Wednesday, November 16, 2011

....जो तू जोहरी है तो ये बात तुझे जेब़ नहीं...., मुझको परख, मेरी शोहरत का इंतज़ार ना कर...युवा और उत्सव होते हैं एक दूसरे के प्रयायवाची: दिनेश यादव.


तीन शेरों के माध्यम से दिया मुख्यातिथि ने संदेश
कुवि का 34वां अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह हार्षोल्लास के साथ सम्पन्न
युवा और उत्सव होते हैं एक दूसरे के प्रयायवाची: दिनेश यादव

यमुनानगर, 15 नवम्बर। पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

            स्थानीय डीएवी कन्या महाविद्यालय में चल रहा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का 34वां युवा समारोह मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे यमुनानगर के अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश यादव ने अपने हाथों पुरस्कार वितरण किया। इस अवसर पर यादव ने दो अलग-अलग शेर सुनाकर जहां प्रशासन, शिक्षक वर्ग व युवा वर्ग की जिम्मेवारियों का अहसास करवाया वहीं दोनों वर्गों के लिये एक शेर सुनाते हुए सांझी सांस्कृतिक जिम्मेवारी का भी अहसास करवाया। यादव ने कहा कि युवा व उत्सव एक दूसरे के प्रयायवाची हैं। जो उत्सव में शामिल होता है वह अपने आप युवा हो जाता है। उन्होंने बताया कि वह अपने समय में सभी युवा समारोहों में भाग लिया करते थे।
            दिनेश यादव ने प्रशान व शिक्षक वर्ग की जिम्मेवारियों को समझाते हुए कहा कि हमारी डयूटी बनती है कि शिष्य की काबलियत को पहचानें। यादव ने अपने शेर से अपने इस संदेश को कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....जो तू जोहरी है तो ये बात तुझे जेब़ नहीं...., मुझको पर, मेरी शोहरत का इंतज़ार ना कर....
            इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का संदेश कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....तुझमें हीरे की शिफ्त है तो अंधेरे में मिल..., धूप में तो कांच का टुकड़ा भी चमक जाता है...।
            बाद में उन्होंने युवा वर्ग व शिक्षक तथा प्रशासक वर्ग को सामूहिक रूप से सांस्कृतिक जिम्मेवारियों को निभाने का संदेश कुछ इस प्रकार दिया:-
            ....कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें, आओ ये मौसम बदलें....।
            ....आईने कहां बदल पाऐंगे अपनी सूरत, आओ हम खुद बदल कर देखें...।
    इसके पश्चात उन्होंने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। मुख्यातिथि ने लम्बे समय तक बैठ कर हरियाणवी समूह नृत्य प्रतियोगिता का आनंद भी लिया। उनसे पहले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि डीएवी कालेज इस युवा समारोह के सफल आयोजन के लिये बधाई का पात्र है। इतने कम समय में एक विशाल समारोह का सफल आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या सुषमा आर्या और उनकी टीम की गहरी लगन का ही प्रतिफल है। इसके लिये उन्होंने कालेज प्रशासन व सभी बच्चों का भी आभार जताया। लाठर ने मुख्यातिथि दिनेश यादव का  परिचय करवाते हुए कहा यादव उनके सांस्कृतिक मित्र, संस्कृति मित्र व सांस्कृतिक परिवार के सदस्य हैं। कार्यक्रम के आरम्भ में डीएवी कालेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गैस्ट आईटम के रूप में इंडियन क्लासिकल डांस व वैस्ट्रन ग्रुप सोंग प्रस्तुत किया।


फागण मैं होग्या चाल़ा....
हरियाणवी समूह नृत्य पर झूमे दर्शक
यमुनानगर, 15 नवम्बर।
 (विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)


            .....फागण मैं होग्या चाल़ा... छुट्टी आग्या मेरे घर आल़ा...., कुछ ऐसे ही गीतों के बोल थिरकने को मजबूर करते रहे हजारों की संख्या में बैठे युवा दर्शकों को। जी हां कुवि के 34 वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के  अंतिम दिन डीएवी कालेज के खुले मंच पर हरियाणवी समूह नृत्य की यादगार प्रस्तुतियां हुई। मंच पर सजा चर्खा, न्यार (घास) की गठरियां और कुछ इन बोलों के साथ हुआ मंचन काट भरोटा बांध लिया जी ....सीमा पै करूं देश की सेवा...। होर बता के चाहिये ....जी लागै ना तेरे बिना मेरा... गेल मनैं ले जाईये औ.....। मेरी घड़वा दे रमझौल फौज मैं जावैगा...मेरे पिया तू कदसी उलटा आवैगा...। यह प्रस्तुति थी करनाल जोन की।
            कुरुक्षेत्र जोन की और से भी फागण के महीने को लेकर कुछ इस प्रकार गीतों पर युवा नर्तकों ने धमाल मचाया...फागण आया रंग भर्या गोरी खेलैंगे रंग गुलाल...., फागण का यू मस्त महीना मन मैं मिलण की आस....। हिसार जोन की टीम ने बिन साजन घर मैं अकेली... कद आवै मेरे मन का मेली....., याद सतावै, जिया जल़ावै...साजन गए मेरे फौज मैं... आदि गीतों के मिश्रित बोलों पर अपनी थिरकन से मंच को तरंगित किया।
            यमुनानगर जोन की ओर से डीएवी कालेज की टीम ने ग्राम्य जीवन की झांकी को मंच पर रच कर अपने समूह नृत्य में ग्रामीण रंगत देने का सफल प्रयास किया। मंच पर सजी मंधाणी, चूल्हे पर चढ़ा तवा, कुंए से पानी भरना व सिर पर पीतल की टोकणी और औखली में धान कूटती नार। इस मंच सज्जा के साथ गीत के बोल भी कुछ इस प्रकार ताल मिलाते नजर आऐ....काम करां दिन रात सखी री.. पिया की याद सतावै सै...। रेलगाड्डी कू कू बुलावै हे....बिन पिया के हुई मैं उदास देखूं बाट पिया की मैं। अम्बाला जोन के कलाकारों ने अपने गीतों म्हारी हेली मैं चौंसठ पैड़ी.....आदि पर नृत्य प्रस्तुत किया।

            उधर अभिव्यक्ति सदन में हरियाणवी एकल नृत्य की प्रस्तुतियां हुई। प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग में अम्बाला जोन के कलाकार ने अपने गीत मार गए छोरे तेर ढूंगे नै पर नृत्य किया। इसके बाद करनाल जोन के कलाकार ने लियो ना पंग्गा मैं छोरी गाम की गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। यमुनानगर जोन की ओर से आगी छौरी सपने के मैं मेरी करगी नींद हराम... गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। दूसरी और इस प्रतियोगिता के महिला वर्ग में यमुनानगर जोन की ओर से नाड़ा तो मेरा बाजणा...गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया गया।

नए रूप में हुआ सांग का मंचन
यमुनानगर, 15 नवम्बर।
यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

34वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के दौरान दूसरे दिन देर रात तक चली सांग प्रतियागिता ने कभी लुप्त प्राय: हो चुके लोकनाट्य सांग के नविनिकृत रूप को पेश किया। एक दौर था जब सांग देखने के लिये महिलाओं का आना वर्जित था। और एक आज का दौर है जब महिलाऐं सांग में भूमिका निभा रही हैं। जहां कभी सांग में महिला पात्रों की भूमिका पुरुष निभाते आए वहीं आज छात्राओं द्वारा आयोजित सांग में पुरुष पात्रों तक की भूमिका छात्राऐं निभा रही हैं। यह सच मे हरियाणवी संस्कृति के मूल यानि सांग की पुन: स्थापना की कड़ी में सबसे सफल पायदान माना जा सकता है। प्रतियोगिता में यमुनानगर जोन की टीम ने पूर्ण रूप से सांग को महिला रंग में ही रंग डाला और कमोबेश सभी कलाकर लड़कियां ही रही। इस टीम द्वारा मंचित पिंगला-भरथरी सांग में रागणी गायन से लेकर मखौलिये तक के किरदार छात्राओं ने बहुत ही सराहनीय तरीके से निभाऐ। विभिन्न जोन से आई टीमों द्वारा सबसे ज्यादा पिंगला-भरथरी सांग का ही मंचन हुआ। राजा भरथरी अपनी रानी पिंगला के प्यार में इतना अंधा होता है कि उसकी चाल पर नगर सेठ की शिकायत को नहीं समझ पाता और अपने भाई विक्रम को जल्लादों के हवाले कर देता है। एक बार एक गरीब ब्रहमण को शिवजी खुश होकर अमर फल देते हैं जिसे धन के लालच में वह ब्रहमण राजा को भेंट करता है। राजा उसे अपनी प्रिय रानी पिंगला को देता है। लेकिन पिंगला एक दरोगा से प्रेम करती है और वह अमरफल उस दरोगा को दे देती है। दरोगा अय्यास होता है। वह कोठे पर जाता है और वह अमरफल उस कोठे वाली को दे देता है। वह अमरफल को राजा के पास लेकर आती है। राजा उस के हाथ से अमरफल पाकर बहुत परेशान होता है। उसे रानी पर शक होता है और उसे बुलवाकर पूछता है तो पहले झूठ बोलने के बाद अंत में सच कबूल कर लेती है। इसके बाद राजा को अपने प्रिय भाई विक्रम की याद आती है। जल्लाद बतातें हैं कि उन्होंने विक्रम को मारा नहीं था, बल्कि जंगल में यूं ही छोड़ दिया था। राजा उनसे अपने भाई को बुलवाता है।
            विक्रम के बोल राजा के कानों में कुछ इस प्रकार गूंजते हैं....आज का बोल्या याद राखिये विक्रम भाई का..दुनिया मैं तै खो देगा तनै भ्रम लुगाई का।
           

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