Thursday, April 23, 2015

थानेसर व लाडवा पंचायत समितियों के वार्डो आरक्षण की सूची जारी, जिलापरिषद का ड्रा स्थगित


थानेसर पंचायत समिति में 8 व लाडवा में 4 वार्डो को अनुसूचित जाति के लिए किया आरक्षित, थानेसर में 30 और लाडवा में 16 वार्डो के आरक्षण के ड्रा निकाले

कुरुक्षेत्र 23 अप्रैल (पवन सोंटी)
 उपायुक्त सीजी रजिनिकांतन ने कहा कि पंचायत समिति थानेसर के वार्डों की वर्ष 2015 की अंतिम प्रकाशन सूची में वार्ड नं. 19, 8, 15, 21, 28, 30, 3, 17 में अनुसूचित जाति की जनसंख्या व प्रतिशतता सर्वाधिक है। इसलिए इन वार्डों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। इसी प्रकार लाडवा में वार्ड नम्बर 7, 6, 8 व 15 को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया हैं।
उपायुक्त ने कहा कि वीरवार को थानेसर व लाडवा पंचायत समिति के वार्डो का आरक्षण कार्य एसडीएम थानेसर सतबीर कुंडू की देखरेख में किया गया। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। वार्ड न. 3 वर्ष  2010 के पंचायत आम चुनाव में महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। इसी प्रकार वार्ड न. 8 वर्ष 2000 व 2010 के पंचायत आम चुनाव में महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। इसी प्रकार वार्ड न. 17 वर्ष 2000 से 2010 में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रह चुका है, वार्ड न. 19 वर्ष 2010 में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। इसी प्रकार वार्ड न. 21 वर्ष 2000 व 2010 में महिला के लिए, वार्ड न. 15 वर्ष 1994 में महिला के लिए, वार्ड न. 30 वर्ष 2000 व 2005 में महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। वार्ड न. 28 किसी भी आम चुनाव में महिला के लिए आरक्षित नहीं रहा गया। इसलिए वार्ड न. 28 को रोटेशन के तहत अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है। अत: आरक्षण के प्रावधानों को मध्यनजर रखते हुए वार्ड न. 3, 8, 15, 17, 19, 21 व 30 का ड्रा किया गया, जिसमें से वार्ड न. 15 व वार्ड न. 30 को अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित किया गया है।
उन्होंने बताया कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए पंचायत समिति थानेसर के लिए एक स्थान का प्रावधान है। पंचायत समिति थानेसर के वार्डों की वर्ष 2015 की अंतिम प्रकाशन सूची में वार्ड न. 25 में पिछड़े वर्ग की सर्वाधित जनसंख्या है। अत: वार्ड न. 25 पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। उपरोक्त प्रक्रिया सम्पन्न करने उपरांत पंचायत समिति थानेसर के वार्ड न. 1, 2, 4, 5, 6, 7, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 16, 18, 20, 22, 23, 24, 26, 27 व 29 शेष रह जाते हैं, जोकि अनारक्षित हैं। उपरोक्त वार्डों में से 7 स्थान महिला के लिए आरक्षित किये जाने हैं। मौके पर बताया गया कि वार्ड न. 20, 23 व 26 जो वर्ष 1994 से लेकर वर्ष 2010 तक सम्पन्न हुए। पंचायत आम चुनाव में महिलाओं के लिए कभी भी आरक्षित नहीं रहे हैं। वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव हरियाणा सरकार विकास एवं पचंायत विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक ईसीए-1-2014/71599-71619 दिनांक 20.11.2014 में आरक्षण पंचायत समिति के बारे में दिए गए प्रावधानों के अनुसार पहले इन वार्डों को महिला के लिए आरक्षित किया गया है। अत: इन वार्डों को छोडक़र शेष बचे वार्ड न. 1, 2, 4, 5, 6, 7, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 16, 18, 22, 24, 27 व 29 में से महिलाओं के स्थान आरक्षण के लिए ड्रा निकाला गया। ड्रा आफ लॉट की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तथा ड्रा आफ लॉट के फलस्वरूप वार्ड न. 2, 5, 14 व 16 महिला के आरक्षित किए गये हैं।
एसडीएम  थानेसर सतबीर कुंडू ने बताया कि पंचायत समिति लाडवा के वार्डों की वर्ष 2015 की अंतिम प्रकाशन सूची में वार्ड न. 7, 6, 8, 15 में अनुसूचित जाति की जनसंख्या व प्रतिशतता सर्वाधित है। अत: उक्त वार्डों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। तदोपरांत उपरोक्त वर्णित वार्डों में से अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। उन्होंने बताया कि वार्ड न. 7 वर्ष 2010 के पंचायत आम चुनाव में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। इसी प्रकार वार्ड न. 6 वर्ष 2000 व 2005 के पचंायत आम चुनाव में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रह चुका है। इसी प्रकार वार्ड न. 8 वर्ष 2010 में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रह चुका है व वार्ड न. 15 वर्ष 2010 में सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो चुका है। अत: आरक्षण के प्रावधानों को मध्यनजर रखते हुए वार्ड न. 6, 7, 8 व 15 का ड्रा किया गया, जिसमें से वार्ड न. 7 व वार्ड न. 8 को अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित किया गया है।
उन्होंने बताया कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए पंचायत समिति लाडवा के लिए एक स्थान का प्रावधान है। पंचायत समिति लाडवा के वार्डों की वर्ष 2015 की अंतिम प्रकाशन सूची में वार्ड न. 10 में पिछड़े वर्ग की सर्वाधिक जनसंख्या है। अत: वार्ड न. 10 पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। उपरोक्त प्रक्रिया सम्पन्न करने उपरांत पंचायत समिति लाडवा के वार्ड न. 1, 2, 3, 4, 5 , 9, 11, 12, 13, 14 व 16 शेष रह जाते हैं जो कि अनारक्षित हैं। उन्होंने बताया कि उपरोक्त वार्डों में से 4 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने हैं। मौके पर बताया गया कि वार्ड न. 1, 2 व 16 जो वर्ष  1995 से लेकर वर्ष 2010 तक सम्पन्न हुए, पंचायत आम चुनाव में महिलाओं के लिए कभी भी आरक्षित नहीं रहे हैं। वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव हरियाणा सरकार विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक इसीए-1-2014/71599-71619 दिनांक 20.11.2014 में आरक्षण पंचायत समिति के बारे में दिए गए प्रावधानों के अनुसार पहले इन वार्डों को महिला के लिए आरक्षित किया जाता है। अत: इन वार्डों को छोडक़र शेष बचे वार्ड न. 3, 4, 5, 9, 11, 12, 13 व 14 में से महिलाओं के स्थान आरक्षण के लिए ड्रा निकाला गया। ड्रा आफ लॉट की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तथा ड्रा आफ लॉट के फलस्वरूप वार्ड न. 5 महिला के आरक्षित किए जाते हैं।

Friday, April 17, 2015

इस्लाम में 'चार बीवियों' की चतुराई --शीबा असलम फहमी



हाल में ही दारुल उलूम देवबंद ने एक महत्वपूर्ण फतवा दिया है। दारुल उलूम देवबंद ने 13 अप्रैल को दिये गये अपने फतवे में कहा है कि इस्लाम हालांकि एक पत्नी के रहते दूसरी शादी की इजाजत देता है लेकिन मुसलमान ऐसा न करें। दारुल उलूम का कहना है कि भले ही शरीयत हमें ऐसी इजाजत देता है लेकिन भारतीय परंपरा में यह मान्य नहीं हो सकता कि एक पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी कर ली जाए। ऐसा करने पर दोनों पत्नियों के साथ अन्याय होगा। तो क्या इस्लाम सच में एक से अधिक बीबियों को रखने की इजाजत देता है?
इस्लाम के बारे में बहुत सारे मौलानाओं का मत है कि इस्लाम चार बीवियों की इजाज़त देता है। लेकिन हकीकत यह है कि इस्लाम में कहीं से भी चार बीबीयों की इजाजत नहीं है। भारतीय मौलानाओं ने बहुत ही कुटिलपूर्ण तरीके से यह भ्रम फैला रखा है कि इस्लाम में चार बीबीयों की इजाजत है। जो लोग यह तर्क देते हैं कि इस्लाम में चार बीबीयों को रखने की इजाजत है वे समझ लें कि इस्लाम में कहीं भी चार बीवियों का पति होने की इजाजत नहीं है।
साहेबान (मुसलमान हजऱात जऱा ग़ौर फऱमाएँ) इस्लाम में चार बीवियों की इजाज़त नहीं है ! युद्ध आदि उपरान्त के आपातकाल में, यतीमों की देखभाल के लिये, कुछ ख़ास शर्तों के साथ इस्लाम में चार बीवियों तक की इजाज़त है, और यह एक पाबन्दी या रोक है उस समाज पर जो कितनी भी औरतों को हरम में रखा करता था। और यह अरब भूमि के केवल एक शहर मदीना के लिए उहुद युद्ध की हार के बाद, विशेष परिस्थिति में लाया गया विशेष-प्रावधान है, जिसे कुरआन में कभी भी, सभी मुसलमानों के लिए, जायज़ या वांछनीय घोषित नहीं किया गया। और इस विशेष एहकाम को भी चार की गिनती पर रोका गया।
उहुद प्रसंग ये है की मदीना शहर जो की इस्लाम में विश्वास ला चुका था, के मुसलमानों की जंग मक्कावासियों से उहुद नामक घाटी में हुई, इस जंग में मदीनावासियों की हार हुई और 700 मर्दों की जनसँख्या घटकर केवल 400 रह गयी, इस परिस्थिति में यतीमों (शहीदों की बेवा और बच्चे) की ज़िम्मेदारी को समाज पर डालने के लिये इस एक प्रावधान को लाया गया की शहीदों के बच्चे अपनी माओं से अलग हुए बिना सहारा पाएं और उन्हें क़ानूनी सरपरस्ती भी मिले। इस आपातकालीन प्रावधान में भी शर्त थी की जो मुसलमान मर्द एक से अधिक बीवी करे वो एक तो इतना समर्थ हो की सबकी देखभाल कर सके, दूसरे वो सभी पत्नियों को एक सामान समझे, और भेदभाव न करे। लेकिन इसी के साथ कुरआन में साफ़ कहा गया है की यह किसी मर्द के लिये मुमकिन नहीं की वह चारों को बराबर का चाहे, इसलिए तुम्हें आदेश यही है की एक ही करो। स्वयं मुहम्मद साहब ने भी कहा है की ये मुमकिन नहीं की शौहर पत्नियों के बीच भेदभाव ना करे। खुद अपने लिए उन्होंने दुआएं मांगी की उनसे किसी (पत्नी) के प्रति पक्षपात ना हो जाये। इसके बावजूद वे खुद मानते हैं कि उनकी आखरी पत्नी हजऱत आयशा ही उनकी सबसे प्रिय पत्नी थीं।
सभ्य, शिक्षित और जागरूक समाजों ने इस मामले में एक साफ़ और ठोस फैसला लेने में अपने धर्म ग्रंथो, पंडित-पादरियों और परंपरा आदि कि रुकावटों को ठोकर से उड़ा दिया। ख़ुद मुसलमानों ने भी अपने फ़ायदे के आगे, वक़्त की ज़रुरत के हिसाब से बैंकिंग, शेयर बाज़ार, आदि से लाभ कमाने को नई व्याख्या द्वारा जायज़ घोषित कर दिया। यही नहीं महकमाती ज़रुरत को देखते हुए जानदार मखलूक (इंसान की भी) कि फोटो उतारना, सफऱ में चुस्त कपड़ों में, ना-महरम और बे-पर्दा नाजऩीनो से ख़िदमत लेना, मोबाइल से एस एम् एस के ज़रिये बीवी को तलाक दे कर चम्पत हो जाना, फ़ोन पर निकाह करना, शादी से पहले होनेवाली बीवी की खूबसूरती की पड़ताल करना, बे-शर्मी से मेहेर हज़म कर जाना, भारतीय उपमहाद्वीप में तो दहेज़ मांगना, ज़ात-पात, ऊंच-नीच जैसी सभी आधुनिक रीतियाँ-कुरीतियाँ डंके की चोट पर अपना ली हैं। लेकिन देश/ दुनिया के कानून के मुताबिक़ एक पत्नी प्रथा को इस्लाम के नाम पर लगातार धता बता रहा है। इस गंभीर अराजकता पर ख़ुद मुसलमान औरतों को समझ और हिम्मत पैदा करना ज़रूरी है क्योंकी वे इस्लाम के नाम पर सरासर बेवक़ूफ़ बनाई जा रही हैं। इस्लाम एक से ज़्याद: बीवी की इजाज़त देता ही नहीं। आपातकाल के दौरान हर समाज अपने नियम कुछ ना कुछ ढीले करता ही है, लेकिन हालात सामान्य होते ही उन विशेष प्रावधानों को ज़ब्त कर लिया जाता है, ये सारी दुनिया का नियम है। इसी के साथ ये भी जानना ज़रूरी है कि कुरआन कहीं पर भी मर्दों को शारीरिक सुख के लिये एक से अधिक पत्नी की इजाज़त नहीं देता। अब सवाल ये उठता है की मुसलमान आलिम क्या कुरआन को सही पढ़ नहीं पाते, या फिर शारीरिक हवस के आगे मजबूर हो कर कुरआन को झुट्लाते रहे हैं? सारी दुनिया में अमीर और अय्याश मुसलमान इस्लाम के नाम पर एक से ज़्याद: शादियाँ, बिना किसी नैतिक, सामाजिक, क़ानूनी और धार्मिक दबाव के कर रहा है। हालाँकि ऐसा करने की आर्थिक स्थिति अधिसंख्य की नहीं है, लेकिन फिर भी कुल मिला कर आए दिन कि ऐसी ख़बरों ने माहौल ऐसा ही पैदा किया है कि अमीर, औसत और गऱीब, किसी भी दर्जे का मुसलमान एक पत्नी के जीते जी उसकी सौत लाने में हिचकिचाता नहीं। वो बड़े आराम से कह देता है कि हमारे यहाँ तो इसकी इजाज़त है। यही नहीं, वो इस ग़लत काम को सुन्नत भी कह डालता है, क्यूंकि मुहम्मद साहब ने एक से अधिक शादियाँ कि थीं। सउदी अरब के पेट्रो-दौलती शेख़ जिस बेशर्मी से अपने हरम सजाए हैं, और 20-25 तक औलादें पैदा कर रहे हैं उसका असर एशिया-अफ्ऱीका की जाहिल, गऱीब और क़बीलाई मानसिकता पर साफ़ देखा जा सकता है। हद ये है की ये जाहिल लोग यूरोप, अमरीका और कनाडा आदि मुल्कों में मज़दूरी करने जाते हैं तो वहां भी अब ये क़ानूनी मांग करने लगे हैं की उनका कल्चर और धार्मिक परंपरा का पालन करते हुए उन्हें एक से अधिक पत्नी की इजाज़त मिले। संख्याबल के बढऩे के साथ इनके हौसले भी बढ़ रहे हैं। इस सब में सबसे मक्कारीपूर्ण है मुसलमानों की मज़हबी कय़ादत का सहयोग ! मुस्लिम समाज को जाहिल, गऱीब और सभ्यता से बैर रखनेवाली इस परंपरा से वफादारी करने वाला बना कर वे अपनी आधी आबादी को निस्सहाय और अपमानित कर रहे हैं। माना की 95त्न मुसलमान मर्द एक ही शादी करता है लेकिन इस अपराध को मान्यता देकर सौत की तलवार को तो लटकाए रखा ही गया है। कोई ताज्जुब नहीं की मौलानाओ को पढ़ी-लिखी, आत्म-निर्भर, सत्ता में भागीदार मुस्लिम महिला कितनी खटकती है। जब भारत के इन्साफ पसंद हल्क़े दलित-आदिवास महिलाओं के साथ मुसलमान महिलाओं को भी संसद में आरक्षण की बात कर रहे थे तो ये ख़ुद-परस्त कठमुल्ले इस साज़िश के लिये इकठ्ठा हुए की हमारी औरतें तो संसद में जाएंगी नहीं क्यूंकि वह सत्ता में सिर्फ़ इस्लामी मुल्क में ही शामिल हो सकती हैं। कोई इनसे पूछे की जहाँ सत्ता में अपनी बात बताने के लिये सबसे ज़्यादा भागीदारी की ज़रुरत है वहीँ वे इसे रोक कर उनके प्रतिनिधित्व को कैसे पूरा करेंगे? 62 बरसों में इन कठमुल्लों ने बे-ईमान, मेहेर-ख़ोर, धोकेबाज़ी से दूसरी शादी करने और बात-बे-बात तलाक की तलवार चलानेवाले शौहरों की नकेल कसने के लिये कोई मुहिम नहीं चलाई, अब जब लगा की ख़ुद मुसलमान औरत संसद में बैठकर कहीं क़ानून और क़ायदे की बात ना करने लगे तो लगे इस्लाम-इस्लाम करने। इनसे पूछा जाना चाहिए की भाई अभी तक तो आपको इसी जम्हूरियत से ही सभी कुछ चाहिए था।
आरक्षण से लेकर इंसाफ़ तक! तो फिर इस मामले में जम्हूरियत में ऐब क्यूँ निकल आया? अगर ये इस आशंका से पीडि़त हैं की इलेक्शन-विलेक्शन में हमारी औरतों को ग़ैर मर्दों के बीच जाना पड़ेगा जहाँ वे सुरक्षित नहीं, तो इसमें कोई बड़ा मसला नहीं, हमारी औरतों का हमारे मर्द साथ दें। लेकिन सवाल यह है कि आंकड़े बताते हैं कि हिन्दू हो या मुसलमान या सिख या इसाई, औरतों की इज्ज़त पर हाथ तो ज़्यादातर अपने ही डालते हैं। दूसरे ये कि मुस्लिम देशों में जो बलात्कार होते हैं वे क्या इम्पोर्टेड बलात्कारियों द्वारा किये जाते हैं? मुसलमान मर्द ना हुआ फ़रिश्ता हो गया और वो भी एक ऐसा फ़रिश्ता जिसे एक तरफ तो चार-चार औरतों कि महती आवश्यकता पड़ रही है अपनी कामुकता को साधने के लिये दूसरी तरफ़ उसी की हिफ़ाज़त में औरत सुरक्षित है। इसका मतलब सामने से तो यही निकल रहा है कि हम हमारी औरतों के साथ कुछ भी करें, दूसरा ना करे बस यही देखना है। इस मामले में हिन्दू मर्द भी उतने ही बड़े जियाले हैं। उनका ध्यान भी बस इस तरफ़ है कि हमारी लड़कियों को कोई शाहरुख़ खान, आमिर खान, ज़हीर खान, इमरान खान आदि बेवक़ूफ़ ना बना पाएं, वे ख़ुद चाहें तंदूर काण्ड करें या घासलेट काण्ड, मट्टू काण्ड करें या खैरलांजी। लेकिन बेचारे हिन्दू मर्दों के पास इस्लाम को बचाने जैसे बहाने नहीं हैं (बजरंगियों, हिन्दू-वाहिनियों आदि को छोडक़र) इसलिए उन्हें भारतीय संस्कृति कि बेपनाह फि़क्र सताए रहती है। ख़ैर, सवाल ये है की क्या इस्लाम इतना मासूम मज़हब है कि अपनी आधी आबादी को हर समय ग़ुलाम की हैसियत में रखने का इन्तिज़ाम कर के भी वह उनसे एकनिष्ठ समर्पण की उम्मीद कर सकता है? तब, जबकि वह औरत को शिक्षा, रोजग़ार, संपत्ति और कय़ादत से ख़ारिज नहीं करता? कोई भी इंसान शिक्षित, आत्म-निर्भरता, संपत्ति का स्वामी और सत्ता में भागीदार होकर भी तीन सौतों को क्यूँ झेलेगा? ज़ाहिर है पढ़ी लिखी, आत्मनिर्भर, स्वयं-सिद्ध मुसलामन औरतें ये लोग पैदा ही नहीं होने देना चाहते। इस्लाम में- परदे के नाम पर शिक्षा पर रोक, बाल-विवाह को जारी रखने के लिये शारदा एक्ट से परहेज़, निकाह और तलाक के पंजीकरण से परहेज़ जिससे धूर्त पति की नाक में नकेल ना कसी जा सके, चार बीवियों को कुदरती मर्दानी यौन-ज़रुरत बताना और सत्ता में भागीदारी को इस्लाम विरूद्ध बता कर एक महिला विरुद्ध महाद्जाल बुना गया है की एक तरफ से निकले तो दूसरे पायदान पर अटक जाए। मौलाना हजऱात की इन खुली धांधलियों में इस्लाम धर्म की फज़़ीहत तो एक साइड-इफ़ेक्ट है, डाईरेक्ट-इफ़ेक्ट जो इंसानों की ज़िन्दिगी पर पड़ता है उसकी गंभीरता को समझना ज़्यादा ज़रूरी है। मौलानाओं की इन्ही हरकतों की वजह से मुसलमानों में शिक्षा का विकास नहीं हो पा रहा है। आज मुसलमान विश्व के स्तर पर कोई योगदान देने की बात तो दूर, ख़ुद अपने घर-परिवार, ख़ानदान-समाज के मसलों पर भी सही सोच नहीं पैदा कर पा रहा। और मर्द-औरत के रिश्तों में बिगाड़, तनाव, तलाक और हिंसा बढ़ी है। दूसरे मामलों में भी तर्क का नहीं तालिबानीकरण का सहारा लेने का चलन बढ़ रहा है।
इस्लाम में चार शादियों की ‘इजाज़त’ की धांधली उस ही बड़ी साज़िश का हिस्सा है जो मौलाना अशरफ़ अली थानवी मार्का व्यभिचार को धर्म के अंधे विश्वासों से जायज़ ठैराती है। लेकिन यदि किसी कूढ़-मघज़ को अब भी यह अपराध इस्लाम के नाम पर करना है तो इस्लाम की सही व्याख्या करने से परहेज़ नहीं, ना ही इस्लाम के इतर देश के क़ानून को सर्वोपरि मानने से। आखिर सवाल आधी आबादी के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास का है। ऐसी शादियों में पैदा होनेवाली औलादों के मानसिक संतुलन और स्वास्थ्य का है, एक कमाने और ज़्यादा खानेवालों की उपस्थिति से पैदा हुई गऱीबी, अशिक्षा और अवसाद का है। इस दुनिया के अभावों-अपमानों से निजात के तौर पर, ‘उस दुनिया’ के ऐश और सम्मान की उम्मीद पर खुदकश होने को तैयार नौनिहालों की इस दुनिया में वापसी का है। इसलिए इन अहम् मसलों को मुल्लाओं पर छोडऩा खतरनाक होगा, अक़ल से काम लीजिये, साफ़ और ठोस एक्दाम के ज़रिये समाज को कबीलाई मानसिकता से उबारिये। वरना जिस ‘युद्ध जैसे आपातकाल’ के लिए चार-शादी की ना-पसंद वयवस्था करनी पड़ी थी वो पूरी इंसानियत का स्थाइकाल बन जाएगा। तालिबानों की व्यवस्था इस ओर क़दम बढ़ा ही चुकी है। लगातार युद्ध के आपातकाल में जीना मुसलमान की नियति कब तक बना रहेगा?
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जिला परिषद के वार्डों की आरक्षण प्रक्रिया 23 अप्रैल को


कुरुक्षेत्र 17 अप्रैल |
 उपायुक्त सीजी रजिनिकांतन ने कहा कि हरियाणा पंचायती राज चुनाव नियमावली 1994 के अनुसार जिला कुरुक्षेत्र की पंचायत समितियों के वार्डों की सूची तथा जिला परिषद के वार्डों की सूची का अंतिम प्रकाशन 16 अप्रैल को किया जा चुका है। अब वार्डों के आरक्षण का कार्य 23 अप्रैल को सुबह 11 बजे उपायुक्त कार्यालय के सभा कक्ष में किया जाएगा। 
उन्होंने आज यहां जारी एक नोटिस में कहा है कि पंचायत चुनाव के नोटिस एवं प्रारंभिक प्रकाशन 26 मार्च 2015 द्वारा हरियाणा पंचायती राज चुनाव नियम के तहत जिला में स्थित जिला परिषद व पंचायत समितियों थानेसर, पिहोवा, लाडवा, शाहाबाद, बाबैन व इस्माईलाबाद के वार्डों की सूची का प्रारंभिक प्रकाशन 26 मार्च को किया गया था। अब उपरोक्त तिथि को प्रारंभिक प्रकाशन किए गए पंचायत समितियों के वार्डों की सूची बारे एसडीएम थानेसर, पिहोवा, शाहाबाद व एडीसी कुरुक्षेत्र द्वारा निर्धारित समयावधि के दौरान एतराजों तथा अपीलों का निपटान करने के उपरांत रिपोर्ट को सम्प्रेषित किया गया है। नियमानुसार पंचायत समितियों के वार्डों की सूची तथा जिला परिषद के वार्डों की सूची का अंतिम प्रकाशन 14 अप्रैल को किया जा चुका है। आमजन के अवलोकन के लिए इसकी एक प्रति नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा दी गई है।
उन्होंने बताया कि पंचायती राज चुनाव नियमावली के अनुसार जिला परिषद कुरुक्षेत्र के वार्डों में से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति महिला, सामान्य श्रेणी व सामान्य श्रेणी की महिलाओं तथा पिछड़ी जाति के लिए वार्ड आरक्षित करने के लिए 23 अप्रैल 2015 को प्रात: 11 बजे सभाकक्ष उपायुक्त कार्यालय में लॉट का कार्य किया जाएगा। 

Thursday, April 16, 2015

खराब फसलों की भरपाई के लिए दोबारा गिरदावरी के लिए मिलेंगे सीएम से : सुधा



विधायक सुभाष सुधा ने तेज बारिश के बीच किया गांव का दौरा

 बारिश से खराब फसलों का लिया जायजा, किसानों से बातचीत कर सुनी समस्याएं 

कुरुक्षेत्र 16 अप्रैल - थानेसर विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि बारिश और तेज आंधी के कारण किसानों की फसलों को और अधिक नुकसान पहुंचा है। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल के दाने काले होने शुरू हो गए हैं। किसानों की फसल के नुकसान की भरपाई और उचित मुआवजा दिलवाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सोमने एक बार पुन: गिरदावरी करवाने के मामले को रखेंगे। भाजपा सरकार किसानों की खराब फसल का उचित मुआवजा देगी, क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं बहुत चिंतित हैं। 

विधायक सुभाष सुधा ने वीरवार को तेज बारिश के बीच किसानों की गत देर शाम से हो रही बारिश से फसलों के नुकसान का जायजा लेने के लिए गांव नरसिंह फत्तुपुर, सलारपुर, आलमपुर, सनेहड़ी खालसा, कुवांरखेड़ी, टीगरी आदि दर्जनों गांवों का दौरा किया। विधायक ने स्वयं खेतों में जाकर खराब फसल को चैक किया। गांव फत्तुपुर के पास खेतों में खड़ी फसल के दाने काले पडऩे शुरू हो गए हैं। इन दानों को हाथ में लेकर विधायक ने स्वयं जायजा लिया। इस दौरान किसान शमशेर सिंह, जोगिंद्र सिंह आलमपुर, इशम सिंह, मामचंद, रोशन लाल सनेहड़ी, सुंदर सिंह, लीला राम, ईश्वर सिंह, हुकम सिंह आदि ने विधायक सुभाष सुधा के सामने गत दिवस तेज बारिश और आंधी से गेहंू की फसल के नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में हुई बारिश के कारण खेतों में पानी खड़ा हो गया है और फसल जमीन पर लेट गई है। जहां फसल का पहले 25 प्रतिशत नुकसान था, अब यह दर बढ़ कर 50 प्रतिशत पर पहुंच गई है। किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार को एक बार फिर से नुकसान का सही आंकलन करने के लिए गिरदावरी करवाने के आदेश जारी करने चाहिए और जल्द से जल्द खराब फसल का मुआवजा दिलवाना चाहिए। इन तमाम समस्याओं को सुनने के उपरांत विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खराब मौसम और लगातार हो रही बारिश से किसानों की फसल के खराब होने से बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को उचित मुआवजा देगी। गत देर सायं से हो रही बारिश से फसलों के खराबे में हुई और बढ़ोत्तरी के नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलकर दोबारा गिरदावरी करवाने की मांग भी करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। सरकार अधिक से अधिक मुआवजा देकर किसानों को आर्थिक सहायता  मुहैया करवाएगी।


व्यापारियों की समस्याओंं का समय रहते किया जाएगा समाधान : सुधा
विधायक सुभाष सुधा ने सुनीं व्यापारियों की समस्याए, मार्केट कमेटी अधिकारियों से लिया गेहूं आवक का विस्तृत ब्यौरा

कुरुक्षेत्र 16 अप्रैल - थानेसर विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि अनाजमंडियों में व्यापारियों की समस्याओं का समय रहते समाधान किया जाएगा। मार्केट कमेटी के साथ-साथ तमाम एजंसियों के अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार व्यापारियों और किसानों को तमाम प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवानी होंगी। विधायक सुभाष सुधा वीरवार को अनाजमंडी मार्केट कमेटी कार्यालय में व्यापारियों की समस्याओं को सुन रहे थे। उन्होंने मार्केट कमेटी के अधिकारियों से गेहूं की आवक से सम्बंधित विस्तृत ब्यौरा लेते हुए कहा कि बारिश के कारण निश्चित ही व्यापारियों और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृति के आगे किसी का जोर नहीं है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को व्यापारियों की समस्याओं को जानकर उनका समाधान करना होगा। इस मामले में जरा सी भी कौताही सहन नहीं की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने व्यापारियों से एजेंसियों द्वारा खरीद कार्यों, उठान कार्यों, नमी आदि अन्य समस्याओं की भी जानकारी हासिल की। इस मौके पर एआर पंकज धवन, सुरेंद्र सिंह, डीपी सिंह, हरी सिंह, दौलत राम, दयालचंद, ओमप्रकाश, शामलाल, मोहन लाल, बनारसी दास, लखी राम, रामकिशन, नरेंद्र, शशि जैन, हरविंद्र बंसल आदि व्यापारी मौजूद थे।

यूएचबीवीएन ने टयूबवैलों के लिए जारी किए बिजली के 366 कनैक्शन 

कुरुक्षेत्र 16 अप्रैल - उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम की तरफ से मार्च माह तक टयूबवैलों के लिए बिजली के 366 कनैक्शन जारी किए गए हैं। यूएचबीवीएन के एसई धर्मवीर धनखड़ की तरफ से जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत 31 मार्च 2015 तक यूएचबीवीएन की तरफ से कुरुक्षेत्र डिविजन में 118 टयूबवैलों के लिए बिजली के कनैक्शन जारी किए गए हैं। इसी तरह शाहाबाद डिविजन में 88 और पिहोवा डिविजन में टयूबवैलों के 160 बिजली के कनैक्शन जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के पास 657 आवेदन बकाया हैं और पांच टयूबवैल कनैक्शन के लिए चैंकिंग रिपोर्ट पैंडिंग हैं।

किसान 15 जून से पहले नहीं कर सकते धान की रोपाई : वजीरहरियाणाा भूमिगत जल परीक्षण अधिनियम 2009 किया लागू, बिजाई के लिए कृषि विभाग ने रखा 15 मई का समय

कुरुक्षेत्र 16 अप्रैल - कृषि विभाग के उप-निदेशक डा. वजीर सिंह ने कहा कि कुरुक्षेत्र जिला के सभी खंडों को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। इसलिए किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने हरियाणा भूमिगत जल परीक्षण अधिनियम 2009 को लागू किया है। इस अधिनियम के तहत कोई भी किसान 15 मई से पहले धान की बिजाई और 15 जून से पहले धान की रोपाई नहीं कर सकता है। 
डा. वजीर सिंह ने आज यहां एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि उपायुक्त सीजी रजिनिकांतन के दिशा-निर्देशानुसार जिला कुरुक्षेत्र में किसी भी किसान को 15 जून से पहले धान की रोपाई का कार्य नहीं करने दिया जाएगा। जिला कुरुक्षेत्र में लगभग एक लाख 17 हजार हैक्टेयर में धान की खेती की जाती है। धान की नर्सरी की बिजाई का सही समय 15 मई से 30 जून तक और रोपाई का समय 15 जून से 30 जुलाई तक निर्धारित किया गया है। अगर किसान इस निर्धारित समय से पहले रोपाई या बिजाई करते हैं तो उससे भूमिगत जल का अत्याधिक प्रयोग होता है। उन्होंने कहा कि अगेती धान के एक किलोग्राम उत्पादन के लिए 4500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सही समय पर बिजाई किए गए धान के लिए एक किलोग्राम उत्पादन के लिए लगभग 1500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि सभी किसान सरकार के नियमों का सम्मान करें और समय से पहले बिजाई और रोपाई का कार्य न करें। इन तमाम प्रयासों के बावजूद अगर कोई किसान कानून का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इतना ही नहीं, 10 हजार रुपए प्रति एकड़ जुर्माना के साथ बिजाई औ रोपाई की गई धान को नष्ट करने का खर्चा दोषी किसान को ही वहन करना पड़ेगा। पहली बार दोषी पाए जाने पर अस्थाई तौर पर और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर स्थाई तौर पर बिजली का कनैक्शन काट दिया जाएगा।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने १० अधिकारियों को किया पदोन्नत

कुरुक्षेत्र16 अप्रैल ।  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति लैं जनरल डॉ.डीडीएस संधू के आदेशानुसार स्थापना शाखा के सहायक कुलसचिव यशपाल पुनिया तथा लेखा शाखा के सहायक कुलसचिव राजेन्द्र कुमार  को बजटिड पद पर, डीन ऑफ कालेज के प्रशासनिक अधिकारी श्रीनिवास को सहायक कुलसचिव  तथा योजना  शाखा के अधीक्षक मनोहर कृष्ण को प्रशासनिक अधिकारी  के पद पर पदोन्नत किया गया है। साथ ही गोपनीय शाखा के सहायक विपिन त्यागी, स्थापना शाखा के पुरूषोत्तम कुमार, परीक्षा शाखा के रंगतू राम व बलदेव सिंह, जनसंचार एवं मीडिया प्रोद्योगिकी संस्थान के तीर्थ राम तथा संचालन शाखा के सुन्दर राम को उप-अधीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया है।


हिन्दी अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर : प्रो. बाबू रामपा्रो. बाबू राम ने अमेरिका में आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में पढ़ा शोध पत्र

कुरुक्षेत्र,१६ अप्रैल । २१वीं सदी के विश्व बाजारवाद के दौर में हिन्दी अनेक सोपानों को पार करके अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर है । यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. बाबू राम ने अमेरिका के न्यू जर्सी में रटगर्स यूनिवर्सिटी में आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में शोध प्रस्तुत करते हुए व्यक्त किए । प्रो. बाबू राम ने कहा कि वैज्ञानिक अविष्कारों और तकनीकी के विकास के कारण समस्त भूमण्डल एक ग्लोबल विलेज हो गया है । हिन्दी के क्षितिज के विस्तार की अनेक संभावनाएॅं और चुनौतियां भी हैं । आजकल हिन्दी रोजगारोन्मुख भी होती जा रही है । प्रो. बाबू राम ने हिन्दी संगम फाउंडेशन व रटगर्स यूनिवर्सिटी न्यू जर्सी द्वारा गत ३ से ५ अप्रैल को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी का बढ़ता संसार : संभावनाएॅं और चुनौतियॉं विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया ।
 उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन भारत के महावाणिज्य दूत ज्ञानेश्वर मुले ने किया था । कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी संगत फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री अशोक ओझा ने की थी । दुनियाभर में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी केन्द्र खोलने का सम्मेलन में फैसला भी लिया गया । 
प्रो. बाबू राम ने जहॉं अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया वहीं सम्मेलन के एक सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिन्दी की दशा व दिशा पर भी अपने विचार रखे । प्रो. बाबू राम ने सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति देेने पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति लै. जनरल डॉ. डीडीएस संधू व अधिकारियों का आभार व्यक्त किया । प्रो. बाबू राम इससे पहले भी अनेक देशों में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं ।


भ्रष्टाचार के आरोप में हरियाणा एग्रो के डीएम और एफसीआई के इंस्पेक्टर के खिलाफ होगी कार्रवाई : खंडेलवालखेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव खंडेलवाल ने किसानों, व्यापारियों से की बातचीत

कुरुक्षेत्र/पिपली 16 अप्रैल - हरियाणा प्रदेश के खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. केके खंडेलवाल ने पिपली अनाजमंडी में व्यापारियों की शिकायत करने और भ्रष्टाचार के आरोप पर तुरंत कार्रवाई करते हुए हरियाणा एग्रो के डीएम और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। इतना ही नहीं, एफसीआई इंस्पेक्टर को हटाने और डीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए हरियाणा एग्रो के एमडी के पास रिपोर्ट भेज दी गई है। राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस पोलिसी पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। 
डा. केके खंडेलवाल वीरवार को शाहाबाद, बाबैन, लाडवा, पिपली मंडी का निरीक्षण करने, व्यापारियों, किसानों की समस्याएं सुनने और अधिकारियों को समस्याओं का तुरंत समाधान करने तथा एजेंसियों के अधिकारियों से आवक से सम्बंधित जानकारी लेने के उपरांत पिपली पैराकीट में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसके पश्चात अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. केके खंडेलवाल ने पिहोवा व इस्माईलाबाद अनाजमंडी का भी दौरा किया। इस दौरान डा. केके खंडेलवाल ने विभिन्न एजेंसियों की उन मशीनों को भी चैक किया, जिन मशीनों के जरिए गेहूं की नमी को जांचा जा रहा था। उनके साथ थानेसर विधायक सुभाष सुधा भी साथ में थे। उन्होंने भी किसानों और व्यापारियों की समस्याओं के बारे में डा. केके खंडेलवाल को अवगत करवाया।
अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. खंडेलवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशानुसार जिला कुरुक्षेत्र की मंडियों का निरीक्षण किया गया है और प्राकृतिक आपदा बारिश से सामने आई दिक्कतों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इस बार जिला कुरुक्षेत्र की मंडियों में 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है क्योंकि गत वर्ष मंडियों में 4 लाख 97 हजार मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी। इसके लिए जिला कुरुक्षेत्र में कुल 22 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से सभी मंडियों में खरीद के शानदार प्रबंध किए हैं, परंतु प्रकृति की मार से सरकार पूरी तरह वाकिफ हैं। राज्य सरकार ने बारिश को देखते हुए नमी के प्रतिशत को 12 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया है।  14 प्रतिशत नमी तक कोई कट नहीं लगेगा। इस बार बेमौसमी बारिश के कारण गेहूं का दाना कमजोर हो गया है। इस मौसम के कारण गेहूं का दाना छोटा और टूटा हुआ मंडियों में पहुंच रहा है। सरकार ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए टूटे और छोटे गेहूं के दाने के 6 प्रतिशत को बढ़ाकर 9 प्रतिशत तक कर दिया है।  6 से 8 प्रतिशत तक एक प्रतिशत कट लगाया जाएगा यानि 14 रुपए 50 पैसे और 8 से 9 प्रतिशत तक 2 प्रतिशत कट यानि 29 रुपए की कटौती की जाएगी। 
डा. केके खंडेलवाल ने कहा कि बारिश के कारण गेहूं के दाने से चमक खत्म हुई है। सरकार ने बारिश से उत्पन्न हुई स्थिति को ध्यान में रखते हुए और किसानों को राहत देने के लिए नये मापदंड निर्धारित किए हैं। नये मापदंडों के अनुसार 10 प्रतिशत तक कोई कट नहीं लगाया जाएगा। इसके बाद गेहूं के दाने में 10 से 50 प्रतिशत तक वाले गेहूं में 3 रुपए 62 पैसे प्रति क्विंटल कट निर्धारित किया गया है। जिला प्रशासन के अधिकारी भविष्य में भी अच्छे इंतजाम करेंगे ताकि किसानों और व्यापारियों को किसी प्रकार की समस्या न आए। मंडियों की इस रिपोर्ट को देर सायं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ होने वाली बैठक में रखा जाएगा ताकि राज्य सरकार के प्रयासों से किसानों और व्यापारियों को प्रकृति की मार से राहत मिल सके। इस मौके पर उपायुक्त सीजी रजिनिकांतन, एसडीएम सतबीर कुंडु, डीएफएससी डा. प्रेम पाल, व्यापारी रमेश मदान, अमीर चंद, राजकुमार अटवान, धर्मपाल मथाना, नरेंद्र पाल, कप्तान सिंह, बनारसी दास, पवन, मदान, अजय मदान, राजीव गोयल सहित जिला के अन्य अधिकारी मौजूद थे। 
फोटो कैप्शन - पिपली अनाजमंडी में मशीनों से गेहूं की नमी की जांच करते अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. केके खंडेलवाल