Sunday, December 1, 2019

अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव से 50 साल पुरानी लोक संस्कृति को जीविंत करने का प्रयास शुरु:छाबड़ा


कुरुक्षेत्र 30 नवम्बर, अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव 2019 से देश की 50 साल पुरानी लोक संस्कृति को जीविंत करने का प्रयास किया गया है। इस महोत्सव के मंच से संस्कार भारती द्वारा बारहमासी रामलीला का मंचन शुरु किया गया है। इस बारहमासी रामलीला के मंच से लोक कलाकार गद्य और पद्य संवादों से भगवान श्रीराम के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालेंगे। इस अनूठे प्रयास की सभी ने पूरजोर प्रशंसा की है।
शनिवार को देर सांय महिला घाट पर कला और साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती द्वारा बारहमासी रामलीला का आयोजन किया। इस बारहमासी रामलीला का केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, सीईओ केडीबी गगनदीप सिंह, आरएसएस के विभाग सहकार्यवाहा डा. प्रीतम सिंह, प्रदेश मंत्री संगठन नरेन्द्र कुमार शर्मा, निदेशक ऋषिपाल ने दीपशिखा प्रज्जवलित कर विधिवत शुभारम्भ किया। मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि 1970 के आसपास 15 से 20 कलाकार गांवों में जाकर भगवान श्रीराम का गुणगान करते थे, हर माह शुक्ल पक्ष से लेकर पूर्णिमा तक 15 दिन इस रामलीला का मंचन करते थे। सभी लोक कलाकार पद्य और गद्य संवादों पर आधारित भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र का गुणगान करते थे, लेकिन यह विधा लुप्त हो गई है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव के मंच पर संस्कार भारती व फेथ इन थियेटर के माध्यम से इस विधा को फिर से जीविंत करने का काम शुरु कर दिया गया है। प्रदेश मंत्री संगठन नरेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि इस बारहमासी रामलीला में अमीन और चनारथल के लोक कलाकार काम कर रहे है। इस संस्था का प्रयास है कि सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हर माह बारहमासी रामलीला का मंचन किया जाए।

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