Thursday, November 17, 2011

धान के बाद आलू से घबराऐ किसान

धान के बाद आलू से घबराऐ किसान
कोलड स्टोरों में भरा पड़ा है पुराना आलू, नए की भी आवक शुरु
लाडवा, शैलेंद्र चौधरी
पिछले एक वर्ष से खेती किसानों के लिये बुरी तरह गले का फंदा बनती जा रही है। अभी हाल ही में किसान धान से बुरी तरह घाटा खाए बैठे हैं और अब आलू भी उनके गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस बार आलू की रोपाई गत वर्ष की अपेक्षा अधिक है और कोल्ड स्टोरों में भी पुराना आलू भारी मात्रा में जमा पड़ा है। इस बार गत वर्ष की अपेक्षा 300 हैक्टेयर आलू की रोपाई अधिक हुई है। ऐसे में आलू के दिनो दिन घटते दाम किसानों के माथे पर परेशानी की लकीरें खींच रहे हैं। इन दिनों ताजा आलू के थोक बाजार में शुरुआती दौर के भाव 700 से 900 रूपये क्विंटल तक चल रहे हैं जबकि पुराना आलू 100 से 200 रूपये क्विं टल तक पिट रहा है। ज्यों ज्यों ताजा कच्चे आलू की आवक आरम्भ होगी तो इसके भाव जमीन को छू सकते हैं।
गौरतलब है कि गत वर्ष आलू का सीजन जब यौवन पर आया था तो 100 रूपये कट्टा से भी कम पर दाम लुडक गए थे जिस कारण किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा था। उस मंदी को देखते हुए अधिकतर किसानों ने अपना आलू कोल्ड स्टोरों में रख दिया था। आज नौबत यह है कि उस स्टोर किये हुए आलू का दाम इतना कम है कि उसे बेच कर स्टोर का किराया भी पूरा नहीं किया जा सकता। इसके गिरते दाम ताजा आलू के लिये भी खतरे की घंटी बन रहे हैं। अगर ताजा आलू के भाव ज्यादा नीचे गिरे तो किसानों को भूखों मरने की नौबत आ जाऐगी। 
            ध्यान रहे कि  गत वर्ष किसानों को पहले तो धान की फसल ने धोखा दिया था फिर आलू ने उनके घाटे को बढ़ा दिया था। किसानों की परेशानियां यही खत्म नहीं हुई थी बल्कि उसके बाद गेहूं की फसल ने पीले रत्वे की चपेट में आकर किसानों के नसीब पोंछ दिये थे। जिन किसानों ने आलू के घाटे को पूरा करने के लिये टमाटर लगाऐ थे उन्होंने भी किसानों को तली में लगा दिया था। किसान की कमर टूटनी यहीं नहीं रूकी बल्कि इस बार धान की फसल ने उनको फिर से धोखा दे दिया। बासमती तो गत वर्ष की अपेक्षा आधे दामों पर लुडक गई जबकि लागत दुगनी हो चुकी थी। अब किसानों के लिये आलू भी खतरे की घंटी बजा रहे हैं।
क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी?
आलू की ताजा स्थिति को लेकर जिला बागवानी अधिकारी डा. महेंद्र सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि गत वर्ष जिला कुरुक्षेत्र मेें 6200 हैक्टेयर में आलू की खेती की गई थी जबकि इस वर्ष 6500 हैक्टेयर में आलू की फसल लगी है। उन्होंने बताया कि इस बार अभी तक बहुत भारी मात्रा में आलू का स्टाक स्टोरों में मौजूद है। आलू के दामों को लेकर उन्होंने किसी भी प्रकार की भविष्य वाणी से इनकार कर दिया।
उचित कृषि नीति बनाऐ सरकार: सौन्टी

उधर किसानों के लिये घाटे का सौदा बनती खेती को लेकर युवा मजदूर किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष पवन सौन्टी का कहना है कि सरकार कि ओर से उचित कृषि नीति के अभाव में किसान मर रहा है। सरकार को किसानों की अपेक्षा भारी उद्यौगों व कार्पोरेट घरानों की चिंता है जहां से नेताओं को भारी चंदा मिलता है। सरकार को हर वर्ष आंकलन करके फसलों के अनुरूप कृषि उत्पादन के निर्यात व देश में उचित वितरण का प्रबंध करना चाहिये व किसान की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लेते हुए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिसों के अनुरूप दाम निश्चित करने चाहियें। स्टाक योग्य फसलों के संग्रहण व उनकी कीमत के अनुरुप बिना ब्याज के ऋण की सुविधा सरकार की ओर से किसानों के लिये लागू की जानी चाहिये ताकि किसान घाटे के समय अपने उत्पाद को सरकार के पास गिरवी रख कर धन ले सकें और उचित मूल्य मिलने पर उसे बेच कर सरकार का कर्जा भी चुकता कर सकेें और खुद भी घाटे से बच सकें।

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