Sunday, April 22, 2012

किसान की दुर्दशा का कौन जिम्मेवार? यहाँ कलिक करके पढ़ें पूरा आलेख

......तो आने वाले समय में दाने दाने को तरसेगा आम आदमी
:पवन सौन्टी:

धरती पुत्र किसान सदा से किस्सा-ए-अन्न ही बन कर रह गया। आज तक इस किस्से को राजनेताओं, गाथा गायकों, समाज के ठेकेदारों, नीति निर्धाकों व न जाने कितने लोगों ने भुनाया व गाकर खुद नाम और धन कमाया। किसान फिर भी किस्सा ही बन कर रह गया, उसके लिये वास्तव में किसी ने कुछ नहीं किया और न ही करने की आस नजर आती है। मजेदार बात तो यह है कि उसके अपने भाई भी संगठन बनाकर उसके नाम पर निजी स्वार्थ साधते नजर आते हैं। अगर वास्तव में किसानों के हितों के लिये कुछ करने की सोच इन लोगों मे होती तो अकेले हरियाणा प्रदेश में ही भारतीय किसान यूनियन के नाम पर इतने संगठन न खड़े होते।
            भारतीय किसान यूनियन की राष्ट्रीय स्तर पर बात की जाए तो दिवंगत चौ. महेंद्र सिंह टिकैत एक छत्र राष्ट्रीय किसान नेता हुए हैं और उनके संगठन से जुड़े हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष हैं स. गुरनाम सिंह चढूनी। दूसरी और भूपेंद्र सिंह मान भी भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दावा करते थे और उनके हरियाणा प्रधान थे अजित सिंह हाबड़ी। यही नहीं गुणी प्रकाश भी खुद को भाकियू का हरियाणा का प्रदेशाध्यक्ष बताते हैं। इन सबके साथ जाने माने किसान नेता घासी राम नैन भी आजकल सक्रिय हैं। यह वही किसान नेता हैं जिन्हें कभी चौटाला सराकर में लम्बे समय तक जेल में भेज दिया गया था। इन नेताओं व उनके अनुयाइयों की मांगे भी अलग अलग होती हैं। अब यही स्थिती स्पष्ट नहीं रहती कि हरियाणा के किसानों का सही नेतृत्व कौन कर रहा है? सरकारें तो पहले ही किसानों के लिये असल में कुछ नहीं करना चाहती और नेतृत्व विहीनता के इस आलम में तो सराकरों को और भी आसानी रहती है। ध्यान रहे कि कुछ समय पहले कुरुक्षेत्र में गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में भाकियू ने किसानों की मांगों को लेकर जीटी रोड़ जाम किया था। उस दौरान प्रधानमंत्री से मिलाने का अश्वाासन देने वाली हरियाणा सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया। दूसरी ओर कुछ किसान नेता भूमि अधिग्रहण के नाम पर या तो भू-माफिया को ब्लैकमेल करने की कोशिश करते हैं या फिर अपना उल्लू सीधा करने के लिये स्वार्थ वश भोले भाले किसानों को प्रयोग करते हैं। सही संघर्ष का वक्त आता है तो ये कहीं नजर नहीं आते।
            आलम यह है कि सैंकड़ों वर्ष पहले प्रख्यात लेखक मुन्शी प्रेमचंद के द्वारा वर्णित किसान की हालत में आज का किसान गुजर कर रहा है। जिस किसान के घर से कोई सदस्य या तो सराकरी नौकरी पा गया या फिर विदेश में पहुंच गया अथवा किसी अन्य व्यवसाय से जुड़ गया, उसके घर में तो समृद्धि नजर आती है। अन्यथा चाहे बड़ा भू-स्वामी हो या लघु अथवा सीमांत किसान, सभी दुर्दशा के शिकार हैं। बैंकों के खातों में उनकी जमीन रहन पड़ी है। सहकारी समितियों से डिफाल्टर हो चुके हैं, बे-जमीन अथवा कम जमीन वाले किसान साहूकार के कर्ज में बंधे पड़े हैं। छ: माह की मेहनत से पैदा किया गया अन्न उनके साहुकारी ऋण का ब्याज तक नहीं उतार पाता और कर्ज का बोझ दिनों दिन उसकी कमर तोड़ रहा है। आज भी किसान सौ वर्ष पहले की तरह हाड तोड़ मेहनत के बाद अपने बच्चों को विरासत में कर्ज की गठरी के अलावा कुछ नहीं दे पाता।
            व्यापारी का व्यापार गुणित हो रहा है तो किसान की जोत बंट रही है। जिस व्यापारी के पास एक दुकान या फैक्ट्री थी उसके 4 बेटे हैं तो 4 ही दुकानें या फैक्ट्रियां हो जाती हैं जबकि जिस किसान के पास 10 एकड़ जमीन थी उसके चार बेटों के पास अब केवल ढाई एकड़ प्रति के हिसाब से जमीन बंट जाती है। यही नहीं अगर वक्त की मार पड़ जाए तो वह जोत और भी घट जाती है। यह दशा है देश की अर्थ व्यवस्था की धूरी माने जाने वाले धरती पुत्र की। उसके साथ बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले व्यापारी का आलम यह है कि किसान का जो पूसा-1121 धान इस बार मंडी में 1500 रूपये क्विंटल तक बिका वही अब व्यापारी के हाथ में जाकर 2800 रूपये तक पहुंच चुका है। कुछ समय पहले जब किसान का आलू बाजार में था तो उसकी कीमत 1 रूपये से लेकर 3 रूपये तक थी जबकि अब किसान के हाथ से निकलने के बाद वही आलू 10 रूपये प्रति किलोग्राम से उपर जा रहा है। जब किसान की फसल मंडी में आती है तो उसके उत्पादों का निर्यात भी बंद हो जाता है और जब व्यापारी के हाथ में जाती है तो सरकार उद्धार हो जाती है और विदेशी व्यापार के मार्ग स्वत: खुलने लगते हैं। गन्ने के मौसम में कोई प्रयास नहीं होता जबकि मौसम निपट जाने पर चीनी के विदेशी निर्यात की पैरोकारी होने लगती है। किसान की गेहूं को नमी की मात्रा बताकर मंडी में रूलाया जाता है या फिर 1 से 4 किलोग्राम प्रति क्विंटल तक अधिक की भर्ती की जाती है जबकि सराकरी गोदामों तक पहुंचने में मंडी से लेकर रास्ते में ढुलाई वाले चालकों व परिचालकों तक चोरी के बाद भी वह गेहूं पूरी हो जाती है। ऐसे में लुटता कौन है, किसान और केवल किसान। जब धान के सराकारी खरीद के नाम पर कम भाव में खरीदने के बाद भी पर्चे न्यूनतम मूल्य के बनते हैं तो कौन लुटता है? केवल किसान ही तो लुटता है। उसके नाम पर राजनीति करने वो किसान संगठन अथवा राजनैतिक दलों के किसान संगठन उस वक्त नहीं बोलते। उनको मामले उठाने के लिये शायद प्रयाप्त सबूत नहीं मिलते। उस वक्त तो किसान की मजबूरी बताकर उसे लुटने दिया जाता है और बाद में होती है उसके नाम पर राजनीति। जब न्यूूनतम समर्थन मूल्य घोषित होता है तो कुछएक संगठनों द्वारा मात्र ग्यापन देने अथवा प्रैस नोट बांटने के अलावा सरकार पर दबाव बनाने के लिये कुछ खास नहीं होता। सराकारों को तो चाहिये ही यही कि कोई चर्चा न हो।
            जब वेतन आयोग की बात आती है तो सभी कर्मचारी संगठन एक मत से उठ खड़े होते हैं, लेकिन किसानों के लिये कोई ठोस पहल नहीं होती। न तो किसान संगठित हो पा रहे हैं और न ही किसान संगठन संगठित हो पा रहे हैं। आज जरूरत है कि किसानों के नाम पर बने सभी संगठन, विशेषकर भारतीय किसान यूनियन के नाम पर चल रहे कई संगठन, एक मंच पर आऐं व किसानों के लिये ठोस नीतियों को तैयार करके सराकार पर धावा बोलें। जब संगठन एक मंच पर होंगे व उनकी कथनी एक सी होगी तो किसान भी उनपर विश्वास करके आगे आऐंगे और सराकारों की मजबूरी होगी कि इस वर्ग की भलाई के लिये ठोस कदम उठाऐं। अन्यथा वह दिन दूर नहीं कि किसान के पुत्र खेती को पूरी तरह त्याग देंगे और खेेतों में या तो जंगली घास उगेगी या फिर बड़े व्यापारी घराने उनको कब्जा लेेंगे और जिस अनाज के लिये आज लोग निश्चिंत हैं वही अनाज दवाओं के भाव से भी उपर थैलियों में पैक होकर मिलेगा। किसान के बच्चे तो मजदूरी करके अपना पेट शायद पाल लेंगे, लेकिन उस आम आदमी का क्या होगा जो तीन वक्त के भोजन के लिये किसान पर ही निर्भर है और किसान की बदौलत उसको अपनी पहुंच में भोज्य वस्तुऐं नजर आती हैं।

                                                                                                                                               

Friday, April 20, 2012

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एंजैसियों ने खरीदा रिकार्ड तोड़ 6.96 लाख क्विंटल गेंहू
गेंहू की आवक में हुई 1.21 लाख क्विंटल की बढ़ौतरी, गेंहू का सीजन यौवन पर
पिहोवा
पिहोवा की अनाज मंडियों ओर  आस पास के सब सैंटरों पर एंजैसियों ने इस वर्ष रिकार्ड तोड़ 696275 क्विंटल गेंहू की खरीद का काम पूरा कर लिया है। इस वर्ष गत वर्ष की अपेक्षा 121003 क्विंटल गेंहू की आवक ज्यादा हुई है। गेहंू की सीजन पूरे जोर शोर के साथ चल रहा है ओर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। उपमंडलअधिकारी नागरिक भाल सिंह बिश्नोई ने कहा कि अनाज मंडियों ओर खरीद केंद्रों पर गेंहू की खरीद का काम जोरों पर चल रहा है। सभी खरीद एंजैसियों के अधिकारियों को सख्त आदेश जारी कर फसल को नियमानुसार खरीदने बारे कहा गया है। उन्होंने बताया कि अब तक मंडियों व सब सैंटरों से सभी खरीद एंजैसियों ने 696275 क्विंटल गेहंू की खरीद की है। जबकि गत वर्ष इस समय तक एंजैसियों ने 575272 क्विंटल गेंहू खरीदा था। इसमें से डी.एफ.एस.सी. ने 246295 क्विंटल, हैफेड ने पिहोवा मंडी से 207660 क्विंटल व गुमथला से 119085 क्विंटल , मलिकपुर से 14490 क्विंटल, बोधनी से 7525 क्विंटल, कराह साहब में 39640 क्विंटल, भौर सैंदा से 11955 क्विंटल, नीमवाला से 32190 क्विंटल ओर थाना गांव से 17435 क्विंटल गेंहू की खरीद का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि सभी सैंटरों पर किसानों ओर व्यापारियों को हर प्रकार की सुविधा मुहैया करवाने के आदेश दिए हैं। खरीद सैंटरों पर ही किसान की समस्या का समाधान किया जाएगा। बिजली, पानी ओर सफाई कर्मी के लिए मार्किट कमेटी के अधिकारियों को सख्त आदेश दिए हुए हैं।

शनैश्चरी अमावस्या पर विशेष
पितरों निमित्त पीपल पेड़ लगाओ, बैकुंठ से आशीर्वाद पाओ : कौशिक
शनैश्चरी अमावस्या पर पीपल के पूजन का विशेष महत्व
कुरुक्षेत्र/
शनिवार 21 अप्रैल को शनैश्चरी अमास्या पड़ रही है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि शनैश्चरी अमावस्या को पीपल के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व माना गया है। पीपल को ब्रह्मा का स्थान माना जाता है। इस दिन पीपल का विधिवत पूजन करने से जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष है, शनि की साढ़सती ढैय्या गोचर आदि के कारण मानसिक, आर्थिक, शारीरिक रूप से परेशान हैं और कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं, उनको शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। शनैश्वरी अमावस्या पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और बैकुंठ से आशीर्वाद प्रदान करते हैं और जातक का सोया हुआ भाग्य जाग जाता है। इस दिन गऊशालाओं में अपने वजन के बराबर हरी घास खिलाने से भी पितर प्रसन्न होते हैं। शनि को भाग्य विधाता के नाम से भी जाना जाता है। यदि जातक की जन्म कुण्डली में अन्य ग्रह शुभ हों किन्तु शनि अशुभ हो तो जातक को शनैश्वरी अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को योग्य ब्राह्मणों द्वारा सात मुखी रुद्राक्ष को विशेष पूजा पाठ द्वारा अभिमंत्रित कर धारण करने से शनि महाराज शांत हो जाते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं। शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है तथा काले उड़द, सरसों का तेल, काला कपड़ा आदि दान करने से शनि दोष दूर होकर धन, वैभव, सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन पीपल को जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक जलाकर कम से कम 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने बताया कि पीपल वृक्ष समस्त वृक्षों में सबसे पवित्र माना गया है। कुरुक्षेत्र की धरती पर श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुख से कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं। पीपल का वृक्ष लगाने व आरोपण पालन करने वाले व्यक्ति को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी छाल, पत्तों और फल आदि से अनेक प्रकार की रोगनाशक दवाइयां बनती हैं। जिन व्यक्तियों की याददाश्त कमजोर है या जो व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रसित है या जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर रहते हैं, उन्हें पीपल के वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष को स्पर्श करने मात्र से पापों का क्षय हो जाता है और परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है। अमावस्या को स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए और आयु की वृद्धि के लिए पीपल की पूजा करती हैं। पीपल की पूजा करने से संतान, पुत्र रत्न आदि की प्राप्ति होती है। शत्रुओं का दमन, सुख-सौभाग्य आदि सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।


भाकियू भी उतरी पार्षद देवेंद्र मान के समर्थन में
प्रशासन को दिया एक सप्ताह का समय
लाडवा
जिला उपायुक्त से शिकायत कर इंसाफ मांगने वाले पार्षद को तीन दिन बाद भी इंसाफ न मिलने से खफा होकर भारतीय किसान यूनियन पार्षद देवेंद्र मान के समर्थन में उतर गई है। शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन की एक विशेष बैठक लाडवा के किसान रेस्ट हाउस में हुई। बैठक की अध्यक्षता ब्लाक प्रधान अजीत ङ्क्षसह द्वारा की गई। बैठक में भाकियू ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर-अंदर गेहूं की कालाबाजारी करने वालों व पार्षद देवेंद्र मान को धमकी देने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की तो भाकियू प्रशासन से खिलाफ सडक़ों पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन व्यापारियों से मिलीभगत कर लाडवा की अनाज मंडी में दूसरे प्रदेशों का गेहूं खरीद रहा है, जबकि प्रशासन ही इस पर रोक लगा रही है। उन्होंने कहा कि यदि कोई इसे पकड़वाता है तो प्रशासन मिलीभगत कर व्यापारियों को छोड़ रहे है और शिकायतकर्ता को धमकाने का काम कर रहे है, जिससे भाकियू कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। भाकियू ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह में प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो भाकियू सडक़ों पर उतरने को मजबूर होगी, जिसकी पूरी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी।
गौरतलब है कि गत सप्ताह को लाडवा के पार्षद देवेंद्र मान ने जिला उपायुक्त के आदेशों की पालना करते हुए लाडवा की विस्तार अनाज मंडी में दूसरे प्रदेशों से आए गेहूं के दो ट्रकों की जिला उपायुक्त कार्यालय को फोन पर सुचना दी थी, जिस पर प्रशासन ने गंभीरता से तो जरूर लिया और मंडी में मौके से दोनों ट्रक गेहूं, बारदाना व तुलाई के लिए प्रयोग कांटे भी जप्त किए, लेकिन दो दिन बाद उन गेहूं के ट्रकों को किसान के बताकर छोड़ दिया गया। यहीं नहीं इसके बाद शिकायतकर्ता को फोन पर गेहूं की कालाबाजारी करने वालों ने धमकाना शुरू कर दिया था, जिसको लेकर पार्षद देवेंद्र मान ने जिला उपायुक्त का दरवाजा खटखटाया, लेकिन तीन दिन बाद भी कोई कार्यवाही न होने से मायूस हो गया। शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन शिकायतकर्ता पार्षद देवेंद्र मान के समर्थन में उतर आई है। अब क्या पार्षद देवेंद्र मान को इंसाफ मिल पाएगा यह तो कहना अभी मुश्किल है, क्योंकि पूरे प्रशासन के आगे एक व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता। प्रशासन के इस रवैये के चलते शायद ही अब कोई दूसरे प्रदेशों की गेहूं को प्रशासन से पकड़वाने की जहमत उठाएगा, लेकिन इससे दूसरे प्रदेशों से गेहूं की कालाबाजारी करने वालों के हौसले जरूर बुलंद हो रहे है, लेकिन आढ़तियों में भी इसके प्रति भारी रोष पनप रहा है। बैठक में मेहर ङ्क्षसह जैनपुर, अजीत ङ्क्षसह भूतमाजरा, माम चंद बपदी, नरेश कुमार, मैन पाल, माम चंद बदरपुर, रफी लाल, प्रेम चंद, मदन पाल, सुरेश कुमार, सतपाल सहित अनेक भाकियू के सदस्य उपस्थित थे।     

मंडी में लगे गेहूं के अंबार
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करीब 3 लाख क्विंटल से ज्यादा पहुंची मंडी में गेहूं
लाडवा
लाडवा की अनाज मंडी में करीब 3 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हो चुकी है, जिसमें एजैंसियों द्वारा करीब 2 लाख 20 हजार क्विंटल गेहूं बृहस्पतिवार तक खरीद ली है और करीब डेढ़ लाख से भी ज्यादा गेहूं के कट्टे मंडी में उठने के लिए पड़े है। मंडी में गेहूं का उठान न होने के कारण आढ़ती सब्जी मंडी, गोदामों के फड़ों व कुछ राइस शैलर मालिक आढ़ती अपने शैलरों में ही गेहूं को उतार रहे है। बृहस्पतिवार तक खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा करीब 1 लाख 5 हजार, हैफैड द्वारा 58 हजार व हरियाणा वेयर हाउस कारपोरेशन द्वारा 35 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद की थी। यदि मंडी में से गेहूं का उठान नहीं किया गया तो आने वाले दो दिनों में मंडी में पैर रखने की जगह नहीं होगी, जिससे स्थिति और भयंकर हो सकती है।
आढ़ती अपनी दुकानों से गेहूं उठाने के लिए दे रहे है नजराना    
लाडवा अनाज मंडी में आढ़ती अपनी-अपनी दुकानों से गेहूं उठाने के लिए किराए से अलग वाहन चालकों को कट्टे के हिसाब से अलग से नजराना दे रहे है, जिससे गेहूं की ढुलाई करने वालों की खूब चांदी हो रही है। गेहूं ढुलाई के लिए सबसे ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रालों का प्रयोग किया जा रहा है जोकि कानून का उल्लंघन है, लेकिन इसके बावजूद भी गेहूं की ढुलाई करने वाले जमकर आढ़तियों का चुना लगा रहे है। आढ़ती पवन , प्रिंस आदि के अनुसार उनसे गेहंू उठाने के लिए 6 रुपए नजराना मांग रहे वाहन चालक।
आखिर राइस शैलरों से गेहूं की परचेज कौन करता है

लाडवा में राइस शैलर मालिकों व अनाज मंडी आढ़तियों द्वारा गेहूं को अपने-अपने शैलरों में उतारा जा रहा है, जिससे यह भी पता नहीं चलता की यह गेहूं हरियाणा के किसानों की है या फिर दूसरे प्रदेशों की, लेकिन सरकारी परचेज के बाद भी शैलरों में गेहूं उतर रही है और वहीं गेहूं को सरकारी एजैंसियों के खाते में भरा जा रहा है। जबकि लाडवा मार्कीट कमेटी के सचिव श्याम ङ्क्षसह के अनुसार किसी भी राइस शैलर में गेहूं की खरीद नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीद अनाज मंडी के अलावा सब्जी मंडी या किसी भी सरकारी विभाग के फड़ पर ही गेहूं को खरीदा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी शैलर में गेहूं उतर रही है तो वह जांच करेंगे।     
सरकार के पास नहीं है गेहूं रखने की जगह, खुले में लग रहा है गेहूं
लाडवा की अनाज मंडी में जिस एजैंसी के पास गेहूं रखने की जगह नहीं है वह तो सबसे ज्यादा गेहूं मंडी में खरीद रही है और जिस एजैंसी के पास गेहूं रखने की जगह है वह मात्र नाम की ही गेहूं खरीद रही है। खाद्य आपूर्ति विभाग के पास गेहूं लगाने की जगह ही नहीं है, इसलिए वह सब्जी मंडी में गेहूं को खरीदकर खुले आसमान के नीचे लगा रहे है। हैफैड के पास करीब सात-आठ लाख गेहूं के कट्टे लगाने की जगह है, लेकिन वह मंडी से बहुत कम ही गेहूं की खरीद कर रही है। हैफेड द्वारा अब तक केवल 58 हजार क्विंटल ही गेहूं खरीदा गया है।  


लाडवा में खुले में बिक रही है मौत
स्वास्थ्य विभाग सोया
लाडवा
लाडवा कस्बे में गर्मी के मौसम में गन्ने के रस, नींबू लेमन व खुले में पेय-पदार्थ व कटे फलों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है जोकि प्रशासन की नाक तले लोगों को मौत बांट रही है। यदि समय रहते स्वास्थ्य विभाग नहीं जागा तो कस्बे में हैजा, डायरिया जैसे बीमारियों फैैलने की संभावना बन सकती है। लाडवा में इन रेहडिय़ों पर मक्खी व मच्छर का जमवाड़ा लगा रहता है जो सरेआम बीमारियों को बढ़ावा दे रही है। लाडवा में दुकानदार व रेहड़ी संचालक खुलेआम सडक़ों पर गली-गली में खुले में पेय-पदार्थ को बेचकर कानून की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है। लाडवा की अनाज मंडी गेट, इंद्री चौक, रामकुंडी चौक, बस अड्डे, मेन बाजार, हनुमान मंदिर चौक व बाबैन चौक  सहित ऐसा कोई चौक व सडक़ नहीं होगी, जिस पर इनका कब्जा न हो। लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे इन के प्रति प्रशासन भी गंभीर दिखाई नहीं देता। यदि समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया तो कस्बे में बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहेगी। यही नहीं इन रेहडिय़ों द्वारा गांव-गांव व गली-गली भी घूमने से अभिभावकों में अपने बच्चों के प्रति चिंता सताने लगी है। कस्बे के मनोहर लाल, संजय कुमार, पवन कुमार, विनय कुमार, सुरेश कुमार, मनोज कुमार, नरेश कुमार आदि ने प्रशासन से मांग करके कस्बे में मौत बांट रही ऐसी पेय पदार्थ रेहडिय़ों को बंद करवाने की मांग की।


गौ सेवा से बडक़र कोई सेवा नहीं : सत्यानंद
लाडवा
अखंड हनुमान गौशाला में महिला गौ भक्तों द्वारा शुक्रवार को गौ पूजन किया व गायों को हरा चारा, गुड़ आदि खिलाकर गौ सेवा की। अखंड हनुमान गौशाला के संचालक स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने कहा कि गौ सेवा से बडक़र कोई सेवा नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अमावस पर गौ सेवा का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। स्वामी जी ने कहा कि वैसे तो गौ भक्तों की कोई कमी नहीं है, लेकिन आज कुछ स्वार्थी लोग पैसे के मोह माया में फंसकर अपनी इस गौ माता को बेच रहे है। स्वामी जी ने कहा कि गौ दान व गौ सेवा से बढक़र कोई सेवा नहीं है। स्वामी जी ने सभी गौ भक्तों को गौशाला में गायों के लिए दान देकर पुण्य के भागीदार बनने की बात भी कहीं। इस अवसर पर कृष्णा गोयल, मोनिका गोयल, शोभा गोयल, नीना गर्ग, शशी गोयल, मधू गर्ग, नवीन गोयल, रिचा गर्ग, कौशल सिंगला मुख्य रूप से उपस्थित थी।    


गेहूं काटकर प्रशासन ने थपथपाई पीठ
कम्बाइन व ट्रैक्टर चालकों की बनी चांदी
पिहोवा
उपमंडल के गांव कराह साहब में पट्टे की जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल को काटकर आखिरकार प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपा ही ली।  पिछले काफी दिनों से प्रशासन के गले की फांस बनी पंचायती भूमि पर जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर पंचायत के साथ मिलकर जहां गेहूं को काटकर करीब 120 परिवारों के सपनों को चकनाचूर किया है, वहीं पट्टे की जमीन पर खड़ी फसल को काटने वाले कम्बाइन संचालकों की भी पौबारह बन गई। नाम न छापने की शर्त पर एक कम्बाइन संचालक ने बताया कि कराह साहब के साथ लगते कूपियां प्लाट में गुरुवार को प्रशासन ने गेहूं कटवाने के लिए उनकी कम्बाइनों को दो दिन पूर्व ही काबू करना शुरू कर दिया था। जब प्रशासन द्वारा उनकी कम्बाइन को गेहूं काटने के लिए खेतों में ले जाया गया तो जाते समय उन्हे प्रति कम्बाइन के हिसाब से 125 लीटर डीजल दिया गया, वहीं पति कम्बाइन 15300 रुपए के हिसाब से किराए के तौर पर राशि भी दी गई। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन द्वारा इसी प्रकार से किसी कब्जे वाली जगह पर ले जाकर उनकी कम्बाइनों से फसल कटवाई जाए तो उनकी भी पौबारह बनती रहेगी। कम्बाइन संचालक ने बताया कि प्रशासन द्वारा उन्हें एक ही दिन में साथ के साथ नगद राशि दी गई। वहीं उनके खाने तक का भी पूरा प्रबंध प्रशासन द्वारा करवाया गया। इतना ही नहीं उनकी कम्बाइन के आस-पास किसी भी अन्य व्यक्ति को फटकने तक नहीं दिया। वही ट्रैक्टर संचालक उन तक गेहूं लेने के लिए पहुंच पाए, जिनको प्रशासन ने पर्चियां उपलब्ध करवाई हुई थी। इसी मामले को लेकर जब ट्रैक्टर संचालक ने बताया कि प्रति चक्कर उन्हें भी 1200 रुपए दिया गया। गेहूं ढोने के लिए 40 के लगभग ट्रैक्टर-ट्राली लगी थी। वहीं 20 से अधिक की संख्या में कम्बाईन गेहूं काटने में व्यस्त नजर आई।
आखिर टूटे आढ़तियों व किसानों के सपने
किसानों को फसल के तौर पर कर्जा देने वाले आढ़तियों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें देखने को मिल रही हैं। आढ़तियों का कहना है कि उन्होंने किसानों को फसल पकाकर उन तक लाने के लिए हजारों रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कर्जा दिया हुआ है। पट्टेदार किसानों की फसल हाईकोर्ट के आदेश पर पंचायत व प्रशासन द्वारा काटी जाने से जहां किसानों पर कर्जे का अधिक भार पड़ गया है, वहीं उनके पैसे भी डूबते नजर आ रहे हैं। यदि 30 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसान द्वारा आढ़ती से कर्जा लिया हुआ है तो 320 एकड़ पर लगभग 96 लाख रुपए का कर्जा किसानों के सिर पर बनता है, जिसका ब्याज तो अलग से ही होगा।

किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या न आए : बराड़
उपायुक्त ने अधिकारियों को दिए गेहूं खरीद सम्बंधी दिशा निर्देश
कुरुक्षेत्र
उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने गेहूं खरीद के लिए लगाए गए नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गेहूं खरीद से सम्बंधित कार्य पर कड़ी निगरानी रखें। मंडियों में किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या न आए तथा मंडियों में किसानों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। गेहूं की खरीद व उठान का कार्य समय पर किया जाए।
उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ शुक्रवार को लघु सचिवालय के कांफे्रंस हॉल में जिला प्रशासन के अधिकारियों की मीटिंग में गेहूं खरीद से सम्बंधित दिशा निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी खरीद एजेंसियां उठान का कार्य समय पर करें। उन्होंने बताया कि जिला की सभी मंडियों में गेहूं की आवक में काफी तेजी है। अब तक जिला की मंडियों में 2 लाख 52 हजार 32 मीट्रिक टन गेहूं पंहुच चुका है। इस गेहंू में से खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा 97 हजार 546 टन गेहूं खरीदा गया है। हैफेड द्वारा 66 हजार 725 मीट्रिक टन, कन्फेड द्वारा 19 हजार 190 मीट्रिक टन, एग्रो द्वारा 40 हजार 400 मीट्रिक टन, हरियाणा भंडार निगम द्वारा 5 हजार 794 मीट्रिक टन, भारतीय खाद्य निगम द्वारा 22 हजार 387 मीट्रिक टन गेहूं खरीद किया गया है।  उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र की मंडी में अभी तक 58 हजार 451 मीट्रिक टन गेहूं पंहुच चुका है। शाहाबाद की मंडी में 22 हजार 356 मीट्रिक टन, इस्माईलाबाद की मंडी में 45 हजार 856 मीट्रिक टन, गुमथला गढु में 9 हजार 859 मीट्रिक टन, लाडवा में 21 हजार 235 मीट्रिक टन, पिहोवा में 44 हजार एक मीट्रिक टन, ठौल में 9 हजार 850 मीट्रिक टन, कराह साहिब में 4 हजार 63 मीट्रिक टन, बाबैन में 5 हजार 608 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई है। उपायुक्त ने जिला के किसानों से अपील की है कि वे मंडियों में गेहूं को सुखाकर लाएं। साफ सुथरे व सुखे गेहूं के दाम ठीक मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सभी खरीद एजेंसियों को आदेश दिए गए हैं कि वे सभी मंडियों में गेहूं की खरीद करें। प्रशासन की ओर से सभी मंडियों में वरिष्ठ अधिकारी खरीद प्रबंधों की देख-रेख के लिए नोडल अधिकारी लगाए गए हैं। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सुमेधा कटारिया, एसडीएम थानेसर सतबीर कुंडु, शाहाबाद के एसडीएम सुशील कुमार, पिहोवा के एसडीएम भाल सिंह बिश्नोई, शाहबाद शूगर मिल के प्रबंध निदेशक शक्ति सिंह व जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे

अवैध निर्माण हटवाने में विफल रहा प्रशासन
तीसरे दिन भी नहीं निकला कोई हल
लाडवा
जिला उपायुक्त के आदेशों के बावजूद तीसरे दिन भी नगरपालिका प्रशासन अवैध निर्माण को नहीं हटवा पाई। अवैध निर्माण स्थल पर नगरपालिका सचिव के.एल.बठला व पुलिस प्रशासन की तरफ की अगुवाई कर रहे ए.एस.आई. राजकुमार शुक्रवार को जिला उपायुक्त के आदेशों पर लाडवा के बजाजा बाजार में एक समुदाय के द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटवाने पहुंचे, लेकिन समुदाय के लोग अवैध निर्माण को हटवाने को लेकर अड़ गए, जबकि नगरपालिका ने उस स्थान पर एक सार्वजनिक पार्किंग बनाने का प्रस्ताव भी दोनों समुदाय के बीच रखा। वहीं दूसरे समुदाय के लोग शुक्रवार को किए गए अवैध निर्माण को रुकवाने के लिए जिला उपायुक्त से भी मिले थे और जिला उपायुक्त के आदेशों पर ही शुक्रवार को नपा व पुलिस अवैध निर्माण हटवाने के लिए गई थी। कई घंटों की मशक्कत के बाद भी समुदाय के लोगों ने अवैध निर्माण को नहीं हटाया और प्रशासन से लिखित रूप में आश्वासन मांगा और कहा कि जिला उपायुक्त की मौजूदगी के बिना वे इस निर्माण को नहीं हटाएंगे। वहीं दूसरी और दूसरे समुदाय के लोग प्रशासन की इस ढुल-मुल कार्यवाही से खफा है। समाचार लिखे जाने तक प्रशासन समुदाय के लोगों से समझाने का प्रयास कर रहा था और प्रशासन ने दोनों समुदाय के लोगों को नगरपालिका परिसर में बुलाया था, ताकि आपसी सहमति से कोई हल निकल सके।   गौरतलब है कि पिछले दो दिन से शहर के बजाजा बाजार में अवैध निर्माण को लेकर दो समुदाय के लोग आमने-सामने हो गए थे। जहां एक समुदाय ने अपना हक जताकर निर्माण किया था वहीं दूसरी और दूसरे समुदाय के लोगों ने इसे अवैध करार दिया और इससे संबधित दस्तावेज मामले की जांच कर रहे एस.डी.एम. सतबीर ङ्क्षसह कूंडु के समक्ष प्रस्तुत किए थे, जिसको लेकर प्रशासन ने निर्माण को अवैध करार कर हटवाने का आदेश दिए थे।   

लिफ्ट देने के बहाने महिला के कंगनों पर किया हाथ साफ
पिहोवा
कस्बे में लिफ्ट देने के बहाने कार सवार तीन महिलाओं ने एक महिला के सोने के कंगनों पर हाथ साफ कर दिया। महिला जब कार से नीचे उतरी तो उसे अपने साथ हुई ठगी का पता चला। सूचना पाकर एसएचओ गुरदयाल सिंह मौके पर पहुंचे और नाकेबंदी कराई। लेकिन ये लोग चमका देने में सफल हो गए। गांव कलसा के भाना प्लाट की राज कौर ने बताया कि वह पिहोवा में किसी काम से आई थी। जब वह काम निपटाकर वापस लौट रही थी तो बस स्टैंड के पास एक मारुति कार आकर उसके पास रुकी। जिसमें एक चालक व तीन महिलाएं सवार थी। उन्होंने कहा कि वे गांव कलसा की तरफ जा रहे हैं और उसे भी वहीं छोड़ देंगे। इस पर वह कार में बैठ गई। कुछ देर बाद उन्होंने उसे चौक के पास कुरुक्षेत्र रोड पर उतार दिया। तब उसे पता चला कि उसके हाथों से दो सोने के कंगन गायब थे। गौरतलब है कि लिफ्ट देकर सोने के गहने उतारने वाला यह गिरोह पिछले लगभग एक साल से पिहोवा व आसपास के इलाको में सक्रिय है। ज्ञात रहे कि यह गिरोह पहले भी कई वारदातों को अंजाम दे चुका है, इनका निशाना आमतौर पर महिलाऐं ही होती हैं। कई बार यह गिरोह साथ में 12 साल की लडक़ी को रखते हैं। अनजान लडक़ी जाकर महिला को कहती है कि आपको मेरी मम्मी गाड़ी बुला रही है और पास आने पर महिला को अनजान महिलाऐं अपनी पहचान का कहकर गाड़ी में बिठा लेती हैं। जिसके बाद वे बड़ी चतुराई से हाथों से आभूषण उतारकर महिला को गाड़ी से नीचे उतारकर नौ-दो ग्यारह हो जाती हैं, जिसमें हर बार सफेद मारुति कार, एक चालक व तीन महिलाओं का जिक्र आया है। गिरोह इतना शातिर है कि ठगी के समय मालिक को और ठगी के बाद पुलिस को चकमा देने में पूरी तरह सक्रिय है। पुलिस आजतक इस गिरोह को पकडऩे में नाकाम रही है। एसएचओ गुरदयाल सिंह ने लोगों से कहा कि किसी भी अनजान कार सवार से लिफ्ट न लें और सतर्कता से रहें।

नपा के पास आग बुझाने के लिए फायरब्रिगेड की एक गाड़ी
पिहोवा
नगरपालिका पिहोवा के पास आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की केवल एक गाड़ी होने से समस्या बढ़ी हुई है। गेहूं के सीजन में लगने वाली आग को बुझाने का जिम्मा केवल एक ही गाड़ी के सिर पर है। फायर कर्मियों के मुताबिक पिहोवा के सौ से अधिक गांवों, ईस्माइलाबाद व झांसा तक यही गाड़ी आग बुझाने जाती है। इसी के चलते यहां के लोग खुद को आगजनी की घटनाओं से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पालिका सूत्रों के मुताबिक यहां कम से कम दो बड़ी व एक छोटी गाड़ी की डिमांड है।
छोटी गाड़ी इसलिए चाहिए
क्योंकि कस्बे की गलियों में बड़ी गाड़ी नहीं पहुंच सकती। ऐसे में फायर कर्मियों को सिर पर ही आग बुझाने के सिलेंडर व पानी के पाइप लेकर भागना पड़ता है। यदि एक समय में दो जगह आग लग जाए तो यह गाड़ी केवल एक ही जगह पर काम कर पाएगी। पालिका की ओर से कई कार गाडिय़ों की मांग की जा चुकी है। लेकिन अभी तक केवल दूसरी गाड़ी के लिए पैसा ही पास हो पाया है। दूसरी गाड़ी आने में कितना समय लगेगा, यह कोई नहीं जानता।