Wednesday, August 24, 2011

देश के किसान हैं दूर्दशा के शिकार : घासीराम नैन



कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
संसद में बैठा प्रत्येक सांसद जनता का प्रतिनिधि है और आम जनता की भांति किसानों के हितों की रक्षा करना भी उसकी जिम्मेवारी है। उक्त शब्द भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष घासीराम नैन ने बुधवार को जाट धर्मशाला में किसानों की बैठक लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि आज देश को आजाद हुए 64 साल हो चुके हैं और हमने 65वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है, लेकिन आज भी इन 65 सालों में देश के किसानों की दूर्दशा हो रही है, जिसकी जिम्मेवार केंद्र सरकार है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का वास्तविक मूल्य भी नहीं मिल पाता। प्रत्येक सरकार फसलों का न्यूनतम मूल्य तो घोषित करती है, लेकिन किसान की फसल के वास्तविक मूल्य का कोई ध्यान नहीं करता। उन्होंने मांग की कि आने वाले धान के सीजन में मोटी धान का रेट दो हजार रुपये प्रति क्विंटल तथा बासमती से सम्बंधित धान का रेट 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल व कपास का भाव 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। नैन ने कहा कि सरकारों ने किसानों को बार-बार मजबूर कर कमजोर कर दिया है और आज किसान अपने हक की बात नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान भी भ्रष्टाचार से बुरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि वे अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किया गया आंदोलन जायज है, जिसका देश का हर किसान समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आने वाले चार या पांच दिनों में सरकार द्वारा अन्ना हजारे की शर्तों को मानकर जनलोकपाल बिल लागू नहीं किया तो प्रदेश का हर किसान उनके समर्थन में उतर जाएगा। उसके लिए चाहे उन्हें किसी भी प्रकार की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े, वे हर प्रकार की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल को लागू करवाने के लिए वे सडक़ों पर, रेलमार्गों पर भी उतरने के लिए तैयार हैं या फिर किसी अन्य प्रकार का प्रदर्शन करने की जरूरत पड़ी तो प्रदेश का कोई भी किसान उस आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा।

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