Sunday, February 23, 2014

समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो........



एक परिसर में सिमटा नजर आया समूचा भारत

वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में थिरके मंच पर पांव, खुले मंच पर भी खूब जुटे दर्शक

अनुराधा/अदिति/पल्लवी/पूजा|
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
......समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो....... जी हां, अंग्रजी गीत के कुछ इसी प्रकार के बोलों से गुंजायमान रहा कुवि का आडिटोरियम। मौका था 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव के दौरान आयोजित वैस्ट्रन ग्रुप सोंग प्रतियोगिता का। इस दौरान जहां प्रतियोगियों के पांव जम कर थिरके तो दर्शकों ने भी जम कर लुत्फ उठाया। इसके साथ ही आडिटोरियम हाल के बाहर खुले मंच पर एच्छिक प्रस्तुतियों के दौरान दर्शकों का हजूम ऐसा अहसास करवा रहा था मानों कुवि में लघु भारत सिमट आया हो। 
इस मंच पर विभिन्न स्थानों से आए कलाकारों ने प्रतियोगिताओं से हट कर अपनी प्रस्तुतियां दी। आडिटोरियम में आयोजित वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में सबसे पहले मंच पर आऐ वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान की प्रस्तुति ...समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो.....के अलावा माखन लाल जनसंचार एवं पत्रकारिता विश्वविद्याल भोपाल का गीत था ....समथिंग इज मिशिंग इन माई हार्ट...., मणीपुर विश्वविद्यालय मणिपुर की प्रस्तुति उनके गीत ...आई वुल्ड नोट गिव अप....पर रही। प्रतियोगिता में देश के कोने कोने से आए विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसके बाद वैस्ट्रन वोकल सोलो प्रतियोगिता का आयोजन भी इसी मंच से हुआ।
    उधर आरके सदन में आयोजित क्लासिकल इंस्ट्रुमैंट सोलो (नोन पी) प्रतियोंगिता में कुल 10 विश्वविद्यालयों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। इसी मंच से दोपहर बाद क्लासिकल इंस्ट्रुमैंट सोलो (पी) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। बनारस विश्वविद्यालय की टीम ने सितार और तबला पर राग गुजरी, तोड़ी, अलाप जोड़ालाप, नोमात्रे, बंदिश, तीनलाप और झाला पेश किया। अमरावती महाराष्ट्र से आई टीम ने हारमोनियम, तानपुरा और तबला पर राग किरवानी, बड़ा ख्याल और छोटा ख्याल पेश किया। मुम्बई विश्वविद्यालय की टीम ने सरोद पर यमन राग पेश किया। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय ने तबला व सारंगी पर राग चारूकेशी पेश किया। वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान ने तबला और वयलिन पर राग बागेश्री पेश किया।

रंगोली में दिखाया हुनर
ललित कला विभाग में रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 10 टीमों ने भाग लिया। रंगोली में अपने अपने क्षेत्र की परम्परागत रंगोली रची गई। इसके साथ ही रंगोली के माध्यम से सुंदर चित्रकारी भी की गई जो काफी मनोहरी नजर आई। बनारस विश्वविद्यालय की टीम ने अबीर व सुजी से गणपति का प्रतिकात्मक रूप उकेरा।
 यह उस क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर रची जाने वाली मुख्य रंगोली है। इसके साथ ही गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृसर ने बुरादे के साथ बसंत पंचमी पर रंगोली बनाई। नागपुर विश्वविद्यालय की ओर से बत्तख और कमल के फूल की पारम्परिक रंगोली बनाई। जम्मू विश्वविद्यालय ने रंगीन चावलों से कलश और गणेश जी की रंगोली रची। आचार्य नागार्जुन आंध्रप्रदेश की टीम ने पोंगल पर बनाई जाने वाली रंगोली गुलाल से रची।

आज होने वाले कार्यक्रम
29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव के चौथे दिन 21 फरवरी को सुबह 9 बजे आडिटोरियम हाल में वन एक्ट प्ले, इसी समय राधा कृष्ण सदन में ग्रुप सोंग इंडियन व सीनेट हाल में ऐलोक्यूशन प्रतियोगिताऐं होंगी। इसी समय ललित कला विभाग में कोलाज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। दोपहर बाद राधा कृष्ण सदन में क्लासिकल डांस इंडियन सोलो प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। उधर  ललित कला विभाग में इंस्टालेशन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

शिक्षा की खामियों पर जम कर हुए व्यंग्य

गरीबों के लिए रोगतंत्र और निजी संस्थानों के लिए नोटतंत्र बनी उच्च शिक्षा...

वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने उच्च शिक्षा में बढ़ते निजीकरण पर किया कटाक्ष 


मनोज कौशिक,
20 फरवरी, कुरुक्षेत्र।
.....रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा, शिष्य शिक्षा पाने के लिए आश्रमों में फैसिलिटी ढूंढता नजर आएगा। उच्च शिक्षा में निजीकरण बच्चों के लिए लोकतंत्र, गरीबों के लिए रोगतंत्र और निजी संस्थानों के लिए नोटतंत्र नजर आएगा। इन पंक्तियों से गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव (सरस्वती महोत्सव) की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आगाज हुआ। प्रतियोगिता का विषय भारत में उच्च शिक्षा में निजीकरण एक वरदान रखा गया था। देशभर के पांच जोन से आए अलग-अलग विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। कुछ ने इसके पक्ष में तर्क रखे तो कुछ प्रतिभागियों ने इसके विपक्ष में तर्क रखे। केंद्रीय जोन से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के प्रतिभागी ने निजीकरण के पक्ष में तर्क रखते हुए दोहे से शुभारंभ किया और कहा कि आज हमें उच्च शिक्षा में निजीकरण के महत्व को पहचानना चाहिए। इसके माध्यम से हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उच्च शिक्षा का फायदा पहुंचा सकते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इंटरनेशनल ट्रांइपेरंसी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2002 में 50 हजार युवा उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे जबकि वर्ष 2013 में यह संख्या 5 लाख पर पहुंच गई है, जिससे हमारे देश को 7 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि हम उच्च शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देते हैं तो हमारे देश व उच्च शिक्षा के इच्छुक छात्रों के लिए फायदे मंद होगा। इसी के पक्ष में तर्क देते हुए संत गाढगी बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती के प्रतिभागी ने नेल्सन मंडेला की उन लाइनों से शिक्षा के निजीकरण पर प्रकाश डाला कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है जो इस विश्व में बदलाव ला सकता है इसलिए हमें इसके प्रचार व प्रसार में निजीकरण की भागीदारी स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने सरकारी शैक्षणिक तंत्र का हवाला देते हुए कहा कि आज हमारे देश में सरकारी शिक्षा व शिक्षकों की ऐसी स्थिति है कि उन्हें शैक्षणिक कार्यों की बजाए जनगणना व चुनावों में ड्यूटी में लगा दिया जाता है। इसी तरह वर्ष 2006 में गठित की गई यशपाल कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कर्नाटका विश्वविद्यालय की प्रतिभागी ने कहा कि इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि भारत में आज भी उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त सरकारी विश्वविद्यालय नहीं है इसलिए नए निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने की जरुरत है। उन्होंने विश्व के टॉप 100 विश्वविद्यालयों का उदाहरण देकर बताया कि इस टॉप लिस्ट में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है और इस सूची में 90 प्रतिशत से अधिक प्राइवेट विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा में निजीकरण पर अपने विचार रखते हुए महात्मा गांधी विश्वविद्यालय केरल की प्रतिभागी छात्रा ने कहा कि मौजूदा समय में भारत की जनसंख्या अमेरिका व ब्रिटेन से कहीं ज्यादा है जबकि अमेरिका में 2 हजार विश्वविद्यालय, ब्रिटेन में 1 हजार और भारत में 480 विश्विद्यालय हैं। ऐसे में हमें अपने शैक्षणिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरुरत है जिसमें निजीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी वाद-विवाद के विपक्ष में तर्क देते हुए पूर्वी जोन की तेजपुर विश्वविद्यालय, तेजपुर के प्रतिभागी ने कहा कि निजी संस्थानों में उच्च शिक्षा के नाम पर दिया जा रहा डॉनेशन इस क्षेत्र में बड़ा लूपहोल है। जिसकी वजह से एक मध्यम वर्गीय व पिछडे वर्ग के लोगों के लिए इस उच्च संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करना सपना मात्र रह जाता है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के प्रतिभागियों ने इसके विपक्ष में जोरदार तर्क रखते हुए कहा कि आज निजी संस्थानों में एससी, बीसी व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए इन संस्थानों में जगह निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सिस्टम आज मनी मेकिंग का काम कर रहा है जहां गरीब और गरीब व अमीर और ज्यादा अमीर होता जा रहा है। देश में बढ़ रहे निजीकरण पर मुंंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के प्रतिभागी ने कहा कि शिक्षा कोई वस्तु नहीं है जिसे इस तरह बाजार में बेचा जाए। आज अमेरिका व इंग्लैंड़ में 9 से 10 प्रतिशत तक शिक्षा में निजीकरण को छूट दी गई है जबकि भारत में 100 प्रतिशत तक निजी शैक्षणिक संस्थान खोले जा सकते हैं जोकि कतई ठीक नहीं है। इसी वजह से ये निजी शैक्षणिक संस्थान रिश्वत व भ्रष्टाचार का सहारा लेकर एआईसीटीसी और यूजीसी आदि की मान्यता ले लेते हैं। इसी तरह अन्य प्रतिभागियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।

यूं भी हुए निजीकरण पर कटाक्ष
उच्च शिक्षा में निजीकरण के विपक्ष में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की छात्रा ने दोहे के साथ कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत का नारा वंदे मातरम, निजी संस्थानों वाले माता-पिता के सामने बोले धन दे मातरम, फीस के नाम पर चंदे मातरम और संस्कृति के नाम पर नंगे मातरम रह गया है।
सरस्वती महोत्सव का तीसरा दिन....

फोगाट की शयरी और हरियाणवी गायन ने जमाया रंग

सरस्वती महोत्सव की गैस्ट आईटमें भी रही रोचक

आवाज टीम,
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
सरस्वती महोत्सव के दौरान जहां रोचक मुकाबले हो रहे हैं, वहीं गैस्ट आईटमें भी बहुत रोचकता समेटे हैं। बुधवार सांय हरियाणा के प्रख्यात मंच कलाकार गजेंद्र फौगाट ने अपनी शायरी व गायकी से जम कर रंग जमाया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल आडिटोरियम में आयोजित उनकी नाईट में आलम यह रहा कि  दर्शक कुर्सियां छोड़ गैलरियों में उतर कर नाचने पर मजूर हो गए। भगत सिंह तेरी फोटू क्यूं ना छपती नोटां पै....जैसे वीर रस के गीत पर पूरा आडिटोरियम छूमता नजर आया। उन्होंने अपनी गायकी के साथ साथ युवाओं को प्रेरक बातें बताने पर भी जोर दिया। इसके साथ ही उनके गीत काच्चे कटा द्यूंगा पर ....पर भी खूब रंग जमा। उन्होंने बताया कि वह इसी मंच से वह कभी गुजरे हैं और उनकी लम्बे समय से चाहत थी कि कुवि के आडिटोरियम में एक बार अपनी प्रस्तुति दें जिसे अनूप लाठर ने आज पूरा कर दिया। उन्होंने इसके लिये कार्यक्रम के प्र्रायोजन मल्टी आर्ट कल्चर सैंटर के उप निदेशक विश्वदीप त्रिखा का व कुवि तथा अनूप लाठर का आभार जताया।
    उधर गुरुवार को सरस्वती महोत्सव के तीसरे दिन आडिटोरियम हाल में दोपहर को आयोजित गैस्ट आईटमों में जहां दिलावर कौशिक की गजल .. हम तेरे शहर में आए हैं मुशाफिर की तरह.. के साथ दर्शकों को बांधे रखा। उनसे पहले गुरुनानक गल्र्ज कालेज यमुनानगर की छात्राओं ने शम्मी डांस ...मैं वारी मैं वारी मेरी शम्मीये..., बल्ले शमिये..छावा शम्मिये... के साथ खूब धूम मचाई। इससे पूर्व जगाधरी के हिंदू कालेज की छात्राओं ने कोरियोग्राफी के माध्यम से कालेज की रैगिंग के उत्पीडऩ को दर्शाया। नेपथ्य से कुछ इस प्रकार की ध्वनियों ने मंच को गुंजायमान रखा...ये महान दृश्य है...जल रहा मनुष्य है।


मिट्टी से उपजी भावनाऐं संगीत का जमा रंग
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह के तीसरे दिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दोपहर बाद भी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। ललिता कला विभाग में आयोजित क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता में मिट्टी से भावनाऐं उपजती नजर आई। विभिन्न कलाकारों ने जीवन के विभिन्न रंगों को दिखाने का प्रयास किया। उधर आडिटारियम में वैस्ट्रन वोकल सोलो सोंग का आयोजन हुआ जिनमें युवा गायकों ने अपनी आवाज की प्रतिभा से दर्शकों को खूब लुभाया।



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