Sunday, February 23, 2014

उत्तर क्षेत्र से गुरुनानक देव विवि अमृतसर के हिस्से गई ओवर आल ट्राफी


रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हो गया राष्ट्रीय युवा समारोह

विख्यात क्लासिकल डांसर पद्म भूषण उमा शर्मा ने किया परितोषिक वितरण

आवाज  टीम/ टीम रत्नावली रिपोर्टर्स ( अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर क्षेत्रीय विश्वविद्यालय युवा समारोह का जिस प्रकार रंगारंग आगज हुआ था उसी प्रकार समापन भी रंगा रंग रहा। समारोह के समापन अवसर पर जानी मानी क्लासिकल डांसर पद्म भूषण एवं पद्मश्री उमा शर्मा ने अपने हाथों से विजेताओं को पुरस्कारों से नवाजा। सामारोह के दौरान आयोजित 25 विधाओं सर्वाधिक अच्छा प्रदर्शन करने के कारण ओवर आल ट्राफी उत्तर क्षेत्र से गुरु नानक देव विवि अमृतसर को मिली जबकि इस ट्राफी का रनर अप पश्चिमी क्षेत्र से मुम्बई विवि मुम्बई रहा। समारोह के समापन अवसर पर मुख्यअतिथि के रूप में पहुंची विख्यात नृत्यांगना पद्म भूषण एवं पद्म श्री पुरस्कार विजेता उमा शर्मा ने अपने संबोधन में युवा कलाकारों से आह्वान किया कि प्राचीन नृत्य, संगीत व वाद्यों को संभाल कर रखें।
 इसके साथ ही उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि लुप्त होती गुरु- शिष्य परम्परा को जिंदा रखें। उन्होंने सरस्वती महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि सरस्वती महोत्सव व्यापक समारोह है, इसे संभालकर रखें व आगे बढ़ाऐं। उन्होंने युवा समारोहों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए अपने शिक्षार्जन के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के युवा समारोह की यादों को भी युवा कलाकारों के साथ सांझा किया। उमा शर्मा ने कहा कि इससे पहले भी वह यहां आ चुकी हैं, लेकिन इस प्रकार के महोत्सव में लम्बे अर्से बाद पहली बार आई हैं और इन युवा कलाकारों के बीच खुद को पाकर गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने युवाओं से वायदा किया कि आगली बार वह बिना बुलाए आऐंगी और अपना सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत करेंगी। जफर के शेर के साथ अपने मनोभावों को व्यक्त करते हुए इस प्रकार के महोत्सवों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने का आह्वान किया व शुभ कामनाऐं दी। उनसे पूर्व कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने 5 दिवसीय समारोह के सफल आयोजन पर प्रतिभागियों व आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी। 
उन्होंने खुशी जताई कि कला जगत के उभरते सितारे कुवि में जुटे और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भाग लेने से जहां बाहर से आए प्रतिभगियों को बहुत कुछ सीखने को मिला है, वहीं कुवि के विद्यार्थियों को भी बहुत लाभ हुआ है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि जीत हार तो जीवन का अंग हैं, इस प्रकार के आयोजनों में भाग लेना ही बड़ी बात है। कुलपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा राष्ट्र है जहां 65 प्रतिशत युवा आबादी है। देश का भविष्य युवा शक्ति है और इस प्रकार के आयोजनों से युवाओं की प्रतिभा का विकास होता है। कुलपति ने विजेताओं को शुभकामनाऐं देने के साथ सभी प्रतिभागियों का कुवि में पहुंचने व अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने पर आभार जताया। उनके बाद कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक एवं एआईयू के समन्वयक अनूप लाठर ने बताया कि यह आयोजन एशोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटिज का था, कुवि इसका एक सहायक भाग रहा। उन्होंने कुलपति का आभार जताया जिनके साकारात्मक सहयोग से इतना विशाल आयोजन सफल हो सका। इसके साथ ही लाठर ने प्रैस मीडिया का भी हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके साथ सदा से प्रैस का साकारात्मक सहयोग व साथ रहा है। लाठर ने टीम रत्नावली का इस आयोजन के सफलता पूर्वक संचालन के लिये भी आभार जताया व सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया। इसके साथ की एआईयू के आबजर्वर डा. अरूण पाटिल ने कुवि की व्यवस्था की सराहना करते हुए इस सफल आयोजन के लिये आभार जताया। समारोह के अंत में कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने मुख्यअतिथि को शाल व समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अंत में चुनिंदा विधाओं की प्रस्तुतियां मुख्यअतिथि के समक्ष की गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से कुवि कुलसचिव डा. केसी रल्हाण, डा. अनिल वशिष्ठ, डा. ब्रजेश साहनी, डा. महासिंह पूनिया, डा. सीआर ड्रोलिया, डा. विवेक चावला आदि सहित बाहर से आए टीम इंचार्ज व अनेकों शिक्षक तथा गैर शिक्षक कर्मचारी मौजूद थे। 

क्षेत्रीय नृत्य की विधाओं पर जमकर झूमें दर्शक

एमडीयू के छात्रों ने हरियाणी जन जीवन का दिखाया आईना

मनोज  कौशिक,
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह (सरस्वती महोत्सव) के अंतिम दिन सबसे रोचक प्रतियोगिता रही जनजातीय लोक नृत्य की रही। प्रतियोगिता में जब हरियाणवी संगीत के साथ महर्षि दयानंद विवि के छात्रों ने अपनी नृत्य विधा की प्रस्तुति दी तो दर्शकों से खचा खच भरा श्रीमद्भगवदगीता सदन तालियों की गडग़ड़ाहट से देर तक गूंजता रहा, मंच पर हरियाणवी कला-संस्कृति व मीठी बोली का अद्भुत संगम नजर आया। इस क्षेत्रीय नृत्य विधा में 5 जोन की कुल 10 टीमों ने भाग लिया। उतरी जोन का प्रतिनिधित्व कर रही महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक की टीम ने किसान समूह नृत्य की प्रस्तुति दी। जिसमें हरियाणा के आम जन-जीवन को दर्शाया गया। नृत्य के माध्यम से किसान भगवान से वर्षा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और जब वर्षा होती है तो सब कुछ खिल उठता है। हरियाली को देखकर किसान नृत्य से अपनी खुशी का इजहार करते हैं। इसी विधा में उतरी जोन से प्रस्तुति देते हुए गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर ने राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
 जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया। केंद्रीय जोन से गार्गीबाबा अमरावती विश्वविद्यालय महाराष्ट्र ने उड़ीसा, आसाम व पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय संथाली नृत्य को प्रस्तुत किया। इस नृत्य में कुल 10 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने स्थानीय वेशभूषा में मोरपंखों से सज्जित, बिल्कुल आदीवासी पहनावे में अपनी प्रस्तुति दी। इसी जोन में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश के प्रतिभागियों ने भोजली परम लोकनृत्य को प्रस्तुत किया। इस नृत्य को मध्यप्रदेश की गौड़ जनजाति द्वारा किया जाता है। नृत्य नवरात्र में मनाया जाता है। इसकी अन्य खास बात कि यह रातभर चलता है। पश्चिमी जोन से वनस्थली विश्वविद्यालय वनस्थली राजस्थान ने अपनी प्रस्तुति में पायलड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया। नृत्य का आगाज दर्शकों की तालियों से हुआ। इसमें प्रतिभागियों ने कलश में आग जलाकर उसे सर पर रख कर नृत्य किया। जिसका कारण यह है कि राजस्थान के जिन इलाकों में यह नृत्य किया जाता है, वहां बिजली न होने के आभाव में आग जलाकर यह नृत्य किया जाता है। नृत्य की जोरदार प्रस्तति से दर्शक छूमनें पर मजबूर हो गए। शिवाजी विश्वविद्यालय कोल्हापुर ने सुभराम लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। जिसमें प्रतिभागियों ने नृत्य के माध्यम से धनगर समाज को पेश किया। जोकि भेड़-बकरियां चराते हैं और अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए यह नृत्य करते हैं। पाली परीधान, सिर पर लाल पटका और कंथे पर काला पटका लपेटे सामूहिक लोक नृत्य को पेश किया गया है। पूर्वी जोन से प्रस्तुति देते हुए गोवाहटी यूनिवर्सिटी आसाम ने बिहु लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। पारंपरिक सुनहरे और लाल रंग की पोशाक पहने प्रतिभागियों ने ढ़ोल, पैपा और ताल पर नृत्य किया। इसी जोन में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार के प्रतिभागियों ने कर्मा लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। यह नृत्य बिहार व झारखंड़ में लोकप्रिय नृत्य है। दक्षिण जोन से महात्मा गांधी विश्वविद्यालय कोटायंम ने टिपणी नृत्य को प्रस्तुति किया। यह नृत्य अधिकतर खेतहरी मजदूरों द्वारा किया जाता है। इसी तरह भारती विश्वविद्यालय तमिलनाडू ने भी अपनी जोरदार प्रस्तुति दी। इन जनजातीय लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों में दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई।   


कला एवं सांस्कृतिक सेवाओं के लिये अनूप लाठर को किया एआईयू ने सम्मानित


अनुराधा,
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर को उनकी सांस्कृतिक सेवाओं के लिये ऐशोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिर्वसिटिस (एआईयू) की ओर से विशेष रूप से सम्मानित किया गया। कुवि में आयोजित 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह के दौरान अनूप लाठर को मंच पर प्रशसति पत्र देकर सम्मानित करते हुए एआईयू के ज्वाईंट सैक्रेटरी सैम्पसन डैविड ने कहा कि कुवि के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश एवं एआईयू के समन्वय अनूप लाठर की सांस्कृतिक सेवाऐं सराहनीय रही हैं। एआईयू उनको सम्मानित करते हुए गर्व महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि लाठर ने हरियाणावी के साथ साथ समस्त भारतीय संस्कृति के सम्र्वधन एवं संरक्षण में बहुत ही सराहनीय भूमिका निभाई है। कला, सांस्कृति व युवाओं गतिविधियों के लिये उनके सम्पर्ण व अथक प्रयत्नों को एआईयू द्वारा कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके साथ ही एसआरटी नागपुर विश्वविद्यालय के युवा कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक एवं एआईयू के पूर्व समन्वय डा. अरूण पाटिल को भी कला एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में उनकी सराहनीय सेवाओं के लिये एआईयू की ओर से सैम्पसन डैविड ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि उपरोक्त दोनों अधिकरियों की सेवाओं को एआईयू कभी भुला नहीं सकता।

बिखर गए संस्कृतियों को ध्वजवाहक
शनिवार को 5 दिन से कुवि में चल रहा राष्ट्रीय सांस्कृतिक महाकुम्भ सरस्वती महोत्सव सम्पन्न हो गया। इसके साथ ही विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों के ध्वजवाहक भी अपनी कला पताकाऐं फहराते हुए अपने घरों के लिये लौटने लगे। 5 दिन तक कुरुक्षेत्र को लघु भारत बनाने वाले देश के कोने कोने से आए सांस्कृतिक ध्वज वाहक बिखर तो गए लेकिन बहुत से संदेश लेकर और यहां की फिजां में अपनी संस्कृति के बीज धर्मनगरी में भी फैला गए। इसके साथ ही बन गया हजारों युवाओं का लम्बा चौड़ा नैटवर्क जो देश को ऐकता के सूत्र में बांधने के लिये साकारात्मक भूमिका भी निभाऐगा।

टीम रत्नावली ने बखूबी संभाला आयोजन
सम्पूर्ण 5 दिवसीय सरस्वती महोत्सव की कमान अनूप लाठर की टीम रत्नावली के हाथों में रही और स्वंय सेवकों ने बखूबी आयोजन का सम्पन्न करवाया। उनकी लिटरेरी वर्कशाप से उभर कर आए व रत्नावली मंच से उपजी प्रतिभाओं गगन दीप चौहान, प्रवीन शर्मा, डा. प्रवीन कादियान, हरविंद्र राणा, पवन सौन्टी व महिमा सिंह आदि के नेतृत्व में 90 स्वंयसेवकों की टीम ने समूचे आयोजन को संभाले रखा। उधर सुरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में पहली बार इस प्रकार के महा आयोजन पर लगातार सरस्वती टाईमस के नाम से न्यूज लैटर प्रकाशित किया गया जिसमें दर्जनों स्वंयसेवकों की टीम उनके साथ रही व डा. सीडीएस कौशल के नेतृत्व में एनएसएस की टीम ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।

5 दिन तक चली प्रतियोगिताओं के परिणाम

 आवाज  टीम/ टीम रत्नावली रिपोर्टर्स ( अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 18 फरवरी से चल रहे 5 दिवसीय 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का शनिवार को विधिवत्त समापन हो गया। इस दौरान आयोजित विभिन्न विधाओं में विजेताओं की घोषण कर दी गई। संगीत विधाओं में क्लासिकल वोकल सोलो (हिंदूस्तानी एवं कर्नाटकी) में उत्तरी क्षेत्र से गुरुनानक देव विवि अमृतसर व पश्चिमी क्षेत्र से भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिर्वसिटी प्रथम रहे। दूसरे स्थान पर उत्तर क्षेत्र से पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला व पूर्वी क्षेत्र से बनारस हिंदू विवि वाराणसी व तीसरे स्थान पर मैसूर विवि मैसूर, मुम्बई विवि मुम्बई तथा राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विवि ग्वालियर संयुक्त रूप से रहे। क्लासिकल इंस्ट्रुमैंटल सोलो (प्रक्शन) में पहले स्थान पर भारती विद्यापीठ डीम्ड विवि पुने, महात्मा गांधी विवि कोट्टायम, लवली प्रोफैशनल युनिर्वसिटी फगवाड़ा और पंजाब तकनीकि विवि जालंधर रहे। दूसरे स्थान पर इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़, बनारस हिंदू विवि वाराणसी, सैंट्रल एग्रीक्लचर विवि ईम्फाल व स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ रहे। इसी प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती व रानी छनम्मा विवि दक्षिण जोन से रहे। उधर क्लासिकल इंस्ट्रुमैंटल सोलो (नोन प्रक्शन) में पहले स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली, इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़, यूनिर्वसिटी आफ केरला, तिरुअनंतपुरम व गुरु नानक देव विवि अमृतसर रहे। दूसरे स्थान पर संयुक्त रूप से रविंद्र भारती विवि कोलकत्ता, मुम्बई विवि मुम्बई व कोचीन विवि कोचीन रहे। तीसरे स्थान पर संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती, बनारस हिंदू विवि वाराणसी व पंजाबी विवि पटियाला रहे। लाईट वोकल इंडियन में गुरुनानक देव विवि अमृतसर व कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ व कालीकट विवि कालीकट तथा तीसरे स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर व राबिंद्र भारती विवि कोलकत्ता रहे। वैस्ट्रन वोकल सोलो में महात्मा गांधी विवि कोटायम व गुजरात विवि नवरंगपुर अहमदाबाद पहले स्थान पर रहे। बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली व कोचीन यूनिर्वसिटी आफ सांईस एंड टैक्रोलोजी केरला दूसरे स्थान पर रहे। मनीपुर विवि इम्फाल और कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र तीसरे तथा राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर महाराष्ट्र और पंजाबी विवि पटियाला संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहे। भारतीय समूह गान में मुम्बई विवि मुम्बई, बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राजस्थान व कालीकट विवि कालीकट प्रथम स्थान पर रहे। संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमारवती, विनोबा भावे विवि हजारीबाग व महात्मा गांधी विवि कोट्टायम दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर गुरुनानक देव विवि अमृत्सर तथा चौथे स्थान पर माखन लाल चतुर्वेदी विवि भोपाल, रबींद्र भारती विवि कोलकत्ता और डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा रहे। वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा व गुजरात विवि नवरंगपुर अहमदाबाद पहले स्थान पर रहे। बंगलौर विवि बैंगलोर व बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर मनीपुर विवि इम्फाल व केरला विवि तिरुवनंतपुरम और चौथे स्थान पर पंजाबी विवि पटियाला तथा राजा मानसिंह तोमर विवि ग्वालियर रहे। फोक आरकैस्ट्रा में पंजाबी विवि पटियाला, भारती विद्यापीठ डीम्ड विवि पुने व गुरुनानक देव विवि अमृतसर पहले स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर तेजपुर विवि तेजपुर असम, गुहाटी विवि गुहाटी व कृष्णा विवि कृष्णा आंध्रप्रदेश रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से राष्ट्र संत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर, संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती महाराष्ट्र्र, शिवाजी विवि कोल्हापुर व यूनिर्वसिटी आफ केरला रहे।
    नृत्य विधाओं में भारतीय क्लासिकल सोलो डांस प्रतियोगिता में कन्नूर विवि कन्नूर प्रथम, मुम्बई विवि मुम्बई व मनीपुर विवि इम्फाल दूसरे तथा बनारस हिंदू विवि वाराणसी व गुजरात टैक्रीकल विवि तीसरे स्थान पर रहे। चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा, देवी अहिल्या विवि इंदौर तथा कुवि कुरुक्षेत्र रहे। जनजातीय लोक नृत्य में  बनस्थली विवि बनस्थली राज. व एमडीयू रोहतक प्रथम, गुरुनानक देव विवि अमृतसर व संत गाडगी बाबा विवि अमरावती दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर गुहाटी विवि गुहाटी व भारती दर्शन विवि तिरुपल्ली रहे तथा चौथे स्थान पर शिवाजी विवि कोल्हापुर तथा रानी दुर्गावती विवि जबलपुर रहे।
    लिटरेरी विधाओं के अंतरगत क्विज में कालीकट विश्वविद्यालय कालीकट प्रथम तथा यूनिर्वसिटी आफ केरला व पुने विवि पुने दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर तेजपुर विवि असम, चौथे स्थान पर पंजाब विवि चंडीगढ़ तथा पांचवें स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा रहे। एलोक्यूशन में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा प्रथम, पंजाब विवि चंडीगढ़ दूसरे, महात्मा गांधी विवि कोट्टायम केरल तीसरे तथा बनस्थली विद्यापीठ बनस्थली व कोचीन विवि कोचीन संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहे। डिबेट में पंजाब विवि चंडीगढ़ प्रथम व लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा द्वीतिय स्थानों पर रहे। देवी अहिल्या विवि इंदौर व महात्मा गांधी विवि कोट्टायम त्रितीय स्थानों पर रहे। चौथे स्थान पर गुजरात तकनीकि विवि अहमदाबार रहे।
    रंगमंचीय विधाओं की कड़ी में वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता में पंजाब विवि चंडीगढ़ प्रथम व राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज विवि नागपुर दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से एसएनडीटी वूमैनस विवि मुम्बई तथा रानी दुर्गावती विवि जबलपुर मध्यप्रदेश रहे। चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से डा. बाबा साहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद तथा कर्नाटक विवि धरवाड़ रहे। स्किट में प्रथम स्थान पर मंगलौर विवि मंगलौर, तथा दूसरे स्थान पर मुम्बई विवि मुम्बई रहे। तीसरे स्थान पर मनीपुर विवि इम्फाल, यूनिर्वसिटी आफ केरला तिरुअनंतपुरम व बनस्थली विद्यापीठ बनस्थली रहे। चौथे स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा तथा जिवाजी विवि ग्वालियर रहे। माईम में मुम्बई विवि मुम्बई प्रथम, जिवाजी विवि ग्वालियर दूसरे, महऋषि दयानंद विवि रोहतक तीसरे व देवी अहिल्या विवि इंदौर तथा महाराजा कृष्ण कुमार सिंह जी भावनगर विवि भावनगर चौथे स्थान पर रहे। मिमिकरी में प्रथम स्थान पर कोचीन यूनिर्वसिटी आफ सांईस एंड टैक्रोलोजी कोचीन, दूसरे स्थान पर डा. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद, तीसरे स्थान पर कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र व चौथे स्थान पर स्वामी रामनंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ रहे।
    ललित कला विधाओं की कड़ी में पोस्टर मेकिंग में डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा प्रथम, गुरुनानक देव विवि अमृतसर द्वितीय, गुलबर्ग विवि गुलबर्ग कर्नाटक त्रितीय तथा मनीपुर विवि इम्फाल चतुर्थ स्थान पर रहे। स्पॉट फोटो ग्राफी में कोचीन विवि कोचीन पहले, मुम्बई विवि मुम्बई दूसरे, गुरुनानक देव विवि अमृतसर तीसरे व इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर रहे। कार्टून मेंकिंग में श्री वेंकटेश्वर विवि तिरूपती प्रथम स्थान पर रहे। मनिपुर विवि मनिपुर व गुरुनानक देव विवि अमृतसर तथा बनारस हिंदु विवि वाराणसी दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा तथा कालीकट विवि कालीकट और चौथे स्थान पर मुम्बई विवि मुम्बई रहे। ऑन दॉ स्पॉट पेंटिंग में प्रथम स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर व द्वितीय स्थान पर बनारस हिंदू विवि वाराणसी रहे। तीसरे स्थान पर इंदिरा कला संगीत विवि खैरागाढ़ तथा चौथे स्थान पर डा. बाबा साहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद रहे। कोलाज में देवी अहिल्या विवि इंदौर मध्यप्रदेश प्रथम व यूनिर्वसिटी आफ केरला तथा डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राजस्थान तथा कोचीन विवि कोचीन और चौथे स्थान पर यूनिर्वसिटी आफ कश्मीर रहे। क्ले मॉडलिंग में मुम्बई विवि मुम्बई पहले व इंदिरा कला संगीत विवि दूसरे स्थानों पर रहे तथा तीसरे व चौथे स्थानों पर क्रमश: एलएन मिथिला विवि दरभंगा बिहार और विनोबा भावे विवि हजारी बाग रहे। रंगोली में पहले स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर, दूसरे स्थान पर विनोबा भावे विवि हजारीबाग, तीसरे स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राज. व चौथे स्थान पर बनारस हिंदू विवि वाराणसी रहे। इंस्टालेशन में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा प्रथम स्थान पर रहा। दूसरे स्थान पर यूनिर्वसिटी आफ कल्याणी व गुलबर्ग विवि गुलबर्ग कर्नाटक रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से विद्यासागर विवि मिदनापुर प. बंगाल व पंजाब कृषि विवि लुधियाना रहे। चौथे स्थान पर पीएस तेलगु विवि हैदराबाद आंध्र प्रदेश रहे।



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