फिर कुवि की फिजां में गूंजी ढोलक और मजीरों की थाप, 3 दिन तक चलेगा समारोह
कुरुक्षेत्र, 06 नवम्बर। (पवन सोंटी)
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एक बार फिर से रंगों की महफिल सज चुकी है। अभी 30 तारीख को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल में हरियाणवी संस्कृतिक के महाकुम्भ रत्नावली का समापन हुआ था और अब फिर से कुवि के 36 वें अंतरक्षेत्रीय युवा समारोह को लेकर विश्वविद्यालय की फिजां में ढोलक और मंजीरों की थाप गूंजने लगी है। जी हां, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 36वें अंतर क्षेत्रिय युवा महोत्सव का आगाज हो चुका है। बुधवार को चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति डा. राधे श्याम शर्मा ने अपने हाथों दीप प्रज्वलन के साथ शुभारम्भ किया। इसके साथ ही कोरियोग्राफी की शानदार प्रस्तुतियों से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर मुख्यअतिथि डा. राधेश्याम शर्मा नेे अपने ओजस्वी भाषण से प्रतिभागियों में नई ऊर्जा का संचार किया। डा. शर्मा ने शायराना लहजे में कुछ इस प्रकार से युवाओं को प्रेरित किया.....राहों में चमने को सितारे हैं, धरती से दूर किनारे हैं.....चांद की दुलहन को चूमने वालो............।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एक बार फिर से रंगों की महफिल सज चुकी है। अभी 30 तारीख को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल में हरियाणवी संस्कृतिक के महाकुम्भ रत्नावली का समापन हुआ था और अब फिर से कुवि के 36 वें अंतरक्षेत्रीय युवा समारोह को लेकर विश्वविद्यालय की फिजां में ढोलक और मंजीरों की थाप गूंजने लगी है। जी हां, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 36वें अंतर क्षेत्रिय युवा महोत्सव का आगाज हो चुका है। बुधवार को चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति डा. राधे श्याम शर्मा ने अपने हाथों दीप प्रज्वलन के साथ शुभारम्भ किया। इसके साथ ही कोरियोग्राफी की शानदार प्रस्तुतियों से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर मुख्यअतिथि डा. राधेश्याम शर्मा नेे अपने ओजस्वी भाषण से प्रतिभागियों में नई ऊर्जा का संचार किया। डा. शर्मा ने शायराना लहजे में कुछ इस प्रकार से युवाओं को प्रेरित किया.....राहों में चमने को सितारे हैं, धरती से दूर किनारे हैं.....चांद की दुलहन को चूमने वालो............।
डा. राधेश्याम शर्मा ने प्रतिभागियों को संबोधित
करते हुए कहा कि हताश वही होता है जो मेहनत नहीं करता, यहां से जो सफलता मिलेगी उससे आपको अपने आप में
अपार आनंद का आभास होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं में उर्जा और शक्ति की कोई कमी
नहीं है, जरूरत है तो उसे
दिशा और दशा देने की। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ शिक्षक वर्ग से भी आह्वान किया
कि अपने अधिकारों और कर्तव्यों का संतुलन बनाकर चलें। प्रतिभागियों से कहा कि उनकी
यात्रा यहीं सम्पन्न नहीं होती बल्कि यहां से तो शुरुआत है। अगर असफल होते हैं तो
निराश होने की बजाय खुद को परखने का काम करें कि गलती कहां पर रह गई है। उसे
सुधारकर आगे विजय के लिये प्रयास करें। इसके साथ ही उन्होंने कुवि कुलपति डा. डीडीएस
संधू, कुवि कुलसचिव एवं
कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर का इस भव्य आयोजन हेतू उन्हें
बुलाने के लिये आभार भी जताया। उन्होंने अनूप लाठर की आगामी मार्च में सेवानिवृति
को लेकर कहा कि कलाकार कभी सेवा निवृत नहीं होते। कुलपति महोदय आपकी सेवाओं के
लिये निरंतर सहयोग करेंगे। उन्होंने रत्नावली का जिक्र करते हुए कहा कि गत दिनों
उन्होंनें सिरसा में अखबारों के माध्यम से रत्नावली के बारे में पढा और अखबारों की
कटिंगें नोटिस बोर्ड में भी लगवाई ताकि विद्यार्थी इससे प्रेरणा लें। इसके पश्चात
कुवि कुलपति ने उन्हें समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उनके पश्चात कुवि कुलपति
डा. डीडीएस संधू ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह शौभाग्य की बात है कि आज
कुवि सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष एवं चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति
हमारे बीच इस समारोह के लिये मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि
कुवि सांस्कृतिक उत्थान में सतत प्रयास कर रहा है। रत्नावली का 29वां भव्य आयोजन और उसके एक दम बाद अब 36वें इंटरजोन युवा महोत्सव का आयोजन संस्कृति को
बढावा देने अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रतिभगियों को
शुभकामानाऐं देते हुए रत्नावली के निर्विवाद समपन्न होने पर निर्णायक मंडल का भी
आभार जताया। उन्होंनें युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर व उनकी पूरी
टीम को भी कार्यक्रम की अच्छी रचना के लिये बधाई दी। कुवि कुलसचिव डा. कृष्ण चंद
रल्हन ने धन्यवाद भाषण में जहां आए हुए अतिथियों का आभार जताया वहीं युवाओं को भी
अपने शब्दों से प्रेरणा देने का काम किया। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की
पंक्तियों को याद करते हुए कहा कि जादू टोने से हवा नहीं बदली जाऐगी....निश्चय ही
आंधी आऐगी.....। इसके साथ ही संस्कार से संस्कृति व संस्कृति से सांस्कृति का
तालमेल बताते हुए उन्होंने कहा कि इन आयोजनों में भाग लेने से ज्ञान बढ़ता है और
ज्ञान से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यही नहीं कर्म व मेहनत को सफलता का मूल
मंत्र बताते हुए कहा कि सकल पदार्थ हैं जग माहीं, कर्महीन नर पावत नाहीं। शुभारम्भ समारोह के आरम्भ में कुवि युवा
एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने 36वें अंतरक्षेत्रीय युवा समारोह के बारे में विस्तार से जानकारी
दी।
मत आना इस देश मेरी लाडो......कोरियोग्राफी के माध्यम से हुए सामाजिक कुरितियों पर कटाक्ष
कुरुक्षेत्र, 06 नवम्बर।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 36वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के शुभारम्भ पर आडिटोरियम में सबसे पहली प्रस्तुतियां हुई कोरियोग्राफी की। कोरियोग्राफी के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या आदि सामाजिक कुरीतियों पर जमकर व्यंग्य किये गए। सबसे पहले कुरुक्षेत्र जोन की टीम ने अपनी प्रस्तुती दी। इसमें एक बेटी, एक बहन, एक मां, एक पत्नी के रूप में औरत पर होने वाले अत्याचारों को दिखाने का प्रयास किया गया।
इसके साथ ही मत आना इस देश मेरी लाडो के माध्यम से कन्या जन्म पर
मां की पुकार को भी मार्मीक ढंग से पेश किया गया। प्रोफैशनल जोन की टीम ने समाज के
दबे कुचले तबकों के जीवन में आने वाले उतार चढावों को कोरियोग्राफी में बांध कर
पेश किया। करनाल जोन की टीम ने किन्नर पर अपनी प्रस्तुति में दिखाया कि किन्नर की
तो अर्थी भी अत्याचार सहते हुए जाती है। इस प्रस्तुति में किन्नर समाज की अनगिनत
व्यथाओं का मंचन किया गया। यमुनानगर जोन की ओर से कालेजों में रैगिंग की कुरीति पर
अपनी प्रस्तुति दी। एक बच्चे के रैगिंग का शिकार होकर उसकी बदहाल दशा पर उसका बाप
कहता है कि मैने तो हंसती खेलती जिंदगी कॉलेज में भेजी थी, वापिस आया तो क्या मांस हड्डी का पुतला... । इसके
बाद अंबाला जोन की टीम ने मनुष्य की मानव के रूप में विकास गाथा के साथ फिर से
पशुता की ओर बढ़ रहे कदमों पर कटाक्ष किया। कभी मानव ने विकास कर के अच्छे इंसान
का रूप धारण किया था, लेकिन अब फिर से वह
अपने कुकरर्मों की बदौलत पशुता की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
सामण आया सखी री मेरी झूम कै री..........समूह गान में जमाया मंच पर रंग
कुरुक्षेत्र, 06 नवम्बर।आरके सदन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल के 36वें अंतर क्षेत्रिय युवा समारोह के दौरान सामान्य व हरियाणवी समूह गान प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। सामान्य समूहगान में मुख्य रूप से देश भक्ति के गीतों की प्रस्तुति हुई तो हरियाणवी समूह गान में हरियाणवी लोकगीतों की रसधार बही। अधिकतर गीतों में सावन की धूम रही। सबसे मंच पर आऐ अम्बाला जोन की टीम ने कुछ इस प्रकार से अपना गीत प्रस्तुत किया...झूलण आल़ी बोलण का टोटा...के जाणूं तनै बता दियो मैं खरा के खोटा....। उसके बाद हिसार जोन की टीम ने शादी का गीत कुछ यूं गाया...बना तेरे दादा की उंची रे दुकान ढोलक बाजैं, मजीरे बाजैं, सारंगी सारी रात....। इसके पश्चात करनाल जोन की टीम ने अपना गीत जी मेरा तरसै बादल़ बरसै, रूत सावण की आई रे....झूलण नै चाल्ली सारी ब्याही और कंवारी ........। इसके पश्चात कुरुक्षेत्र जोन की टीम ने अपना गीत मीठे लागैं बोल जब कोयल बोलै साथ मैं...दूर पपीहा बोल्या ऐ बोल्या बेबे बाग मैं....। अंत में यमुनानगर जोन की टीम ने सामण आया सखी री मेरी झूम कै री, ऐरी झूलण चालो री सखी री सामण आया..........गीत प्रस्तुत किया।
इसी मंच से ग्रुप सोंग जनरल में पहली प्रस्तुति हिसार जोन की रही जिन्होंने अपना गीत देश के वीरों की गाथा कहते हैं अपनी जुबानी...गाया। उसके पश्चात करनाल जोन की टीम ने अपने गीत कण कण में प्रकृति के जीवन संगीत समाया ... की अपनी प्रस्तुति दी। कुरुक्षेत्र जोन की टीम ने अपने गीत सात सुरों की मस्त पवन से दुनिया को महकाऐंगे गीत के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। यमुनानगर जोन की टीम ने भी देश भक्ति का गीत पेश किया। उधर संगीत विभाग के हाल में आयोजित क्लासिकल वोकल पी में व एनपी में विभिन्न प्रस्तुतियां दी गई। करनाल जोन से आर्य पीजी कालेज की टीम ने यमन राग में पिया नहीं आए पर बंदिश पेश की। अम्बाला जोन से एसडी कालेज की टीम ने मधुवंती राग में बैरन भई रात बंदिश में बढ़े ख्याल और छोटे ख्याल पेश किये।
कोरियोग्राफी में अम्बाला व रसिया में करनाल जोन ने मारी बाजी
कुरुक्षेत्र, 06 नवम्बर।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 36 वें अंतरक्षेत्रीय युवा समारोह के पहले दिन आडिटोरियम में आयोजित कोरियोग्राफी प्रतियोगिता में अम्बाला जोन रिकोमैंडेड रहा और करनाल व यमुनानगर जोन कोमैंडेड रहे। इसी मंच से आयोजित रसिया समूह नृत्य में करनाल जोन रिकोमैंडेड रहा और कुरुक्षेत्र व हिसार जोन कोमैंडेड रहे। आरके सदन में आयोजित हरियाणवी समूह नृत्य यमुनानगर जोन रिकोमैंडेड रहा और करनाल व हिसार जोन कोमैंडेड रहे। इसी मंच पर आयोजित सामान्य समूह गान में कुरुक्षेत्र जोन रिकोमैंडेड रहा और यमुनानगर व अम्बाला जोन संयुक्त रूप से कोमैंडेड रहे। इंडियन आरकैस्ट्रा में हिसार जोन रिकोमैंडेड रहा और यमुनानगर व अम्बाला जोन संयुक्त रूप से कोमैंडेड रहे। हरियाणवी गजल व क्लासिकल डांस की प्रतियोगिता इसी मंच से देर सांय तक जारी रही। उधर आडीटोरियम में एकांकी प्रतियोगिता में हिसार जोन की प्रस्तुति थी देव दर्शन अग्री संघर्ष और यमुनानगर की प्रस्तुति श्रापित कर्ण के बाद देर सांय तक अन्य प्रस्तुतियां जारी रही। खुले मंच पर सांग का प्रतियोगिता भी देर सांय तक जारी रही।
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