Monday, October 28, 2013

रत्नावली- 2013..... तेरे जैसी छौरियां तै बस रैहण दे...घणा मैं बतल़ाया ना करूँ.....



हरियाणवी गज़ल ने दिखाई हरियाणा की मिठास

कुरुक्षेत्र,28 अक्तूबर।( पवन सोंटी)
हरियाणवी को अक्सर अक्खड़ भाषा माना जाता है, लेकिन अगर कोई हरियाणवी में मिठी गज़ल सुनाए तो सचमुच आश्चर्य होता है।
हरियाणवी गज़ल की इसी मिठास ने कुवि आडिटोरियम में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। गज़ल ने कुछ इस अंदाज में रस बिखेरा...जिऊं किस आस पै... आस तेरी छोड़ कै......, भोली भोली शान तेरी बहुत याद आवै सै......, तनै प्यार करूँ यूं जितना मैं...। याद वा आवै रै....., तेरे जैसी छौरियां तै बस रैहण दे...घणा मैं बतल़ाया ना करूँ.....।  जी हां, कुरुक्षेत्र विश्वविद्याल में चल रहे हरियाणवी संस्कृति के माहकुम्भ रत्नावली, हरियाणा दिवस राज्य स्तरीय समारोह में दूसरे दिन भी जम कर सांस्कृति के रंग बिखरे। आडिटोरियम हाल में जहां हरियाणवी गजल में 17 प्रतिभागियों ने श्रोताओं को हरियाणवी की मिठास से मंत्रमुग्ध किया तो वहीं आर.के. सदन में हरियाणवी लोग गीतों की रसधार बही।
 आंगण बीच कुआं राजा डूब कै मरूंगी.....और पी पी पपीहा बोलै बाग मैं ....आदि गीतों ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।  दूसरी ओर ओपन एयर थियेटर में हरियाणवी एकल नृत्य प्रतियोगिताओं में हरियाणा की लचक दिखाई दी। प्रतियोगिता में कुल 8 टीमों ने भाग लिया। मै नयी नवेली आई....., मैं ना मानूं पिया जी तेरी बात....., उड़ जाईये रे कबूतर तनै मारै बिजली उड़ जाईये रे..... आदि गीतों पर युवा कलाकारों ने जम कर थिरकनें दिखाई। उधर दिमाग को खंगालने के लिये सीनेट हाल में आयोजित हरियाणवी क्विज का आयोजन हुआ। इसमें प्रदेश भर से कुल 11 टीमों ने भाग लिया। उधर खुले मंच से सांग प्रतियोगिता का आयोजन देर शाम तक चलता रहा।


कैसे फरर फरर फहराई रे बिना ब्यार चूनरिया...

कुवि आडिटोरियम में बहा रसिया का रस

कुरुक्षेत्र, 28 अक्तूबर।
रत्नावली हरियाणा दिवसर राज्यस्तरीय समारोह के दौरान सोमवार को सबसे रोचक प्रस्तुतियां हरियाणवी समूह नृत्य रसिया की रही। तड़ भडक़ व तेजी भरे नृत्यों से एकदम अलग मधुर एवं थिरकन भरे रसिया को प्रस्तुत करते हुए मंच पर कलाकर थिरक रहे थे तो सामने कुर्सियों पर बैठे दर्शक अपने आप को झूमने से नहीं रोक पा रहे थे। 
बता दें कि रसिया हरियाणवी लोक नृत्य की वह विधा है जो अपनी पहचान लगभग खो चुकी थी। कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने तकरीबन दो दशक पहले इसकी डाक्यूमैंटेशन फरीदाबाद व पलवल के गांवों में जाकर स्वंय की थी। उन्होंने लम्बे समय तक लोक नृत्य की इस विधा पर मनन किया व गत वर्ष इस के पुन: स्थापन को लेकर कुवि में एक कार्यशाला का आयोजन किया था। आज इस विधा की रोचकता देखिये कि सबसे पहली प्रस्तुति रसिया के मूल क्षेत्र बल्लभगढ़ के अग्रवाल कालेज की रही। इस कालेज के नृत्य में बहुत की परिपक्कवता नजर आई क्योंकि यह उनके खून में रचा बसा जो है। कैसे फरर फरर फहराई रे बिना ब्यार चूनरिया...कैसे बरस बरस के आई रे ये सावण की बदरिया.... और भाभी तेरी अंगूठी ल्याईयों...मोहे पहर के दिखलाईदे.... जी हां, यह बोल हैं उस एक गीत के जिस पर थिरकते पांवों के साथ युवा कलाकारों के हजूम ने दर्शकों का मन मोह लिया। रसिया के रस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो दिन में पहली बार आडिटोरियम हाल इतना खचाखच भरा कि कुर्सियां थोड़ी पड़ गई। युवा गैलरियों में खड़े होकर रसिया का मजा लेते रहे। रसिया का पहला मंचन व रंगा रंग माहौल कुछ ऐसा रहा कि समूचा हरियाणा आडिटोरियम में जमा नजर आया। दूसरी ओर आर. के. सदन में आयोजित हरियाणवी इंस्ट्रूमैंटल सोलो में कुल 10 टीमों ने भाग लिया व हरियाणवी वाद्ययंत्रों का खूब जलवा दिखा। नगाड़ा, ताशा, बैंजो, ढोलक, घड़वा, डेरु व तुम्बा आदि की धुनों ने श्रोताओं को तरंगित किया।

खुले मंच पर सांग ने बांधे दर्शक

कुरुक्षेत्र, 28 अक्तूबर।
रत्नावली समारोह के दौरान विभिन्न कालेजों से आई टीमों ने हरियाणवी लोकनृत्य सांग की प्रस्तुति दी। डीएन कालेज हिसार की टीम ने राजा भोज-शरणदे  सांग की प्रस्तुति दी। कथा वस्तु के अनुसार राजा भोज बहुत ही प्रतापी राजा होता है। वह अपने राज्य में जगह जगह घूम कर लोगों के दुख दर्द जानने की कोशिश करता रहता है। एक बार वह शहर में जा रहा होता है। 
कुछ लड़कियां आपस में मखौल कर रही होती हैं। एक लडक़ी शरणदे नाई की बेटी को कहती है कि मेरे मेल का कोई नहीं मिल रहा। इस पर पहली लडक़ी कहती है कि ऐसी क्या तू राजा भोज से शादी करेगी। शरणदे नाई की कहती है कि राजा भोज जैसे तो मेरे पांव धोते हैं। राजा इस बात को सुन लेता है और उससे शादी करता है। वह उसे काग उडाने वाली बना देता है। वह दुखी होकर अपनी मां की मदद से वहां से निकल जाती है। फिर वह बीन बजाने का हुनर सीख लेती है और किसी तरह राजा के दरबार में बीन बजाने पहुंचती है। वह इतनी सुरीली बीन बजाती है कि राजा मोहित हो जाता है। इसी दौरान वह दर्द का बहाना करके बीन बजाना बंद कर देती है। दर्द का उपचार वह बताती है कि जब राजा उसके सिर से पानी डालेंगे तो उसका दर्द ठीक हो सकता है। राजा जब पानी डालते हुए उसके पांव धोने का प्रयास करता है तो वह रोकते हुए कहती है कि आप ने पहचाना नहीं मैं वही शरणदे नाई की हूँ। इस पर राजा उससे फिर से महल में रखता है और अपनी पटरानी बनाता है। इस सांग की प्रस्तुति के लिये 9 विद्यार्थियों सहित 15 लोगों ने भाग लिया और मनमोहन के नेतृत्व में बहुत ही रोचक प्रस्तुति दी। 

क्रश हाल में दिखी पुरातन हरियाणवी घरेलू चीजें

क्रश हाल में आयोजित ओल्ड ऐंटीक हरियाणवी कलैक्शन की प्रदर्शनी में हरियाणा की पुरातन घरेलू चीजों को देख दर्शक दांतों तले उंगली दबाते नजर आए। जो सामान आज ग्रामीण जीवन की घरेलू उपयोगिता से बाहर हो चुका है वो सब कमोबेश इस प्रदर्शनी में नजर आया। बागडिय़ों द्वारा बनाया गया लोहे का झरणा, मटका रखने का चाखड़ा, कापण, सपड़ा, कौंची, प्राचीन सिक्के, चारपाई बुनाई में काम आने वाला हिरण का सींग, बेलवी व पुरानी सुरमेदानी आदि चीजों को देख कर बुजुर्गों ने अपने जमाने को याद किया।

जर्मन से बच्चे समेत पहुंची महिला दर्शक

 

रत्नावली का विश्व व्यापन इस बात से भी नजर आता है कि एक युवा महिला अपने 11 माह के बच्चे को लेकर रत्नावली देखने पहुंची। उसने बातचीत के दौरान बताया कि वह कल शाम से रत्नावली देख रही है। उसे यहां बहुविध विधाऐं  व मित्रपूर्ण वातावरण बहुत ही भा रहा है। वह 2 दिन और यहां रूकेंगी और रत्नावली का आनंद उठाऐंगी। उन्होंने बताया कि गत वर्ष उनका एक जानकार जोड़ा रत्नावली देखने आया था, उन्हींने उसे बताया कि हरियाणा में एक थीम बेस महोत्सव होता है जो बहुत ही रोचक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आयोजन है।

जाने माने कलाकारों ने किया लाठर को सम्मानित

कुरुक्षेत्र,28 अक्तूबर।

जाने माने कलाकारों व प्रबुद्ध लोगों द्वारा कुवि के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उनके कार्यालय में आयोजित इस सम्मान समारोह हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय, सुमेर शर्मा व उनकी धर्मपत्नी, रोशन लाल श्योराण, हास्य कलाकार दरियाव सिंह मलिक, ईश्वर शर्मा, आरके वत्श, सोहन पाल रावत आदि अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।

यूजीसी से आए प्रो. राजबीर सिंह को भी किया सम्मानित

 

रत्नावली के दौरान यूजीसी दिल्ली से आऐ सीवीसी डायरैक्टर प्रो. डा. रजाबीर सिंह को भी रत्नावली स्टेज से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वह 1983 से कुवि के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं। रत्नावली उनकी आत्मा में बसती है, जिसकी कमी दिल्ली जाकर उन्हें भारी महसूस हो रही है। उन्होंने कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को रत्नावली के इस 29वें भव्य आयोजन पर हार्दिक शुभकामनाऐं भी दी।  

एकांकी में यूसीके और हरियाणवी भजन व पॉप सोंग में छाया यूटीडी कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र,28 अक्तूबर।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे रत्नावली हरियाणा दिवस राज्यस्तरीय समारोह के पहले दिन आयोजित विधाओं के परिणामों के अनुसार एकांकी प्रतियोगिता में कुल 5 टीमों ने भाग लिया जिनमें से विश्वविद्यालय कालेज कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहा। राजकीय महाविद्यालय जींद दूसरे स्थान पर व यूटीडी कुरुक्षेत्र तीसरे स्थान पर रहा। प्रतियोगिता में आरकेएसडी कालेज कैथल और पं. भगवत दयाल शर्मा राजकीय माहविद्यालय करनाल की टीमों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी। प्रतियोगिता में बैस्ट एक्ट्र का प्रथम पुरस्कार गर्वनमैंट कालेज जींद के मदारी किरदार को व यूसीके के बुलवा पात्र को गया।  बैस्ट एक्ट्रस का प्रथम पुरस्कार यूसीके के पात्र बुलवा की पत्नी व द्वितीय यूटीडी कुरुक्षेत्र की पिंकी को गया। हरियाणवी पॉप सोंग में प्रथम पुरस्कार यूटीडी कुरुक्षेत्र व द्वितीय पुरस्कार डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर को गया। त्रितीय पुरस्कार चौ. ईश्वर सिंह कन्या महाविद्यालय पूंडरी को गया। हरियाणी भजन में प्रथम स्थान पर यूटीडी कुरुक्षेत्र, द्वितीय स्थान पर डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर व तीसरे स्थान पर गुरुनानक खालसा कालेज करनाल रहा। चौथे स्थान पर सीआर किसान कालेज जींद व पांचवें स्थान पर इंदिरा गांधी महिला कालेज कैथल रहा। हरियाणवी डैक्लामेशन कांटेस्ट में प्रथम स्थान पर गुरुजंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार की मीरा व दूसरे स्थान पर टैगोर पीजी कालेज भिवानी संजय रहा। तीसरे स्थान पर एन एम गर्वनमैंट कालेज हांसी की रजनी व चौथे स्थान पर राजीव गांधी कालेज उचाना का जगदीप रहा। पांचवें स्थान पर यूसीके की सुमित्रा रही। टिट बिट प्रतियोगिता में गर्वनमैंट कालेज घरौंडा प्रथम, एसएसएम कालेज कलायत व तीसरे स्थान पर चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यायल हिसार व गर्वनमैंट कालेज जींद रहा।
 उधर हरियाणवी स्किट में पहले स्थान पर सीआरएम जाट कालेज हिसार, दूसरे स्थान पर राजीव गांधी कालेज उचाना व तीसरे स्थान पर आरकेएसडी कालेज कैथल रहा। प्रतियोगिता में प्रथम बैस्ट एक्टर का पुरस्कार राजीव गांधी कालेज उचाना के शराबी चरित्र और द्वितीय पुरस्कार गर्वनमैंट पीजी कालेज जींद के जमूरा को मिला। प्रथम बैस्ट ऐक्ट्रैस का पुरस्कार एन एम कालेज हांसी व द्वितीय पुरस्कार सीआरएम कालेज हिसार की मां का रोल करने वाली छात्रा को मिला।

सुनील जाखड़ की पुस्तक का हुआ विमोचन

्ररत्नावली समारोह के दौरान परिपाटी के अनुसार पुस्तक विमोचन भी हुआ।
 ओपन एयर थियेटर में प्रतियोगिताओं के बीच में ही युवाओं के प्रेरणास्रोत नवीन गुलिया के हाथों पुस्तक का विमोचन भी किया गया। नवोदित लेखक सुनील जाखड़ द्वारा लिखित नावल अंजाम पीढिय़ों के टकराव का के विमोचन अवसर पर कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर के अतिरिक्त नवीन गुलिया की पत्नी सहित अनेकों जाने माने लोग उपस्थित रहे।

Sunday, October 27, 2013

रत्नावली- 2013......ताजा समाचार....


रंग बिरंगी रोशनियों के बीच रत्नावली का रंगारंग आगाज

लाठर ने बना दिया रत्नावली को कुवि का हैरिटेज ट्रैडिशन: कुलपति

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर। (पवन सोंटी)
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हरियाणवी संस्कृति का महाकुम्भ रंग बिरंगी रोशनियों के बीच दीप प्रज्ज्वल के साथ शुरु हो गया। 
कार्यक्रम का शुभारम्भ कुवि $कुलपति डा. डी.डी.एस. संधू ने दीप जला कर किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में रत्नावली, हरियाणा दिवस राज्यस्तरीय समारोह के इस भव्य आयोजन के लिये कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को शुभकामनााऐं दी। संधू ने कहा कि अनूप लाठर ने रत्नावली को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का हैरिटेज ट्रैडिशन बना दिया है। उनके सफल निर्देशन में रत्नावली ने अपनी 29 साल की निर्विधन लम्बी यात्रा तय करते हुए बहुत से नए आयाम स्थापित किये हैं। आज रत्नावली उनके निर्देशन में इतना विस्तार पा चुका है कि इसके मंच से आज 30 विधाऐं मंचित हो रही हैं। कुलपति ने इस सबके लिये लाठर को बधाई देते हुए कहा कि वह आगे भी इसी प्रकार विश्वविद्यालय को सेवाऐं देते रहें यह उनकी कामना है।
 गौरतलब है कि अनूप लाठर अगले वर्ष कुवि से अपनी सेवाओं से सेवानिवृत होने जा रहे हैं। उनके नेतृत्व में रत्नावली का यह अंतिम आयोजन हो रहा है। इसे लेकर कुलपति ने कामना करते हुए कहा कि कोई ऐसा उपाय निकले कि अनूप लाठर आगे भी उनके साथ इस विश्वविद्यालय में रहें।
    इस अवसर पर कुलपति ने प्रतिभागियों के साथ निर्णायकों का भी आभार जताया जिनकी बदौलत रत्नावली इतना भव्य आयोजन बन चुका है। उन्होंने याद किया कि किस प्रकार बुजुर्ग दूर दूर से रत्नावली में सांग देखने आते हैं। उन्होंने कहा कि रत्नावली एक सांस्कृतिक यज्ञ हैं जिसमें जीतने के लिये नहीं अपितु प्रतिभागि इस यज्ञ में अपनी आहुति डालने आते हैं। प्रतिभागियों के लिये यह आयोजन अपनी संस्कृति को देश के सामने रखने के लिये भाग लें। इसके साथ ही कुलपति ने इस आयोजन की भव्य कवरेज के लिये प्रिंट व इलैक्ट्रानिक मीडिया का आभार जताते हुए आह्वान किया कि इसे केवल क्षेत्रीय स्तर पर न समेटा जाए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रकाशन व प्रसारण हो। इसके साथ ही उन्होंने विभाग के निदेश अनूप लाठर को सुझाव दिया कि न्यू मीडिया टूल का अधिक से अधिक प्रयोग करते हुए रत्नावली को फेसबुक व यू-ट्यूब आदि पर भी प्रसार किया जाए जहां से वह देश के बाहर दुनिया तक फैले। कार्यक्रम के आरम्भ में अनूप लाठर ने युवाओं के प्रेरणास्रोत नवीन गुलिया सहित सभी आगंतुकों का स्वागत किया व आभार जताया। कुवि छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा. अनिल वशिष्ठ ने अपने धन्यवाद भाषण में सभी का आभार जताते हुए रत्नावली की वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए बताया कि जिस प्रकार इंद्रधनुष में पहले सात रंग माने जाते थे जो कि फिर 526 गिने गए और आज हजारों रंगों की खोज इसमें हो चुकी है। रत्नावली भी इसी प्रकार उनकी नजर में हजारों रत्नों का गुच्छा बन चुका है। उन्होंने कहा कि आज रत्नावली की छटा हरियाणा से बाहर देश और विदेशों तक पहुंच चुकी है। इस काम को मीडिया ने सुगम बनाया है। उद्घाटन समारोह के अंत में अनूप लाठर ने अपनी पत्नी प्रो. अनू सिंह लाठर का भी आभार जताया जिनके सहयोग व त्याग की बदौलत वह अपनी सांस्कृतिक यात्रा को जारी रख सके और आज रत्नावली का 29 वां आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर कुवि कुल सचिव केसी रल्हन, डीएस डब्लयू अनिल वशिष्ठ, सी आर ड्रोलिया, लोक सम्पर्क विभाग के निदेश डा. ब्रिजेश साहनी, प्रो. अनु सिंह लाठर, प्रो. चतर सिंह आदि अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।  इस अवसर पर कुलसचिव ने कुलपति को समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

हरविंद्र राणा ने जंघम जोगी व डीजे कैंडी ने किया फोकट्रोनिका का प्रस्तुतिकरण

 

रत्नावली के रंगारंग आयोजन को हरियाणवी कलाकार हरविंद्र राणा ने जंघम जोगियों के साथ और भी रंगीन बना दिया। उन्होंने पहले गुरु महिमा के साथ सरस्वती वंदना की व बाद में शिव विवाह की 
हजारों वर्ष पुरानी गाथा को गायन जंघम जोगियों की शैली में प्रस्तुत किया। उनके पश्चात रेडियो मिर्ची से आए डी.जे. कैंडी ने हरियाणवी लोक गीतों को धूम धड़ाके के साथ मिक्स कर के फोकट्रोनिका का प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया व आडिटोरियम हाल में खचा खच भरे दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

 

आडिटोरियम में जमा हरियाणवी पॉप सांग रंग

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर।
रत्नावली समारोह के पहले दिन आडिटोरियम में हरियाणवी पॉप सांग का आयोजन किया गया। हरियाणवी लोक गीतों को पाश्चात्य संगीत व पाश्चात्य वेशभूषा के साथ रंग बिरंगी रोशनियों के बीच दर्शकों को बांधने में सफल रहा।  
सबसे पहले मंच पर आई डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर की टीम ने जब दुल्हा दुल्हन की वेषभूषा के साथ जब छोटी सी बनड़ी फेर्यां मैं जकड़ी, थम ज्याए क्यूं ना जी सोने की तगड़ी........के साथ धमाल मचाते मंच पर आए तो हजारों दर्शकों से भरा आडिटोरियम तालियों की गूंज से गर्ज उठा। इसके साथ ही यूटीडी कुवि की टीम ने  मोबाई आल़ी छोरी गजब कर गी..., सीआर किसान कालेज जींद की टीम ने अपनी प्रस्तुति कुछ यूं दी...इस डालां नजर मिलाई रे, वा छोरी नजर मिलगी.....। दोहपर बाद तक प्रस्तुतियों  का रंग यूं ही जमा रहा। उधर ओपन एयर थियेटर में हरियाणवी स्किट के माध्यम से ज्वलंत समस्याओं पर जम कर कटाक्ष किये गए। इसके साथ ही हरियाणी चुटकुलों ने भी दर्शकों को खूब गुदगुदाया। स्किट में 20 टीमों ने अपने नाम दर्ज करवाए। देर सांय तक प्रस्तुतियां चलती रही। सबसे पहले पानीपत के एसडी कालेज की टीम ने अपनी प्रस्तुति इसा देख्या सुपना दी। उसके पश्चात गुरुनानक खालसा कालेज यमुनानगर की टीम ने माणस कड़ै गए नाम से अपनी स्किट पेश की। जेबीएम कालेज जुलाना की टीम ने देशी फिल्म इंडस्ट्री के नाम से अपनी प्रस्तुति दी। आरके एसडी  कालेज कैथल की टीम ने पर्दाफाश  के माध्यम से आज के नकली संतों पर कटाक्ष किया।

 संवाद देखिये.....
भक्त: बाबा बालक कोनी होंदा...
चेला: बस तेरा काम होग्या, कुटिया मैं ध्यान करण आ जाईये।

इनके अतिरिक्त यूनिवॢसटी कालेज कुरुक्षेत्र आदि सहित सभी टीमों ने रोचक प्रस्तुतियां दी। सभी स्कीटों में प्रतिभागियों ने समाज हित में संदेश भी दिये।

सीनेट हाल में हुआ भ्रष्टाचार आदि ज्वलंत समस्याओं पर चिंतन

कुरुक्षेत्र,27 अक्तूबर।
सीनेट हाल में आयोजित हरियाणवी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
 इसमें दो दर्जन के करीब प्रतिभागियों ने भागीदारी की। यूटीडी, कैथल, भिवानी व रोहतक आदि क्षेत्रों से पहुंचे युवा प्रतिभागियों ने अपने विचारों से सबको उद्वेलित कर दिया। प्रतिभागियों ने कन्या भू्रण हत्या पर व्यंग्य के माध्यम से लोक गीत को कुछ यूं उल्टा कि बाबू देश जांदे प्रदेश जाईयों, मेरी खतर छोरी....., इसके साथ ही समाज के परिवर्तन की जिम्मेवारी भी युवाओं के कंधों पर डालने
 का प्रयास व्याख्यानों के माध्यम से किया गया। यह़ी नहीं भ्रष्टाचार को आम व नींबू की तरह आचार की संज्ञा देते हुए ऐसा लत डालने वाला आचार बताया कि इसकी आदत बनने के बाद छोडऩा मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। इसके साथ ही भ्रष्टाचारी व बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया गया। कोनी मिला मुकाम अब तक होगी क्रांति फिर आदि से युवाओं की उबलती भावनाओं को दिखानेे के साथ शराब के बदले वोट की राजनीति को बदलने का भी आह्वान किया।
 

आरके सदन में बही भजनों की गंगा

रत्नावली के दौरान आर के सदन में आयोजित हरियाणवी भजन में श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया।
 इस प्रतियोगिता में कुल 12 टीमों ने भाग लिया। भजनों की बानगी कुछ यूं रही ... कर्म किया फल पड़ै भोगना नहीं कोई तकदीर बणै.....कर्म तै राजा सेठ बादशा... कर्म तै नग्र फकीर बणै....., आगे देखिये ....रै बंदे सोच समझ कै चाल... गलती मैं जो बणी सो बणी.., एक भजन और यूं रहा... धर्म छोड़ कै  बंदे तनै पछताणा होगा रै....सांई के दरबार मैं तनै एक दिन आणा होगा रै...। युवा भजनियों ने कुछ यूं भक्ति धारा बहाई कि ......लोभी मन काहे बिचारै रे....। भजन समारोह के भजनों ने श्रोताओं को भक्ति रस की पावन डोर से बांधे रखा।