Thursday, December 20, 2012

गीता जयंती का दूसरा दिन:------विभिन्न लोक संस्कृतियों की मिलन..............




विभिन्न लोक संस्कृतियों की मिलन स्थली बना पुरुषोत्तमपुरा बाग का मुख्य मंच
कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह में लोक कलाकारों ने उदभुत छठा बिखेरी
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
 कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह में पुरुषोत्तमपुरा बाग स्थित मुख्य मंच पर देश के विभिन्न सूबों की मनमोहक लोक संस्कृति से दर्शक रूबरू हुए। उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से अलग-अलग राज्यों से आमंत्रित कलाकारों ने अपने गीत, संगीत और नृत्य की अदभुत प्रस्तुतियों से सभी को अपने मोहपाश में बांधे रखा।

                        उपायुक्त श्री मंदीप सिंह बराड़ द्वारा दीप प्रज्वलन करने के साथ इन अनूठी कला प्रस्तुतियों का सिलसिला प्रारंभ हुआ और देश के अलग-अलग  हिस्सों से आए कलाकारें ने अपने कार्यक्रमों के माध्यम से इसे मकाम तक पंहुचाया। यह सिलसिला हिमाचल की मनमोहक सिरमोर नाटी-नृत्य से शुरू हुआ तो मध्य प्रदेश के शिव पार्वती नृत्य घनघोर के बारस्ता जम्मु कश्मीर के रूफ, मध्य प्रदेश की प्रभू की अराधना का दृश्य प्रस्तुत करते बदई, बिहार का जिजिया नृत्य से अपनी छाप छोड़ता हुआ आगे बढ़ा। इस दौरान राजस्थान के चकरी नृत्य ने दर्शकदीर्घा में बैठे दर्शकों की उस वक्त खूब तालियां बटोरीं, जब राजस्थान के कलाकारों ने एक साथ सैंकड़ों चकर घूम-घूमकर अदभुत नृत्य की आभा प्रस्तुत की।
                        असम का शांत और मनमोहक बिहू नृत्य तथा उत्तर प्रदेश का मयूर नृत्य देखने लायक था, जिसमें यूपी के कलाकारों ने राधा के बरसाने में श्याम संग रास रचाने के आकर्षक दृश्यों से खूब बांधा। उनकी प्रस्तुति बरसाने की मोरकुटि में मोर बन आयो रसिया ने स्कूली बच्चों और आमंत्रित अतिथियों को झूमने पर मजबूर किया। यह कारवां यहीं नहीं रूका और गुजरात के मेवाशी नृत्य तथा मार्शल आर्ट की एक मिसाल प्रस्तुत करता हुआ मणीपुर के घांघटा नृत्य से यह साबित हुआ कि देश के सरहदी कोनों से आए कलाकार कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह के सभी कार्यक्रमों में अपनी धूम मचाकर जाएंगी। हर वर्ष की तरह पुरुषोत्तमपुरा बाग के इस भव्य मंच पर पश्चिम बंगाल का पुरलिया छाहू वास्तव में पूरी प्रस्तुति के दौरान छाया रहा और महाभारतकालीन अभिमन्यू वध के मार्मिक प्रसंग को मुखौटों से ढके कलाकारों ने वास्तव में जीवंत कर दिया।
                        अंतिम प्रस्तुति पंजाब की रही, जहां से यहां के लोक नृत्य भांगड़ा ने सभी को ढोल की थाप पर थिरकने पर मजबूर किया और भंगड़े के साथ नृत्य करते-करते न केवल कलाकार रूखसत हुए, बल्कि दर्शक ों ने भी चेहरों पर आई मुस्कान के साथ पुरुषोत्तमपुरा बाग का यह भव्य पंडाल छोड़ा। कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह अपने शुरूआती मुकाम में इस कार्यक्रम की बदौलत एक छाप छोडऩे में सफल रहा और कलाकारों की लोक नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से इन सभी दर्शकों को आने वाले कार्यक्रमों में इससे भी अधिक धमाल की उम्मीद बंधी। इधर सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मुतासिर सैलानियों ने क्राफ्ट मेले में भी खूब खरीददारी की और सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय प्रदर्शनी के माध्यम से हरियाणा प्रदेश में हो रही तरक्की के भी खुले दर्शन किए। इस अवसर पर एसडीएम अशोक बांसल, केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेंद्र पाल मलिक आदि उपस्थित थे।


कन्याओं ने बेटी बचाओ-सृष्टि बचाओ की आवाज को किया बुलंद
स्कूलों,  शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर निकाली ऐतिहासिक कन्या बचाओ रैली, डीसी ने हरी झंडी देकर किया रैली को रवाना
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
 बेटी बचाओ-सृष्टि बचाओ’, ‘बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहां से लाओगेशब्दों के जरिए कन्याओं ने शहर की गली-गली में जाकर खुद को बचाने की मार्मिक अपील की। इस अपील को करने के लिए प्रदेश भर से सैंकड़ों छात्राएं कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह में उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ के विशेष आहवान पर धर्मनगरी में पंहुची। जिला प्रशासन ने गीता जयंती उत्सव में कन्या भू्रण हत्या को रोकने का थीम चयन किया। इसी उद्द्ेश्य को लेकर बृहस्पतिवार को मेन बाजार में स्थित आर्य स्कूल के प्रांगण में कन्या गुरूकुल खरल नरवाना, शहर व आस-पास क्षेत्र के सभी स्कूलों की छात्राएं व छात्र तथा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी एकत्रित हुए।
 उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने छात्र-छात्राओं को अपना संदेश देते हुए कहा कि आज समाज के सामने बेटी को बचाना एक चुनौती बन गया है। लोग बिना सोचे-समझे कोख में ही बेटी की हत्या करके सबसे बड़ा पाप कर रहे हैं। समाज के लोगों को इस सामाजिक बुराई के प्रति एक संकल्प लेने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है। इसलिए इस उत्सव में बेटी को बचाने का जिला प्रशासन ने एक संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही शहर के हर व्यक्ति को शामिल करने के लिए कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई के प्रति जागरूक करने के लिए उत्सव के दौरान एक रैली निकालने का निर्णय लिया गया था। जयराम विद्यापीठ संस्थाओं के संचालक ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी ने भी बेटी को बचाने का आहवान करते हुए कहा कि जयराम विद्यापीठ संस्था ने भी बेटी को बचाने का संकल्प लिया है। शहर के चारों तरफ संस्था की तरफ से बेटी को बचाने की अपील करने वाले साईन बोर्ड भी लगवाए गए हैं। इसके पश्चात उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने बेटी बचाओ रैली को हरी झंडी देकर रवाना किया। यह रैली मेन बाजार से शुरू होकर शहर की गलियों और महाराणा प्रताप चौक से होती हुई ब्रहमसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में आकर सम्पन्न हुई। रैली में शामिल छात्राओं ने बेटी बचाओ की मार्मिक अपील कर शहर के आम जन को अपने साथ जोडऩे का प्रयास किया। इस मौके पर एसडीएम अशोक बांसल, केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेंद्र पाल मलिक, डीआईपीआरओ देवराज सिरोहीवाल, सीएमओ डा. वंदना भाटिया, डीईओ सुषमा आर्य सहित तमाम अधिकारी, शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।


मुस्लिम कलाकार भी दे रहे धार्मिक एकता का सन्देश
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
गीता जयंती समारोह में ब्रहमसरोवर के उत्तरी तट पर मुस्लिम सम्प्रदाय से ताल्लूक रखने वाले और शिव भोले बाबा का वेश धारण किए हुए करीब 30 वर्षीय फरीद खान यही संदेश देते नजर आए कि धर्म सभी को समान नजरों से देखता है सभी लोगों की भावनाओं को समान अवसर प्रदान करता है। धर्म सही मायने में हर जाति, हर सम्प्रदाय से ऊपर उठकर समाज को जोडऩे का काम करता है और धर्म की परिभाषा भी यही है।
            उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला की तरफ से गीता जयंती समारोह कुरुक्षेत्र में भाग लेने आए राजस्थान निवासी फरीद खान ने बताया कि हमारे लिए काम ही हमारी पूजा और इबादत है। बहरूपिया की यह कला नाट्य कला का ही एक भाग है। इसमें एक ही चेहरे पर अनेक चेहरे बार-बार बनाकर लोगों का मंनोरजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि हमें उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला की तरफ से यहां आने का निमंत्रण मिला है, इससे पहले भी हम कई बार यहां आ चुके हैं।
            फरीद खान ने बताया कि हमारे परिवार की पिछली 6 पीढिय़ां बहरूपिया की कला करती आ रही है और यही हमारी रोजी-रोटी का साधन भी है। हमारी 7वीं पीढ़ी भी इस परम्परा को बरकरार रखते हुए इस कार्य को आगे बढ़ा रही है।
            फरीद खान के साथ मेले में आए उनके भाई नौशाद भी चन्द्रकांता नामक कहानी के पात्र क्रूर सिंह का किरदार निभा कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। क्रूर सिंह का प्रचलित संवाद यक्कू-यक्कू लोगों को इस कदर भा रहा है कि लोग भी उनके सामने वही संवाद बोलने से गुरेज तक नहीं करते। नौशाद ने बताया कि उन्होंने 10 साल की उम्र में अपनी पहली प्रस्तुति जवाहर कला केन्द्र जयपुर में दी थी और इसके साथ-साथ वे उदयपुर जोन के शिल्प ग्राम मेले में भी अपनी प्रस्तुति कई बार दे चुके हैं।
            उन्होंने बताया कि बहरूपिया की यह कला बहुत ही पुरानी है और राजा मानसिंह के शासन काल में यह कला बहुत ही प्रचलित थी। इस कला का प्रयोग जासूसी के लिए भी किया जाता था। नौशाद ने बताया कि आज आधुनिकता के दौर में यह कला डूबती जा रही है लेकिन उनका सत्त प्रयास है कि यह कला आगे चलती रहे। उन्होंने सरकार से भी मांग की कि इस कला को आगे लाने के लिए प्रयास किए जाएं।
            उन्होंने कहा कि बड़ा कठिन है कि जब एक पुरूष, अपने विपरित-स्त्री का किरदार निभाकर लोगों को मंनोरजन करता है। इसके पीछे बहुत कठिन तपस्या करनी पड़ती है। फरीद और नौशाद खान ने गीता जंयती के अवसर पर सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से लोगों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में पता चलता है। ऐसे आयोजन बार-बार किए जाने चाहिए ताकि कलाकारों को हौसला बढ़ सके और उन्हें अपनी कला के प्रदर्शन के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का मंच मिल सके।
           

श्रीमदभगवद गीता की प्रासंगिकता विषय पर दिया व्याखान
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
श्रीमदभागवद गीता के परिपेक्ष में जीवन में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जनून रूपी जोत को जहन में अंगीकृत करने की जरूरत है, इसे कार्यरूप में परिणित करने के लिए वाणी और व्यवहार में समरसता होनी चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्य की प्राप्ति आसान हो जाती है। जो व्यवहारिक जीवन में सही दिशा व दशा देने में कारगर साबित होती है। यह अभिव्यक्ति जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के एडवांस स्टडी सैंटर के चेयरमैन प्रो. सी.उपेन्द्र रॉव ने कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय के सीनेट हाल में कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह के अंतर्गत संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान कुरूक्षेत्र की ओर से आधुनिक समाज में श्रीमदभगवद गीता की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए शोधार्थियों और विद्वानों को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए व्यक्त की।
            गीता ज्ञान विषय को मद्देनजर रखते हुए अपनी अभिव्यंजना में उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में मानव का पूरी तरह से सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर परिष्कृत एवं परिशोधित होना बहुत जरूरी है। हम पे्रम पाने में पराधीन हो सकते है, लेकिन आदर और प्यार देने में कतई पराधीन नहीं है। इस संदर्भ में हम पूरी तरह स्वाधीन है। गीता ग्रंथ में समाहित श£ोकों को अमल में लाए जाने से सभ्य समाज की रचना की भावना को बल मिलता है और आज समाज को इसकी जरूरत भी है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज का हर व्यक्ति समाज सुधार की बात तो करता है, लेकिन अपना सुधार करने की सोच बहुत कम रखता है और यदि रखता है तो उसको अमलीजामा नहीं पहनाता है। यह व्यवस्था की बहुत कमजोर कड़ी है, इसको ठीक करने के लिए हमें स्वयं का सुधार करने की न केवल जरूरत है, बल्कि इसे पूरी तरह कार्यरूप देने की भी आवश्यकता है।
            समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे दरभंगा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बी.एस. कुमार ने कहा कि गीता कर्मकाण्डीय व्यवस्था से मुक्त आख्यान है। योगीराज भगवान कृष्ण वैदिक कर्मकाण्ड से विमुक्त रहने के लिए अर्जुन को निर्देश देते हैं। कर्मकाण्डीय व्यवस्था के प्रति अतिशय प्रतिबद्धता ही विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संषर्घ की स्थिति ला देता है। विश्व इतिहास के पन्ने एतत संबंधी रक्तपात से रंगे है। कर्मकाण्ड किसी धर्म-समुदाय की अस्मिता के लिए अपेक्षित है, पर उसे ही सर्वात्मना महत्व देना मानव धर्म पर आघात करना है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान की गहराई में जाकर उसका मनन और अध्ययन करना समाज सुधार की कड़ी में महत्वपूर्ण कदम है।
            संगोष्ठी में लाल बहादुर विश्व विद्यालय दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो. श्रीधर वशिष्ट ने मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा कि गीता की सार्थकता का संदेश आम आदमी तक पहुंचाने के लिए साहित्य के प्रचार और प्रसार की जरूरत है और यह कार्य तभी संभव हो पाएगा, जब समाज का हर व्यक्ति इसका निर्वाह जिम्मेदारी के साथ करे। उन्होंने कहा कि विवेकहीन व्यक्ति बिना समझ के समाज का तानाबाना बिगाड़ देता है, जबकि विवेकशील व्यक्ति समाज की व्यवस्था में हुए अज्ञान के सुराखों को ज्ञान के माध्यम से भरने का काम करता है।
            इस संगोष्ठी में एमडीयू की डीन प्रो.आशा ने कर्मयोग सिद्धांत का सामाजिक पक्ष, गुरूकुल कांगड़ी वेद विभाग के प्रो. मनुदेव बंधु ने समस्याओं के समाधान में गीता की उपयोगिता, अजमेर के डा. जितेन्द्र ने समाज के उन्नयन में गीता की प्रासंगिकता, हरिद्वार के डा. दीनदयाल ने देवी संपदा, रोहतक की डा. सुनीता ने जागरूकता, होशियारपुर के प्रो. कृष्ण मुरारी ने आधुनिक परिवेश में ज्ञान व्यवस्था, डा. रणवीर सिंह तथा डा. भीम सिंह ने गीता में शोध व्यवस्था इत्यादि विषयों पर अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम में डा. विभा अग्रवाल, डा. रामचन्द्र और प्रो. कृष्ण शर्मा ने मंच का संचालन किया।



क्राफ्ट मेले में टैरा कोटा डैकोरेशन पीस बनें लोगों के आकर्षण का केन्द्र

कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
कुरूक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह के अवसर पर ब्रहम सरोवर के तट पर लगे विशाल क्राफ्ट मेले में टैरा कोटा डैकोरेशन पीस लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनें हुए है। दूर दराज से आए दर्शक घरों की सजावट के लिए इन अद्भूत किस्म की कला कृ़तियों की खूब खरीदारी कर रहे हैं। इन कला कृतियों की विशेषता यह है कि ये लाल, पीली व काली मिट्टी के मिश्रण से तैयार किए गए हैं। इन पर ऑयल पेंट किया गया है तथा इनको आसानी से धोया जा सकता है। धोने के बाद इन का रंग फीका नहीं पड़ता बल्कि इनकी सजावट में कोई फर्क नहीं पड़ता। 

            हस्त शिल्प कला के क्षेत्र में वर्ष 2006 के दौरान राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित गीता जयंती समारोह में दिल्ली से आए लच्छीराम का कहना है कि हस्त शिल्प कला उनका पुस्तैनी व्यवसाय है और उन्होंने अपनी यह कला पैतृकों से सीखी है और इसी हस्त कला को वे अभी तक संजोय हुए हैं। आरम्भ में उनके पूर्वज व स्वयं भी मिट्टी के घड़े, दीये, सुरैर्य तथा गमले इत्यादि वस्तुएं तैयार किया करते थे लेकिन बदलते समय के अनुसार एवं मांग को ध्यान में रखते हुए सजावटी सामान को अधिमान दिया है ताकि लोगों की घरों की सजावट के साथ-साथ घरेलू जरूरतें भी पूरी हो सकें। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय से वे 10 से 15 हजार रूपये प्रतिमाह बचा लेते हैं जिससे उनके परिवार का निर्वाह हो रहा है।
            इन सजावटी कला कृतियों में पानी के फव्वारों के संग भगवान शिव, राधा कृष्ण, महिला के सिर पर मटका, कछवा, मेंढक आदि शामिल हैं। इसके अलावा लोगों की धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए अन्य कला कृतियों में भगवान बुद्ध, भगवान गणेश, राधा कृष्ण झूले आदि शामिल हैं। हस्त शिल्प कलाकार लछीराम ने बताया कि ये कला कृतियां जोकि बड़े मालों एवं शोरूम में मंहगे दामों पर उपलब्ध हैं, यही कला कृतियां हमारे यहां आधे दामों में उपलब्ध हैं।
            कुरूक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह में इन कला कृतियों को देखने व खरीदने वालों की भीड़ उमडी हुई है तथा दर्शक एवं श्रद्धालु इन धार्मिक कला कृतियों से सुकून प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे देश भर में जहां कहीं भी राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय ऐसे आयोजनों का प्रबन्ध किया जाता है तो वे वहां जाकर अपनी इन कला कृतियों की प्रदर्शनी आयोजित करते हैं। वे अब तक मुम्बई, गोवा, अहमदबाद, बैगलोर, दिल्ली हट, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, पटियाला, लुधियाना, चण्डीगढ़ तथा कुरूक्षेत्र जैसे प्रसिद्ध स्थानों पर लगे विशाल मेलों में भागीदारी कर चुके हैं। इसके अलावा उन्हें दुबई, जर्मन व ओमान विदेशों में भी जाने का मौका मिला है। कुरूक्षेत्र में आयोजित गीता जयंती समारोह में तीसरी बार आए हैं। उम्मीद है कि इस बार भी वे आशा अनुरूप ही हस्त शिल्प वस्तुओं की बिक्री से अच्छी आय अर्जित करके जाएंगे।
            लच्छीराम के अनुसार भारत सरकार की ओर से भी हस्त शिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए युवाओं के लिए प्रशिक्षण व्यवस्था की जाती है। इन प्रशिक्षण शिविरों में वे कई बार प्रशिक्षक के तौर पर प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षक दे चुके हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सरकार की ओर से 2 हजार रूपये का मानदेय भी मिलता रहा। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि आज के इस प्रतिस्पर्धा युग में कोई भी काम छोटा नहीं है तथा जीवन यापन करने के लिए अपनी रूचि अनुसार किसी भी काम पर ध्यान केन्द्रीत करके अपनी मंजिल को प्राप्त करें तभी एक सफल जीवन व्यवतीत कर सकते हैं।

सामूहिक विवाह समारोह जयराम विद्यापीठ ने पार किया एक हजार से अधिक शादियों का आंकड़ा
गीता जयंती पर विद्यापीठ में करवाई गई 53 गरीब कन्याओं की शादियां
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
जयराम विद्यापीठ पर गीता जयंती के उपलक्ष्य में पिछले करीब दो दशकों से करवाए जाने वाले सामूहिक विवाह समारोह की श्रृंखला में आज 53 गरीब कन्याओं का कन्यादान देशभर में फैली जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी द्वारा जिला के पुलिस कप्तान राकेश आर्य तथा देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री आई.डी. स्वामी मौजूदगी में किया गया। श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में हर वर्ष पिछले दो दशकों से जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष तथा उत्तरांचल संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सांनिध्य में दिल्ली के सारादेवी चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा करवाया जाता है। इस वर्ष भी सारादेवी चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन राम लाल गोयल तथा उनके परिवार के सदस्यों ने विधि पूर्वक मंत्रोच्चारण के साथ विद्वान ब्राह्मणों और कर्मकांडी पंडितों द्वारा 53 गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया गया।

इस अवसर पर विभिन्न जातियों से सम्बंध रखने वाले युवाओं का विवाह उनके धर्मानुसार करवाया गया। इस सामूहिक विवाह समारोह में एक मुस्लिम जोड़े गांव लुखी की शहनाज और गांव खरींडवा के इमरान का विवाह मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार बाकायदा मौलवी द्वारा निकाह पढक़र करवाया गया।
इस मौके पर जिला के पुलिस कप्तान राकेश आर्य ने बाकायदा गरीब कन्याओं के विवाह समारोह की सराहना करते हुए कहा कि समाज में जिस प्रकार हमें दहेज प्रथा को समाप्त करना और काफी हद तक बिना दहेज के युवाओं को शादियां करने के लिए प्रेरित किया है व सफलता प्राप्त की है, उसी प्रकार हमें आज कन्या भ्रूण हत्या रोकने का भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने श्री जयराम संस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था पिछले काफी समय से समाज सेवा के कार्यों में लगी हुई है और इस संस्था ने इन गरीब कन्याओं के विवाह की एक लंबी श्रृंखला स्थापित कर समाज के लिए उदाहरण ही नहीं स्थापित किया, बल्कि सभी धर्मों को एक ही स्थान पर जोडऩे का कार्य किया है।
जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने गरीब कन्याओं के विवाह के उपरांत नवदम्पतियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह गरीब कन्याएं आज से उनकी बेटियां हैं और वह उनके हर सुख दुख के साथी हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने गुरु परमपूजनीय देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी जी की प्रेरणा से इस यज्ञ को हर वर्ष सम्पन्न करवा रहे हैं और उनका लक्ष्य प्रति वर्ष 100 गरीब कन्याओं के विवाह को सम्पन्न करवाने का है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह उनका लक्ष्य शीघ्र ही पूर्ण होगा। नवदम्पतियों को कहा कि वह सुख दुख में एक दूसरे के साथी ही न बनें, बल्कि समाज के लिए भी कार्य करें। इसी मौके पर कन्या भ्रूण हत्या रोकने में जुटी जींद की रितू सुशीला जागलान को उसके अभियान के लिए डा. शांति स्वरूप अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि रितू जागलान और उसके सरपंच भाई सुनील जागलान ने मिलकर हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश की 112 खाप पंचायतों को बीबीपुर में इक्कठा कर कन्या भ्रूण हत्या रोकने की अलख जगाई थी और इसके लिए बाकायदा हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक करोड़ रुपए के इनाम की घोषणा की थी। समारोह के उपरांत जहां मुख्यातिथि पुलिस अधीक्षक राकेश आर्य को स्मृति चिन्ह दिया गया, वहीं गरीब कन्याओं को दैनिक जीवन के लिए वस्तुएं भी दी गई, जिनमें रंगीन टीवी, टरंक, घड़ी, सिलाई मशीन, बर्तन, डबल बैड, गद्दे, सूट, साड़ी, शॉल, जेवर, नकदी, कुर्सियां, कम्बल इत्यादि भी दिए गए।

यज्ञ वही है, जो समाज कल्याण के लिए किया जाए : संजीव कृष्ण ठाकुर
कुरूक्षेत्र, 20 दिसम्बर (पवन सोंटी)
भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उत्पन्न हुई पावन श्री गीता के जन्मोत्सव के अवसर पर पवित्र ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में चल रही श्रीमद्भागवत पुराण की कथा के तीसरे दिन देश के विख्यात कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने व्यास पीठ से कहा कि कोई व्यक्ति अच्छी जगह पर बैठने से कोई व्यक्ति अच्छा नहीं हो जाता मनुष्य की पहचान उसके चरित्र से होती है।
उन्होंने कहा कि भागवत स्मरण करने और उसमें प्रवेश करने से प्राप्त होती है। समाज में कोई व्यक्ति अपने शरीर से नहीं जीतता, बल्कि उसके आचरण, जीवन शैली, और कर्मों से पहचान होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के सामने की गई प्रशंसा, केवल प्रशंसा है और जीवन है, जबकि उसकी पीठ पीछे कहा गया व्यक्ति का चरित्र है। सत्य सुनने से केवल सत्य नहीं होता, बल्कि सत्य को जीवन में अपनाने से ही सत्य जीवन की प्राप्ति होती है।
संजीव कृष्ण ठाकुर ने कथा में कहा कि हमारे जीवन की संगति और सद्भाव  ही हमें मानव बनाता है। हमारे जीवन के दोष हमें समाज में आलोचना का पात्र बनाते हैं, लेकिन अगर यह दोष दूर हो जाए, तो मानव जीवन की प्राप्ति होती है और यह साधु संगति से प्राप्त हो सकती है। उन्होंने रावण प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर रावण का चरित्र अच्छा होता तो वह आलोचना का पात्र न बनता। जन्म से किसी का सम्मान नहीं होता, बल्कि मनुष्य के कर्म और चरित्र ही उसे सम्मान दिलवाते हैं। रावण को तिरस्कार भी उसके चरित्र और कर्मों के कारण प्राप्त हुआ।
संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा कि दूसरों के दुख को अपना समझने वाला सच्चा हितैषी है। वाणी से कोई सच्चा हितैषी नहीं होता। स्वार्थ की भावना से किया गया यज्ञ परमात्मा को स्वीकार नहीं है। समाज कल्याण के लिए तथा दूसरों के कल्याण के लिए किया गया यज्ञ ही सार्थक होता है और ऐसे यज्ञ में धर्म, कर्म, मोक्ष, काम, संस्कार, संगति सभी का महत्व होता है।


 धन्तौडी निवासी चुरा पोस्त तश्कर संजय कुमार उर्फ सन्जू गिरफतार
कुरुक्षेत्र 20 दिसम्बर।
जिला पुलिस ने चुरा पोस्त तश्कर संजय कुमार उर्फ सन्जू निवासी धन्तौडी को गिरफतार किया। माननीय न्यायालय ने आरोपी को एक दिन के पुलिस रिमाण्ड पर भेजा। यह जानकारी पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार आर्य ने दी।
           यह जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि दिनाक 02.10.12 को सी आई ए स्टाफ  कि पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर धन्तौडी के पास जी टी रोड पर शिव वैष्णो पंजाबी ढाबा  से रेड मार कर काऊंटर से 500 ग्राम अफीम व  बेसमेंट से 3 किंवटल 60 किलोग्राम चुरा पोस्त बरामद किया था तथा मालिक केहर सिंह को मौका से गिरफतार किया था तथा केहर सिंह का पुत्र संजय कुमार बेंसमेंट के पिछले दरवाजे से भागने में कामयाब हो गया था। मुकदमा की तपतीश करते हुए सी आई ए स्टाफ प्रभारी राजेश कुमार के नेतृत्व में उप निरीक्षक हुकम चन्द, सहायक उप निरीक्षक गुलाब सिंह, जगपाल, सिपाही नरेश कुमार, अरविन्द व राजेश कुमार की पुलिस टीम ने दबिश देकर शाहबाद से आरोपी संजय कुमार उर्फ सन्जू पुत्र केहर सिंह निवासी धन्तौडी को धर दबोचा तथा पूछताछ की। पूछताछ पर आरोपी ने माना कि वह कुलदीप निवासी सफीदो से नशीले पदार्थ लेकर तश्करी करता था। पुलिस टीम ने कुलदीप सिंह व केहर सिंह को गिरफतार करके न्याययिक  हिरासत में भेज दिया। आरोपी संजय को गिरफतार करके माननीय न्यायालय में पेश किया। माननीय न्यायलाय ने आरोपी संजय कुमार को एक दिन के पुलिस रिमाण्ड पर भेज दिया है। आरोपी से पूछताछ जारी है।  


ब्रहम सरोवर से 11 बोतल देशी शराब के साथ एक गिरफतार
कुरुक्षेत्र 20 दिसम्बर।
ब्रहम सरोवर से 11 बोतल देशी शराब के साथ एक व्यक्ति को गिरफतार किया गाया| इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि थाना के.यू.के. से हवलदार महेन्द्र सिंह की पुलिस टीम ने रोड धर्मशाला के सामने से शमशेर सिंह पुत्र रामजी लाल निवासी शमशीपुर को 11 बोतल ठेका शराब देशी मार्का जगाधरी नं0 1 के साथ धद दबोचा। बाद गिरफतारी आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई।

धोखे से दुसरे के स्थान पर पेपर देने का आरोपी सहित दो गिरफतार
कुरुक्षेत्र 20 दिसम्बर।
 धोखे से दुसरे के स्थान पर पेपर देने का आरोपी सहित दो को गिरफतार किया गया| यह जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस चौंकी थर्डगेट को सुरजीत सिंह सहायक प्रोफेसर टूरिज्म होटल विभाग कुरुक्षेत्र ने शिकायत दर्ज कराई थी कि हिशम सिंह निवासी दबखेडी, रमेश कुमार निवास सुलखनी की जगह पेपर देता हुआ पाया गया। पुलिस चौकी थर्डगेट से उप निरीक्षक नसीब सिंह की पुलिस टीम ने दोनो आरोपियों हिशम व रमेश कुमार को गिरफतार किया।
  

No comments:

Post a Comment