Tuesday, January 22, 2013

Details about Choutala Case.... पुलिस का डंडा see here...

ओमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला को 10 साल की सजा

 हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को रोहिणी स्थि‌त सीबीआई की विशेष अदालत ने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले 10-10 साल की सजा सुनाई है।

इनके अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्याधर और मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी को भी 10 साल की सजा सुनाई है। मामले में 4 अन्य को भी 10 साल की सजा सुनाई गई ह‌ै। 


वहीं, आज कोर्ट परिसर के बाहर इकट्ठा हजारों इनेलो कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। चौटाला को सजा सुनाए जाने से नाराज समर्थकों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर ‌दिया। जवाब में पुलिस ने इनेलो समर्थकों पर लाठी चार्ज किया और कई राउंड आंसू गैसे के गोले छोड़े।

हरियाणा में 12 साल पुराने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में गत 16 जनवरी को सीबीआई को अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया था। सीबीआई की अदालत ने अपने फैसले में ओमप्रकाश चौटाला को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया था।

वर्ष 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में पूर्व आईएएस संजीव कुमार, पूर्व आईएएस विद्याधर, मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी और 16 महिला अधिकारियों को भी दोषी करार दिया गया था।

अदालत ने इन सभी आरोपियों को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत पद के दुरुपयोग के दोषी पाया था। चौटाला की शह पर राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया।

पूर्व आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने ही सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया था, लेकिन सीबीआई जांच में वह भी लिप्त पाए गए। मामले मे एक अन्य आरोपी विद्याधर तब चौटाला के ओएसडी थे, जबकि बडशामी उनके राजनीतिक सलाहकार थे।

संजीव कुमार ने वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। सीबीआई ने वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेबीटी मामले की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने 2008 में कुल 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई अदालत ने जुलाई 2010 में आरोप तय किए। मामले की सुनवाई करीब ढाई साल पहले सीबीआई अदालत में शुरू हुई थी।

क्या है मामला?

हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद वर्ष 1999-2000 में राज्य में जेबीटी टीचर की भर्ती का कार्यक्रम बनाया गया। चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं।

सीबाआई की चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर्स की नियुक्ति में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई। इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए।

कर दिए थे ट्रांसफर

घोटाले के लिए चौटाला ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद से दो आईएएस के ट्रांसफर कर दिए थे। आईएएस अफसर आरपी चंद्रशेखर (तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक) ने अप्रैल 2000 में योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद अगले ही दिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया।

इसके बाद 1986 बैच की आईएसएस अधिकारी रजनी शेखर सिब्बल शिक्षा विभाग की निदेशक बनाया गया। जब उन्होंने इस नियुक्तियों की सूची में बदलाव करने से इनकार कर दिया तो उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 1985 बैच के अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया।

 चला  पुलिस का डंडा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के समर्थक मंगलवार सुबह दिल्ली में रोहिणी अदालत के बाहर इकट्ठे हो गए। समर्थकों ने जबरदस्ती अदालत परिसर में प्रवेश का प्रयास किया। 
इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमें पानी की बोछारों, आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा क्योंकि समर्थकों ने सुबह करीब 9.20 बजे अदालत के बाहर लगे पुलिस बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। समर्थकों ने अदालत की ओर जाने वाले सभी सड़क मार्गों को भी बंद करने का प्रयास किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने अदालत परिसर के भीतर व बाहर 1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। रोहिणी अदालत में मंगलवार को चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला को सजा सुनाई जानी थी। दोनों को शिक्षक भर्ती घोटाले के सम्बंध में बीते सप्ताह जेल भेजा गया था। दोनों को इस मामले में दोषी पाया गया है। वे 1999-2000 में 3,200 से ज्यादा शिक्षकों की चयन सूची में गड़बड़ी करने के दोषी हैं। उस वक्त चौटाला मुख्यमंत्री थे और उन्होंने रिश्वत व भाई-भतीजावाद के आधार पर शिक्षकों का चयन किया था।  

किसने  क्या कहा ?

 राजनीतिक हलकों में इसपर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. हालांकि ज्‍यादातर लोगों ने कहा कि कानून सबसे ऊपर है और सभी के लिए बराबर है. पढ़ें चौटाला की सजा पर किसने क्‍या कहा... कुलदीप बिश्‍नोई: हरियाणा जनहित कांग्रेस के अध्‍यक्ष कुलदीप बिश्‍नोई ने ओमप्रकाश चौटाला को सजा सुनाए जाने पर कहा, 'कोर्ट के फैसले से साबित हुआ कि कानून सबसे ऊपर है.'
बलबीर पुंज: चौटाला को सजा पर बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा, कानून सब के बराबर है.
बाबा रामदेव: ओमप्रकाश चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा सुनाए जाने के मामले पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि सरकार द्वारा विपक्ष के खिलाफ सीबीआई का इस्‍तेमाल किया जा रहा है.
भूपिंदर सिंह हुड्डा: हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्दा ने कहा, कोर्ट का फैसला है सबके लिए समान है. एनडीए की सरकार के दौरान ये जांच शुरू हुई है. लोगों से अपील है कि शांति बनाए रखें और कानून को हाथ में ना लें. उन्‍होंने साथ ही यह भी कहा कि वा इस फैसले से खुश नहीं हैं.
प्रकाश जावड़ेकर: बीजेपी के प्रवक्‍ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. यह एक कानूनी प्रक्रिया है और हम इसपर कोई टिप्‍पणी करना नहीं चाहते.
चौधरी बीरेंद्र सिंहः जिस तरह आज चौटाला के समर्थकों ने उद्दंडता दिखाई है उससे उनकी पार्टी का कैरेक्टर पता चलता है. इनका न्यायपालिका और संविधान में विश्वास ही नहीं है.
बी के हरिप्रसादः इस फैसले से साबित हो गया है कि कोई भी कानून से बड़ा नहीं है. कानून ने अपना काम किया है.
रणदीप सुरजेवालाः यह सबक है ऐसे लोगों के लिए जो खुद को कोर्ट और संविधान से ऊपर समझते हैं.
गीता भुक्कलः सीबीआई को कांग्रेस पार्टी से जोड़कर देखना गलत है. सीबीआई आजाद है.

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