Monday, April 22, 2013

साहित्य सृजन में अहम भूमिका है शाहाबाद के रचनाकारों का............सुरेंद्र पाल वधावन




.विभिन्न भाषाओं  में 18 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं
हरियाणा पंजाबी गौरव एवं बाबा फरीद अवार्ड से अलंकृत हैं साहित्यकार प्रिसिंपल जोगेंद्र सिंह
सुरेंद्र पाल वधावन शाहाबाद मारकंडा द्वारा

साहित्य के क्षेत्र में शाहाबाद के अदीबों, शायरों, कवियों और लेखकों ने बेहतरीन साहित्य का सृजन कर शाहाबाद मारकंडा  का नाम प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया है। पिछले कुछ वर्षों में,विभिन्न भाषाओं और विधाओं के रचनाकर्मियों की यहां से अब तक 1 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और $खास बात यह है कि अधिकांश पुस्तकें साहित्य अकादमियों   द्वारा समय समय पर सम्मानित की जा चुकी हैं। 
हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के  हरियाणा पंजाबी गौरव पुरस्कार एवं बाबा फरीद अवार्ड से अलंकृत सरदार जोगेंद्र सिंह प्रिसिंपल यहां के अग्रणी साहित्यकार हैँ  जिनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें एक किताब उर्दू और तीन पंजाबी भाषा में हैं।
इन किताबों के नाम हैं-तीर-ओ-नश्तर, अघ्धी वाट दा साथ, जे तू अक्ल लतीफ और मनोबल आत्मविश्वास अते जीत। तीर-ओ-नश्तर को 1998में उर्दू साहित्य द्वारा और जे तू अक्ल लतीफ और मनोबल आत्मविश्वास अते जीत को वर्ष 2003 और वर्ष 2006 में पंजाबी साहित्य अकादमी ने सर्वश्रेष्ठ पुस्तक अवार्ड दे कर सम्मानित किया था। 

  विख्यात उर्दू शायर दिवंगत प्रौ$फेसर आर.पी.शो$ख के दो $गज़ल संग्रह-गम्ज़ा-ब-गम्ज़ा और मुनक्कश खंडहर ज़बीं, यहां से प्रकाशित हुए जिनमें  मुनक्कश खंडहर ज़बीं को हरियाणा उर्दू साहित्य अकादमी के सर्वश्रेष्ठ $गज़ल संग्रह के अवार्ड से नवाज़ा गया। दिवंगत शायर आर.पी.शौ$ख की इन दोनों किताबों का हिंदी भाषा में रुपांतरण यहीं के युवा रचनाकार सुरेंद्र बांसल द्वारा किया गया है, इस $गज़ल संग्रह का नाम है- जि़दगी के शीशे में। इसके अलावा सुरेंद्र बांसल ने प्रसिद्ध पर्यावरण विद् अनुपम मिश्र की पुस्तक-आज भी खरे हैं तालाब, को पंजाबी में अनुदित किया है इस पुस्तक का नाम है-अज्ज वी $खरे हन तलाब। स्थानीय उर्दू विद्वान डा. देस राज सपड़ा की उर्दू में दो किताबें -हरियाणा का उर्दू अदब तथा उर्दू में इसलाहे ज़ुबान की तहरीरें, प्रकाशित हो चुकी हैं जिन्हें हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया जा वुका है। सुरेंद्र पाल सिंह वधावन का काव्यसंग्रह-मेरी इक्कीस कविताएं यहां 2006 में प्रकाशित हुआ।
साहित्य सृजन की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए यहां के पंजाबी व उर्दू भाषा के शायर कुलवंत सिंह चावला रफीक का गजल संग्रह-चीख़ खामोशी दी, प्रकाशित हुआ जिसे पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ पुस्तक अवार्ड से नवाज़ा गया है। यहीं के समालोचक डा.नरेंद्र पाल सिंह की -लोकयान सिद्धांत अते मूल्यांकन नामक पुस्तक का विषयवस्तु हरियाणवीं एवं पंजाबी संस्कृति के परस्पर अंतर-संबंधों पर केंद्रित है।  पुस्तक की एक अन्य विशेषता है कि इसमें हरियाणा के स्थापित पंजाबी साहित्यकारों के कृतत्व और रचनाकर्म को पैनी और समीक्षात्मक दृष्टि से देखना-परखना। यहीं के उर्दू के शायर नरेंद्र सिंह र$फीक की -किश्त-ए-ख्याल के लिए  पुस्तक पुरस्कार मिला  है । यहां के इतिहासकार जसवंत सिंह नलवा की दो किताबें-ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में कुरुक्षेत्र और कंबोज कौम काम कुरबानियों का तथा आत्मकथा प्रकाशित हो चुकी  है। स्थानीय कहानीकार दर्शन सिंह का पंजाबी भाषा में ल$कीरें नामक कहानी संग्रह हाल ही में प्रकाशित हुआ है|


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