Sunday, November 6, 2011

रत्नावली समारोह: यूटीडी ने जमाया ओवर आल ट्राफी पर कब्जा


रत्नावली जैसे सांस्कृतिक समारोह की बादौलत दुनिया पर छा रही है हरियाणवी संस्कृति: केसी भारद्वाज
कुरुक्षेत्र/ पवन सोंटी
(05 नवम्बर )
 
चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति डा. केसी भारद्वाज ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें हरियाणवी संस्कृति के इस महाकुम्भ के समापन अवसर पर मुख्यअतिथि के रूप में आने का अवसर मिल। डा. यादव कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली समारोह के समापन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर 4 दिवसीय इस समारोह में स्वार्धिक अच्छे प्रदर्शन के लिये ओवर आल ट्राफी यूटीडी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को प्रदान की गई व उपविजेता आरकेएसडी कालेज कैथल रहा।
             डा. केसी भारद्वाज ने अपने संबोधन में कहा कि इस सम्मान को वह कभी भूला नहीं पाऐंगे। उन्होनें कहा कि यह समारोह जिस प्रकार हरियाणवी संस्कृति को पल्लवित कर रहा है उसी का परिणाम है कि आज हरियाणवी संस्कृति दुनिया पर छाती जा रही है। आज हरियाणवी का प्रयोग मुम्बई जैसी दुनिया की सबसे बडी फिल्म नगरी में भी हो रहा है। हरियाणवी भाषा का प्रयोग आज टैलीवीजन पर नाटकों में भी हो रहा है। रत्नावली के मंच से उपजी प्रतिभाऐं अनेकों स्थानों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। टीवी चैनलों से लेकर समाचार पत्रों तक सभी जगह रत्नावली के कलाकार देखे जा सकते हैं। जिस प्रकार इस मंच ने कलाकारों को दिशा दी है उससे हरियाणवी संस्कृति आज पूरी तरह समृद्ध हो चुकी है। पिछले 26 साल से चला आ रहा यह समारोह आज अपने यौवन पर है। जवानी में जिस प्रकार आप युवाओं में अपार शक्ति है उसी प्रकार रत्नावली में भी वह शक्ति आ चुकी है कि यह देश के सामने अपनी हरियाणवी संस्कृति को सीना ताने आगे बढ़ा रही है। उन्होनें कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सम्भवत: देश का पहला विश्वविद्यालय है जहां इस प्रकार का सांस्कृतिक महाकुम्भ लगता है और प्रदेश के कोने कोने के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों से युवा कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके अपनी संस्कृति को समृद्ध करते हैं। इस प्रकार के सांस्कृतिक भाषाई समारोह तो हर प्रदेश के विश्वविद्यालयों को करने चाहियें ताकि वहां की संस्कृतियां भी हरियाणवी की तरह  पुन: नवीनीकृत होती रहें और युवा पीढ़ी अपनी पुरातन संस्कृति से भी जुड़ी रहे। हरियाणवी संस्कृति की यह प्रयोगशाल अपने आप में अनूठी है। इसके लिये उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साथ साथ इसके युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक अनूप लाठर को भी बधाई दी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वह सब मिलकर अपनी संस्कृति के उत्थान में इसी प्रकार कार्य करते रहें ताकि युवा वर्ग अपनी जड़ों से भी जुड़ा रहे। बिना सांस्कृतिक पहचान के कोई भी देश व प्रदेश अधिक समय तक स्वतंत्र पहचान नहीं रख सकता। अपने प्रदेश व देश की संस्कृति को सहेज कर आगामी पीढिय़ों तक पहुंचाना युवा शक्ति का कर्तव्य बनता है।
            उनसे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया व समारोह में भाग लेने वाले प्रतिभागियों और उपस्थित सभी लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि 26 साल से यह रत्नावली समारोह हर वर्ष अनूठे प्रयासों से अपनी विशेष पहचान बनाता आ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इसमें ज्यादा विधाऐं जुड़ती जा रही हैं उसी प्रकार इसके प्रसार में भी नए आयाम स्थापित होते जा रहे हैं। समाचार पत्रों व चैनलों पर प्रकाशन व प्रसारण के बाद अब रत्नावली की वैबसाईट भी बनाई गई है ताकि इंटरनैट के माध्यम से यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। उन्होंने जीतने वालों को बधाई के साथ हारने वालों को कहा कि वह अगले वर्ष और मेहनत करके आऐं। डा. संधू ने समारोह के सफल आयोजन के लिये कुवि के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग व इसके निदेशक अनूप लाठर को बधाई दी जिनके प्रयासों से आज भी पुराने छात्र रत्नावली से जुड़े हैं। इसके साथ ही उन्होंने आशा जताई कि अगले साल इससे भी बहुत कुछ अच्छा होगा। उन्होंने लाठर को अश्वासन दिया कि संस्कृति के विकास हेतू जो जरूरी हो उसे प्रोजैक्ट करें प्रशासन से उन्हें पूरी सहायता मिलेगी।
            इस अवसर पर कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक एवं रत्नावली के सूत्रधार अनूप लाठर ने 4 दिवसीय इस समारोह की 26 वर्ष की यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से मीडिया का आभार जताया कि जिस प्रकार मीडिया ने इस समारोह को कवरेज दी है शायद आज तक किसी भी समारोह को देश में न मिली हो। इसके लिये उन्होंने मीडिया संस्थानों का धन्यवाद करने के साथ कुरुक्षेत्र के पत्रकारों का विशेष आभार भी जताया। उन्होंने रत्नावली में भाग लेने पहुंचे पुराने छात्रों का आभार जताते हुए चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति का भी आभार जताया जिन्होंने प्रो. विरेंद्र चौहान के नेतृत्व में अपने विश्वविद्यालय से विशेष टीम इस समारोह की कवरेज के लिये भेजी। इस अवसर पर मुख्यअतिथि ने सभी प्रतियोगिताओं के प्रथम विजेताओं को पुरस्कृत किया व उनके सामने चुनींदा आईटमों की प्रस्तुतियां भी की गई। कार्यक्रम देर सांय तक चलता रहा।

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