मोदी पर रखे गए अपने विचारों के लिए प्रो. अमर्त्य सेन आज ख़बरों में हैं. मीडिया एक बार फिर निराश कर रहा है. कल प्रो. अमर्त्य सेन अपना व्याख्यान दे रहे थे...मैं वहीं मौजूद था. कल रात प्रो. सेन ने देश की विकास कथा, अन्य दक्षिण-एशियाई देशों से तुलना, चीन-सिंगापुर-दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तरक्की के कारणों, भारत में शिक्षा और जन-स्वास्थ्य की लचर स्थिति और इन क्षेत्रों में आजादी के बाद कम निवेश के चलते देश के पिछड़ने के बारे में बहुत सी महत्वपूर्ण बातें कहीं. पर जब रात 11 बजे घर लौट कर टीवी ऑन किया तो ब्रेकिंग न्यूज थी कि ' प्रधानमंत्री के तौर पर अमर्त्य सेन को मोदी पसंद नहीं'. गोया सेन ही प्रधानमंत्री को चुनेंगे. मीडिया के विवेक पर कोई आश्चर्य नहीं था कि पूरे व्याख्यान में से उन्हें मोदी ही काम की चीज नज़र आए. प्रो. सेन एनडीटीवी की बरखा दत्त द्वारा उनके मुंह में डाले जा रहे शब्दों को लेकर शुरू से ही सतर्क थे और एक दो बार तो उन्होंने इस अनावश्यक माउथ फीडिंग के लिए बरखा की मुस्कुराते हुए खिचाई भी की. मेरी समझ से बाहर था कि एक अर्थशास्त्री से मोदी पर सवाल क्यों पूछे जाते हैं. प्रो. सेन के साथ मौजूद अर्थशास्त्री जीन ड्रेज ने उन्हें ऐसे सवालों का जवाब देने से टोका भी.....पर प्रो. सेन ने खुले दिल से अपने मन के विचार रख ही दिए. फिर भी, अपनी बातों को तार्किक ढंग से रखते हुए प्रो. सेन ने मोदी पर अपने बेहद संतुलित विचार रखे....उन्होंने गुजरात की तरक्की से सबक लेने की बात कई बार कहीं. खासकर वहां फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हुई तरक्की से. परंतु उन्होंने यह भी कहा कि वह उस राजनीति को पसंद नहीं करते हैं जो मोदी गुजरात मे करते हैं....जिसमें अल्पसंख्यक राज्य से भयभीत हों आदि आदि और वे ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप मं नहीं देखना चाहते वहां वह एक ऐसे व्यक्ति को देखना चाहेंगे तो सभी को साथ लेकर चले. कल उस अविस्मरणीय व्याख्यान के बाद शायद उन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी जिन पर हमारा और व्यवस्था का ध्यान नहीं है....देश के विकास के क्रम में कुछ कमजोर कडि़यों को तलाशता यह व्याख्यान अद्भुत था....पर मीडिया की कलंदरबाजी में देश यह सब जानने से वंचित रह जाएगा. Photo Credit : Priyanka Dey
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