Wednesday, November 16, 2011

आई एम कन्फ्यूज लिलो.........लाठर की खोज ने किया हरियाणवी को आधुनिकता से दो चार



आई एम कन्फ्यूज लिलो.........
हरियाणवी पॉप सोंग ने किया पाश्चातय विधा का हरियाणवी में समावेश
लाठर की खोज ने किया हरियाणवी को आधुनिकता से दो चार


यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)
डीएवी कालेज फार गल्र्ज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के पहले दिन 13 नवम्बर को देर रात तक प्र्रतियोगिताऐं चलती रही। देर शाम आयोजित हरियाणवी पॉप सोंग प्रतियोगिता में 5 जोन से आए कलाकारों ने हरियाणवी में पाश्चातय विधा का समावेश करते हुए मंच पर ऐसा रंग जमाया कि युवा वर्ग अपनी सीटों से उठ कर नाचने को मजबूर हो गया। आई एम कन्फ्यूज लिलो......के साथ जब मंच पर हरियाणवी व पाश्चातय अंदाज में लिलो चमन के किस्से की रागनी पेश की तो दर्शक दांतों तले उंगली दबा कर रह गए। अंग्रजी बोल से शुरु हुए इस पॉप में लिलो चमन के संवाद गायन शैली में कुछ इस प्रकार रहे....साचम साच बता लिलो के खुशी मना री सै....के बुझैगा चमन आज मेरे ब्याह की त्यारी सै....। और गीत का अंत भी अंग्रेजी संवाद म्हारी कन्फूजन होगी सोलव रै लिलो...से हुआ। इसके बाद  झूमै रै झूमै रै मेरा घाघरा...चाल्ली मैं दिल्ली आगरा...., मैं आया हरियाणे का छौरा....। इस मिश्रित पॉप में कमोबेश सभी रंगों को समेटने का प्रयास किया गया। फागण को केंद्र लेकर मंचित इस गीत में जहां मंच पर फूल वर्षा हुई वहीं ठेठ हरियाणा की कोरड़ा मार होली को भी मंचित करने का प्रयास किया गया। कुछ इस प्रकार के  बोलों के साथ गीत समाप्त हुआ....ले ल्यो रै ले ल्यो रै मजे सारे के दिन आया फागण का...। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर द्वारा अपनी सांस्कृतिक  प्रयोगशाला रत्नावली के माध्यम से तैयार इस विधा ने जता दिया कि हरियाणवी गीत आधुनिकता के साथ आधुनिक युवाओं के लिये कैसे अच्छे मनोरंजन का माध्यम बन चुके हैं। आज का युवा किस प्रकार इन पर थिरकत है यह भरे पांडाल में बखूबी देखा गया। पॉप सांग की रंगा रंग प्रस्तुति से यह आभास हो गया कि हरियाणी संगीत देश के किसी भी कोने में नाचने के लिये प्रयोग हो सकता है। बोल चाहे किसी श्रोता को समझ ना आते हों, लेकिन उनकी मिठास व उल्लास बरबस ही थिरकने को मजबूर कर देता है।
            इसी मंच से देर रात तक इंडियन आरकैस्ट्राव हरियाणवी आरकैस्ट्रा की रंगारंग प्रस्तुतियां होती रही। हरियाणवी आरकैस्ट्रा में हरियाणा के लोक वाद्यवृंदों तुम्बा, डेरु, घड़वा, चिमटा, सारंगी आदि की मिश्रित ताल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किये रखा। 
            उधर अभिव्यक्ति सदन में आयोजित संस्कृत नाटक में अम्बाला जोन ने सबसे पहले अपनी प्रस्तुति दी। दमन चक्रम नाटक में इन कलाकरों ने जुपीटर ग्रह की रूढिवादिता को लेकर लम्बा मंचिय अभिनय प्रस्तुत किया। कथा के अनुसार दो भाई होते हैं परमैथ्यू और अतलस।  उन में से एक की मौत हो जाती है और वह जूपिटर पर चला जाता है, तब दूसरा भाई उसे छुड़ाने जाता है। वह उसकी आत्मा को मुक्त करवाकर ही साथ लेकर वापिस लौटता है। इस कथा को युवा कलाकारों बहुत ही भाव पूर्ण अभिनय से मंचित किया। दूसरा नाटक लेकर पहुंची करनाल जोन की टीम ने अपने नाटक अश्वस्थामा के माध्यम से महाभारत की कथा के एक पात्र को जीने का प्रयास किया। महाभारत के युद्ध की के इस भाग को कलाकारों ने पूरे ही वास्तविक अंदाज में पेश किया। यमुनानगर जोन की टीम ने कुमार स्वामी नाटक में गुरु शिष्य की परम्परा के माध्यम से उस स्थिति को पेश किया जिसमें गुरु शिष्य को अपने लाभ व हित के लिये प्रयोग करते हैं। कथा में कुमार स्वामी का गुरु उसे राजनैतिक रूप से प्रयोग करता है। वह कुमार स्वामी से अनशन करवाता है। अंत में कुमार स्वामी गुरु की राजनैतिक सोच से परेशान होकर अनशन तोडऩा चाहता है। तब गुरु उसकी हत्या कर देता है। इसी मंच से मिमिकरी प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ जिसमें 4 टीमों ने भाग लिया। सभी कलाकारों ने अपने हास्यप्रद अभिनय से विभिन्न विषयों पर कटाक्ष करके दर्शकों को लोट-पोट किया।


म्हारे टेम मैं तो पोतडय़ां मैं ब्याह दिया करदे................
हरियाणवी स्किट के माध्यम से हुए सामजिक कुरीतियों पर कटाक्ष
यमुनानगर/ पवन सोंटी
(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

डीएवी कालेज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34 वें अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के दूसरे दिन मुख्य आकर्षण हरियाणवी स्किट का रहा। सीमित समय में मंचित की जाने वाली इन हास्य लघु नाटिकाओं के माध्यम से युवा कलाकारों ने सामाजिक कुरीतियों पर जम कर कटाक्ष किये। सबसे पहले कुरुक्षेत्र जोन की टीम ने अपनी प्रस्तुति धरती नै कोण सुधारैगा के माध्यम से भ्रष्टाचार पर जम कर कटाक्ष किये। संवाद कु छ इस प्रकार रहे... भ्रष्टाचार नै कदम कदम पै ढाल राख्या है ढेरा, वो भारत देश है मेरा....।  यू सै समाज की चौथी टांग.....करीना के आंख्यां मैं दो आंसू के आज्यां उसके पलकां के  फोटू.....। हिसार जोन की टीम ने माणस कडै़ गए के माध्यम से समाज की कुव्यवस्था पर कुछ इस प्रकार कटाक्ष किये... विसकी मैं होवै विष्णु, बीयर मैं ब्रह्मा अर देशी मैं दादा। देश काला होग्या रै...माणस नै माणस.....।
            यमुनानगर जोन की टीम ने हरियाणा के लोकनाट्य सांग को बचाने का आह्वान आपनी प्रस्तुति सांग मंडली के माध्यम से जहां सांग में आई गिरावट को उभारने का प्रयास किया वहीं यह संदेश भी दिया कि लोक कलाकारों को संरक्षण देने की जरुरत भी है। संदेश भी कुछ इस प्रकार दिया.... कलाकारां नै 2 रोटी दे द्यो बस याहे दरकार सै......सांग बचा ल्यो इसनै गा ल्यो, बस याहे पुकार सै। इसके साथ ही नाटिका में अनेक अन्य विषयों पर भी व्यंग्य साधे गए। देखिये कुछ संवाद...
            इसनै तो मैं पलकां पै बिठा कै राखूंगा....
            क्यूं पलाकं पै के तेरी फूफी नै सौफा सैट फिट करवा राख्या सै.....
            ..............तेरे बरगे सुथरे गंडासे नै जाम मैं चूंटियां नी लागैंगी तो के खसरे के टीके लागैंगे।

            इसके पश्चात करनाल जोन की टीम ने भी भ्रष्टाचार मिटाने का संदेश देती अपनी प्रस्तुति पेश की। स्किट में एक किन्नर के संवाद कुछ इस प्रकार रहे.... मैं माणस जमा लुगाई बटा दो....। इज्जत का परमट तो राम नै कोनी दिया म्हारे तै......। वहीं वर्तमान को अपने समय से जोड़ती वृद्धा के संवाद भी कुछ इस प्रकार रहे....ऐरे कड़ै की पढी लिखी...म्हारे टेम मैं तो पोतड़्यां मैं ब्याह दिया करदे...। अंत में अम्बाला जोन की और से धरती नै स्वर्ग बणावांगे स्किट प्रस्तुत की गई। कलाकारों ने जमूरे और मदारी के माध्यम से जहां समाज के विभिन्न वर्गों की बिगड़ी व्यवस्था पर व्यंग्य किये वहीं समाज सुधार का संदेश भी दिया। संवाद देखिये ...आलतू फालतू..सीला कर जवान तू मुन्नी कर बदनाम तू.........। इसी मंच पर दोपहर बाद माईम की प्रतियोगिता आयोजित हुई।
            उधर अनुभूति सदन में आयोजित हरियाणवी लोक गायन की एकल विधा में 4 जोनों से आए प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अम्बाला जोन के एसडी कालेज से व यमुनानगर जोन की ओर से गवर्नमैंट कालेज नारायणगढ़ के प्रतिभागी ने एक ही गीत पर अलग अलग घाल दे पिया नै जिया नै... पर खूब तालियां बटोरी। हिसान जोने की ओर से गर्वनमैंट पीजी कालेज हिसार की टीम ने कांटे राहे मैं बो गई.... गीत गाया। करनाल जोन की ओर से गीत पेश किया। इसी मंच से हरियाणवी लोक वाद्य यंत्र प्रतियोगिता का अयोजन किया गया जिसमें सारंगी, तुम्बा, घड़वा, ढोलक आदि हरियाणवी वाद्य यंत्रों की धुनों ने अपनी मधुर तान से फिजां को तरंगित किया।
            दूसरी और श्रृजन सदन के खुले मंच पर वैस्ट्रन वोकल सोलो में टैक्रिकल जोन के प्रतिभागी ने से इट सोंग प्रस्तुत किया। इसके पश्चात यमुनानगर जोन की ओर से प्रतिभागी ने अपने सोंग स्टोरी आफ माई लाईफ की प्रस्तुति दी। हिसार जोन से टीयर्सफुल विस्पर्स सोंग प्रस्तुत किया गया। वैस्ट्रन इंस्ट्रूमैंटल सोलो में कुरुक्षेत्र जोन ने गिटार, अम्बाला जोन ने भी गिटार, हिसार जोन की ओर से प्रतिभागी ने वाईलिन बजाई व कैथल के प्रतिभागी ने ड्रम पर अपनी प्रस्तुति दी। वैस्ट्रन ग्रुप सोंग  में हिसार जोन का सोंग गैट ऑन दॉ फलोर, करनाल जोन का बार्बी ऐलोन, अम्बाला जोन का शेप आफ माई हार्ट व रेन ओवर मी का रिमिक्स प्रस्तुत किया। युवाओं की प्रतिभा का दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया।




इक पल ना लगै दिल तेरी याद मैं......
गजलों से झलकी हरियाणवी की मिठास
यमुनानगर/(विशेष सहयोग डीएवी कालेज की युवा टीम कृष्णा, अश्विनी चौधरी, निशु, सोनिया, अंकिता, नेहा और वंदना एवं उनके शिक्षक श्री परमेश त्यागी)

.......इक पल ना लगै दिल तेरी याद मैं....चैन की नींद सोवै सै सारा यू जहान, ...फेर ल्यूं मैं नजर चांद नै देख कै......। जी हां, गजल जैसी भावपूर्ण मिठास भरी विधा हरियाणवी में भी है जो अहसास करवाती है इस भाषा की मिठास का। माना जाता रहा है कि हरियाणवी अक्खड़ भाषा है, लेकिन गजलों की मिठास ने इस विचार को पूरी तरह नकारा साबित कर दिया है। स्थानीय डीएवी कालेज फार गल्र्ज में चल रहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर क्षेत्रीय युवा समारोह के पहले दिन गत देर सांय आयोजित हरियाणवी गजल प्रतियोगिता में हरियाणा के शिवालिक की पहाडिय़ों से जुड़े यमुनानगर व पंजाब से जुड़े अम्बाला से लेकर हिसार तक के युवा गजल गायकों ने अपने भावों को गजलों के माध्यम से प्रस्तुत किया। अपने अपने जोन से प्रतियोगिताओं में चुन कर आए इन कलाकारों ने मंच के माध्यम से हरियाणवी गजलों को बहुत ही संजीदा अंदाज में पेश किया। उपरोक्त पंक्यिां जहां कुरुक्षेत्र जोन से आई प्रतिभागी की हैं तो वहीं तकनीकि जोने से आए गायक ने कुछ यूं अपनी गजल पेश की.... ए मुहब्बत तेरे अंजाम पै रोणा आया.....यूं तै हर सांझ उम्मीदां मैं गुजर जावैगी....। अम्बाला जोन से आए प्रतिभागी के बोल कुछ यूं रहे....उसनै मन्ने याद किया सै उसनै प्यार निभाया सै....। करनाल जोन की और से कुछ इस अंदाज में प्रस्तुति दी गई....बेखबर सै तू बलम प्यार तै-इकरार तै....मेरा दिल घबरावै बालम एक तेरे इनकार तै.......। यमुनानगर जोन के प्रतिभागी के बोल कुछ यूं रहे.... करो ना मखौल यारो, पड़ ज्यांगा टूटकै...दिल के जख्मां का जहान मैं कोए पुछणिया कोन्या....., रोणे नै करै सै मेरा दिल दोस्तो....., मतलब के सै यार प्यार मैं मिलदी आज वफा कोन्या, उजड़ लिया संसार मेरे पै किम्मे आज बच्या कोन्या....। हिसार जोन की ओर से कुछ इस अंदाज में गजल प्रस्तुत की गई....इन प्रीत आल़े घावां का किते हो बताणा इलाज सै....., घट्टा भी पड़ जै ओटणा इसा लेणा देणा प्रीत का....। इसी मंच से इससे पूर्व इंडियन लाईट वोकल व सामान्य लोक गीत प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। सबसे रोचक प्रस्तुतियां हरियाणवी गजल की रही।

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