Friday, November 4, 2011

...हे री तीन बचन मनैं पहल्यां ले लिये..........,............... ओपन ऐयर थियेटर में रागनी में मचाई युवाओं ने धूम


कुरुक्षेत्र/ पवन सौन्टी
(विशेष सहयोग कुवि जनसंचार विभाग से रत्नावली रिपोर्टर टीम जिनमें शशि, प्रतीक्षा, मनीषा, दिपिका, बलवंत, सुमन व अरविंद्र सिंह)
फोटो  नरेश सैनी, संगीत स्टूडियो

रत्नावली समारोह के तीसरे दिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के ओपन ऐयर थियेटर में रागनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रदेश के कोने कोने से आए 19 युवा रागनी गायकों ने जम कर धूम मचाई व रागनियों के रस से माहौल को सराबोर किया। रागनियों की रोचकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दर्शक  दीर्घा में पांव रखने को भी जगह नहीं बची थी।

            रागनियों की बानगी कुछ इस प्रकार रही....हे री तीन बचन मनैं पहल्यां ले लिये.........., ओह सब सेठां के साथ सेठाणी..आई दिल्ली मैं.........., मेरा कुणसा ढंग ससुराल जाणका..........., हरी के गुण गाए सुबह साम........, कई और नौटंकी होरी रै उस छौरी की...आदि रही। यूटीडी कुवि ने राजा हरिश्चंद्र के किस्से से अपनी रागनी द्वारा श्रोताओं को लुभाया।  


             आडिटोरिय में आयोजित हरियाणवी लोक परिधान प्रतियोगिता में  कुल 20 टीमों ने भाग लिया जिनमें स्वार्धिक प्रतिभागिता लड़कियों की रही। घाघरा, चुंदड़, बोरला, चूडिय़ां, कंठी, माल़ा, कु ड़ता, धोती, परना, खण्डका, तागड़ी, नोकदार जूतियां, कड़ी छैलकड़े आदि आभूषणों व परिधानों से सजे युवाओं ने हरियाणवी की समृद्ध परिधान परम्परा को मंच से प्रदर्शित किया। हरियाणवी बर्तन परांत, थाल, घड़ा, गिलास, मधाणी आदि को भी कलाकारों ने मंच से जिवंत किया।
            क्रश हाल में हरियाणवी जनजीवन पर आधारित आन दा स्पाट चित्रकला प्रतियोगिता का अयोजन किया गया। प्रतियोगिता में कुल 32 प्रतिभागियों ने अपनी कला से सबका मन मोहा। इस कार्यक्रम के कोरडिनेटर राजेंद्र सैनी ने बताया कि कुवि ही एक मात्र विश्वविद्यालय है जो कि चित्रकाला के लिये इस प्रकार का अनूठा मंच प्रदान करता है। इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों द्वारा हरियाणा के जनजीवन से संबंधित अनछुए पहलुओं को छूने का प्रयास किया। चौपाल का चित्रण, पनिहारिण, हरियाणवी परिधानों का चित्रण व ग्राम्य जीवन की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। वहीं एक छात्रा ने तो कल का हरियाणा-आज का हरयिाणा और भविष्य का हरियाणा के माध्यम से चांद तक पहुंचने का प्रयास दिखाया। प्रतियोगिता में कुल 18 लड़कियों ने प्रतिभागिता की व लडक़ों की प्रतिभागिता कम देखी गई। दोपहर बाद इन विद्यार्थीयो के साथ अन्य विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।
            दूसरी ओर आरके सदन में आयोजित हरियाणवी समूह गान प्रतियोगिता में कुल 8 टीमों ने भाग लिया। सबसे पहले मंच पर आई भारत विद्या पीठ गोहाना के  प्रतिभागी ने मेरे देश के वीर जवानों नई आजादी आवैगी...आगी पूरे होश मैं जनता भ्रष्टाचार मिटावैगी। बीपीएसएम कालेज खानपुर कलां सोनीपत की टीम ने हरी भरी सै धरती और सीधा साधा बाणा.......बड़ी तरक्की कर रह्या सै म्हारा देश हरियाणा............। एमएम पीजी कालेज फतेहाबाद की टीम ने कित तै आए रै अर्जुन पांडे कित तै आए हनुमान.........। डीएवी कालेज यमुनानगर की टीम ने झूलण चालो री सखी री बागां मैं सामण आयो री...., माता सुंदरी खालसा कालेज निसिंग करनाल के प्रतिभागीयों ने आया हे बहना मेरी सामण मास रूत रंगीली बरसै...........आदि गीतों पर अपना समूह गान प्रस्तुत किया।

युवा सांगियों ने भी जमाया रंग
कुरुक्षेत्र / विशेष गौड़

      रत्नावली के दूसरे दिन देर सांय तक विद्यार्थियों ने सांग प्रस्तुत किये। कुवि के खुला मंच में युवा सांगियों की प्रस्तुति को देखने के लिए भारी भीड़ रही। 26वे रत्नावली महोत्सव में दोपहर बाद खुला मंच में विभिन्न कालेजों के विद्यार्थियों के द्वारा हरियाणा के लोकनाट्य सांग को पेश किया। गत दिवस दोपहर बाद 3 सांगो का आयोजन हुआ और युवा संगियों ने जम कर समां बांधा। सबसे पहले आर के एस डी कालेज कैथल के छात्रों द्वारा अपना सांग प्रस्तुत किया गया। इनका स्वांग पिंगला भरतरी कथा पर केंद्रीत था। इस कथा के लेखक मांगे राम है। कथा में शराब के दुश्प्रभावों को अंकित किया गया है, और यह बताया कि कैसे नशा परिवार के लिए हानिकारक है जिससें एक समय ऐसा आता है जब परिवार टूटने के कगार पर आ जाता है। तत्पश्चात डी एवी गल्र्स कालेज यमुनानगर की छात्राओं द्वारा सांग में लडक़ों के छत्र राज को समाप्त किया। इन्होंने भी ङ्क्षपगला भरतरी नामक कथा पर अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को हाथों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर किया। इसके बाद देर शाम गर्वमेंट   पी जी कालेज जींद के अभिनय से सब का मन मोहा। इन्होंने चाप सिंह सोमवती नामक कथा पर अपनी प्रस्तुति दी गई। देर  शाम तक दर्शक स्वांगो पर झुमते नजर आए।


....... बिमार होगी सभ्यता म्हारी...
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कविताओं में खंगाले सामजिक मुद्दे
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किसी चाल्ली फैशन की बिमारी...बिमार होगी सभ्यता म्हारी.....यह पंक्तियां हैं सीनेट हाल में आयोजित हरियाणवी कविता प्रतियोगिता में भाग ले रहे फतेहाबाद के युवा कवि की। प्रतियोगिता में युवा कवियों ने सामाजिक मुद्दों पर जम कर कटाक्ष किये। इसके साथ सांस्कृतिक पहलुओं को भी छूने का प्रयास किया। आईबी पीजी कालेज पानीपत की टीम ने बेटी बचाओ का कुछ इस तरह से आह्वान किया...पंख लगा कै उडूंगी मैं भी आसमान मैं...पूरा करदयूंगी ........।
 यूटीडी कुरुक्षेत्र की टीम ने तनै यू प्यार क्यूं करया..आधी सी मौत.........., अहीर कालेज रेवाड़ी ने सबतै प्यारा सबतै न्यारा यू मेरा हरियाणा सै...., एमएम कालेज फतेहाबाद की टीम ने चैत्र माणस मौसम परख सही अंदाजा लाले..., जेबीएम कालेज आफ ऐजूकेशन जुलाना की टीम ने हरियाणा की बातां का मजा ही निरल़ा सै...., उधर इसी कालेज के दूसरे प्रतिभागी ने सुनाया कि रै घर आलय़ों मेरा ब्याह करादयो मैं बहुत घणा दुख पा रहया सूँ.....।



गांव के माहौल को जिवंत किया चौपाल ने
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रत्नावली समारोह के दौरान गत वर्ष से मंच पर आई हरियाणा के ग्राम्य जीवन की झांकी चौपाल इस वर्ष से प्रतियोगिताओं का भाग बनी और आडिटोरियम के मंच से ग्राम्य जीवन को जिवंत किया। यूटीडी कुरुक्षेत्र के युवाओं के बीच संवाद कुछ इस प्रकार रहे... एक लडक़े की माँ नै शेर की पूंछ पकड़ कै गांम तै काढ़ दिया ..बहू भी भाग गी अर गाड्डी बी लेगी......। बीपीएसएम खानपुर कलां की टीम के संवाद भी कुछ इस प्रकार रहे...यार पढ़ैंगे तो दिल्ली...नहीं तो यार नी पढय़ा करदे......, आरकेएस डी कालेज कैथल की टीम ने अपनी रोचक प्रस्तुति दी व डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर की टीम ने भी चौपाल के माध्यम से अपनी संस्कृति को उजागर किया। दोपहर बाद तक अनेकों टीमों ने अपनी प्रस्तुति मंच से दी।


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