना, प्रधान सुमेर हथीरा, शक्ति सिंह मंगौली, संदीप दूधला, लाभ सिंह गुलडेरा, राजेश चहल पेहोवा, पूर्व सरपंच जसमेर घराड़सी, नाथी राम चीबा, शमशेर रत्नडेहरा, जोगिंद्र बारणा, खुशी राम बारना, धरमी कड़ामी, रामेश्वर बांगड़ों व जतिन लंडी आदि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

एशियाई खेलों के विजेताओं को भी दी बधाई

धरने पर बैठे लोगों ने एशियाई खेलों में हरियाणा के युवाओं द्वारा बेहतरीन प्रदर्शन पर भी खुशी जताते हुए उन्हें बधाई दी।  कोर कमेटी सदस्य ने कहा कि जकार्ता मे आयोजित एशियाई खेलों में हरियाणा की बेटी विनेश फौगाट ने कुस्ती मे स्वर्ण और बेटे लक्ष्य श्योराण ने निशानेबाजी में रजत पदक के साथ ही हनुमान पूनिया ने स्वर्ण पदक जीत कर जाट समाज के साथ ही देश का भी मान बढाया है। इस खुशी के अवसर पर समूह जाट समाज इन विजेताओं को ढेरों शुभकामनाएं देता है।

Thursday, August 16, 2018

वाजपेयी के निधन से आहत इनेलो ने 18 अगस्त का हरियाणा बंद किया स्थगित

बाजपेयी जी के निधन से हुई क्षति की पूर्ति होना असंभव: अशोक अरोड़ा
कुरुक्षेत्र, 16 अगस्त(पवन सोन्टी): इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए 18 अगस्त के हरियाणा बंद को स्थगित करने की घोषणा की है।
इनेलो प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि बाजपेयी के निधन से देश को जो क्षति पहुंची है, उसकी आपूर्ति होना असंभव है। वे भारत माता के सच्चे सपूत थे। बाजपेयी जी ने देश में ही नही बल्कि विदेशों में भी भारत का गौरव बढ़ाया।  चौ. देवीलाल के परिवार के साथ बाजपेयी के राजनैतिक ही नही बल्कि पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। बाजपेयी जी चौ. देवीलाल का बहुत मान-सम्मान करते थे। उन्होंने कहा कि बाजपेयी जी के निधन से इनेलो को गहरा दु:ख पहुंचा है। बाजपेयी जी के निधन के कारण इनेलो ने एसवाईएल का पानी हरियाणा में लाने की मांग को लेकर 18 अगस्त का हरियाणा बंद को स्थगित करने का निर्णय लिया है।

कैप्टन अभिमन्यु को दिया था वाजपेयी जी ने आशीर्वाद

 वित्त मंत्री ने जताया पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक
चंडीगढ़, टीम धरतीपुत्र।
हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह पूरे देश के लिए ये शोक का समाचार है. उनके निधन से पूरा भारत शोकाकुल है. अटल जी जैसे सपूत को खो कर भारत माता की आंखों में भी आंसू हैं. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत की एक पुरानी पार्टी के सामने एक मजबूत विपक्ष खड़ा किया और फिर देश में सरकार भी बनाई. अटल जी ने विचारधारा आधारित राजनीति की औऱ पूरे देश में कार्यकर्ताओं का संगठन खड़ा किया. अटल जी ऐसे बिरले राजनेता थे जिन्होंने समाज के हर वर्ग से स्नेह प्राप्त किया.
वित्त मंत्री ने कहा कि वे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने पोखरण का विस्फोट किया और कारगिल युद्ध में उनके नेतृत्व में देश को जीत मिली. उन्होंने देश के गांव गांव को सड़क से जोड़ा और अनेकों अनेक विकास के काम किए.
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है 2004 के लोकसभा चुनाव में अटल जी ने उन्हें चुनाव लडने का आदेश  और आशीर्वाद दिया और झज्जर में एक रैली को सम्बोधन करने पहुंचे. वित्त मंत्री ने कहा कि उनके निवेदन पर रोहतक में भी एक रैली अटल जी ने संबोधित की और उनके परिवार को आशीर्वाद देने उनके घर पहुंचे.
उन्होंने कहा कि अटल जी भारतीय जनमानस में गहरी पैठ रखने वाले राजनेता के साथ-साथ कवि हृदय, पत्रकार और कुशल वक्ता भी थे. उनकी भाषण शैली और वाकपटुता के सभी कायल रहे हैं. उनकी भाषण शैली का सम्मोहन ऐसा था की उनके विरोधी भी प्रशंसक बन जाते थे. राष्ट्र प्रेम उनकी रगों में संघ की छत्रछाया में पल्ल्वित हुआ. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारत की राष्ट्रीय भाषा और राष्ट्र के सम्मान को ऊंचाइयों तक पहुंचाया. अपने निर्णयों के प्रति अडिग रहने के लिए उनकी मिसाल दी जाती रही हैं.
उन्होंने कहा कि विपक्षियों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व इतना विशाल रहा कि विरोधी भी तारिफ किए बगैर नहीं रह सकते. उन्होंने ‘हार नहीं मानूंगा’ के जीवनमंत्र के साथ जीवन को जीया और दूसरों के लिए आदर्श भी स्थापित किया. जिंदगी के तमाम संघर्षों में उनकी जिजीविषा निखर कर सामने आई.
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि अटल जी जिस भी पद पर रहे उन्होंने उस पद का मान बढ़ा दिया. उनके व्यक्तित्व की गरिमा ही इतनी अद्भुत रही कि समस्त भारतीय जनमानस के दिलोदिमाग में अटल जी अपनी अमिट छाप छोड़कर गए हैं.  ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें.