Wednesday, January 30, 2013

अजय चौटाला ने लगाया हुड्डा पर आरोप........



चौटाला को जेल भिजवाने का मास्टर मार्इंड मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा-अभय चौटाला

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कुरुक्षेत्र. (पवन सोंटी)
विधायक अभय चौटाला व इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने स्थानीय थीम पार्क में जिला कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि जेबीटी भर्ती प्रकरण में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला व अन्य नेताओं को जेल भिजवाने के पीछे मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मास्टर माइंड हैं। 
अभय चौटाला ने हुड्डा को चुनौती दी कि वे सार्वजनिक मंच पर आकर ये सिद्ध कर दें कि इस साजिश में कोई हाथ नहीं है, तो चौटाला परिवार राजनीति छोड़ देगा और यदि हुड्डा ये साबित नहीं कर सके तो इनेलो अदालत में न जाकर जनता की अदालत में जाएगी और इसका फैसला प्रदेश की जनता पर छोड़ देगी। इस कार्यकर्ता सम्मेलन में भारी भीड़ उमड़ी महिलाएं भी भारी संख्या में शामिल हुई। सम्मेलन में इतना अधिक लोगों का हुजूम उमड़ा की जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन एक विशाल रैली के रुप में परिवर्तित हो गया।

उन्होंने कहा कि इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ड वढेरा और मुख्यमंत्री द्वारा किए गए जमीन घोटालों को सार्वजनिक किया था,जिससे घबराकर हुड्डा ने सोनिया गांधी के आगे गुहार लगाई कि इनेलो का जनाधार बढ़ रहा है और चुनाव के पश्चात इनेलो सत्ता में आने पर राबर्ट वढेरा को जेल की सींखचों के पीछे भिजवाएगी,जिस कारण हुड्डा ने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के साथ मिलकर इनेलो नेताओं को जेल भिजवाने की साजिश रची। अभय चौटाला ने कहा एनडीए के शासनकाल में जब जेबीटी भर्ती प्रकरण की जांच का काम सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा तो ओमप्रकाश चौटाला व अजय  चौटाला का कहीं नाम नहीं था,सीबीआई ने २२ मई २००४ को केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के दो दिन पश्चात २४ मई २००४ को इस केस में अजय चौटाला का नाम जोड़ दिया और २००८ में आरोप पत्र दाखिल करते समय ओमप्रकाश चौटाला का नाम शामिल किया,जबकि सीबीआई ने एक दिन भी चौटाला से पूछताछ नहीं की।
उन्होंने कहा कि हुड्डा कहते हैं कि कानून अपना काम कर रहा है,जबकि १९७५ में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था तो त्यागपत्र देने की बजाए,इन कांग्रेसियों ने नया कानून ही बना डाला था। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि इनेलो की दुकान बंद हो गई है,उनकी अपनी दुकान में धर्मपत्नी और चांद मोहम्मद जैसे लोग है,जिस पार्टी में चांद मोहम्मद जैसे लोग हों उस पार्टी का भगवान ही रखवाला है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार १९८२ में कांग्रेस ने देवीलाल के साथ धोखा किया था और १९८७ में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ था आज फिर वही हालात बनते जा रहे हैं,चुनाव आने पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ होगा और जनता इस ज्यादती और जुर्म का बदला लेगी।
जनसभा में इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि चौधरी देवीलाल के परिवार को कांग्रेस ने साजिश रच कर जेल भिजवाया है,इस सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रतीक है की इनेलो के कार्यकर्ता मायूस और हताश नहीं है,ओमप्रकाश चौटाला,अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी कार्यकर्ताओं के लिए जेल गए हैं,इन लोगों ने गरीब बेरोजगार युवकों को रोजगार दिया,यदि रोजगार देना पाप है तो इनेलो बार-बार ये पाप करेंगे। उन्होंने सांसद नवीन जिंदल पर कोयला घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जेल में तो नवीन जिंदल, शीला दीक्षित और भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे लोगों को होना चाहिए,जिनका दामन भ्रष्टाचार में लिप्त है। उन्होंने कहा कि चौटाला जनता की आवाज बन गए हैं,इसलिए कांग्रेस ने उन्हें जेल भिजवाने की साजिश रची। अरोड़ा ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि इनेलो कमजोर हो गई है,उन्हें आज ही चुनावकर अपना भ्रम दूर कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हुड्डा ने चौटाला परिवार की इज्जत पर हाथ डाला है,जनता आने वाले चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करके  इसका बदला लेगी। इस विशाल जनसभा को विधायक रामपाल माजरा,फूल सिंह खेड़ी,पूर्व मंत्री जसविंद्र सिंह संधू,बलबीर सैनी,तेलूराम जोगी,आरएस चौधरी, कृष्ण पंवार सहित अनेक इनेलो नेताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर विक्रम बारवा, परमिंद्र संधू,खरैती लाल सिंगला, कंवलजीत सिंह अजराना, डीपी चौधरी, जगतार सिंह काजल,कलावती,जोगध्यान,कुलदीप जखवाला,महेंद्र कैंथला,सुरेंद्र सैनी,सुरेंद्र खास पुर सहित अनेक नेता उपस्थित थे।





जेबीटी भर्ती में न कोई रिश्तेदार न गांव-पड़ौस का

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अभय चौटाला ने इनेलो प्रदेशाध्यक्ष के आवास पर प्रेसवार्ता में कहा कि जेबीटी भर्ती में न तो चौटाला परिवार का कोई दूर तक रिश्तेदार शामिल है और न ही गांव व पड़ौस का कोई युवक जेबीटी टीचर लगा है। उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला के विधानसभा हलके से भी केवल २ या ३ युवक ही नौकरी लगे थे। इस जेबीटी भर्ती में दक्षिणी हरियाणा के ७०३ बेरोजगारों को रोजगार दिया गया था। उन्होंने कहा कि ओपी जैन व जिलेराम के विरुध हत्या के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी गई है, लेकिन आज तक सीबीआई ने इनसे एक बार भी पूछताछ नहीं की।
 उन्होंने कहा कि १९८४ के दंगों के दोषियों को भी सीबीआई सजा नहीं दिलवा पाई। एचकेएल भगत,जगदीश टाइटर व सज्जन कुमार के नेतृत्व में कत्लेआम हुआ,लेकिन आज तक इनमें से किसी को सलाखों के पीछे नहीं डाला, यहां तक की कांग्रेस ने इन्हें सांसद और मंत्री पद देने तक का काम किया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने एलके आडवानी की रथयात्रा के बाद उनके खिलाफ भी सीबीआई जांच करवाई,सीबीआई ने दोषी पाया,लेकिन एनडीए की सरकार आने पर वही आडवानी बरी हो गए, लेकिन एक बार फिर कांग्रेस की सरकार आने पर सीबीआई ने उन्हें आरोपी बना दिया। अभय ने कहा कि कांग्रेस अपने राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ सीबीआई का दुरुपयोग करती है। यह देश की जनता जानती है।

Tuesday, January 22, 2013

Details about Choutala Case.... पुलिस का डंडा see here...

ओमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला को 10 साल की सजा

 हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को रोहिणी स्थि‌त सीबीआई की विशेष अदालत ने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले 10-10 साल की सजा सुनाई है।

इनके अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्याधर और मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी को भी 10 साल की सजा सुनाई है। मामले में 4 अन्य को भी 10 साल की सजा सुनाई गई ह‌ै। 


वहीं, आज कोर्ट परिसर के बाहर इकट्ठा हजारों इनेलो कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। चौटाला को सजा सुनाए जाने से नाराज समर्थकों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर ‌दिया। जवाब में पुलिस ने इनेलो समर्थकों पर लाठी चार्ज किया और कई राउंड आंसू गैसे के गोले छोड़े।

हरियाणा में 12 साल पुराने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में गत 16 जनवरी को सीबीआई को अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया था। सीबीआई की अदालत ने अपने फैसले में ओमप्रकाश चौटाला को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया था।

वर्ष 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में पूर्व आईएएस संजीव कुमार, पूर्व आईएएस विद्याधर, मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी और 16 महिला अधिकारियों को भी दोषी करार दिया गया था।

अदालत ने इन सभी आरोपियों को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत पद के दुरुपयोग के दोषी पाया था। चौटाला की शह पर राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया।

पूर्व आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने ही सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया था, लेकिन सीबीआई जांच में वह भी लिप्त पाए गए। मामले मे एक अन्य आरोपी विद्याधर तब चौटाला के ओएसडी थे, जबकि बडशामी उनके राजनीतिक सलाहकार थे।

संजीव कुमार ने वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। सीबीआई ने वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेबीटी मामले की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने 2008 में कुल 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई अदालत ने जुलाई 2010 में आरोप तय किए। मामले की सुनवाई करीब ढाई साल पहले सीबीआई अदालत में शुरू हुई थी।

क्या है मामला?

हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद वर्ष 1999-2000 में राज्य में जेबीटी टीचर की भर्ती का कार्यक्रम बनाया गया। चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं।

सीबाआई की चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर्स की नियुक्ति में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई। इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए।

कर दिए थे ट्रांसफर

घोटाले के लिए चौटाला ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद से दो आईएएस के ट्रांसफर कर दिए थे। आईएएस अफसर आरपी चंद्रशेखर (तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक) ने अप्रैल 2000 में योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद अगले ही दिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया।

इसके बाद 1986 बैच की आईएसएस अधिकारी रजनी शेखर सिब्बल शिक्षा विभाग की निदेशक बनाया गया। जब उन्होंने इस नियुक्तियों की सूची में बदलाव करने से इनकार कर दिया तो उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 1985 बैच के अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया।

 चला  पुलिस का डंडा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के समर्थक मंगलवार सुबह दिल्ली में रोहिणी अदालत के बाहर इकट्ठे हो गए। समर्थकों ने जबरदस्ती अदालत परिसर में प्रवेश का प्रयास किया। 
इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमें पानी की बोछारों, आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा क्योंकि समर्थकों ने सुबह करीब 9.20 बजे अदालत के बाहर लगे पुलिस बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। समर्थकों ने अदालत की ओर जाने वाले सभी सड़क मार्गों को भी बंद करने का प्रयास किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने अदालत परिसर के भीतर व बाहर 1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। रोहिणी अदालत में मंगलवार को चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला को सजा सुनाई जानी थी। दोनों को शिक्षक भर्ती घोटाले के सम्बंध में बीते सप्ताह जेल भेजा गया था। दोनों को इस मामले में दोषी पाया गया है। वे 1999-2000 में 3,200 से ज्यादा शिक्षकों की चयन सूची में गड़बड़ी करने के दोषी हैं। उस वक्त चौटाला मुख्यमंत्री थे और उन्होंने रिश्वत व भाई-भतीजावाद के आधार पर शिक्षकों का चयन किया था।  

किसने  क्या कहा ?

 राजनीतिक हलकों में इसपर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. हालांकि ज्‍यादातर लोगों ने कहा कि कानून सबसे ऊपर है और सभी के लिए बराबर है. पढ़ें चौटाला की सजा पर किसने क्‍या कहा... कुलदीप बिश्‍नोई: हरियाणा जनहित कांग्रेस के अध्‍यक्ष कुलदीप बिश्‍नोई ने ओमप्रकाश चौटाला को सजा सुनाए जाने पर कहा, 'कोर्ट के फैसले से साबित हुआ कि कानून सबसे ऊपर है.'
बलबीर पुंज: चौटाला को सजा पर बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा, कानून सब के बराबर है.
बाबा रामदेव: ओमप्रकाश चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा सुनाए जाने के मामले पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि सरकार द्वारा विपक्ष के खिलाफ सीबीआई का इस्‍तेमाल किया जा रहा है.
भूपिंदर सिंह हुड्डा: हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्दा ने कहा, कोर्ट का फैसला है सबके लिए समान है. एनडीए की सरकार के दौरान ये जांच शुरू हुई है. लोगों से अपील है कि शांति बनाए रखें और कानून को हाथ में ना लें. उन्‍होंने साथ ही यह भी कहा कि वा इस फैसले से खुश नहीं हैं.
प्रकाश जावड़ेकर: बीजेपी के प्रवक्‍ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. यह एक कानूनी प्रक्रिया है और हम इसपर कोई टिप्‍पणी करना नहीं चाहते.
चौधरी बीरेंद्र सिंहः जिस तरह आज चौटाला के समर्थकों ने उद्दंडता दिखाई है उससे उनकी पार्टी का कैरेक्टर पता चलता है. इनका न्यायपालिका और संविधान में विश्वास ही नहीं है.
बी के हरिप्रसादः इस फैसले से साबित हो गया है कि कोई भी कानून से बड़ा नहीं है. कानून ने अपना काम किया है.
रणदीप सुरजेवालाः यह सबक है ऐसे लोगों के लिए जो खुद को कोर्ट और संविधान से ऊपर समझते हैं.
गीता भुक्कलः सीबीआई को कांग्रेस पार्टी से जोड़कर देखना गलत है. सीबीआई आजाद है.

Thursday, January 17, 2013

बेमिसाल था सरबंस बलिदानी गुरु गोबिंद सिंह जी का नीला घोड़ा

  बेमिसाल था सरबंस बलिदानी गुरु गोबिंद सिंह जी का नीला घोड़ा

श्रीगुरुद्वारा भट्ठा साहिब में आज भी सुरक्षित हैं नीले पंजो के निशान

श्री हुज़ूर साहिब नादेड़ में परवरिश पाते हैं घोड़े के वंशज

शाहाबाद मारकंडा -सुरेंद्र पाल वधावन-
सरबंस बलिदानी,उच्च के पीर,साहिब-ए-कमाल और खालसा पंथ के प्रवत्र्तक दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह को नीले घोड़े वालिया के नाम से भी याद किया जाता है। 
यह इसलिए कि गुरुजी जिस घोड़े पर सवारी करते थे वह एक दुर्लभ प्रजाति का नीले रंग का घोड़ा था। मुगल हुक्मरानों के अत्याचारों से हिंदूओं क ी रक्षा के लिए गुरुजी ने खालसा पंथ की स्थापना की और अपने उपासकों को आदेश दिए कि चढ़ावे के रुप में शस्त्र व बढिय़ा किस्म के घोड़े लाया करें। गुरुजी को संभवत:किसी राजा या श्रद्वालु ने यह दुर्लभ घोड़ा उपहार स्वरूप दिया था। गुरुजी शस्त्र-शास्त्रों से पारंगत एक महान सूरमा ही नहीं थे बल्कि एक उच्चकोटि के कुशल घुड़सवार भी थे। गुरुजी ने धुड़सवारी का कौशल बचपन में ही अपने मामा कृपाल चंद से सीखा था। आकर्षक व्यक्तित्व के बेमिसाल योद्धा गुरुगोबिंद सिंह जब नीले घोड़े पर सवार हो कर निकलते लाखों में अलग ही दिखाई देते। गुरुजी सरीखे महान युगपुरुष की सवारी होने के कारण इस नीले घोड़े में भी दिव्यगुण आने लगे।
 पंजाब में श्रीआनंदपुर साहिब के निकट श्री भट्ठा साहिब नाम का एक गुरुद्वारा है जहां पर इस घोड़े के पदचिन्ह आज भी संभाल कर रखे हैं। इतिहास के मुताबिक यहां के ईंटो का भट्ठा था और गुरुजी ने यात्रा के दौरान यहां रुकने का मन बनाया। भट्ठे के मालिक ने मजाक में गुरुजी से कहा कि अगर वह रुकना चाहते हैं तो गर्म व तपे हुए भट्ठे के अंदर रात्रि विश्राम करलें। कहा जाता है कि तभी इस दिव्य नीले  घोड़े ने अपने अगले पंजे तपती मिट्टी पर उठा कर रख दिए और ऐसा करते ही भट्ठा एकदम ठंडा हो गया। कालांतर में यहां श्रीगुरुद्वारा भट्ठा साहिब का निर्माण किया गया। गुरु गोबिंद सिंह जी अपने जीवन के अंतिम दिनो में श्री नादेड़ साहिब में थे। यहां पर श्रीहजूर साहिब गुरुद्वारा निर्मित है। गुरुजी के इस नीले घोड़े के वंशज आज भी यहां ऐतिहासिक धरोहर के रुप में परवरिश पा रहे हैं और इन्हें खूब सजा कर गुरुपर्व और होला महल्ला के अवसर पर संगतों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। दिव्य घोड़े के इन वंशज घोड़े पर भी सवारी नहीं की जाती। होला महल्ला के अवसर पर यह घोड़ा अत्यंत उत्तेजित और क्रोधित रहता है और इसका शरीर पसीने से लथपथ रहता है। गुरुजी के  दिव्य नीले घोड़े के वंशजों का रंग कई पुश्तें बदलजाने के कारण अब फीका व मद्धम पड़ कर आसमानी रग का हो चुका है।
----सुरेंद्र पाल वधावन ,153 हूडा सेक्टर 1 शाहाबाद मारकंडा  जि़ला कुरुक्षेत्र 94168-72577

 


Local Weather Report and Forecast For: Kurukshetra    Dated :Jan 16, 2013
Kurukshetra
Past 24 Hours Weather Data
Maximum Temp(oC) 20.4
Departure from Normal(oC) -
Minimum Temp (oC) 8.9
Departure from Normal(oC) -
24 Hours Rainfall (mm) NIL
Todays Sunset (IST) 17:46
Tommorows Sunrise (IST) 07:19
Moonset (IST) 22:41
Moonrise (IST) 10:06
Today's Forecast:Partly cloudy sky. Possibility of rain/ thundershowers. Today’s maximum temperature will be around 20 ºC.
Date Temperature ( o C ) Weather Forecast
Minimum Maximum
17-Jan 8.0 20.0 Light rain
18-Jan 8.0 20.0 Partly cloudy sky with possibility of rain or Thunderstorm


Wednesday, January 16, 2013

गुरु गोबिंद सिंह प्रकटोत्सव पर विशेष Latest News Of Choutala about JBT teachers चौटाला जाएंगे अंदर?

  बेमिसाल था सरबंस बलिदानी गुरु गोबिंद सिंह जी का नीला घोड़ा

श्रीगुरुद्वारा भट्ठा साहिब में आज भी सुरक्षित हैं नीले पंजो के निशान

श्री हुज़ूर साहिब नादेड़ में परवरिश पाते हैं घोड़े के वंशज

शाहाबाद मारकंडा -सुरेंद्र पाल वधावन-
सरबंस बलिदानी,उच्च के पीर,साहिब-ए-कमाल और खालसा पंथ के प्रवत्र्तक दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह को नीले घोड़े वालिया के नाम से भी याद किया जाता है। 
यह इसलिए कि गुरुजी जिस घोड़े पर सवारी करते थे वह एक दुर्लभ प्रजाति का नीले रंग का घोड़ा था। मुगल हुक्मरानों के अत्याचारों से हिंदूओं क ी रक्षा के लिए गुरुजी ने खालसा पंथ की स्थापना की और अपने उपासकों को आदेश दिए कि चढ़ावे के रुप में शस्त्र व बढिय़ा किस्म के घोड़े लाया करें। गुरुजी को संभवत:किसी राजा या श्रद्वालु ने यह दुर्लभ घोड़ा उपहार स्वरूप दिया था। गुरुजी शस्त्र-शास्त्रों से पारंगत एक महान सूरमा ही नहीं थे बल्कि एक उच्चकोटि के कुशल घुड़सवार भी थे। गुरुजी ने धुड़सवारी का कौशल बचपन में ही अपने मामा कृपाल चंद से सीखा था। आकर्षक व्यक्तित्व के बेमिसाल योद्धा गुरुगोबिंद सिंह जब नीले घोड़े पर सवार हो कर निकलते लाखों में अलग ही दिखाई देते। गुरुजी सरीखे महान युगपुरुष की सवारी होने के कारण इस नीले घोड़े में भी दिव्यगुण आने लगे।
 पंजाब में श्रीआनंदपुर साहिब के निकट श्री भट्ठा साहिब नाम का एक गुरुद्वारा है जहां पर इस घोड़े के पदचिन्ह आज भी संभाल कर रखे हैं। इतिहास के मुताबिक यहां के ईंटो का भट्ठा था और गुरुजी ने यात्रा के दौरान यहां रुकने का मन बनाया। भट्ठे के मालिक ने मजाक में गुरुजी से कहा कि अगर वह रुकना चाहते हैं तो गर्म व तपे हुए भट्ठे के अंदर रात्रि विश्राम करलें। कहा जाता है कि तभी इस दिव्य नीले  घोड़े ने अपने अगले पंजे तपती मिट्टी पर उठा कर रख दिए और ऐसा करते ही भट्ठा एकदम ठंडा हो गया। कालांतर में यहां श्रीगुरुद्वारा भट्ठा साहिब का निर्माण किया गया। गुरु गोबिंद सिंह जी अपने जीवन के अंतिम दिनो में श्री नादेड़ साहिब में थे। यहां पर श्रीहजूर साहिब गुरुद्वारा निर्मित है। गुरुजी के इस नीले घोड़े के वंशज आज भी यहां ऐतिहासिक धरोहर के रुप में परवरिश पा रहे हैं और इन्हें खूब सजा कर गुरुपर्व और होला महल्ला के अवसर पर संगतों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। दिव्य घोड़े के इन वंशज घोड़े पर भी सवारी नहीं की जाती। होला महल्ला के अवसर पर यह घोड़ा अत्यंत उत्तेजित और क्रोधित रहता है और इसका शरीर पसीने से लथपथ रहता है। गुरुजी के  दिव्य नीले घोड़े के वंशजों का रंग कई पुश्तें बदलजाने के कारण अब फीका व मद्धम पड़ कर आसमानी रग का हो चुका है।
----सुरेंद्र पाल वधावन ,153 हूडा सेक्टर 1 शाहाबाद मारकंडा  जि़ला कुरुक्षेत्र 94168-72577

 


Local Weather Report and Forecast For: Kurukshetra    Dated :Jan 16, 2013
Kurukshetra
Past 24 Hours Weather Data
Maximum Temp(oC) 20.4
Departure from Normal(oC) -
Minimum Temp (oC) 8.9
Departure from Normal(oC) -
24 Hours Rainfall (mm) NIL
Todays Sunset (IST) 17:46
Tommorows Sunrise (IST) 07:19
Moonset (IST) 22:41
Moonrise (IST) 10:06
Today's Forecast:Partly cloudy sky. Possibility of rain/ thundershowers. Today’s maximum temperature will be around 20 ºC.
Date Temperature ( o C ) Weather Forecast
Minimum Maximum
17-Jan 8.0 20.0 Light rain
18-Jan 8.0 20.0 Partly cloudy sky with possibility of rain or Thunderstorm

 

 

हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाले का जिन्‍न बाहर 

62 लोगों को आरोपीयों में से 6 की हो चुकी है मौत

नई दिल्ली। 

हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाला मे दिल्ली की रोहिणी की सीबीआई कोर्ट ने इंडियन नेशनल लोकदल के नेता ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला समेत सभी 55 आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद चौटाला और उनके अजय चौटाला को गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने सभी 55 आरोपियों को हिरासत में ले लिया है यानि सभी 55 आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। सभी 55 लोगों को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है। सजा का ऐलान 22 जनवरी को किया जाएगा।
17 जनवरी, 18 जनवरी और 19 जनवरी को सजा पर बहस होगी और इसके बाद फिर 22 जनवरी को सजा का ऐलान किया जाएगा। मालूम हो कि साल 1999-2000 के दौरान हरियाणा में शिक्षक घोटाला हुआ था। उस वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला था। शिक्षा मंत्रालय का प्रभार भी उन्हीं के पास था और उनके कार्यकाल में करीब तीन हजार 32 शिक्षकों की भर्ती हुई थी। भर्ती के लिए हर शिक्षक से 3-4 लाख रुपये लिए गए थे। 2004 में मामले की चार्जशीट दाखिल की गई थी। हरियाणा के बहुचर्चित जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला बुधवार को सुनाया। इस मामले में कुल 62 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 6 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि एक को आरोपमुक्त किया जा चुका है।


क्या  था मामला?

 1999- 2000 में राज्य के 18 जिलों में हुई 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के मामले में मानदंडों को ताक पर रखकर मनचाहे लगों की बहाली की गई। इसके लिए शिक्षकों की भर्ती की जिम्मेदारी कर्मचारी चयन आयोग से लेकर जिला स्तर पर बनाई गई चयन कमिटी को सौंपी गई थी, जिसने फर्जी इंटरव्यू के आधार पर चयनित कैंडिडेट की सूची तैयार की थी। इसके लिए जिलास्तरीय चयन कमिटी में शामिल शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर मनचाहे कैंडिडेट्स के चयन के लिए बैठकों में दबाव भी बनाए गए थे।


क्या गेस्ट टीचरों के मामले में भी हुई धांधली?

चोटाला के घोटाले का तो चर्चा है, लेकिन क्या कोंग्रेस के राज में वर्षों पहले गेस्ट टीचर भर्ती पूरी तरह से आरोप मुक्त है, ये प्रश्न भी चर्चा में है| गोरतलब है कि हुड्डा सरकार ने पिछले कार्यकाल में ही अतिथि अध्यापक विधि तैयार कर के गावं की मैरिट के आधार पर ही शिक्षक भरती कर डाले थे| इनके मामले में कई केस चल रहे हैं| सरकार बार बार इनको स्थाई भर्तियों में स्थान देने के लिए नीतियां घोषित कर चुकी है जिनमे कि मुह की खानी पड़ी है| सरकार के इस प्रकार के कार्यों से तो यही लगता है कि इनमे भी चहेतों को नोकरी दी गई है| गोरतलब है कि इस प्रकार की भारतियों में मुख्याध्यापक स्त्र पर ही भर्तिया हुई थी और गाव स्त्र पर मैरिट होने के कारण ना तो इनमे न्यूनतम योगता का ध्यान रखा गया था और ना ही कोई आरक्षण का प्रावधान था| देखना यह है कि क्या चौटाला के ममले से हुड्डा सर्कार भी कोई सबक लेगी या ......?  

Friday, January 11, 2013

स्वामी विवेकानन्द जी की 150वीं जयंती पर विशेष रामेंदर सिंह ( कुरुक्षेत्र)



स्वामी विवेकानन्द जी की 150वीं जयंती पर विशेष रामेंदर  सिंह ( कुरुक्षेत्र)

 

                इस ध्रातल पर महापुरुषों का जन्म बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय के लिए होता है। उनके जीवन का एकमात्रा उद्देश्य आत्मनो मोक्षार्थ जग(ितायचके लिए होता है। पीड़ित मानवता के दुःखों को दूर कर जगत को शिव स्वरूप करने हेतु भारतवर्ष में अनेकानेक महापुरुष अवतरित हुए, उनमें स्वामी विवेकानन्द का नाम अत्यन्त ही आदर से लिया जाता है। स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 ई॰ पौष संक्रान्ति कृष्णा सप्तमी सम्वत् 1920 विक्रमी को मकर संक्रान्ति के दिन कोलकाता नगर के सिमूलिया पल्ली मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री विश्वनाथ दत्त तथा माता का नाम श्रीमती भुवनेश्वरी देवी था। बचपन में इनका नाम नरेन्द्र था।
माँ विवेक दो, वैराग्य दो
परिवार में आर्थिक संकट से जूझते हुए एक बार नरेन्द्र नाथ ने दक्षिणेश्वर जाकर श्रीरामकृष्ण देव से परिवार की सुख सुविधा हेतु माँ काली से प्रार्थना करने का आग्रह किया। वह बोले बेटा मैं ऐसी याचना तो नहीं कर सकता। पर तुम स्वयं ही जाकर माँ से याचना क्यों नहीं कर लेते? अच्छा, आज मंगलवार है, आज रात तुम काली माता के मन्दिर में जाकर, साष्टांग दण्डवत प्रणाम कर जो चाहे वरदान मांगो। वह अवश्यमेव प्राप्त होगा। मन्दिर में पहुँच कर जब नरेन्द्रनाथ ने प्रतिमा की ओर दृष्टि लगाई तो उन्हें देवी काली माता वास्तव में सजीव और सचेतन लगी। मानो देवी प्रेम और सौंदर्य का अखण्ड निर्झर! वे प्रेम और भक्ति की उमड़ती लहर से भर गए और भाव विभोर होकर प्रार्थना की, ‘‘माँ मुझे विवेक दो, वैराग्य दो, मुझे ज्ञान और भक्ति दो। मुझे तेरा अबाध दर्शन होता रहे ऐसा आशीर्वाद दो।’’ परन्तु ध्न माँगना वे भूल गये थे। लौटते समय उनके मन में एक अपूर्व शान्ति विराज रही थी। ठाकुर के कमरे में पहुँचने पर जब उन्हांेने पूछा - ‘‘क्यों रे, माँ से गृहस्थी का अभाव दूर करने की प्रार्थना की है न?’’ तो नरेन्द्र चौंककर बोले - ‘‘नहीं महाराज, मैं तो भूल गया था।’’ उन्होंने कहा - ‘‘जा जा, पिफर प्रार्थना कर आ।’’ नरेन्द्र गये परन्तु पुनः अपना उद्देश्य भूल गये। तीसरी बार भी ऐसा ही हुआ। तभी अचानक नरेन्द्र के मन में आया कि निश्चय ही यह ठाकुर की लीला है, उन्होंने ही जगदम्बा से मेरी सांसारिक प्रार्थना का विस्मरण करा दिया है, सम्भवतः वे चाहते हैं कि मैं न्यागमय जीवन बिताऊँ। अतः उन्होंने श्रीरामकृष्ण से अपने परिवार के लिये कुछ कर देने का अनुरोध् किया। ठाकुर ने उन्हें समझाया कि सांसारिक सुखभोग उनके भाग्य में नहीं है। तथापि उन्होंने दिलासा देते हुए कहा कि उनके परिवार को साधरण अन्न-वस्त्रा का अभाव नहीं रहेगा।
उपर्युक्त घटना नरेन्द्र के मन पर गहरी छाप छोड़ गयी। इससे उन्हें ईश्वर तथा उनके जागतिक कार्यों के बारे में एक नवीन प्रकाश की उपलब्ध् िहुई, जिसके पफलस्वरूप उनका आध्यात्मिक जीवन भी समृ( हुआ।
विशाल वटवृक्ष बनो
1884 ई॰ में नरेन्द्र के पिताश्री का निधन हो गया। इसके पश्चात् उन्हें बहुत ही आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। इस कठिन परिस्थिति में भी उनके विवेक और वैराग्य में कोई कमी नहीं आई। सन् 1885 ई॰ में श्री रामकृष्ण कंठ रोग ;कैंसरद्ध से ग्रसित हो गए। उन्हें चिकित्सा के लिए श्याम पुकुर नगर के पश्चात् काशीपुर लाया गया। यहाँ पर ही एक किराए के मकान में नरेन्द्रनाथ अपने गुरु भाइयों के साथ श्रीरामकृष्ण परमहंस जी की सेवा और तीव्र भक्ति में डूब गए। जब उन्होंने श्रीरामकृष्ण से शुकदेव की तरह निर्विकल्प समाधि की इच्छा की तो उन्होंने कहा, ‘‘छिः नरेन, तुम केवल अपनी मुक्ति की इच्छा करते हो, तुम्हें तो विशालवटवृक्ष की तरह होना पड़ेगा जिसकी छाया में समस्त पृथ्वी के मनुष्य शान्ति लाभ करेंगे।’’ परन्तु एक दिन काशीपुर में उनकी कृपा से ही जब नरेन्द्र नाथ की आध्यात्मिक जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि निर्विकल्प समाधि प्राप्ति की तथा समाधि भंग होने पर श्री रामकृष्ण जी ने कहा था कि इस उपलब्धि की कुन्जी वे अपने पास ही रखेंगे। ‘‘जगत के प्रति जब नरेन्द्रनाथ के कर्त्तव्यों की इतिश्री होगी तो वे स्वयं ही इस उपलब्धि का द्वार खोल देंगे।’’
जादूगर नरेन्द्र
नरेन जब लगभग 11 वर्ष का था, एक बार ब्रिटिश-मैन-ऑपफ-वार’ ;एक यु(पोतद्ध कोलकाता के एक बन्दरगाह पर आया था। बहुत से लोग उस जहाज को देखने के लिए गये थे तथा नरेन और उसके मित्रा भी उसे देखना चाहते थे। इस हेतु एक विशिष्ट ब्रिटिश अध्किारी द्वारा एक पास लेना आवश्यक होता था। नरेन ने पफार्म भरा एवं उस भवन की ओर गया, जहां वह अध्किारी बैठता था। बहुत-से लोग भीतर जा रहे थे, परन्तु दरवान ने नरेन को बहुत ही छोटा समझकर उसे भीतर जाने से रोक दिया। नरेन बाहर खड़ा सोचने लगा कि अब क्या किया जाए! उसने देखा सभी लोग पहली मंजिल के एक कमरे में जा रहे हैं। उसने सोचा कि वहाँ जाने का कोई दूसरा मार्ग अवश्य ही होगा। इसलिए वह भवन के पिछले हिस्से में गया जहाँ उसे सीढ़ियाँ दिखाई दीं। वहाँ पर कोई दरवान न था, इसलिए वह सीध्े पहली मंजिल पर पहुँच गया। एक परदे को सरकाने पर उसे कुछ लोग इन्तजार करते दिखे। वह उस कतार में सम्मिलित हो गया और ब्रिटिश अध्किारी ने बिना प्रश्न किये अपने हस्ताक्षर कर दिये। नरेन उसी मुख्य प्रवेश द्वार से बाहर आ गया। दरवान उसे देखकर आश्चर्य में पड़ गया। उसने पूछा, ‘‘तुम भीतर कैसे पहुँचे?’’ नरेन ने उत्तर दिया, ‘‘अच्छा, तुम्हें मालूम नहीं कि मैं एक जादूगर हूँ?’’
स्वामी विवेकानन्द - संक्षिप्त जीवन वृत्त
जन्म - 1863, 12 जनवरी, मकर संक्रान्ति ;पौष कृष्ण सप्तमीद्ध
जन्म स्थान     -      सिमुलियापल्ली, कोलकाता, नाम - नरेन्द्र नाथ दत्त
माता-पिता      -      श्रीमती भुवनेश्वरी देवी एवं श्री विश्वनाथ दत्त
1881       -               श्रीरामकृष्ण देव का प्रथम दर्शन
1884       -               बी.ए. परीक्षा दी। इसी वर्ष पिता की मृत्यु।
1886       -               श्रीरामकृष्ण देव की महासमाध्।ि
1887       -               वराहनगर मठ ;कोलकाताद्ध में संन्यास ग्रहण।
1888       -               परिव्राजक बने। भारत परिक्रमा ;चार वर्षद्ध
1892       -               25-27 दिसम्बर कन्याकुमारी-श्रीपादशिला पर ध्यान।
1893       -               31 मई, विश्वर्ध्म सभा, अमेरिका के लिए प्रस्थान।
1893       -               11 सितंबर, शिकागो महासभा में प्रथम ऐतिहासिक भाषण।
1897       -               15 जनवरी-भारत आगमन एवं विशाल स्वागत, भाषण।
1897       -               1 मई रामकृष्ण मिशनकी स्थापना।
1898       -               कोलकाता में निवेदिता बालिका विद्यालयकी स्थापना।
1898       -               9 दिसंबर बेलुड मठकी स्थापना।
1899       -               द्वितीय बार पश्चिम की यात्रा।
1900       -               9 दिसम्बर भारत में वापसी।
1901       -               18 मार्च, अपनी माँ को लेकर पूर्व बंगाल-ढाका एवं असम-कामाख्या, शिलांग भ्रमण।
1902       -               जनवरी में बोध्गया दर्शन करके काशीधम यात्रा।
1902       -               बेलुड में आगमन, श्रीरामकृष्ण जन्मोत्सव मनाया।
1902       -               4 जुलाई, शुक्रवार रात्रि 9.10 को बेलुड मठ में महासमाधि।

Tuesday, January 8, 2013

Awaaj Shahityaki....13 जनवरी लोहड़ी पर्व पर विशेष....




पंजाब की लोक संस्कृति का अक्स है लोहड़ी का त्यौहार

शाहाबाद मारकंडा-सुरेंद्रपाल वधावन

 हड़तालों घोटालों तनावों और कुंठाओं के चक्रव्यूह में फंसे इस देश के आम इंसान को आज भी हमारे पर्व और त्यौहार भले ही  दो पल के लिए हो, कुछ  सुकून और राहत तो प्रदान करते हीं हैं। -कितने प्यारे लोग थे जिनको अपने $गमों से $फुरसत थी- फैज़ साहिब के इस अशआर की पंक्ति आज महज़ एक याद महसूस होती है कल की- जब न तो $गम-ए-रोज़गार होता था और न ही होता था $गम-ए-इश्क, उस समय इंसानी रिश्तों में जीता आदमी मनोरंजन के जो तरीके अपनाता था उनमें पर्व और त्यौहारों का अपना विशेष महत्व था। त्यौहार आज की भांति मात्र औपचारिकता निभाने के लिए नहीं होते थे अपितु लोग त्यौहारों में जीते थे। आज टी.वी के रंगों से चुंधिआए और  जीवन की भागमभाम में मसरू$फ लोगों के पास इतना समय कहां है कि वह इन त्यौहारों को जी भर के जी पाएं। हमारी संस्कृति वास्तव में त्यौहारों की ही संस्कृति रही है। जाड़े के मौसम में आने वाला लोहड़ी त्यौहार विशेषकर पंजाब की लोकसंस्कृति से जुड़ा एक ऐसा पर्व है जो सामान्य संबंधों को घनिष्ठता तो प्रदान करता ही है और साथ ही बेरस और ठंडे पड़ रहे रिश्तों को ताज़गी का अहसास भी देता है। लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता था जिसका मतलब है कि सर्दी के इस मौसम में तिल और गुड़ का सेवन किया जाना चाहिए क्योंकि यह दोनों चीज़ें गर्माहट की तासीर लिए हैं।
लोहड़ी पर्व से जुड़ी कथा के अनुसार लद्धी नामक महिला के  पुत्र का नाम दूल्ला था जो बादशाह अकबर का बा$गी था। यह बात काबिल-ए-जि़क्र है कि लद्धी अकबर के शहजादे की फ्रॅासटर मदर यानि के दूध पिलाने वाली माता थी। लद्धी का पुत्र दुल्ला अमीरों को लूटता था और ग्ररीबों और बेबसों की मदद करता था इस कारण वह आम लोगों में उसकी छवि एक नायक की भांति थी। एक बार दुल्ले ने बाप बन कर एक ब्राहमण की दो कन्यायों का विवाह करा दिया। इससे लोगों के मन में उसके प्रति अथाह श्रद्धा उमड़ पड़ी। इस से एक लोकगीत का चलन शुरु हुआ और यह गीत लोकपरंपरा के रुप में विकसित हो गया। 
यह गीत आज भी लोहड़ी के अवसर पर गाया जाता है-सुंदर मुंदरिए -हो, तेरा कौन विचारा -हो, दुल्ला भट्टी वाला-हो, दुल्ले दी धी विआही-हा,े सेर शक्कर पाई-हो, कुड़ी दे ज़ेबे पाई-हो ----आदि। इसी तरह बालिकाओं के लोहड़ी मांगने का गीत-हुल्ले नी माए,हुल्ले,दो बेरी पत्र झुल्ेा- दो झुल पइयां $खजूरां ,$खजूरां सुटिया मेवा, उस लाल दे घर जनेवा, उस लाल दी वहुटी निक्की जो खावे चूरी कुट्टी -कुट-कुट भरिया थाल -बुआ एक ननाना चार   -देंदी एं ते दे काले कुत्ते नूं वी दे- काला कुत्ता दे दुआवां तेरियां जीवण मझियां गाइयां, हमारी विस्मृत हो रही लोक संस्कृति का अमूल्य हिस्सा है।
---------सुरेंद्रपाल वधावन शाहाबाद मारकंडा