सरकारी मायके की दादागिरी
इटली को लोटाने
चाहियें भारतीय अपराधी.....
पवन सौन्टी (कुरुक्षेत्र)
संसद एक ओर सरकारी जंवाई यानि राबर्ट वडेरा के मामले से गर्म है तो दूसरी और सरकारी
मायके ने कांग्रेस सरकार की नाक में दम कर रखा है। अभी सरकार सरकारी जंवाई की सफाई
से देने से नही निपटी थी कि नया मुद्दा सर आ टिका| इटली के नौसैनिकों द्वारा भारतीय
मछुआरों की मौत को इतनी गंभीरता से शायद राष्ट्र ने नहीं लिया, लेकिन अब उन नौसैनिकों के
अपने देश जाकर वापिस न आने के मामले ने राष्ट्र के स्वाभिमान को जगा दिया है। विपक्ष
भी इसे संसद में उछाल रहा है और सरकार के औपचारिक मुखिया यानि मनमोहन सिंह भी इस पर
बहुत की कड़ा रुख अपनी नरम आवाज में दिखा रहे हैं। आखिर आवाज उंची हो भी कैसे सकती
है, इटली सरकारी
मायके अथवा सरकारी ननिहाल से कम थोड़े ही है। सत्तासीन पार्टी की अध्यक्षा का मायका
और कथित युवराज का ननिहाल तो क्या शिक्षा स्थल भी वही देश तो है जिसके नौसैनिकों ने
दादागिदी की हद की। अब मजेदार बात यह है कि इटली सरकार तक उन नौसैनिकों को भारत को
सौंपने से जवाब दे चुकी है और उनकी बिटिया व दोहता (नवासा) भी अभी मौन की मुद्रा में
हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष फरवरी माह में इटली के दो नौसैनिकों ने भारतीय मछुआरों की
नावों पर अंधाधुंध गोलियां चलाते हुए केरल के दो मछुआरों की हत्या कर दी थी। इसके बाद
उन सैनिकों को हिरासत में भी लिया गया व भारतीय कानून के अनुसार उन पर मामला अदालत
में चल रहा था कि इटली में चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिये उनको उच्चतम न्यायालय
द्वारा अपने वतन जाने की इजाजत दे दी गई। उसके बाद वो नौ सैनिक वापिस नहीं लौटे। मजेदार
बात तो यह भी है कि वहां की सरकार ने ही उनको बचाने का बीड़ा उठा लिया। अब भारत गंभीर
परिणामों का हवाला तो दे रहा है, वो गंभीर परिणाम क्या होंगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसका खामियाजा
उनको अपनी लाडली से नाता तोडऩे के रूप में मिले और मैडम सोनिया को उस देश भेजने पर
ही भारत सरकार प्रतिबंध लगा दे। आखिर इटली का क्या भरोसा कि सोनिया जी को वापिस ही
ना भेजे और भारत में भारी राजनैतिक शून्य ना पैदा हो जाऐ। अगर उन्होंने अपने दोहते
को वहां रोक लिया तो कांग्रेस के पास तो युवराज के ही लाले पड़ जाऐंगे। देश के शुभ
चिंतकों को चहिये कि इटली के मामले में थोड़ा नरम रहें और इटली को भी चहिये कि अगर
भरत जैसे देश से रिश्तेदारी की थी तो उसे भारतीय संस्कारों के अनुसार ही निभाऐ और बेटी
के घर से दादागिरी न दिखाए। आखिर जंवाई का घर सदा अपने से बढ़ा माना जाता है और वह
लेनदार ही होता है देनदार नहीं।
मौनी बाबा का कठोर सन्देश
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में अपने बयान में इटली को साफ कर
दिया कि अगर उसने हत्या के आरोपी दोनों नौसैनिकों को सुनवाई के लिए भारत वापस नहीं
भेजा तो इसका दोनों देशों के बीच के संबंधों पर असर पड़ेगा। इटली सरकार के रवैए को
एकदम अस्वीकार्य बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इटली का रुख तमाम राजनयिक नियमों
का उल्लंघन है।
राजदूत के आश्वासन पर भेजे थे इटली
एक मालवाहक जहजा पर तैनात इटली के दो नौसैनिकों ने पिछले साल फरवरी में केरल के
तट के पास एक भारतीय नाव पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर दो मछुआरों को मार डाला था और उसके
बाद दोनों सैनिकों को गिरफ्तार किया गया। मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा और दोनों
सैनिकों को इटली के राजदूत के इस आश्वासन इटली जाने की अनुमति दी गई कि दोनों को चुनाव
प्रक्रिया में भाग लेने के बाद भारत वापस भेजा जाएगा लेकिन इटली सरकार ने अब दोनों
सैनिकों को वापस भेजने से इनकार कर दिया जिससे दोनों देशों के संबंध प्रभावित हो सकते
हैं।
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