महिला उत्पीडऩ व कन्या भ्रुण हत्या रहा केंद्र बिंदु
सरस्वती महोत्सव के चौथे दिन एकांकी नाटकों में दर्शाई मानवीय भावनाऐं
आवाज समाचार टीम (अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
......पुलिस वालों के लिये तनख्वाह तो बस नाम है......शराब के बाद नजर जिश्म पर और नजराना चमड़ी पर..,,,,। जी हां, कुछ इसी प्रकार के कटाक्ष भरे संवादों के माध्य से नाटकों ने युवा मनों को भी झकझोरने का काम किया। मौका था कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का। समारोह के चौथे दिन कुवि आडिटोरिय में आयोजित वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता में एक से एक मंजे हुए युवा कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कि या।
......पुलिस वालों के लिये तनख्वाह तो बस नाम है......शराब के बाद नजर जिश्म पर और नजराना चमड़ी पर..,,,,। जी हां, कुछ इसी प्रकार के कटाक्ष भरे संवादों के माध्य से नाटकों ने युवा मनों को भी झकझोरने का काम किया। मौका था कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का। समारोह के चौथे दिन कुवि आडिटोरिय में आयोजित वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता में एक से एक मंजे हुए युवा कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कि या।
उपरोक्त पंक्तियों के साथ सामाजिक कुरीतियों व महिला उत्पीडऩ के विभिन्न पहलुओं पर महऋषि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरी। नाटक में कश्मीर समस्या के दौरान महिलाओं द्वारा झेली गई यातनाओं को भी जिवंत करने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर परिवारिक यौन उत्पीडऩ को कुछ यूं दर्शाने का प्रयास किया....जब रिश्तेदार हमारे साथ छेड़-छाड़ कर जाते हैं और घर वाले उसे छुपा लेते हैं, क्या वो बलातकार नहीं?.... यही नहीं बाबा वाद पर भी खुल कर कटाक्ष किये गए। इनसे पूर्व पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ की टीम ने देश भक्ति पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके अतिरिक्त अन्य विश्वविद्यालयों की प्रस्तुतियों में भी कहीं न कहीं महिला उत्पीडऩ व कन्या भ्रुण हत्या रहा केंद्र बिंदू नजर आया। एलएन मिथला विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार की प्रस्तुति में निर्भया कांड पर फोकस करते हुए अपनी प्रस्तुति दी। संवाद देखिये...चांडाल का जन्म तो दे दिया चांडाल सा हृद्य भी देता....। कुछ इसीं प्रकार के संवेदनाओं को झंझोरते व मानवीय भावनाओं को दर्शाते संवादों ने दर्शकों को पूरी प्रतियोगिता के दौरान बांधे रखा। मुम्बई सेे आई टीम ने सबके विपरीत महिलाओं के खिलाफ भी दिखाने का प्रयास किया। कथा वस्तु के अनुसार पैसे के लालच में कई बार महिलाऐं फर्जी तलाक व उत्पीडऩ के मामलों को दिखाने का प्रयास किया गया। जिसमें ये दिखाया गया कि न केवल महिलाओं के साथ बल्कि पुरुषों के साथ भी अन्याय होता है। मंचन के दौरान एक महिला जज पात्र ने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक तलाक के मामलों में दर्ज करवाने वाली महिलाऐं ही दोषी पाई जाती हैं। सभी प्रस्तुतियों के दौरान मंच सज्जा पर विशेष ध्यान नजर आया। कथा वस्तु व देश काल के अनुसार मंच को सजाना जितना कठिन काम था उसे युवाओं के जनून ने इतना आसान बनाए रखा कि मंच खाली होते ही अपने साजो सामान के साथ मंच पर कहीं लघु मंच, कहीं वृक्षों का दृश्य और कहीं फांसी के फंदे और झूले तक झूलने लगते। एकांकी विधा की रोचकता इतनी रही कि आडिटोरियम हाल खचाखच भरा रहा। देर सांय तक प्रतियोगिताऐं चलती रही।
आर के सदन में इंडियन ग्रुप सोंग की रही धूम
आरके सदन में आयोजित इंडियन ग्रुप सोंग प्रतियोगिता में देश के कोने कोने से आई 10 टीमों ने देश भक्ति के गीत पेश किये। कोलकत्ता के रविंद्र भारती विश्वविद्यालय से आई टीम ने ए देश ए देश...अमार ऐ देश...गीत प्रस्तुत किया। बनस्थली विद्यापीठ राजस्थान की टीम ने ये मेरा वतन ये मेरा वतन ये मेरा चमन...गीत की प्रस्तुति दी। मुम्बई विश्वविद्यालय की टीम ने ए भारत तुझे इक सलाम...गीत गाया। एम जी विश्वविद्यालय केरल की टीम ने अपनी लोक भाषा में मोहक प्रस्तुति दी। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर की टीम ने दिल है वतन हमारा आबाद पासबां सुख के सुमन खिलाऐ....गीत से तालियां बटोरी। इस दौरान पूरा हाल श्रोताओं से खचा खच भरा रहा।
ललित कला विभाग में विरासत पर बनाए कोलाजॅ
ललित कला विभाग में आयोजित कोलाज प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने विरासत पर अपनी भावनाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय नांदेड़ की टीम ने पुरातन चीजों को याद दिलाने का प्रयास किया व उन चीजों को भूल कर आज कल के दौर में आधुनिक वस्तुओं के प्रचलन की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया। तेलगू विश्वविद्यालय हैदराबाद की टीम ने ग्राम देवता की पूजा अनाज से होने व लोक प्रचलित धारणाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। कल्याणी विश्वविद्यालय ने अशोक सतम्भ को दिखाया। रोचक बात यह रही कि उन्होंने कुरुक्षेत्र में देखी गई भीष्म पितामह की कीलों की मूर्ति को भी अपने कोलाज में दिखाया।
आर के सदन में इंडियन ग्रुप सोंग की रही धूम
आरके सदन में आयोजित इंडियन ग्रुप सोंग प्रतियोगिता में देश के कोने कोने से आई 10 टीमों ने देश भक्ति के गीत पेश किये। कोलकत्ता के रविंद्र भारती विश्वविद्यालय से आई टीम ने ए देश ए देश...अमार ऐ देश...गीत प्रस्तुत किया। बनस्थली विद्यापीठ राजस्थान की टीम ने ये मेरा वतन ये मेरा वतन ये मेरा चमन...गीत की प्रस्तुति दी। मुम्बई विश्वविद्यालय की टीम ने ए भारत तुझे इक सलाम...गीत गाया। एम जी विश्वविद्यालय केरल की टीम ने अपनी लोक भाषा में मोहक प्रस्तुति दी। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर की टीम ने दिल है वतन हमारा आबाद पासबां सुख के सुमन खिलाऐ....गीत से तालियां बटोरी। इस दौरान पूरा हाल श्रोताओं से खचा खच भरा रहा।
ललित कला विभाग में विरासत पर बनाए कोलाजॅ
ललित कला विभाग में आयोजित कोलाज प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने विरासत पर अपनी भावनाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय नांदेड़ की टीम ने पुरातन चीजों को याद दिलाने का प्रयास किया व उन चीजों को भूल कर आज कल के दौर में आधुनिक वस्तुओं के प्रचलन की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया। तेलगू विश्वविद्यालय हैदराबाद की टीम ने ग्राम देवता की पूजा अनाज से होने व लोक प्रचलित धारणाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। कल्याणी विश्वविद्यालय ने अशोक सतम्भ को दिखाया। रोचक बात यह रही कि उन्होंने कुरुक्षेत्र में देखी गई भीष्म पितामह की कीलों की मूर्ति को भी अपने कोलाज में दिखाया।
युवा महोत्सव पर ही उबली युवाओं की भावनाऐं
1985 से निरंतर चले आ रहे एआईयू के अखिल भारतीय युवा महोत्सव पर युवाओं ने दिये विचार
मनोज कौशिक|
21 फरवरी, कुरुक्षेत्र
....भारत की तस्वीर में रंग तुम्हे भरना होगा, इस गुलशन के हर.......। इन पंक्तियों से शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव (सरस्वती महोत्सव) के दौरान सीनेट हाल में ऐलोकूशन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता का मुख्य विषय युवा महोत्सव रखा गया था। जिसमें देशभर के पांच जोन से आए 8 विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी। उतरी जोन से लवली प्रौफेशनल यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रस्तुति देते हुए एक प्रतिभागी ने इन युवा महोत्सव को उस कुंभ मेले की तरह बताया जो 12 साल में एक बार आता है और इसलिए हर विश्वविद्यालय से लेकर हर एक युवा इसका बड़ी बेसबरी से इंतजार करता है। इस युवा उत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस उत्सव का आयोजन मुख्यत: राष्ट्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिए किया जाता है ताकि वे अपने प्रेम, उत्साह और राष्ट्रीय एकता को बढ़ा सकें। उतरी जोन से ही इस प्रतियोगिता में अपनी प्रस्तुति देने आई पंजाब विश्वविद्यालय की प्रतिभागी छात्रा ने कहा कि युवा महोत्सव युवाओं के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय एकता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। युवा महोत्सव के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए छात्रा ने कहा कि सबसे पहले 1947 में युवा महोत्सव की शरूआत चेकोस्वाकिया से हुई थी। जिसके बाद 1985 में सबसे पहले भारत में भी युवा महोत्सव को मानाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि युवा महोत्सव एक नई पीढ़ी के लिए आगे बढऩे का सुनहरा मौका है। हमारे देश में हजारों ऐसे उदाहरण है जो इन युवा महोत्सवों व विश्वविद्यालयों में अपनी प्रतिभा दिखाकर आगे आए हैं। छात्रा ने विश्वप्रसिद्ध फिल्मी अभिनेता अनुपम खेर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करके वहीं से थिएटर की कला सीखकर आगे आए हैं । इसी तरह से किरण बेदी और फिल्मी अभिनेता अयुषमान खुराना चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा ग्रहण करके इतने बड़े स्तर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में युवा छात्रों के लिए युवा महोत्सव की प्रासंगिता बढ़ जाती है। इसी तरह दक्षिण जोन के कोच्ची विश्वविद्यालय, कोच्ची के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को देश की संस्कृति का प्रतीक बताया और कहा कि इन महोत्सवों की वजह से ही भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के लोग एकजुट होकर एक मंच पर इक्टठा होते हैं जो हमारी विविधता में एकता के सूत्र को मुखर करती है। महात्मां गांधी विश्वविद्यालय, केरल के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को हमारे गणतंत्र दिवस की परेड से जोड़ते हुए बताया कि राजपथ पर आयोजित की जाने वाली इस भव्य परेड में देशभर से आए युवा व प्रतिभाशाली कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं, जिनकी नींव इसी तरह के युवा महोत्सव से पड़ती है। उन्होंने 1990 का एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक दफा एक युवा महोत्सव में मोंटेक सिंह अहलुवालिया जज बने वहां छात्रों ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े बहुत अच्छे सुझाव दिए। जो उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को बताए। मनमोहन सिंह को वो सुझाव बहुत पसंद आए और उन्हेें अपनाया भी गया। मध्य जोन से पंडि़त रवि शंकर विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी ने भी युवा महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश व्यक्तियों से नहीं, विचारों से बनता है और युवा महोत्सव में विचारों का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से ही हम जातियों, धर्मो व राज्यों का भेद भुलाकर एक सूत्र में बंधने की कोशिश करते हैं। इसी तर्ज पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ,जबलपुर ने युवा महोत्सव को युवाओं के विचारों, प्रतिभाओं व कलाओं का सृजनात्मक रुप बताया। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी इस देश की आवश्यकता और मजबूती है। क्योंकि उनके पास नए विचार है और नई उर्जा है । ये युवा महोत्सव हमें नए कलाकार, संगीतकार, नृत्यकार देते हैं। ये महोत्सव हमें मनोरंजन, प्रतिभा के साथ-साथ रोजगार भी उपलब्ध कराता है। पश्चिमी जोन से हेमचंद आचार्य उतरी गुजरात विश्वविद्यालय पटना के प्रतिभागी ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि युवा महोत्सव संपूर्ण रुप से युवा को समर्पित है। इनमें युवाओं की शक्तियों को इस कदर ढाला जाता है कि युवा सशक्तिकरण हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा और मूल्यों को बचाकर रखना है तो हमें इन युवा महोत्सव का आयोजन करना पड़ेगा। इनके माध्यम से हम विविध संस्कृतियों को इक्टठा कर इनका सम्मान कर भविष्य के लिए संजों कर रख सकते हैं। इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी।
....भारत की तस्वीर में रंग तुम्हे भरना होगा, इस गुलशन के हर.......। इन पंक्तियों से शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव (सरस्वती महोत्सव) के दौरान सीनेट हाल में ऐलोकूशन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता का मुख्य विषय युवा महोत्सव रखा गया था। जिसमें देशभर के पांच जोन से आए 8 विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी। उतरी जोन से लवली प्रौफेशनल यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रस्तुति देते हुए एक प्रतिभागी ने इन युवा महोत्सव को उस कुंभ मेले की तरह बताया जो 12 साल में एक बार आता है और इसलिए हर विश्वविद्यालय से लेकर हर एक युवा इसका बड़ी बेसबरी से इंतजार करता है। इस युवा उत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस उत्सव का आयोजन मुख्यत: राष्ट्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिए किया जाता है ताकि वे अपने प्रेम, उत्साह और राष्ट्रीय एकता को बढ़ा सकें। उतरी जोन से ही इस प्रतियोगिता में अपनी प्रस्तुति देने आई पंजाब विश्वविद्यालय की प्रतिभागी छात्रा ने कहा कि युवा महोत्सव युवाओं के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय एकता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। युवा महोत्सव के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए छात्रा ने कहा कि सबसे पहले 1947 में युवा महोत्सव की शरूआत चेकोस्वाकिया से हुई थी। जिसके बाद 1985 में सबसे पहले भारत में भी युवा महोत्सव को मानाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि युवा महोत्सव एक नई पीढ़ी के लिए आगे बढऩे का सुनहरा मौका है। हमारे देश में हजारों ऐसे उदाहरण है जो इन युवा महोत्सवों व विश्वविद्यालयों में अपनी प्रतिभा दिखाकर आगे आए हैं। छात्रा ने विश्वप्रसिद्ध फिल्मी अभिनेता अनुपम खेर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करके वहीं से थिएटर की कला सीखकर आगे आए हैं । इसी तरह से किरण बेदी और फिल्मी अभिनेता अयुषमान खुराना चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा ग्रहण करके इतने बड़े स्तर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में युवा छात्रों के लिए युवा महोत्सव की प्रासंगिता बढ़ जाती है। इसी तरह दक्षिण जोन के कोच्ची विश्वविद्यालय, कोच्ची के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को देश की संस्कृति का प्रतीक बताया और कहा कि इन महोत्सवों की वजह से ही भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के लोग एकजुट होकर एक मंच पर इक्टठा होते हैं जो हमारी विविधता में एकता के सूत्र को मुखर करती है। महात्मां गांधी विश्वविद्यालय, केरल के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को हमारे गणतंत्र दिवस की परेड से जोड़ते हुए बताया कि राजपथ पर आयोजित की जाने वाली इस भव्य परेड में देशभर से आए युवा व प्रतिभाशाली कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं, जिनकी नींव इसी तरह के युवा महोत्सव से पड़ती है। उन्होंने 1990 का एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक दफा एक युवा महोत्सव में मोंटेक सिंह अहलुवालिया जज बने वहां छात्रों ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े बहुत अच्छे सुझाव दिए। जो उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को बताए। मनमोहन सिंह को वो सुझाव बहुत पसंद आए और उन्हेें अपनाया भी गया। मध्य जोन से पंडि़त रवि शंकर विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी ने भी युवा महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश व्यक्तियों से नहीं, विचारों से बनता है और युवा महोत्सव में विचारों का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से ही हम जातियों, धर्मो व राज्यों का भेद भुलाकर एक सूत्र में बंधने की कोशिश करते हैं। इसी तर्ज पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ,जबलपुर ने युवा महोत्सव को युवाओं के विचारों, प्रतिभाओं व कलाओं का सृजनात्मक रुप बताया। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी इस देश की आवश्यकता और मजबूती है। क्योंकि उनके पास नए विचार है और नई उर्जा है । ये युवा महोत्सव हमें नए कलाकार, संगीतकार, नृत्यकार देते हैं। ये महोत्सव हमें मनोरंजन, प्रतिभा के साथ-साथ रोजगार भी उपलब्ध कराता है। पश्चिमी जोन से हेमचंद आचार्य उतरी गुजरात विश्वविद्यालय पटना के प्रतिभागी ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि युवा महोत्सव संपूर्ण रुप से युवा को समर्पित है। इनमें युवाओं की शक्तियों को इस कदर ढाला जाता है कि युवा सशक्तिकरण हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा और मूल्यों को बचाकर रखना है तो हमें इन युवा महोत्सव का आयोजन करना पड़ेगा। इनके माध्यम से हम विविध संस्कृतियों को इक्टठा कर इनका सम्मान कर भविष्य के लिए संजों कर रख सकते हैं। इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी।
तीन दिन से रंग जमा रहा है खुला मंच
अनुराधा तुरण,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे सरस्वती महोत्सव में इस बार युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर द्वारा किया गया नया प्रयोग यानि खुला मंच छुपी प्रतिभाओं को मौका देने का अच्छा माध्यम साबित हो रहा है। पिछले 3 दिन से कुवि व अन्य विश्वविद्यालयों के युवा कलाकार व शिक्षक तथा गैर शिक्षक तक इस मंच पर एच्छिक रूप से अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। काचे कटा द्यंगा.....पहली पहली बार...आदि गीतों पर मंच पर धूम तो नीचे चारों और खुले मैदान में कुर्सियों पर दर्शक व उनसे बाहर खड़े युवा दर्शक खूब लुत्फ उठाते हुए नाच रहे हैं। खुला मंच एक ऐसा मंच है जिस पर कोई भी व्यक्ति अपनी प्रतिभा दिखा सकता है। पहले भी कई बार खुले मंच का आयोजन हो चुका है लेकिन पहले मंच पर पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार ही सांग, सपेरा पार्टी व बनचारी पार्टी की ही प्रस्तुतियां दी जाती थी। इस बार खुले मंच पर सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। खुले मंच पर हर प्रकार की प्रतिभा देखने को मिल रही है। दर्शकों की तालियां इस बात का पुष्टि कर रही हैं कि खुले मंच के कलाकार भी उत्तम श्रेणी के हैं।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे सरस्वती महोत्सव में इस बार युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर द्वारा किया गया नया प्रयोग यानि खुला मंच छुपी प्रतिभाओं को मौका देने का अच्छा माध्यम साबित हो रहा है। पिछले 3 दिन से कुवि व अन्य विश्वविद्यालयों के युवा कलाकार व शिक्षक तथा गैर शिक्षक तक इस मंच पर एच्छिक रूप से अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। काचे कटा द्यंगा.....पहली पहली बार...आदि गीतों पर मंच पर धूम तो नीचे चारों और खुले मैदान में कुर्सियों पर दर्शक व उनसे बाहर खड़े युवा दर्शक खूब लुत्फ उठाते हुए नाच रहे हैं। खुला मंच एक ऐसा मंच है जिस पर कोई भी व्यक्ति अपनी प्रतिभा दिखा सकता है। पहले भी कई बार खुले मंच का आयोजन हो चुका है लेकिन पहले मंच पर पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार ही सांग, सपेरा पार्टी व बनचारी पार्टी की ही प्रस्तुतियां दी जाती थी। इस बार खुले मंच पर सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। खुले मंच पर हर प्रकार की प्रतिभा देखने को मिल रही है। दर्शकों की तालियां इस बात का पुष्टि कर रही हैं कि खुले मंच के कलाकार भी उत्तम श्रेणी के हैं।
समाज के विभिन्न पक्षों को उभारती रही लघु नाटिकाऐं
अदिति,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
कुवि में चल रहे सस्वती महोत्सव में गत दिवस तीसरे दिन देर सांय तक ओडिटोरियम हाल में स्किट प्रतियोगिता चलती रही। इस प्रतियोगिता में प्रस्तुतियों की रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर दर्शक लोट-पोट हो रहे थे वहीं दूसरी ओर कुछ दर्शक स्किट के भावों के गहन मंथन में लगे थे।नार्थ जोन की ओर से एल पी यू विश्वविद्यालय पंजाब ने स्किट अपनी प्रस्तूति में कुत्तों को माध्यम बनाया व इंसान और कुत्तों में भी अतंर को व्यंग्य के साथ दिखाया।
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
कुवि में चल रहे सस्वती महोत्सव में गत दिवस तीसरे दिन देर सांय तक ओडिटोरियम हाल में स्किट प्रतियोगिता चलती रही। इस प्रतियोगिता में प्रस्तुतियों की रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर दर्शक लोट-पोट हो रहे थे वहीं दूसरी ओर कुछ दर्शक स्किट के भावों के गहन मंथन में लगे थे।नार्थ जोन की ओर से एल पी यू विश्वविद्यालय पंजाब ने स्किट अपनी प्रस्तूति में कुत्तों को माध्यम बनाया व इंसान और कुत्तों में भी अतंर को व्यंग्य के साथ दिखाया।
समाज में किस तरह से आवारा कुतों पर तो जुल्म उठाए जाते हैं लेकिन पालतू कुतों को घर में बड़ी शान रखा जाता है। जो नेता लोग हैं वो भी वोट के लिए कुत्तों की तरह मुंह मारते हैं। इसमें कुत्तों की एकता भी भरपूर दिखाई गई। इसी जोन की ओर पी टी यू जालंधर ने वर्तमान समय में तिडक़ रहे रिश्तों पर गहरा व्यंग्य किया। ईस्ट जोन की मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफ ाल ने बेरोजगारी व आम जनता की समस्याओं पर अपनी स्किट के माध्यम से कटाक्ष किए। इसी जोन की वेस्ट बंगाल से आई विधा सागर विश्वविद्यालय द्वारा दिखाया गया कि अगर इंसान अच्छा काम करें तो उसे स्वर्ग में जगह अवश्य मिलती है अन्यथा नर्क में भी उसे बहुत सारी समस्याओं से गुजरने के बाद ही मनुष्य योनी दुबारा मिलती है। एल एन आई विश्वविद्यालय ग्वालियर द्वारा दिखाई गई स्किट में कठपुतलियों को माध्यम बनाकर बताया कि एक अपंग लडक़ी के बारे में बताया गया कि किस तरह से सभ्रंत कहे जाने वाले लोग पहले तो अपनी संतानों को बाहर फेंक देते हैं और फिर किसी गरीब द्वारा पालने के बावजूद बुरे वक्त में भी उसे अपनाने से मना कर देता है। साउथ जोन की मैंगलौर विश्वविद्यालय, मैंगलौर ने पानी के संरक्षण को लेकर स्किट प्रस्तुत की। जिन्होंने यह शिक्षा दी कि पानी की आवश्यकता हमें हमेशा पड़ती है। इसे हमें बचाकर रखना चाहिए। इसी जोन की त्रिवेंद्रम से आई विश्वविद्यालय ऑफ केरला द्वारा दिखाई स्किट जो थी वह क्यू पर आधारित थी। जिसमें दिखाया गया कि किस तरह से एक महिला लडक़ी को जन्म देने के बाद उचित उपचार के अभाव में मर जाती है। जिसके बाद उस लडक़ी को शिक्षा से लेकर बड़े होने तक बहुत सारी मुसीबतों से गुजरना पड़ता है। वेस्ट जोन से राजस्थान वनस्थली विद्यापीठ विष्वविद्यालय द्वारा चुनाव ‘एक मुर्गा बीती’ स्किट दिखाई गई। जिसमें राजनीतिक व्यवस्था को दिखाया गया। जिसमें बताया गया कि राजनेता किस तरह से मुर्गा के चुनाव निशान का प्रयोग करते हैं। अंत में इसी जोन की मुम्बई विश्वविद्यालय द्वारा जो स्किट प्रस्तुत की गई वह नाम को लेकर थी कि हमारा सब का अलग-अलग नाम है। आज से हम सब का नाम होगा ‘हूं’। इन कलाकारें ने सभी दर्शकों से मुंह से ‘हूं’ निकलवाया।
उनकी नजर में सरस्वती महोत्सव
अनुराधा/पल्लवी,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
सरस्वती महोत्सव को लेकर बाहर से आए कलाकार मेहमानों व टीम मैनेजरों में बहुत ही रोचक अनुभव सुनने को मिल रहे हैं। गुजरात विश्वविद्यालय की डॉ. रेखा मुुखर्जी का कहना है कि कुवि सभागार में जिस प्रकार का प्रबंध है वह बहुत ही उमदा है। उनके अनुसार वह आज तक आठ युवा महोत्सवों में गई हैं लेकिन कुवि का सरस्वती महोत्सव इनमें सबसे अच्छा महोत्सव रहा। कुवि की संगीत व्यवस्था उनके मन को भा गई है। डॉ. रेखा मुखर्जी की अगुवाई में तीन टीमें आई हैं। उनके अनुसार गुजरात विश्वविद्यालय की टीमें वेस्ट जॉन में दो बार प्रथम आई हैं। वनस्थली विश्वविद्यालयों में आठ साल से पढ़ रही मनु सिंह बताती है कि वह समाज सेवा से जुड़े सभी कार्य में रुचि रखती हैं उन्हें नहीं पता था कि कुरुक्षेत्र इतना सुंदर है। बैंगलोर विष्वविद्यालय, बैंगलोर से अपनी टीम के साथ आई थियेटर विभाग की डा. पवित्रा ने सरस्वती महोत्सव में वालेंटीयरों पर फ ोकस करते हुए कहा कि यहां के जो वालेंटीयर हैं वो विद्यार्थी ही है यह बात उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्होंने बताया किजब उनका कार्यक्रम नहीं होगा तो वे सब कुरूक्षेत्र में भ्रमण के लिए जाएंगें। मणिपुर विश्वविद्यालय मणिपुर से आए डा. तिनोबा सिंह का कहना है कि उन्होंने यहां जैसी मेनैजिंग व्यवस्था कहीं नही देखी। उन्होंने महोत्सव के नाम पर कहा कि सरस्वती महोत्सव का नाम अति उत्तम है। सरस्वती मानो कि कंठ में सरस्वती विराजमन है। उनका कहना है कि यहां पर सरस्वती महोत्सव के साथ-साथ यहां के वातावरण व यहां की खूबियों के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। मेघा अत्री पुरोहित जो कि वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान से आएं हैं, उनका कहना था कि यहां के लोग बहुत अच्छे है। उन्होंने खाने-पीने व रहने पर कहा कि जिस तरह की व्यवस्था यहां देखी कही भी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि अगर किसी से कोई बात पूछनी पड़ जाती है तो उसका उत्तर यहां तुरंत मिल जाता है। हरियाणा राज्य सर्वश्रेष्ठ युवा अवार्ड विजेता एवं पांच बार राष्ट्रीय युवा उत्सव में प्रतिभागिता कर चुके कुवि के युवा कलाकार हरिकेश पपोसा ने राष्ट्रीय युवा महोत्सव के महत्व को बताते हुए कहा कि ऐसे त्यौहार युवा कलाकारों में उर्जा का संचार करते है जिसे देश को प्रभुसत्ता व अखंडता को बढ़ावा मिलता है जिसे देश प्रेम की भावना पैदा होती है और देश के हर कोने की संस्कृृति का आदान-प्रदान करने का मौका मिलता है। इससे भाईचारा, प्यार, प्रेम ज्यादा विकसित होता है। सभी धर्म व सम्प्रदाय के युवा इन युवा महोत्सव के माध्यम से परिवार की भांति जुड़े रहते हैं और स्वच्छ राष्ट्रऊ नव-निर्माण में अपना योगदान देेते हैं।
सरस्वती महोत्सव को लेकर बाहर से आए कलाकार मेहमानों व टीम मैनेजरों में बहुत ही रोचक अनुभव सुनने को मिल रहे हैं। गुजरात विश्वविद्यालय की डॉ. रेखा मुुखर्जी का कहना है कि कुवि सभागार में जिस प्रकार का प्रबंध है वह बहुत ही उमदा है। उनके अनुसार वह आज तक आठ युवा महोत्सवों में गई हैं लेकिन कुवि का सरस्वती महोत्सव इनमें सबसे अच्छा महोत्सव रहा। कुवि की संगीत व्यवस्था उनके मन को भा गई है। डॉ. रेखा मुखर्जी की अगुवाई में तीन टीमें आई हैं। उनके अनुसार गुजरात विश्वविद्यालय की टीमें वेस्ट जॉन में दो बार प्रथम आई हैं। वनस्थली विश्वविद्यालयों में आठ साल से पढ़ रही मनु सिंह बताती है कि वह समाज सेवा से जुड़े सभी कार्य में रुचि रखती हैं उन्हें नहीं पता था कि कुरुक्षेत्र इतना सुंदर है। बैंगलोर विष्वविद्यालय, बैंगलोर से अपनी टीम के साथ आई थियेटर विभाग की डा. पवित्रा ने सरस्वती महोत्सव में वालेंटीयरों पर फ ोकस करते हुए कहा कि यहां के जो वालेंटीयर हैं वो विद्यार्थी ही है यह बात उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्होंने बताया किजब उनका कार्यक्रम नहीं होगा तो वे सब कुरूक्षेत्र में भ्रमण के लिए जाएंगें। मणिपुर विश्वविद्यालय मणिपुर से आए डा. तिनोबा सिंह का कहना है कि उन्होंने यहां जैसी मेनैजिंग व्यवस्था कहीं नही देखी। उन्होंने महोत्सव के नाम पर कहा कि सरस्वती महोत्सव का नाम अति उत्तम है। सरस्वती मानो कि कंठ में सरस्वती विराजमन है। उनका कहना है कि यहां पर सरस्वती महोत्सव के साथ-साथ यहां के वातावरण व यहां की खूबियों के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। मेघा अत्री पुरोहित जो कि वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान से आएं हैं, उनका कहना था कि यहां के लोग बहुत अच्छे है। उन्होंने खाने-पीने व रहने पर कहा कि जिस तरह की व्यवस्था यहां देखी कही भी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि अगर किसी से कोई बात पूछनी पड़ जाती है तो उसका उत्तर यहां तुरंत मिल जाता है। हरियाणा राज्य सर्वश्रेष्ठ युवा अवार्ड विजेता एवं पांच बार राष्ट्रीय युवा उत्सव में प्रतिभागिता कर चुके कुवि के युवा कलाकार हरिकेश पपोसा ने राष्ट्रीय युवा महोत्सव के महत्व को बताते हुए कहा कि ऐसे त्यौहार युवा कलाकारों में उर्जा का संचार करते है जिसे देश को प्रभुसत्ता व अखंडता को बढ़ावा मिलता है जिसे देश प्रेम की भावना पैदा होती है और देश के हर कोने की संस्कृृति का आदान-प्रदान करने का मौका मिलता है। इससे भाईचारा, प्यार, प्रेम ज्यादा विकसित होता है। सभी धर्म व सम्प्रदाय के युवा इन युवा महोत्सव के माध्यम से परिवार की भांति जुड़े रहते हैं और स्वच्छ राष्ट्रऊ नव-निर्माण में अपना योगदान देेते हैं।
VERY HARD WORK------------SURINDER PAL SINGH WADHAWAN
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