Sunday, November 26, 2017

कौन देगा जवाब: गीता महोत्सव को लेकर गर्ग ने खोला सवालों का पिटारा.......

ज्ञानानन्द को लेकर जनता के दिलों मे छुपे हैं कई सवाल ....

कुरुक्षेत्र 26 नवंबर: हरियाणा कांग्रेस पार्टी के महासचिव पवन गर्ग ने गीता महोत्सव के दौरान ज्ञानानन्द की विशेष उपस्थिती व उनके विशेष दर्जे को लेकर कई सवाल उछाले हैं। हालांकि इस प्रकार के अनेकों सवाल हर उस चिंतक के मन मे हैं, जो गीता जयंती समारोहों से जुड़ा रहा है। आज हम चर्चा करते हैं पवन गर्ग के सवालों की: 
उन्होने प्रैस को जारी एक  नोट में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड पर अपना रूख साफ रखने को
कहा।
- पवन गर्ग का सवाल है कि पूज्नीय ज्ञानानंद जी महाराज को गीता मनीषी की उपाधी कहा से प्राप्त
हुई है। आम जनता जानना चाहती है कि उसका आधार क्या था। क्या योग्यता या
विशेषता थी जो कि गीता मनीषी बन गए। या फिर किन शंकराचार्य या संस्था
द्वारा प्रदान की गई है। यह सब स्पष्ट होना चाहिए। जिससे आम जन के बीच
उनकी विश्वसनीयता बनी रहे।
- यहीं नहीं टेंडर प्रक्रिया में केडीबी पदाधिकारी टेंडर प्रक्रिया में
मौजूद थे। उन्हीं के द्वारा ही खाने का टेंडर दिया गया था। कुरुक्षेत्र
में सरकारी कैंटीन व हॉस्पिटलेटी विभाग कार्यरत है। ये भी पोषक खाना
बनाते है इन्हें भी टेंडर मिल सकता था। इस प्रकार पदाधिकारी के बेटे को
खाना का टेंडर मिलना संदेह उजागर करता है।
- उन्होंने कहा कि किन-किन संतो या महात्माओं को केडीबी द्वारा किस-किस
रेट पर कितनी सरकारी जमीन किस आधार पर अलॉट की गई है। इन अलॉटिड जमीनों
के रेट भी क्या-क्या दिए गए है यह सब कुछ केडीबी द्वारा सार्वजनिक किया
जाना चाहिए।
- गीता पुस्तकों की खरीद व पूर्ण कार्यक्रम में उभर रहे नीत नये घोटालों
की सीबीआई जांच भी कराई जानी चाहिए। पूरे प्रकरण की जांच न्याययिक होनी
चाहिए थी जो कि प्रशासनिक अधिकारी द्वारा अपने स्तर पर की गई। सरकार से
आग्रह है कि वे सिटींग जज, रिटायर्ड जज या फिर सीबीआई से पूरी जांच कराई
जाएं।

- जिन अधिकारियों को ऑडियो की आवाज एक-दो दिन पहले स्पष्ट व पहचान नहीं
हो पा रही थी कि किसकी है। तो किस आधार पर आरोपियों को पकड़ने का दावा
अधिकारी कर रहे है। ऐसे में किसी भी निर्दोष को आरोपी बनाना गलत है।
सरकार चुप है। ऑडियो क्लिप वॉयरल में काफी घोटाला है। गीता जयंती समारोह
के बजट पर भी फोकस करना होगा। इसकी भी जांच आवश्यक है।
- देश के प्रधानमंत्री मोदी जी से प्रेरणा लेकर ही किसी ने ऑडियो के
माध्यम से अपनी बात को टेंडर के रूप में सामने रखा है। इस प्रकार से आवाज
उठाने वाले को दबाना व मामले का सही विवरण न देना गलत है। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी जी को भी इस प्रकरण पर अपना रूख रखना चाहिए।

- गीता की कर्मस्थली कुरुक्षेत्र भूमि पर गीता जयंती कार्यक्रम से पूर्व
घोटालों का उभरना अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है।
...........................................................आखिर सरकार इस सवालों पर क्या प्रतिकृया देती है, यह देखना होगा। 

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