कागजों में ही खड़ोंजे से सीसी बन गई गलियां
कार्रवाई रजिस्टर में खाली जगह पर लाईने लिखकर की लीपापोती
कुरुक्षेत्र/मेघराज मित्तल
हरियाणा सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण का प्रयास अपने आप में कितना फलीभूत हो रहा है, यह तो सरकार ही जाने, लेकिन पंचायतों के नुमाइंदे कुछ ज्यादा ही सशक्त हो रहे हैं। कुरुक्षेत्र के खंड लाडवा के गांव मेहरा की पंचायत ने तो सशक्तिकरण की हदें ही पार कर दी। गंगापुत्रा टाइम्स ने भ्रष्टाचार की दलदल में धंसे सरपंच की इस कथा को जिस प्रकार खंगाला है, उसका चौथा भाग आपके सामने हैं।
ग्रामीणों के अनुसार सरपंच द्वारा ऋषिपाल के घर से लेकर सुरेश पाल के घर तक की गली साल 2006-07 में ईंटों की बनाई गई थी, लेकिन उसी गली को वर्ष 2008 में फर्जी तौर पर सीसी की बनी दिखाकर सरकारी पैसे व सामान का गबन किया गया और इसी गली को सीसी की बनाने के लिए पंचायत की स्टॉक बुक में से 22 फरवरी 2008 को 1600 फुट बजरी भी जारी की गई तथा मजदूरों को लेबर भी फर्जी मस्ट्रोल तैयार कर दी गई। आर.टी.आई. एक्ट 2005 के तहत ली गई जानकारी में पंचायत द्वारा 31 दिसम्बर 2007 को गली को लेकर जो रैजुलेशन पास किया गया, उस रैजुलेशन में नीचे कुछ जगह खाली पड़ी हुई थी, लेकिन जांच के दौरान फर्जी तौर पर उस स्थान पर कुछ लाईनें भी लिखी गई, जबकि असली रैजुलेशन की प्रति कॉपी कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा आर.टी.आई. के दौरान प्राप्त की हुई थी। इतना ही नहीं सरपंच द्वारा स्टॉक बुक का फर्जी पेज भी तैयार किया गया, जिसमें ईंटों की एंट्री बाउचर नं.41, 5 अगस्त 2008 में दिखाई गई, जबकि असली स्टॉक बुक में यह एंट्री वाउचर नं.41, 5 अगस्त 2008 में यही ईंटें महिला मंडल में लगी हुई दिखाई गई। इतना ही नहीं इसी गली को सीसी की बनी हुई दिखाने के लिए 23 अगस्त 2008 को 250 कट्टे सीमेंट भी स्टॉक बुक में जारी करके गली में लगा हुआ दिखाया गया तथा आरसीसी की गली में 3 अगस्त 2008 को स्टॉक रजिस्ट्रर से 2700 फुट कोरसैंट रेता भी जारी कर गली में लगा हुआ दिखाया गया। इसी तरह गांव की कई अन्य गलियों को बनी दिखाने के लिए हेर-फेर किया गया तथा 7 दिसम्बर 2007 को पंचायत द्वारा एक रैजुलेशन पास कर दूसरी गली को सीसी की बनी दिखाया गया, जिसमें 3600 फुट बजरी भी स्टॉक रजिस्ट्रर से जारी की गई तथा पंचायत द्वारा 7 दिसम्बर को डाले गए रैजुलेशन में जो नीचे खाली स्थान पड़ा हुआ था, उसमें भी सरपंच द्वारा फर्जी तौर पर कुछ लाईनें लिखी गई हैं, जिससे साफ पता चलता है कि सरपंच द्वारा ग्राम सचिव के साथ मिलकर पंचायती रिकार्ड से भी छेडख़ानी की गई है। यही नहीं गांव निवासी निर्मल ङ्क्षसह पुत्र साहब ङ्क्षसह ने बताया कि पेमैंट ऑफ स्ट्रीट स्कीम के तहत एसडीओ पंचायती राज खंड लाडवा द्वारा वर्ष 2009-10 में हरबंस ङ्क्षसह के घर से राधाकृष्ण मंदिर तक जो गली बनाई गई उस गली की लागत 10 लाख रुपये दिखाई गई है। इसके अलावा रण ङ्क्षसह के घर से सेवाराम व जरनैल ङ्क्षसह के घर तक बनाई गई गली में 3 लाख 37 हजार रुपये का खर्च दिखाया गया, जबकि विभाग द्वारा ही इस गली की जांच के दौरान इस गली पर खर्च राशि 56 हजार रुपये दिखाई गई है। इतना ही नहीं एसडीओ पंचायती राज द्वारा नारंग पती चौपाल से कालू राम की बैठक तक बनाई गई गली पर 4 लाख 84 हजार 400 रुपये की राशि खर्च दिखाई गई। निर्मल ङ्क्षसह ने बताया कि पंचायती राज द्वारा बनाई गई इस गली के बीच में मोटाई कम है और साइडों में अधिक दिखाई गई है। गली बनाते समय उसमें सीमेंट व रेत-बजरी लगाया गया, वह भी कम मात्रा में है और पंचायती राज द्वारा इस गली की मोटाई अधिक दिखाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर गबन किया गया। इसी मामले की जांच भी लोकायुक्त हरियाणा द्वारा उपायुक्त कुरुक्षेत्र को भेजी गई। लोकायुक्त द्वारा भेजी गई जांच को उपायुक्त द्वारा अतिरिक्त उपायुक्त को भेज दी गई। अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा की गई जांच में भी ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए सरपंच को क्लीन चिट दे डाली तथा उपायुक्त के माध्यम से लोकायुक्त हरियाणा को जांच रिपोर्ट भेज दी। भ्रष्टाचार की कड़ी यहीं समाप्त नहीं होती, आगे का खुलासा पढि़ए अगले अंक में।
क्रमश: