Thursday, November 3, 2011

रत्नावली के दूसरे दिन घूमा बावन गज का घाघरा


नौरंगी मेरी चूंदड़ी...औढूं तो रोप द्यूं चाल़ा.......
रत्नावली के दूसरे दिन घूमा बावन गज का घाघरा
एकल नृत्य की रही धूम, खचाखच भरा रहा आडिटोरियम

कुरुक्षेत्र/ पवन सौन्टी
(विशेष सहयोग रत्नावली रिपोर्टर टीम जिनमें विशेष गौड़, शशि, प्रतीक्षा, मनीषा, दिपिका, बलवंत, सुमन व अरविंद्र सिंह)
नौरंगी मेरी चूंदड़ी.... औढू़ तो रोप द्यूं चाल़ा...., सखी री मैं तो पाणी नै गई थी री कुऐं पै मिल गया......। कुछ इस प्रकार की स्वर लहरियों के साथ हरियाणवी परिधानों में सजी युवा कलाकारों ने जब एकल नृत्य की प्रस्तुतियां दी तो दर्शक मंत्रमुग्ध होगए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली महोत्सव के दूसरे दिन आडिटोरियम में बावन गज का घाघरा कुछ इस तरह घूमा कि दर्शकों से खचाखच भरा हाल तालियों से गूंजता रहा। प्रतियोगिता में प्रदेश के कोने कोने से आई 10 टीमों ने भाग लिया। सबसे पहले यूटीडी कुवि की टीम ने अपने गीत मत देख बालम मेरे चूंदड़ नै....पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया। डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर की टीम ने उठी उठी री सास झणकार नाड़ा तौ रह्या बाज घणा....। एमएलएन कालेज यमुनानगर की टीम ने हाय मैं जद पहलम झटकै आई......पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया। राजकीय महाविद्यालय जींद की की प्रतिभागी ने पाणी ल्यावण जा रही हे री मेरी सासड़ राणी.....सब सख्यि के साथ....कोई याणी कोइ स्याणी भर भर पाणी ल्या रही....नौरंगी मेरी चूंदड़ी....के गीतों के मिले जुले स्वरों पर अपना मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। गर्वनमैंट पीजी कालेज करनाल की टीम ने मेरे ढूंगे की चाल न्यारी.. मैं छौरी घणी प्यारी.... के साथ एकल नृत्य प्रस्तुत किया। महिला एकल नृत्यों को लेकर युवाओं में इतना रूझान था कि 2500 लोगों के बैठने की क्षमता रखने वाला आडिटोरियम हाल 4000 से अधिक दर्शकों से ठसाठस भरा रहा। गैलरियों में भी पांव रखने की जगह नहीं बची। हरियाणवी घाघरा, कुड़ती, चूंदड़ व हरियाणवी आभूषणों की झंकार दर्शकों को बरबस ही झूमने पर मजबूर करती रही। 




हरियाणवी लोक गीतों ने बिखेरी हरियाणवी संस्कृति की मिठास
रत्नावली रिपोर्टर टीम विशेष गौड़, शशि, प्रतीक्षा, मनीषा, दिपिका, बलवंत, सुमन व अरविंद्र सिंह|
रत्नावली के दूसरे दिन ओपन ऐयर थियेटर में आयोजित हरियाणवी लोक गीतों की प्रस्तुति ने हरियाणवी संस्कृति के लोक जीवन की मिठास को बिखेरा। प्रतियोगिता में कुल 17 टीमों ने भाग लिया व अपने लोक गीतों की प्रस्तुतियां दी। गर्वनमैंट कालेज छछरौली के अनिल कुमार ने मैं सादा भोल़ा यार लुटग्या ल्याकै दिल्ली आली़....... आईबी कालेज पानीपत की नेहा ने उठी उठी री सास झणकार नाड़ा तो घणा बाज रहया...., केएम गर्वनमैंट कालेज नरवाना के सीलू ने टिबै चढगी गोरड़ी कै कांडो बड़ग्यो रै....., डीएवी कालेज यमुनानगर की प्रिया ने घाल दे पिया नै जिया नै टाल़ ना करै....... आदि लोक गीतों को प्रस्तुत किया। कुवि के विशु राणा ने थम जाओ ससुरा सास समझाल्यूं गी जिद आजैगा मेरे पास...... गीत प्रस्तुत किया। उधर सिनेट हाल में आयोजित हरियाणवी क्विज में कुल 12 टीमों ने भाग लिया। आरके सदन में हरियाणवी इंस्ट्रृमैंटल सोलो की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

....खुला मंच पर हुई मायादेवी रणतेज कंवर सांग की प्रस्तुति............
 विशेष गौड़
हरियाणा की माटी की सौंधी-सौंधी खुशबू की महक कुवि के रत्नावली महोत्सव में देखने को मिल रही है। गत दिवस देर शाम कुवि के खुला मंच में सूरज बेदी के सांग में मंजे हुए कलाकारों ने समां बांधा। इस प्रस्तुति में सांग के सुत्रधार रहें सुरज बेदी ने सांग के के अनुसार यह सांग नारी की दुर्दशा/जुल्मों पर तैयार किया जा रहा है। सांग की कथावस्तु कुछ इस प्रकार थी कि राजस्थान क्षेत्र के तारागढ़ शहर में राजा श्याम करण राज किया  करते थे। उनके राज परिवार में उनका उतराधिकारी चंद्रगुप्त व पुत्री मायादेवी क्षेत्र में राज कर रहे थे। कुछ समय पश्चात राजा  श्याम करण की मौत हो जाती है। राजा के बेटे चंद्रगुप्त के शरीर में कोढ़ लग जाता है वह हरिद्वार में चला जाता है। तदोंपरांत राज-पाट का कार्यभार सेना के वजीर को सौंप दिया जाता है। राजा श्याम करण का वजीर एक बेईमान स्वभाव का व्यक्ति होता है। जिसकी सत्ता पर काबिज होते ही बेईमानी चरम सीमा पर पहुुंच जाती है। वजीर के मन में राजा की पुत्री मायादेवी के प्रति इश्क  जागता है और वह उसे पाने क  फिराम में लग जाता है पर मायादेवी अपने  धर्म पर कायम  रहती है। वजीर मायादेवी को न पाने की सूरत में उसे मारने के लिए अनेक षड्यंत्र रचता रहता है,वह एक काठ के संदूक में मायादेवी को बंद कर दरिया में फेंंक देता है पर भगवान में विश्वास करने वाली मायादेवी बच जाती है। इसे भील जाति के लोग दरिया से बाहर निकाल देते है,पर यहां भी इस नारी के साथ जुल्म होने लग जाते है। भीलों के चंगुल में फंसी मायादेवी को एक  राज कुंवर रणतेज जिसकी बचपन में मायादेवी के साथ सगाई हुई थी को बचा लेता है। कुछ समय पश्चात मायादेवी जंगलों में रहने को चली जाती है तथा बाबा बन जाती है और अंत में रणतेज के साथ रानी बनने को कबूल कर लेती है । इस सांग के माध्यम से सांगी साथियों ने देर रात तक उपस्थित दर्शकों को बांधे रखा ,जब तक सांग समाप्त नहीं हुआ तब तक भारी संख्या में युवा, बुर्जुग, व महिलाएं इस उत्सव की सांग प्रस्तुति में बैठी रही। सांग में कुल 11 सांजिदों व कलाकारों की इस टीम ने पूरे सांग में समां कायम रखा। पात्रों में रानी की प्रस्तुति विकास कुमार, मां नरेश कुमार,राजा कैलाश चंद्र व सुत्रपाद के रूप में सांगी सूरज बेदी थे।


रत्नावली प्रतियोगिताओं के पहले दिन के परिणाम
रत्नावली रिपोर्टर टीम विशेष गौड़, शशि, प्रतीक्षा, मनीषा, दिपिका, बलवंत, सुमन व अरविंद्र सिंह|
            रत्नावली सामारोह के पहले दिन आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणाम 2 नवम्बर को देर शाम तक घोषित होते रहे। आडिटोरियम में आयोजित हरियाणवी पॉप सांग में आरकेएसडी कालेज कैथल प्रथम, यूटीडी कुरुक्षेत्र द्वितीय व डीएवी गल्र्ज कालेज यमुनानगर और कुवि पीजी रिजनल सैंटर जींद तीसरे स्थान पर रहे। दोपहर बाद इसी मंच पर आयोजित एकांकी प्रतियोगिता में एमएम पीजी कालेज फतेहाबाद प्रथम, गर्वनमैंट पीजी कालेज करनाल दूसरे व यूनिर्वसिटी कालेज कुरुक्षेत्र तीसरे स्थान पर रहे। इस प्रतियोगिता में बैस्ट ऐक्टर का पुरस्कार गर्वनमंैट पीजी कालेज करनाल के संदीप को मिला और बैस्ट ऐक्टर का द्वितीय पुरस्कार यूटीडी कुरुक्षेत्र के अरविंद्र को मिला। बैस्ट ऐक्ट्रैस का पुरस्कार गर्वनमैंट पीजी कालेज करनाल की गुलाबो चरित्र निभाने वाली किशु व द्वितीय पुरस्कार बीपीएस गल्र्ज कालेज खानपुर कलां की पूजा को मिला।
            ओपन ऐयर थियेटर में आयोजित हरियाणवी स्किट में आरकेएसडी कालेज कैथल प्रथम, यूटीडी कुवि कुरुक्षेत्र दूसरे और जीएन खालसा कालेज करनाल तीसरे स्थान पर रहे। इस प्रतियोगिता में बैस्ट ऐक्टर का पुरस्कार सीआरके कालेज जींद के शराबी पात्र को मिला और बैस्ट ऐक्टर का द्वितीय पुरस्कार गर्वनमैंट केएम कालेज नरवाना के डाकू नम्बर 2 पात्र को मिला। बैस्ट ऐक्ट्रैस का पुरस्कार यमुनानगर के डीएवी कालेज की टीम के बेताल पात्र को व द्वितीय पुरस्कार बीपीएस खानपुर कलां की बुढिय़ा पात्र को मिला। इसी मंच पर आयोजित हरियाणवी चुटकुला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर राजकीय महाविद्यालय घरोंडा, दूसरे स्थान पर केएम राजकीय कालेज नरवाना व तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से सीआरके कालेज जींद व बीआरए कालेज कैथल रहे।
            आरके सदन में आयोजित हरियाणवी भजन में गर्वनमैंट पीजी कालेज करनाल प्रथम, कुवि रिजनल सैंटर जींद द्वितीय व बीपीएसएम गल्र्ज कालेज खानपुर कलां तृतीय स्थान पर रहे। सीनेट हाल में आयोजित हरियाणवी व्याख्यान प्रतियोगिता में एमएम पीजी कालेज फतेहाबाद का शिव कुमार प्रथम, पीजी गर्वनमैंट कालेज हिसार का संजय दूसरे व सीआरके कालेज जींद की पूनम तीसरे स्थान पर रहे।

4 नवम्बर को होने वाले कार्यक्रम
रत्नावली समारोह के तीसरे दिन 4 नवम्बर को आडिटोरियम में सुबह 10 बजे हरियाणवी लोक परिधान प्रतियोगिता होगी। इसी मंच पर साढ़े 11 बजे चौपाल का आयोजन होगा। दोपहर बाद 2 बजे इसी मंच पर हरियाणवी आरकैस्ट्रा की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसी मंच से सांय साढ़े पांच बजे सांगीत संध्या का आयोजन किया जाएगा। आरके सदन में सुबह दस बजे हरियाणवी समूहगान प्रतियोगिता होगी व दोपहर बाद 2 बजे हरियाणवी क्विज का फाईनल होगा। ओपन एयर थियेटर में सुबह 10 बजे से विद्यर्थियों की रागनी प्रतियोगिता होगी व दोपहर बाद 2 बजे मोनो एक्टिंग प्रतियोगिता होगी। सीनेट हाल में सुबह 10 बजे हरियाणवी कविता प्रतियोगिता होगी। दोपहर बाद 2 बजे खुले मंच पर विद्यार्थी कलाकारों द्वारा सांग की प्रस्तुति होगी। क्रश हाल में सुबह 11 बजे ऑन दॉ स्पाट पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। दोपहर 2 बजे इन पेंटिंगों की प्रदर्शनी होगी।


        

हरियाणवी की मिठास को लेकर मंच पर आई गजल
ओपन ऐयर में पुरुष एकल नृत्य में युवाओं ने बिखेरे रंग
(रत्नावली रिपोर्टर टीम विशेष गौड़, शशि, प्रतीक्षा, मनीषा, दिपिका, बलवंत, सुमन व अरविंद्र सिंह|)
            रत्नावली समारोह के दौरान दोपहर बाद आडिटोरियम में हरियाणवी में गजल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। गजल के माध्यम से हरियाणवी की मिठास को दर्शकों ने खूब अनुभव किया। माना जाता रहा है कि हरियाणवी अक्खड़ भाषा है, लेकिन गजलों की मिठास ने इस विचार को पूरी तरह नकारा साबित कर दिया। माता सुंदरी गल्र्ज कालेज पूंडरी की टीम ने छोड़ देंगे गाम तेरा तू रोया करैगा........बचपन प्यारा नदी किनारा वो कागज की नाव ..........शब्दों के साथ दर्शकों झूमने पर मजबूर किया। केएम गर्वनमैंट कालेज नरवाना की प्रतिभागी ने अरै बेवफा मेरी गलती बता...तनै मुंह क्यों फेरया मेरी होई के खता..........., आईबीपीजी कालेज पानीपत की टीम ने आजा के तू बैठै सामीं जी भर कै देख ल्यूं तनै........., डीएवी कालेज फार गल्र्ज यमुनानगर की टीम ने चांदनी रात मेरा जी जलावै..मनै किसे की याद सतावै....., एमएलएन कालेज यमुनानगर की टीम ने आंसू की ढाल आंसुआं ने घूट कै पड़ ज्या गा टूट कै............., युनिवर्सिटी कालेज कुरुक्षेत्र की टीम ने याद सतावै नींद ना आवै....तेरे बिना तेरे बिना ....., पीएन गल्र्ज कालेज खानपुर कलां की टीम ने मनै तू छौड़ कै पिया कित जा सै...अड़ै कोई ना मेरे मन का मेली....., गर्वनमैंट कालेज पानीपत की टीम ने मनै बेरा था वो मेरा कोण पराया था.......जिनै सुपणे मैं मैं ढूंढ़ता.........आदि शब्दों के साथ हरियाणवी को पूर्णतय: समृद्ध किया।
            उधर ओपन ऐयर थियेटर में पुरुष एकल नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें आधा दर्जन के करीब टीमों ने भाग लिया। जाट कालेज कैथल के युवा नर्तक ने दिल ले गी रै छौरी गाम की......व यूटीडी कुवि के छात्र ने हाय रै मैं किसनै सुणाऊं यू अपणे दिल का हाल.....वा छोरी नजरां के तीर चलाकै नै  करगी कमाल...........। उधर सीआरमए कालेज सोनीपत के छात्र ने के सुणाऊं रै उस छोरी का हाल.......पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया। अहीर पीजी कालेज रेवाड़ी के छात्र ने एक पोरी बरगी छौरी मेरा रंग चिढ़ावै सै...एक मेरे हाण की छोरी नखरे दिखावै सै........के साथ नृत्य पर तालियां बटोरी। प्रतियोगिता सांय तक जारी रही। दोपहर बाद क्रश हाल में प्राचीन वस्तुओं की प्रर्दशनी लगी। विभिन्न कालेजों से आए विद्यर्थियों ने अपने स्तर पर जुटाई गई पुरातन वस्तुओं को इसमें प्रदर्शित किया। इन वस्तुओं को देखने में जहां युवा वर्ग ने रूचि दिखाई वहीं दूर दराज से आए बुजुर्गों ने भी संग्रहित वस्तुओं को देख अपने पुराने दिनों को ताजा किया। प्रर्दशनी में पुरतन सिक्के, हुक्के, कपड़े, सितार आदि प्राचीन वद्ययंत्र, प्राचीन बर्तन, मापतोल के साधन, आजादी की क्रांति मेंं अहम भूमिका निभाने वाला खादी का जनक चर्खा व बड़े बड़े फूलदान विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहे। 



No comments:

Post a Comment