Sunday, February 23, 2014

उत्तर क्षेत्र से गुरुनानक देव विवि अमृतसर के हिस्से गई ओवर आल ट्राफी


रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हो गया राष्ट्रीय युवा समारोह

विख्यात क्लासिकल डांसर पद्म भूषण उमा शर्मा ने किया परितोषिक वितरण

आवाज  टीम/ टीम रत्नावली रिपोर्टर्स ( अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर क्षेत्रीय विश्वविद्यालय युवा समारोह का जिस प्रकार रंगारंग आगज हुआ था उसी प्रकार समापन भी रंगा रंग रहा। समारोह के समापन अवसर पर जानी मानी क्लासिकल डांसर पद्म भूषण एवं पद्मश्री उमा शर्मा ने अपने हाथों से विजेताओं को पुरस्कारों से नवाजा। सामारोह के दौरान आयोजित 25 विधाओं सर्वाधिक अच्छा प्रदर्शन करने के कारण ओवर आल ट्राफी उत्तर क्षेत्र से गुरु नानक देव विवि अमृतसर को मिली जबकि इस ट्राफी का रनर अप पश्चिमी क्षेत्र से मुम्बई विवि मुम्बई रहा। समारोह के समापन अवसर पर मुख्यअतिथि के रूप में पहुंची विख्यात नृत्यांगना पद्म भूषण एवं पद्म श्री पुरस्कार विजेता उमा शर्मा ने अपने संबोधन में युवा कलाकारों से आह्वान किया कि प्राचीन नृत्य, संगीत व वाद्यों को संभाल कर रखें।
 इसके साथ ही उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि लुप्त होती गुरु- शिष्य परम्परा को जिंदा रखें। उन्होंने सरस्वती महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि सरस्वती महोत्सव व्यापक समारोह है, इसे संभालकर रखें व आगे बढ़ाऐं। उन्होंने युवा समारोहों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए अपने शिक्षार्जन के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के युवा समारोह की यादों को भी युवा कलाकारों के साथ सांझा किया। उमा शर्मा ने कहा कि इससे पहले भी वह यहां आ चुकी हैं, लेकिन इस प्रकार के महोत्सव में लम्बे अर्से बाद पहली बार आई हैं और इन युवा कलाकारों के बीच खुद को पाकर गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने युवाओं से वायदा किया कि आगली बार वह बिना बुलाए आऐंगी और अपना सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत करेंगी। जफर के शेर के साथ अपने मनोभावों को व्यक्त करते हुए इस प्रकार के महोत्सवों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने का आह्वान किया व शुभ कामनाऐं दी। उनसे पूर्व कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने 5 दिवसीय समारोह के सफल आयोजन पर प्रतिभागियों व आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी। 
उन्होंने खुशी जताई कि कला जगत के उभरते सितारे कुवि में जुटे और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भाग लेने से जहां बाहर से आए प्रतिभगियों को बहुत कुछ सीखने को मिला है, वहीं कुवि के विद्यार्थियों को भी बहुत लाभ हुआ है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि जीत हार तो जीवन का अंग हैं, इस प्रकार के आयोजनों में भाग लेना ही बड़ी बात है। कुलपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा राष्ट्र है जहां 65 प्रतिशत युवा आबादी है। देश का भविष्य युवा शक्ति है और इस प्रकार के आयोजनों से युवाओं की प्रतिभा का विकास होता है। कुलपति ने विजेताओं को शुभकामनाऐं देने के साथ सभी प्रतिभागियों का कुवि में पहुंचने व अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने पर आभार जताया। उनके बाद कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक एवं एआईयू के समन्वयक अनूप लाठर ने बताया कि यह आयोजन एशोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटिज का था, कुवि इसका एक सहायक भाग रहा। उन्होंने कुलपति का आभार जताया जिनके साकारात्मक सहयोग से इतना विशाल आयोजन सफल हो सका। इसके साथ ही लाठर ने प्रैस मीडिया का भी हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके साथ सदा से प्रैस का साकारात्मक सहयोग व साथ रहा है। लाठर ने टीम रत्नावली का इस आयोजन के सफलता पूर्वक संचालन के लिये भी आभार जताया व सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया। इसके साथ की एआईयू के आबजर्वर डा. अरूण पाटिल ने कुवि की व्यवस्था की सराहना करते हुए इस सफल आयोजन के लिये आभार जताया। समारोह के अंत में कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू ने मुख्यअतिथि को शाल व समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अंत में चुनिंदा विधाओं की प्रस्तुतियां मुख्यअतिथि के समक्ष की गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से कुवि कुलसचिव डा. केसी रल्हाण, डा. अनिल वशिष्ठ, डा. ब्रजेश साहनी, डा. महासिंह पूनिया, डा. सीआर ड्रोलिया, डा. विवेक चावला आदि सहित बाहर से आए टीम इंचार्ज व अनेकों शिक्षक तथा गैर शिक्षक कर्मचारी मौजूद थे। 

क्षेत्रीय नृत्य की विधाओं पर जमकर झूमें दर्शक

एमडीयू के छात्रों ने हरियाणी जन जीवन का दिखाया आईना

मनोज  कौशिक,
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह (सरस्वती महोत्सव) के अंतिम दिन सबसे रोचक प्रतियोगिता रही जनजातीय लोक नृत्य की रही। प्रतियोगिता में जब हरियाणवी संगीत के साथ महर्षि दयानंद विवि के छात्रों ने अपनी नृत्य विधा की प्रस्तुति दी तो दर्शकों से खचा खच भरा श्रीमद्भगवदगीता सदन तालियों की गडग़ड़ाहट से देर तक गूंजता रहा, मंच पर हरियाणवी कला-संस्कृति व मीठी बोली का अद्भुत संगम नजर आया। इस क्षेत्रीय नृत्य विधा में 5 जोन की कुल 10 टीमों ने भाग लिया। उतरी जोन का प्रतिनिधित्व कर रही महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक की टीम ने किसान समूह नृत्य की प्रस्तुति दी। जिसमें हरियाणा के आम जन-जीवन को दर्शाया गया। नृत्य के माध्यम से किसान भगवान से वर्षा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और जब वर्षा होती है तो सब कुछ खिल उठता है। हरियाली को देखकर किसान नृत्य से अपनी खुशी का इजहार करते हैं। इसी विधा में उतरी जोन से प्रस्तुति देते हुए गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर ने राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
 जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया। केंद्रीय जोन से गार्गीबाबा अमरावती विश्वविद्यालय महाराष्ट्र ने उड़ीसा, आसाम व पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय संथाली नृत्य को प्रस्तुत किया। इस नृत्य में कुल 10 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने स्थानीय वेशभूषा में मोरपंखों से सज्जित, बिल्कुल आदीवासी पहनावे में अपनी प्रस्तुति दी। इसी जोन में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश के प्रतिभागियों ने भोजली परम लोकनृत्य को प्रस्तुत किया। इस नृत्य को मध्यप्रदेश की गौड़ जनजाति द्वारा किया जाता है। नृत्य नवरात्र में मनाया जाता है। इसकी अन्य खास बात कि यह रातभर चलता है। पश्चिमी जोन से वनस्थली विश्वविद्यालय वनस्थली राजस्थान ने अपनी प्रस्तुति में पायलड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया। नृत्य का आगाज दर्शकों की तालियों से हुआ। इसमें प्रतिभागियों ने कलश में आग जलाकर उसे सर पर रख कर नृत्य किया। जिसका कारण यह है कि राजस्थान के जिन इलाकों में यह नृत्य किया जाता है, वहां बिजली न होने के आभाव में आग जलाकर यह नृत्य किया जाता है। नृत्य की जोरदार प्रस्तति से दर्शक छूमनें पर मजबूर हो गए। शिवाजी विश्वविद्यालय कोल्हापुर ने सुभराम लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। जिसमें प्रतिभागियों ने नृत्य के माध्यम से धनगर समाज को पेश किया। जोकि भेड़-बकरियां चराते हैं और अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए यह नृत्य करते हैं। पाली परीधान, सिर पर लाल पटका और कंथे पर काला पटका लपेटे सामूहिक लोक नृत्य को पेश किया गया है। पूर्वी जोन से प्रस्तुति देते हुए गोवाहटी यूनिवर्सिटी आसाम ने बिहु लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। पारंपरिक सुनहरे और लाल रंग की पोशाक पहने प्रतिभागियों ने ढ़ोल, पैपा और ताल पर नृत्य किया। इसी जोन में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार के प्रतिभागियों ने कर्मा लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। यह नृत्य बिहार व झारखंड़ में लोकप्रिय नृत्य है। दक्षिण जोन से महात्मा गांधी विश्वविद्यालय कोटायंम ने टिपणी नृत्य को प्रस्तुति किया। यह नृत्य अधिकतर खेतहरी मजदूरों द्वारा किया जाता है। इसी तरह भारती विश्वविद्यालय तमिलनाडू ने भी अपनी जोरदार प्रस्तुति दी। इन जनजातीय लोकनृत्यों की प्रस्तुतियों में दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई।   


कला एवं सांस्कृतिक सेवाओं के लिये अनूप लाठर को किया एआईयू ने सम्मानित


अनुराधा,
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर को उनकी सांस्कृतिक सेवाओं के लिये ऐशोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिर्वसिटिस (एआईयू) की ओर से विशेष रूप से सम्मानित किया गया। कुवि में आयोजित 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह के दौरान अनूप लाठर को मंच पर प्रशसति पत्र देकर सम्मानित करते हुए एआईयू के ज्वाईंट सैक्रेटरी सैम्पसन डैविड ने कहा कि कुवि के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेश एवं एआईयू के समन्वय अनूप लाठर की सांस्कृतिक सेवाऐं सराहनीय रही हैं। एआईयू उनको सम्मानित करते हुए गर्व महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि लाठर ने हरियाणावी के साथ साथ समस्त भारतीय संस्कृति के सम्र्वधन एवं संरक्षण में बहुत ही सराहनीय भूमिका निभाई है। कला, सांस्कृति व युवाओं गतिविधियों के लिये उनके सम्पर्ण व अथक प्रयत्नों को एआईयू द्वारा कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके साथ ही एसआरटी नागपुर विश्वविद्यालय के युवा कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक एवं एआईयू के पूर्व समन्वय डा. अरूण पाटिल को भी कला एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में उनकी सराहनीय सेवाओं के लिये एआईयू की ओर से सैम्पसन डैविड ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि उपरोक्त दोनों अधिकरियों की सेवाओं को एआईयू कभी भुला नहीं सकता।

बिखर गए संस्कृतियों को ध्वजवाहक
शनिवार को 5 दिन से कुवि में चल रहा राष्ट्रीय सांस्कृतिक महाकुम्भ सरस्वती महोत्सव सम्पन्न हो गया। इसके साथ ही विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों के ध्वजवाहक भी अपनी कला पताकाऐं फहराते हुए अपने घरों के लिये लौटने लगे। 5 दिन तक कुरुक्षेत्र को लघु भारत बनाने वाले देश के कोने कोने से आए सांस्कृतिक ध्वज वाहक बिखर तो गए लेकिन बहुत से संदेश लेकर और यहां की फिजां में अपनी संस्कृति के बीज धर्मनगरी में भी फैला गए। इसके साथ ही बन गया हजारों युवाओं का लम्बा चौड़ा नैटवर्क जो देश को ऐकता के सूत्र में बांधने के लिये साकारात्मक भूमिका भी निभाऐगा।

टीम रत्नावली ने बखूबी संभाला आयोजन
सम्पूर्ण 5 दिवसीय सरस्वती महोत्सव की कमान अनूप लाठर की टीम रत्नावली के हाथों में रही और स्वंय सेवकों ने बखूबी आयोजन का सम्पन्न करवाया। उनकी लिटरेरी वर्कशाप से उभर कर आए व रत्नावली मंच से उपजी प्रतिभाओं गगन दीप चौहान, प्रवीन शर्मा, डा. प्रवीन कादियान, हरविंद्र राणा, पवन सौन्टी व महिमा सिंह आदि के नेतृत्व में 90 स्वंयसेवकों की टीम ने समूचे आयोजन को संभाले रखा। उधर सुरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में पहली बार इस प्रकार के महा आयोजन पर लगातार सरस्वती टाईमस के नाम से न्यूज लैटर प्रकाशित किया गया जिसमें दर्जनों स्वंयसेवकों की टीम उनके साथ रही व डा. सीडीएस कौशल के नेतृत्व में एनएसएस की टीम ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।

5 दिन तक चली प्रतियोगिताओं के परिणाम

 आवाज  टीम/ टीम रत्नावली रिपोर्टर्स ( अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 22 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 18 फरवरी से चल रहे 5 दिवसीय 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का शनिवार को विधिवत्त समापन हो गया। इस दौरान आयोजित विभिन्न विधाओं में विजेताओं की घोषण कर दी गई। संगीत विधाओं में क्लासिकल वोकल सोलो (हिंदूस्तानी एवं कर्नाटकी) में उत्तरी क्षेत्र से गुरुनानक देव विवि अमृतसर व पश्चिमी क्षेत्र से भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिर्वसिटी प्रथम रहे। दूसरे स्थान पर उत्तर क्षेत्र से पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला व पूर्वी क्षेत्र से बनारस हिंदू विवि वाराणसी व तीसरे स्थान पर मैसूर विवि मैसूर, मुम्बई विवि मुम्बई तथा राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विवि ग्वालियर संयुक्त रूप से रहे। क्लासिकल इंस्ट्रुमैंटल सोलो (प्रक्शन) में पहले स्थान पर भारती विद्यापीठ डीम्ड विवि पुने, महात्मा गांधी विवि कोट्टायम, लवली प्रोफैशनल युनिर्वसिटी फगवाड़ा और पंजाब तकनीकि विवि जालंधर रहे। दूसरे स्थान पर इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़, बनारस हिंदू विवि वाराणसी, सैंट्रल एग्रीक्लचर विवि ईम्फाल व स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ रहे। इसी प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती व रानी छनम्मा विवि दक्षिण जोन से रहे। उधर क्लासिकल इंस्ट्रुमैंटल सोलो (नोन प्रक्शन) में पहले स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली, इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़, यूनिर्वसिटी आफ केरला, तिरुअनंतपुरम व गुरु नानक देव विवि अमृतसर रहे। दूसरे स्थान पर संयुक्त रूप से रविंद्र भारती विवि कोलकत्ता, मुम्बई विवि मुम्बई व कोचीन विवि कोचीन रहे। तीसरे स्थान पर संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती, बनारस हिंदू विवि वाराणसी व पंजाबी विवि पटियाला रहे। लाईट वोकल इंडियन में गुरुनानक देव विवि अमृतसर व कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र पहले स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ व कालीकट विवि कालीकट तथा तीसरे स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर व राबिंद्र भारती विवि कोलकत्ता रहे। वैस्ट्रन वोकल सोलो में महात्मा गांधी विवि कोटायम व गुजरात विवि नवरंगपुर अहमदाबाद पहले स्थान पर रहे। बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली व कोचीन यूनिर्वसिटी आफ सांईस एंड टैक्रोलोजी केरला दूसरे स्थान पर रहे। मनीपुर विवि इम्फाल और कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र तीसरे तथा राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर महाराष्ट्र और पंजाबी विवि पटियाला संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहे। भारतीय समूह गान में मुम्बई विवि मुम्बई, बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राजस्थान व कालीकट विवि कालीकट प्रथम स्थान पर रहे। संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमारवती, विनोबा भावे विवि हजारीबाग व महात्मा गांधी विवि कोट्टायम दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर गुरुनानक देव विवि अमृत्सर तथा चौथे स्थान पर माखन लाल चतुर्वेदी विवि भोपाल, रबींद्र भारती विवि कोलकत्ता और डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा रहे। वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा व गुजरात विवि नवरंगपुर अहमदाबाद पहले स्थान पर रहे। बंगलौर विवि बैंगलोर व बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर मनीपुर विवि इम्फाल व केरला विवि तिरुवनंतपुरम और चौथे स्थान पर पंजाबी विवि पटियाला तथा राजा मानसिंह तोमर विवि ग्वालियर रहे। फोक आरकैस्ट्रा में पंजाबी विवि पटियाला, भारती विद्यापीठ डीम्ड विवि पुने व गुरुनानक देव विवि अमृतसर पहले स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर तेजपुर विवि तेजपुर असम, गुहाटी विवि गुहाटी व कृष्णा विवि कृष्णा आंध्रप्रदेश रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से राष्ट्र संत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर, संत गाडगी बाबा अमरावती विवि अमरावती महाराष्ट्र्र, शिवाजी विवि कोल्हापुर व यूनिर्वसिटी आफ केरला रहे।
    नृत्य विधाओं में भारतीय क्लासिकल सोलो डांस प्रतियोगिता में कन्नूर विवि कन्नूर प्रथम, मुम्बई विवि मुम्बई व मनीपुर विवि इम्फाल दूसरे तथा बनारस हिंदू विवि वाराणसी व गुजरात टैक्रीकल विवि तीसरे स्थान पर रहे। चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा, देवी अहिल्या विवि इंदौर तथा कुवि कुरुक्षेत्र रहे। जनजातीय लोक नृत्य में  बनस्थली विवि बनस्थली राज. व एमडीयू रोहतक प्रथम, गुरुनानक देव विवि अमृतसर व संत गाडगी बाबा विवि अमरावती दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर गुहाटी विवि गुहाटी व भारती दर्शन विवि तिरुपल्ली रहे तथा चौथे स्थान पर शिवाजी विवि कोल्हापुर तथा रानी दुर्गावती विवि जबलपुर रहे।
    लिटरेरी विधाओं के अंतरगत क्विज में कालीकट विश्वविद्यालय कालीकट प्रथम तथा यूनिर्वसिटी आफ केरला व पुने विवि पुने दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर तेजपुर विवि असम, चौथे स्थान पर पंजाब विवि चंडीगढ़ तथा पांचवें स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा रहे। एलोक्यूशन में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा प्रथम, पंजाब विवि चंडीगढ़ दूसरे, महात्मा गांधी विवि कोट्टायम केरल तीसरे तथा बनस्थली विद्यापीठ बनस्थली व कोचीन विवि कोचीन संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहे। डिबेट में पंजाब विवि चंडीगढ़ प्रथम व लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा द्वीतिय स्थानों पर रहे। देवी अहिल्या विवि इंदौर व महात्मा गांधी विवि कोट्टायम त्रितीय स्थानों पर रहे। चौथे स्थान पर गुजरात तकनीकि विवि अहमदाबार रहे।
    रंगमंचीय विधाओं की कड़ी में वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता में पंजाब विवि चंडीगढ़ प्रथम व राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज विवि नागपुर दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से एसएनडीटी वूमैनस विवि मुम्बई तथा रानी दुर्गावती विवि जबलपुर मध्यप्रदेश रहे। चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से डा. बाबा साहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद तथा कर्नाटक विवि धरवाड़ रहे। स्किट में प्रथम स्थान पर मंगलौर विवि मंगलौर, तथा दूसरे स्थान पर मुम्बई विवि मुम्बई रहे। तीसरे स्थान पर मनीपुर विवि इम्फाल, यूनिर्वसिटी आफ केरला तिरुअनंतपुरम व बनस्थली विद्यापीठ बनस्थली रहे। चौथे स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा तथा जिवाजी विवि ग्वालियर रहे। माईम में मुम्बई विवि मुम्बई प्रथम, जिवाजी विवि ग्वालियर दूसरे, महऋषि दयानंद विवि रोहतक तीसरे व देवी अहिल्या विवि इंदौर तथा महाराजा कृष्ण कुमार सिंह जी भावनगर विवि भावनगर चौथे स्थान पर रहे। मिमिकरी में प्रथम स्थान पर कोचीन यूनिर्वसिटी आफ सांईस एंड टैक्रोलोजी कोचीन, दूसरे स्थान पर डा. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद, तीसरे स्थान पर कुरुक्षेत्र विवि कुरुक्षेत्र व चौथे स्थान पर स्वामी रामनंद तीर्थ मराठवाड़ा विवि नांदेड़ रहे।
    ललित कला विधाओं की कड़ी में पोस्टर मेकिंग में डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा प्रथम, गुरुनानक देव विवि अमृतसर द्वितीय, गुलबर्ग विवि गुलबर्ग कर्नाटक त्रितीय तथा मनीपुर विवि इम्फाल चतुर्थ स्थान पर रहे। स्पॉट फोटो ग्राफी में कोचीन विवि कोचीन पहले, मुम्बई विवि मुम्बई दूसरे, गुरुनानक देव विवि अमृतसर तीसरे व इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर रहे। कार्टून मेंकिंग में श्री वेंकटेश्वर विवि तिरूपती प्रथम स्थान पर रहे। मनिपुर विवि मनिपुर व गुरुनानक देव विवि अमृतसर तथा बनारस हिंदु विवि वाराणसी दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा तथा कालीकट विवि कालीकट और चौथे स्थान पर मुम्बई विवि मुम्बई रहे। ऑन दॉ स्पॉट पेंटिंग में प्रथम स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर व द्वितीय स्थान पर बनारस हिंदू विवि वाराणसी रहे। तीसरे स्थान पर इंदिरा कला संगीत विवि खैरागाढ़ तथा चौथे स्थान पर डा. बाबा साहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विवि औरंगाबाद रहे। कोलाज में देवी अहिल्या विवि इंदौर मध्यप्रदेश प्रथम व यूनिर्वसिटी आफ केरला तथा डा. बीआर अम्बेडकर विवि आगरा दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राजस्थान तथा कोचीन विवि कोचीन और चौथे स्थान पर यूनिर्वसिटी आफ कश्मीर रहे। क्ले मॉडलिंग में मुम्बई विवि मुम्बई पहले व इंदिरा कला संगीत विवि दूसरे स्थानों पर रहे तथा तीसरे व चौथे स्थानों पर क्रमश: एलएन मिथिला विवि दरभंगा बिहार और विनोबा भावे विवि हजारी बाग रहे। रंगोली में पहले स्थान पर राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विवि नागपुर, दूसरे स्थान पर विनोबा भावे विवि हजारीबाग, तीसरे स्थान पर बनस्थली विद्यापीठ विवि बनस्थली राज. व चौथे स्थान पर बनारस हिंदू विवि वाराणसी रहे। इंस्टालेशन में लवली प्रोफैशनल विवि फगवाड़ा प्रथम स्थान पर रहा। दूसरे स्थान पर यूनिर्वसिटी आफ कल्याणी व गुलबर्ग विवि गुलबर्ग कर्नाटक रहे। तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से विद्यासागर विवि मिदनापुर प. बंगाल व पंजाब कृषि विवि लुधियाना रहे। चौथे स्थान पर पीएस तेलगु विवि हैदराबाद आंध्र प्रदेश रहे।



......शराब के बाद नजर जिश्म पर और नजराना चमड़ी पर.....


महिला उत्पीडऩ व कन्या भ्रुण हत्या रहा केंद्र बिंदु

सरस्वती महोत्सव के चौथे दिन एकांकी नाटकों में दर्शाई मानवीय भावनाऐं

आवाज समाचार टीम (अनुराधा/ अदिति/पल्लवी/पूजा)
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
......पुलिस वालों के लिये तनख्वाह तो बस नाम है......शराब के बाद नजर जिश्म पर और नजराना चमड़ी पर..,,,,। जी हां, कुछ इसी प्रकार के कटाक्ष भरे संवादों के माध्य से नाटकों ने युवा मनों को भी झकझोरने का काम किया। मौका था कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का। समारोह के चौथे दिन कुवि आडिटोरिय में आयोजित वन एक्ट प्ले प्रतियोगिता में एक से एक मंजे हुए युवा कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कि या। 
उपरोक्त पंक्तियों के साथ सामाजिक कुरीतियों व महिला उत्पीडऩ के विभिन्न पहलुओं पर महऋषि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरी। नाटक में कश्मीर समस्या के दौरान महिलाओं द्वारा झेली गई यातनाओं को भी जिवंत करने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर परिवारिक यौन उत्पीडऩ को कुछ यूं दर्शाने का प्रयास किया....जब रिश्तेदार हमारे साथ छेड़-छाड़ कर जाते हैं और घर वाले उसे छुपा लेते हैं, क्या वो बलातकार नहीं?.... यही नहीं बाबा वाद पर भी खुल कर कटाक्ष किये गए। इनसे पूर्व पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ की टीम ने देश भक्ति पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके अतिरिक्त अन्य विश्वविद्यालयों की प्रस्तुतियों में भी कहीं न कहीं महिला उत्पीडऩ व कन्या भ्रुण हत्या रहा केंद्र बिंदू नजर आया। एलएन मिथला विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार की प्रस्तुति में निर्भया कांड पर फोकस करते हुए अपनी प्रस्तुति दी। संवाद देखिये...चांडाल का जन्म तो दे दिया चांडाल सा हृद्य भी देता....।  कुछ इसीं प्रकार के संवेदनाओं को झंझोरते व मानवीय भावनाओं को दर्शाते संवादों ने दर्शकों को पूरी प्रतियोगिता के दौरान बांधे रखा। मुम्बई सेे आई टीम ने सबके विपरीत महिलाओं के खिलाफ भी दिखाने का प्रयास किया। कथा वस्तु के अनुसार पैसे के लालच में कई बार महिलाऐं फर्जी तलाक व उत्पीडऩ के मामलों को दिखाने का प्रयास किया गया। जिसमें ये दिखाया गया कि न केवल महिलाओं के साथ बल्कि पुरुषों के साथ भी अन्याय होता है। मंचन के दौरान एक महिला जज पात्र ने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक तलाक के मामलों में दर्ज करवाने वाली महिलाऐं ही दोषी पाई जाती हैं। सभी प्रस्तुतियों के दौरान मंच सज्जा पर विशेष ध्यान नजर आया। कथा वस्तु व देश काल के अनुसार मंच को सजाना जितना कठिन काम था उसे युवाओं के जनून ने इतना आसान बनाए रखा कि मंच खाली होते ही अपने साजो सामान के साथ मंच पर कहीं लघु मंच, कहीं वृक्षों का दृश्य और कहीं फांसी के फंदे और झूले तक झूलने लगते। एकांकी विधा की रोचकता इतनी रही कि आडिटोरियम हाल खचाखच भरा रहा। देर सांय तक प्रतियोगिताऐं चलती रही।

आर के सदन में इंडियन ग्रुप सोंग की रही धूम
आरके सदन में आयोजित इंडियन ग्रुप सोंग प्रतियोगिता में देश के कोने कोने से आई 10 टीमों ने देश भक्ति के गीत पेश किये। कोलकत्ता के रविंद्र भारती विश्वविद्यालय से आई टीम ने ए देश ए देश...अमार ऐ देश...गीत प्रस्तुत किया। बनस्थली विद्यापीठ राजस्थान की टीम ने ये मेरा वतन ये मेरा वतन ये मेरा चमन...गीत की प्रस्तुति दी। मुम्बई विश्वविद्यालय की टीम ने ए भारत तुझे इक सलाम...गीत गाया। एम जी विश्वविद्यालय केरल की टीम ने अपनी लोक भाषा में मोहक प्रस्तुति दी। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर की टीम ने दिल है वतन हमारा आबाद पासबां सुख के सुमन खिलाऐ....गीत से तालियां बटोरी। इस दौरान पूरा हाल श्रोताओं से खचा खच भरा रहा।

ललित कला विभाग में विरासत पर बनाए कोलाजॅ
ललित कला विभाग में आयोजित कोलाज प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने विरासत पर अपनी भावनाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय नांदेड़ की टीम ने पुरातन चीजों को याद दिलाने का प्रयास किया व उन चीजों को भूल कर आज कल के दौर में आधुनिक वस्तुओं के प्रचलन की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया। तेलगू विश्वविद्यालय हैदराबाद की टीम ने ग्राम देवता की पूजा अनाज से होने व लोक प्रचलित धारणाओं को कोलाज के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया। कल्याणी विश्वविद्यालय ने अशोक सतम्भ को दिखाया। रोचक बात यह रही कि उन्होंने कुरुक्षेत्र में देखी गई भीष्म पितामह की कीलों की मूर्ति को भी अपने कोलाज में दिखाया। 

युवा महोत्सव पर ही उबली युवाओं की भावनाऐं

1985 से निरंतर चले आ रहे एआईयू के अखिल भारतीय युवा महोत्सव पर युवाओं ने दिये विचार

मनोज  कौशिक|
21 फरवरी, कुरुक्षेत्र
....भारत की तस्वीर में रंग तुम्हे भरना होगा, इस गुलशन के हर.......। इन पंक्तियों से शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव (सरस्वती महोत्सव) के दौरान सीनेट हाल में ऐलोकूशन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता का मुख्य विषय युवा महोत्सव रखा गया था। जिसमें देशभर के पांच जोन से आए 8 विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी। उतरी जोन से लवली प्रौफेशनल यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रस्तुति देते हुए एक प्रतिभागी ने इन युवा महोत्सव को उस कुंभ मेले की तरह बताया जो 12 साल में एक बार आता है और इसलिए हर विश्वविद्यालय से लेकर हर एक युवा इसका बड़ी बेसबरी से इंतजार करता है। इस युवा उत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस उत्सव का आयोजन मुख्यत: राष्ट्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिए किया जाता है ताकि वे अपने प्रेम, उत्साह और राष्ट्रीय एकता को बढ़ा सकें। उतरी जोन से ही इस प्रतियोगिता में अपनी प्रस्तुति देने आई पंजाब विश्वविद्यालय की प्रतिभागी छात्रा ने कहा कि युवा महोत्सव युवाओं के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय एकता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। युवा महोत्सव के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए छात्रा ने कहा कि सबसे पहले 1947 में युवा महोत्सव की शरूआत चेकोस्वाकिया से हुई थी। जिसके बाद 1985 में सबसे पहले भारत में भी युवा महोत्सव को मानाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि युवा महोत्सव एक नई पीढ़ी के लिए आगे बढऩे का सुनहरा मौका है। हमारे देश में हजारों ऐसे उदाहरण है जो इन युवा महोत्सवों व विश्वविद्यालयों में अपनी प्रतिभा दिखाकर आगे आए हैं। छात्रा ने विश्वप्रसिद्ध फिल्मी अभिनेता अनुपम खेर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करके वहीं से थिएटर की कला सीखकर आगे आए हैं । इसी तरह से किरण बेदी और फिल्मी अभिनेता अयुषमान खुराना चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा ग्रहण करके इतने बड़े स्तर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में युवा छात्रों के लिए युवा महोत्सव की प्रासंगिता बढ़ जाती है। इसी तरह दक्षिण जोन के कोच्ची विश्वविद्यालय, कोच्ची के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को देश की संस्कृति का प्रतीक बताया और कहा कि इन महोत्सवों की वजह से ही भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के लोग एकजुट होकर एक मंच पर इक्टठा होते हैं जो हमारी विविधता में एकता के सूत्र को मुखर करती है। महात्मां गांधी विश्वविद्यालय, केरल के प्रतिभागी ने इस युवा महोत्सव को हमारे गणतंत्र दिवस की परेड से जोड़ते हुए बताया कि राजपथ पर आयोजित की जाने वाली इस भव्य परेड में देशभर से आए युवा व प्रतिभाशाली कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं, जिनकी नींव इसी तरह के युवा महोत्सव से पड़ती है। उन्होंने 1990 का एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक दफा एक युवा महोत्सव में मोंटेक सिंह अहलुवालिया जज बने वहां छात्रों  ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े बहुत अच्छे सुझाव दिए। जो उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को बताए। मनमोहन सिंह को वो सुझाव बहुत पसंद आए और उन्हेें अपनाया भी गया। मध्य जोन से पंडि़त रवि शंकर विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी ने भी युवा महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश व्यक्तियों से नहीं, विचारों से बनता है और युवा महोत्सव में विचारों का सृजन होता है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से ही हम जातियों, धर्मो व राज्यों का भेद भुलाकर एक सूत्र में बंधने की कोशिश करते हैं। इसी तर्ज पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ,जबलपुर ने युवा महोत्सव को युवाओं के विचारों, प्रतिभाओं व कलाओं का सृजनात्मक रुप बताया। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी इस देश की आवश्यकता और मजबूती है। क्योंकि उनके पास नए विचार है और नई उर्जा है । ये युवा महोत्सव हमें नए कलाकार, संगीतकार, नृत्यकार देते हैं। ये महोत्सव हमें मनोरंजन, प्रतिभा के साथ-साथ रोजगार भी उपलब्ध कराता है। पश्चिमी जोन से हेमचंद आचार्य उतरी गुजरात विश्वविद्यालय पटना के प्रतिभागी ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि युवा महोत्सव संपूर्ण रुप से युवा को समर्पित है। इनमें युवाओं की शक्तियों को इस कदर ढाला जाता है कि युवा सशक्तिकरण हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा और मूल्यों को बचाकर रखना है तो हमें इन युवा महोत्सव का आयोजन करना पड़ेगा। इनके माध्यम से हम विविध संस्कृतियों को इक्टठा कर इनका सम्मान कर भविष्य के लिए संजों कर रख सकते हैं। इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी।

तीन दिन से रंग जमा रहा है खुला मंच

अनुराधा  तुरण,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे सरस्वती महोत्सव में इस बार युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर द्वारा किया गया नया प्रयोग यानि खुला मंच छुपी प्रतिभाओं को मौका देने का अच्छा माध्यम साबित हो रहा है। पिछले 3 दिन से कुवि व अन्य विश्वविद्यालयों के युवा कलाकार व शिक्षक तथा गैर शिक्षक तक इस मंच पर एच्छिक रूप से अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। काचे कटा द्यंगा.....पहली पहली बार...आदि गीतों पर मंच पर धूम तो नीचे चारों और खुले मैदान में कुर्सियों पर दर्शक व उनसे बाहर खड़े युवा दर्शक खूब लुत्फ उठाते हुए नाच रहे हैं। खुला मंच एक ऐसा मंच है जिस पर कोई भी व्यक्ति अपनी प्रतिभा दिखा सकता है। पहले भी कई बार खुले मंच का आयोजन हो चुका है लेकिन  पहले मंच पर पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार ही सांग, सपेरा पार्टी व बनचारी पार्टी की ही प्रस्तुतियां दी जाती थी। इस बार खुले मंच पर सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। खुले मंच पर हर प्रकार की प्रतिभा देखने को मिल रही है। दर्शकों की तालियां इस बात का पुष्टि कर रही हैं कि खुले मंच के कलाकार भी उत्तम श्रेणी के हैं।

समाज के विभिन्न पक्षों को उभारती रही लघु नाटिकाऐं

अदिति,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
कुवि में चल रहे सस्वती महोत्सव में गत दिवस तीसरे दिन देर सांय तक ओडिटोरियम हाल में स्किट प्रतियोगिता चलती रही। इस प्रतियोगिता में प्रस्तुतियों की रोचकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर दर्शक लोट-पोट हो रहे थे वहीं दूसरी ओर कुछ दर्शक स्किट के भावों के गहन मंथन में लगे थे।नार्थ जोन की ओर से एल पी यू विश्वविद्यालय पंजाब ने स्किट अपनी प्रस्तूति में कुत्तों को माध्यम बनाया व इंसान और कुत्तों में भी अतंर को व्यंग्य के साथ दिखाया। 
समाज में किस तरह से आवारा कुतों पर तो जुल्म उठाए जाते हैं लेकिन पालतू कुतों को घर में बड़ी शान रखा जाता है। जो नेता लोग हैं वो भी वोट के लिए कुत्तों की तरह मुंह मारते हैं। इसमें कुत्तों की एकता भी भरपूर दिखाई गई। इसी जोन की ओर पी टी यू जालंधर ने वर्तमान समय में तिडक़ रहे रिश्तों पर गहरा व्यंग्य किया। ईस्ट जोन की मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफ ाल ने बेरोजगारी व आम जनता की समस्याओं पर अपनी स्किट के माध्यम से कटाक्ष किए। इसी जोन की वेस्ट बंगाल से आई विधा सागर विश्वविद्यालय द्वारा दिखाया गया कि अगर इंसान अच्छा काम करें तो उसे स्वर्ग में जगह अवश्य मिलती है अन्यथा नर्क में भी उसे बहुत सारी समस्याओं से गुजरने के बाद ही मनुष्य योनी दुबारा मिलती है। एल एन आई विश्वविद्यालय ग्वालियर द्वारा दिखाई गई स्किट में कठपुतलियों को माध्यम बनाकर बताया कि एक अपंग लडक़ी के बारे में बताया गया कि किस तरह से सभ्रंत कहे जाने वाले लोग पहले तो अपनी संतानों को बाहर फेंक देते हैं और फिर किसी गरीब द्वारा पालने के बावजूद बुरे वक्त में भी उसे अपनाने से मना कर देता है। साउथ जोन की मैंगलौर विश्वविद्यालय, मैंगलौर ने पानी के संरक्षण को लेकर स्किट प्रस्तुत की। जिन्होंने यह शिक्षा दी कि पानी की आवश्यकता हमें हमेशा पड़ती है। इसे हमें बचाकर रखना चाहिए। इसी जोन की त्रिवेंद्रम से आई विश्वविद्यालय ऑफ केरला द्वारा दिखाई स्किट जो थी वह क्यू पर आधारित थी। जिसमें दिखाया गया कि किस तरह से एक महिला लडक़ी को जन्म देने के बाद उचित उपचार के अभाव में मर जाती है। जिसके बाद उस लडक़ी को शिक्षा से लेकर बड़े होने तक बहुत सारी मुसीबतों से गुजरना पड़ता है। वेस्ट जोन से  राजस्थान वनस्थली विद्यापीठ विष्वविद्यालय द्वारा चुनाव ‘एक मुर्गा बीती’ स्किट दिखाई गई। जिसमें राजनीतिक व्यवस्था को दिखाया गया। जिसमें बताया गया कि राजनेता किस तरह से मुर्गा के चुनाव निशान का प्रयोग करते हैं। अंत में इसी जोन की मुम्बई विश्वविद्यालय द्वारा जो स्किट प्रस्तुत की गई वह नाम को लेकर थी कि हमारा सब का अलग-अलग नाम है। आज से हम सब का नाम होगा ‘हूं’। इन कलाकारें ने सभी दर्शकों से मुंह से  ‘हूं’ निकलवाया।

उनकी नजर में सरस्वती महोत्सव


अनुराधा/पल्लवी,
कुरुक्षेत्र/ 21 फरवरी।
सरस्वती महोत्सव को लेकर बाहर से आए कलाकार मेहमानों व टीम मैनेजरों में बहुत ही रोचक अनुभव सुनने को मिल रहे हैं। गुजरात विश्वविद्यालय की डॉ. रेखा मुुखर्जी का कहना है कि कुवि सभागार में जिस प्रकार का प्रबंध है वह बहुत ही उमदा है। उनके अनुसार वह आज तक आठ युवा महोत्सवों में गई हैं लेकिन कुवि का सरस्वती महोत्सव इनमें सबसे अच्छा महोत्सव रहा। कुवि की संगीत व्यवस्था उनके मन को भा गई है। डॉ. रेखा मुखर्जी की अगुवाई में तीन टीमें आई हैं। उनके अनुसार गुजरात विश्वविद्यालय की टीमें वेस्ट जॉन में दो बार प्रथम आई हैं। वनस्थली विश्वविद्यालयों में आठ साल से पढ़ रही मनु सिंह बताती है कि वह समाज सेवा से जुड़े सभी कार्य में रुचि रखती हैं उन्हें नहीं पता था कि कुरुक्षेत्र इतना सुंदर है। बैंगलोर विष्वविद्यालय, बैंगलोर से अपनी टीम के साथ आई थियेटर विभाग की डा. पवित्रा ने सरस्वती महोत्सव में वालेंटीयरों पर फ ोकस करते हुए कहा कि  यहां के जो वालेंटीयर हैं वो विद्यार्थी ही है यह बात उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्होंने बताया किजब उनका कार्यक्रम नहीं होगा तो वे सब कुरूक्षेत्र में भ्रमण के लिए जाएंगें। मणिपुर विश्वविद्यालय मणिपुर से आए डा. तिनोबा सिंह का कहना है कि उन्होंने यहां जैसी मेनैजिंग व्यवस्था कहीं नही देखी। उन्होंने महोत्सव के नाम पर कहा कि सरस्वती महोत्सव का नाम अति उत्तम है। सरस्वती मानो कि कंठ में सरस्वती विराजमन है। उनका कहना है कि यहां पर सरस्वती महोत्सव के साथ-साथ यहां के वातावरण व यहां की खूबियों के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। मेघा अत्री पुरोहित जो कि वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान से आएं हैं, उनका कहना था कि यहां के लोग बहुत अच्छे है। उन्होंने खाने-पीने व रहने पर कहा कि जिस तरह की व्यवस्था यहां देखी कही भी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि अगर किसी से कोई बात पूछनी पड़ जाती है तो उसका उत्तर यहां तुरंत मिल जाता है। हरियाणा राज्य सर्वश्रेष्ठ युवा अवार्ड विजेता एवं पांच बार राष्ट्रीय युवा उत्सव में प्रतिभागिता कर चुके कुवि के युवा कलाकार हरिकेश पपोसा ने राष्ट्रीय युवा महोत्सव के महत्व को बताते हुए कहा कि ऐसे त्यौहार युवा कलाकारों में उर्जा का संचार करते है जिसे देश को प्रभुसत्ता व अखंडता को बढ़ावा मिलता है जिसे देश प्रेम की भावना पैदा होती है और देश के हर कोने की संस्कृृति का आदान-प्रदान करने का मौका मिलता है। इससे भाईचारा, प्यार, प्रेम ज्यादा विकसित होता है। सभी धर्म व सम्प्रदाय के युवा इन युवा महोत्सव के माध्यम से परिवार की भांति जुड़े रहते हैं और स्वच्छ राष्ट्रऊ नव-निर्माण में अपना योगदान देेते हैं।



समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो........



एक परिसर में सिमटा नजर आया समूचा भारत

वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में थिरके मंच पर पांव, खुले मंच पर भी खूब जुटे दर्शक

अनुराधा/अदिति/पल्लवी/पूजा|
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
......समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो....... जी हां, अंग्रजी गीत के कुछ इसी प्रकार के बोलों से गुंजायमान रहा कुवि का आडिटोरियम। मौका था 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव के दौरान आयोजित वैस्ट्रन ग्रुप सोंग प्रतियोगिता का। इस दौरान जहां प्रतियोगियों के पांव जम कर थिरके तो दर्शकों ने भी जम कर लुत्फ उठाया। इसके साथ ही आडिटोरियम हाल के बाहर खुले मंच पर एच्छिक प्रस्तुतियों के दौरान दर्शकों का हजूम ऐसा अहसास करवा रहा था मानों कुवि में लघु भारत सिमट आया हो। 
इस मंच पर विभिन्न स्थानों से आए कलाकारों ने प्रतियोगिताओं से हट कर अपनी प्रस्तुतियां दी। आडिटोरियम में आयोजित वैस्ट्रन ग्रुप सोंग में सबसे पहले मंच पर आऐ वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान की प्रस्तुति ...समबोडी दैट आई यूज्ड टू नो.....के अलावा माखन लाल जनसंचार एवं पत्रकारिता विश्वविद्याल भोपाल का गीत था ....समथिंग इज मिशिंग इन माई हार्ट...., मणीपुर विश्वविद्यालय मणिपुर की प्रस्तुति उनके गीत ...आई वुल्ड नोट गिव अप....पर रही। प्रतियोगिता में देश के कोने कोने से आए विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसके बाद वैस्ट्रन वोकल सोलो प्रतियोगिता का आयोजन भी इसी मंच से हुआ।
    उधर आरके सदन में आयोजित क्लासिकल इंस्ट्रुमैंट सोलो (नोन पी) प्रतियोंगिता में कुल 10 विश्वविद्यालयों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। इसी मंच से दोपहर बाद क्लासिकल इंस्ट्रुमैंट सोलो (पी) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। बनारस विश्वविद्यालय की टीम ने सितार और तबला पर राग गुजरी, तोड़ी, अलाप जोड़ालाप, नोमात्रे, बंदिश, तीनलाप और झाला पेश किया। अमरावती महाराष्ट्र से आई टीम ने हारमोनियम, तानपुरा और तबला पर राग किरवानी, बड़ा ख्याल और छोटा ख्याल पेश किया। मुम्बई विश्वविद्यालय की टीम ने सरोद पर यमन राग पेश किया। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय ने तबला व सारंगी पर राग चारूकेशी पेश किया। वनस्थली विश्वविद्यालय राजस्थान ने तबला और वयलिन पर राग बागेश्री पेश किया।

रंगोली में दिखाया हुनर
ललित कला विभाग में रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 10 टीमों ने भाग लिया। रंगोली में अपने अपने क्षेत्र की परम्परागत रंगोली रची गई। इसके साथ ही रंगोली के माध्यम से सुंदर चित्रकारी भी की गई जो काफी मनोहरी नजर आई। बनारस विश्वविद्यालय की टीम ने अबीर व सुजी से गणपति का प्रतिकात्मक रूप उकेरा।
 यह उस क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर रची जाने वाली मुख्य रंगोली है। इसके साथ ही गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृसर ने बुरादे के साथ बसंत पंचमी पर रंगोली बनाई। नागपुर विश्वविद्यालय की ओर से बत्तख और कमल के फूल की पारम्परिक रंगोली बनाई। जम्मू विश्वविद्यालय ने रंगीन चावलों से कलश और गणेश जी की रंगोली रची। आचार्य नागार्जुन आंध्रप्रदेश की टीम ने पोंगल पर बनाई जाने वाली रंगोली गुलाल से रची।

आज होने वाले कार्यक्रम
29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव के चौथे दिन 21 फरवरी को सुबह 9 बजे आडिटोरियम हाल में वन एक्ट प्ले, इसी समय राधा कृष्ण सदन में ग्रुप सोंग इंडियन व सीनेट हाल में ऐलोक्यूशन प्रतियोगिताऐं होंगी। इसी समय ललित कला विभाग में कोलाज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। दोपहर बाद राधा कृष्ण सदन में क्लासिकल डांस इंडियन सोलो प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। उधर  ललित कला विभाग में इंस्टालेशन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

शिक्षा की खामियों पर जम कर हुए व्यंग्य

गरीबों के लिए रोगतंत्र और निजी संस्थानों के लिए नोटतंत्र बनी उच्च शिक्षा...

वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने उच्च शिक्षा में बढ़ते निजीकरण पर किया कटाक्ष 


मनोज कौशिक,
20 फरवरी, कुरुक्षेत्र।
.....रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा, शिष्य शिक्षा पाने के लिए आश्रमों में फैसिलिटी ढूंढता नजर आएगा। उच्च शिक्षा में निजीकरण बच्चों के लिए लोकतंत्र, गरीबों के लिए रोगतंत्र और निजी संस्थानों के लिए नोटतंत्र नजर आएगा। इन पंक्तियों से गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव (सरस्वती महोत्सव) की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आगाज हुआ। प्रतियोगिता का विषय भारत में उच्च शिक्षा में निजीकरण एक वरदान रखा गया था। देशभर के पांच जोन से आए अलग-अलग विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। कुछ ने इसके पक्ष में तर्क रखे तो कुछ प्रतिभागियों ने इसके विपक्ष में तर्क रखे। केंद्रीय जोन से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के प्रतिभागी ने निजीकरण के पक्ष में तर्क रखते हुए दोहे से शुभारंभ किया और कहा कि आज हमें उच्च शिक्षा में निजीकरण के महत्व को पहचानना चाहिए। इसके माध्यम से हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उच्च शिक्षा का फायदा पहुंचा सकते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इंटरनेशनल ट्रांइपेरंसी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2002 में 50 हजार युवा उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे जबकि वर्ष 2013 में यह संख्या 5 लाख पर पहुंच गई है, जिससे हमारे देश को 7 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि हम उच्च शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देते हैं तो हमारे देश व उच्च शिक्षा के इच्छुक छात्रों के लिए फायदे मंद होगा। इसी के पक्ष में तर्क देते हुए संत गाढगी बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती के प्रतिभागी ने नेल्सन मंडेला की उन लाइनों से शिक्षा के निजीकरण पर प्रकाश डाला कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है जो इस विश्व में बदलाव ला सकता है इसलिए हमें इसके प्रचार व प्रसार में निजीकरण की भागीदारी स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने सरकारी शैक्षणिक तंत्र का हवाला देते हुए कहा कि आज हमारे देश में सरकारी शिक्षा व शिक्षकों की ऐसी स्थिति है कि उन्हें शैक्षणिक कार्यों की बजाए जनगणना व चुनावों में ड्यूटी में लगा दिया जाता है। इसी तरह वर्ष 2006 में गठित की गई यशपाल कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कर्नाटका विश्वविद्यालय की प्रतिभागी ने कहा कि इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि भारत में आज भी उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त सरकारी विश्वविद्यालय नहीं है इसलिए नए निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने की जरुरत है। उन्होंने विश्व के टॉप 100 विश्वविद्यालयों का उदाहरण देकर बताया कि इस टॉप लिस्ट में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है और इस सूची में 90 प्रतिशत से अधिक प्राइवेट विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा में निजीकरण पर अपने विचार रखते हुए महात्मा गांधी विश्वविद्यालय केरल की प्रतिभागी छात्रा ने कहा कि मौजूदा समय में भारत की जनसंख्या अमेरिका व ब्रिटेन से कहीं ज्यादा है जबकि अमेरिका में 2 हजार विश्वविद्यालय, ब्रिटेन में 1 हजार और भारत में 480 विश्विद्यालय हैं। ऐसे में हमें अपने शैक्षणिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरुरत है जिसमें निजीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी वाद-विवाद के विपक्ष में तर्क देते हुए पूर्वी जोन की तेजपुर विश्वविद्यालय, तेजपुर के प्रतिभागी ने कहा कि निजी संस्थानों में उच्च शिक्षा के नाम पर दिया जा रहा डॉनेशन इस क्षेत्र में बड़ा लूपहोल है। जिसकी वजह से एक मध्यम वर्गीय व पिछडे वर्ग के लोगों के लिए इस उच्च संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करना सपना मात्र रह जाता है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के प्रतिभागियों ने इसके विपक्ष में जोरदार तर्क रखते हुए कहा कि आज निजी संस्थानों में एससी, बीसी व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए इन संस्थानों में जगह निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सिस्टम आज मनी मेकिंग का काम कर रहा है जहां गरीब और गरीब व अमीर और ज्यादा अमीर होता जा रहा है। देश में बढ़ रहे निजीकरण पर मुंंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के प्रतिभागी ने कहा कि शिक्षा कोई वस्तु नहीं है जिसे इस तरह बाजार में बेचा जाए। आज अमेरिका व इंग्लैंड़ में 9 से 10 प्रतिशत तक शिक्षा में निजीकरण को छूट दी गई है जबकि भारत में 100 प्रतिशत तक निजी शैक्षणिक संस्थान खोले जा सकते हैं जोकि कतई ठीक नहीं है। इसी वजह से ये निजी शैक्षणिक संस्थान रिश्वत व भ्रष्टाचार का सहारा लेकर एआईसीटीसी और यूजीसी आदि की मान्यता ले लेते हैं। इसी तरह अन्य प्रतिभागियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।

यूं भी हुए निजीकरण पर कटाक्ष
उच्च शिक्षा में निजीकरण के विपक्ष में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की छात्रा ने दोहे के साथ कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत का नारा वंदे मातरम, निजी संस्थानों वाले माता-पिता के सामने बोले धन दे मातरम, फीस के नाम पर चंदे मातरम और संस्कृति के नाम पर नंगे मातरम रह गया है।
सरस्वती महोत्सव का तीसरा दिन....

फोगाट की शयरी और हरियाणवी गायन ने जमाया रंग

सरस्वती महोत्सव की गैस्ट आईटमें भी रही रोचक

आवाज टीम,
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
सरस्वती महोत्सव के दौरान जहां रोचक मुकाबले हो रहे हैं, वहीं गैस्ट आईटमें भी बहुत रोचकता समेटे हैं। बुधवार सांय हरियाणा के प्रख्यात मंच कलाकार गजेंद्र फौगाट ने अपनी शायरी व गायकी से जम कर रंग जमाया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल आडिटोरियम में आयोजित उनकी नाईट में आलम यह रहा कि  दर्शक कुर्सियां छोड़ गैलरियों में उतर कर नाचने पर मजूर हो गए। भगत सिंह तेरी फोटू क्यूं ना छपती नोटां पै....जैसे वीर रस के गीत पर पूरा आडिटोरियम छूमता नजर आया। उन्होंने अपनी गायकी के साथ साथ युवाओं को प्रेरक बातें बताने पर भी जोर दिया। इसके साथ ही उनके गीत काच्चे कटा द्यूंगा पर ....पर भी खूब रंग जमा। उन्होंने बताया कि वह इसी मंच से वह कभी गुजरे हैं और उनकी लम्बे समय से चाहत थी कि कुवि के आडिटोरियम में एक बार अपनी प्रस्तुति दें जिसे अनूप लाठर ने आज पूरा कर दिया। उन्होंने इसके लिये कार्यक्रम के प्र्रायोजन मल्टी आर्ट कल्चर सैंटर के उप निदेशक विश्वदीप त्रिखा का व कुवि तथा अनूप लाठर का आभार जताया।
    उधर गुरुवार को सरस्वती महोत्सव के तीसरे दिन आडिटोरियम हाल में दोपहर को आयोजित गैस्ट आईटमों में जहां दिलावर कौशिक की गजल .. हम तेरे शहर में आए हैं मुशाफिर की तरह.. के साथ दर्शकों को बांधे रखा। उनसे पहले गुरुनानक गल्र्ज कालेज यमुनानगर की छात्राओं ने शम्मी डांस ...मैं वारी मैं वारी मेरी शम्मीये..., बल्ले शमिये..छावा शम्मिये... के साथ खूब धूम मचाई। इससे पूर्व जगाधरी के हिंदू कालेज की छात्राओं ने कोरियोग्राफी के माध्यम से कालेज की रैगिंग के उत्पीडऩ को दर्शाया। नेपथ्य से कुछ इस प्रकार की ध्वनियों ने मंच को गुंजायमान रखा...ये महान दृश्य है...जल रहा मनुष्य है।


मिट्टी से उपजी भावनाऐं संगीत का जमा रंग
कुरुक्षेत्र/ 20 फरवरी।
29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह के तीसरे दिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दोपहर बाद भी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। ललिता कला विभाग में आयोजित क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता में मिट्टी से भावनाऐं उपजती नजर आई। विभिन्न कलाकारों ने जीवन के विभिन्न रंगों को दिखाने का प्रयास किया। उधर आडिटारियम में वैस्ट्रन वोकल सोलो सोंग का आयोजन हुआ जिनमें युवा गायकों ने अपनी आवाज की प्रतिभा से दर्शकों को खूब लुभाया।



कुवि के निदेशक अनूप लाठर ने रखी थी फोक आरकैस्ट्रा की नींव....

सरस्वती महोत्सव ..............

अपने ध्वजवाहक के सान्ध्यि में फिर जुटा देश का लोक वाद्यवृंद 

2006 के राष्ट्रीय युवा समारोह में कुवि में ही हुई थी पहली प्रतियोगिता

अनुराधा  तुरण,
कुरुक्षेत्र/ 19 फरवरी।
लोक वाद्यवृंद यानि फोक आरकैस्ट्रा आज अपने ध्वजवाहक अनूप लाठर के सानिध्य में आकर गौरवांनवित महसूस कर रहा है।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव में देश के कोने कोने से जुटे प्रतिभागी जब अपने अपने प्रदेशों के फोक आरकैस्ट्रा की प्रस्तुतियां दे रहे थे तो कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भी गौरवांनवित महसूस कर रहा था। हो भी क्यों न आज उसी के मंच से उपजी सांस्कृतिक विधा का अनुसरण पूरा देश जो कर रहा है। जी हां माहोत्सव के दूसरे दिन जब आडिटोरियम हाल में यह विधा मंचित हुई तो कुवि व हरियाणा के लिये यह समूचे गौरव की बात थी। गौरतलब है कि 1984 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अपना पद संभालने के बाद अनूप लाठर ने हरियाणवी लोक साजिंदों को इक्टठा करने की मुहिम आरम्भ की और हरियाणवी आरकैस्ट्रा की पहली प्रस्तुति 28 मार्च 1985 को चण्डीगढ़ के टैगोर थियेटर में दी थी। इसके बाद उन्होंने इसे हरियाणा दिवस समारोह रत्नावली के माध्यम से मजबूत किया और फिर अनूप लाठर की अनुशंसा पर हरियाणवी आरकैस्ट्रा को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा समारोहों में प्रतियोगिता के रूप में शामिल कर लिया गया। उन्हीं के प्रयासों से प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों ने भी अपने युवा समारोहों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अनुसरण करते हुए हरियाणवी अरकैस्ट्रा को एक प्रतियोगिता के रूप में शामिल किया। लाठर बताते हंै कि सागर विश्वविद्याल में जब एआईयू की बैठक हो रही थी तो उन्होंने प्रस्ताव रखा कि देश की लुप्त हो रही लोक धुनों को सहेजने के लिये फोक आरकैस्ट्रा को  राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल किया जाए। उनकी मांग पर विचार हुआ और इसे राष्ट्रीय युवा समारोह की प्रतियोगिताओं का भाग बना दिया गया। मजेदार बात तो यह है कि कुवि में वर्ष 2006 में आयोजित राष्ट्रीय युवा समारोह में इसी आडिटोरियम के मंच पर इस विधा की पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई थी। आज फिर यह विधा अपने जन्म ध्वज वाहक को यह सुखद आहसास दिलवा रही है कि उनकी खोज को पूरे देश ने अपनाया और आज यह विधा पूर्णतय: स्थापित हो चुकी है। जिस प्रदेश को कभी कल्चर के नाम पर एग्रीकल्चर से पुकारा जाता था आज उसकी विधा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने के लिये अनूप लाठर पर केवल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा को गर्व करना चाहिये।

विभिन्न कला व सांस्कृतिक विधाओं से रंगीन रहा कुवि का दामन

पूर्वी भारत की लोकधुनों पर जम कर थिरके हरियाणीव व पंजाबी दर्शक

अदिति,
कुरुक्षेत्र/ 19 फरवरी।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव के दूसरे दिन  विभिन्न मंचों पर अनेकों विधाओं की प्रतियोगिताऐं आयोजित हुई। आडिटोरियम हाल में आयोजित फोक आरकैस्ट्रा प्रतियोगिता में सबसे पहले नागपुर विश्वविद्यालय की टीम ने महाराष्ट्र के सांस्कृतिक जीवन की झांकी खंजरे, शंख व बांसुरी  और ढोल ताशा आदि के सुरों व लोक परिधान के साथ प्रस्तुत की। उसके बाद संत गार्गी बाबा अमारावती विश्वविद्यालय ने  अपनी प्रस्तुति में लोक धुनों से साथ लोक परिधानों में मोहकता बिखेरी। इसके बाद गुहाटी विश्वविद्यालय ने शादियों के समय प्रयोग होने वाले 60 लोक वाद्य यंत्रों को एक सुर में पिरोया। इसके बाद केरल विश्वविद्याल, कश्मीर विश्वविद्यालय, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला, भारती विद्यापीठ पूने व गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर ने अपनी प्रस्तुतियां दी। पंजाबी लोक धुनों पर पर जमकर दर्शकों ने लुत्फ उठाया। पूर्वी व दक्षिणी जोन की प्रस्तुतियों की रोचकता तो इतनी रही कि उनकी भाषा न समझ आते हुए भी हरियाणवी व पंजाबी दर्शक भी उनकी लोकवाद्य  धुनों पर जम कर थिरके।

राधा कृष्ण सदन में बही रागों की धारा
राधा कृष्ण सदन में आयोजित क्लासिकल वोकल सोलो (हिंदुस्तानी व कर्नाटकी) में विभिन्न रागों की रसधारा बही। सबसे  पहले राजा मान सिंह तोमर म्यूजिक एंड आर्ट विश्वविद्यायल ग्वालिया, उसके  बाद जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला, मुम्बई विश्वविद्यालय मुम्बई, भारती विद्यापीठ डीम्ड विश्वविद्यालय पूने, यूनिर्वसिटी ऑफ मैसूर, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय पंजाब ने अपनी प्रस्तुतियां दी।
    सदन में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने लघु भरत का दृश्य अपनी संगीतमयी प्रस्तुतियों के माध्यम से पेश किया। सेंट्रल जोन से आई मान सिंह आर्ट एंड म्यूजिक यूनिर्वसिटी ने राग भैरवी पेश किया। वहीं मध्यप्रदेश के जिवाजी विश्वविद्यालय ने राग भटियार पेश किया। इसी मंच से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की टीम ने राग नारायणी प्रस्तुत कर दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

सीनेट हाल में चली बुद्धि परीक्षा
सीनेट हाल में आयोजित क्वीज प्रतियोगिता के प्री में देश भर से आई विभिन्न टीमों ने भाग लिया। पूर्वी जोन से विद्यासागर विश्वविद्यालय पं. बंगाल व आसाम से तेजपुर विश्वविद्यालय तेजपुर ने भाग लिया। पश्चिमी जोन से मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई व पूणे विश्वविद्याल, पूने ने भाग लिया। वहीं उत्तरी जोन से पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ व लवली प्रौफैसनल यूनिर्वसिटी जालंधर ने भाग लिया। केंद्रीय जोन से माखन लाल चर्तुवेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्याल भोपाल व नागपुर विश्वविद्यालय ने भाग लिया। 

युवा महोत्सव और दैनिक जीवन पर चित्रकारी से डाला प्रकाश
सरस्वती महोत्सव के दौरान जहां सांस्कृतिक कलाओं के माध्यम से अपने अपने प्रदेश की संस्कृति का प्रर्दशन युवा कलाकारों ने किया वहीं फाईन आर्ट विभाग में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में युवा महोत्सव और दैनिक जीवन पर चित्रकारी के माध्यम से प्रकाश डाला गया। युवा चित्रकारों ने बुढिया से सामान खरीदते लडक़े, श्रृंगार करती महिलाओं का चित्रांकन किया। इसके साथ ही कुत्ते के साथ सैर करते पथिक व भीग मांगते भिखारियों को भी सामान्य जीवन की झांकी में पेश किया। प्रतियोगिता में 9 टीमों ने भागीदारी की। पूर्वी जोन से विश्वभारती विश्वविद्यालय व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनारस ने भाग लिया। पश्चिमी जोन से मुम्बई विश्वविद्यालय व बाबा साहेब अम्बेडकर विश्वविद्यालय ने हिस्सा लिया। इसके साथ उत्तरी जोन से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व लवली प्रोफैशनल यूनिर्वसिटी के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वहीं दक्षिणी जोन से गुलबर्ग विश्वविद्यालय ने भाग लिया। केंद्रीय जोन से इंदिराग कला संगीत विश्वविद्यालय छत्तीसगढ व राष्ट्रीय संत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने हिस्सा लिया। 

धर्मनगरी में आकर खुश हैं देश भर से आए युवा कलाकार
पल्लवी  धीमान,
कुरुक्षेत्र/ 19 फरवरी।
कुवि में जुटे लघु भारत का दोहर प्रभाव देखने को मिल रहा है। जहां दूसरे राज्यों के प्रतिभागियों को देखकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और कर्मचारी तथा अन्य हरियाणवी लोग हैं वहीं उनसे दो गुना खुश दूसरे राज्यों के लोग हरियाणा में आकर हो रहे हैं। जहां उन्हे दूसरे राज्य में आकर अपने राज्य की संस्कृति को दर्शाने का मौका मिला है। वहीं यहां आकर दूसरे राज्यों की भी प्रतिभाओं को भी देखने का मौका भी उन्हें मिल रहा है। महात्मा गांधी युनिवर्सिटी केरल के छात्र अरविंद कृृष्ण ने बताया कि उन्हें यहां आकर बहुत अच्छा लगा। दूसरे राज्यों से आए विद्यार्थियों के साथ उनका काफी मेल मिलाप हो गया है। 
सभी छात्र उनके साथ सहयोग कर रहेे हैं। उन्होंने बताया कि वो अपने ग्रुप के साथ आए है और छ: प्रतियोगिताओं में तबला वादन करेंगें। अरविंद ने बताया कि उनके रहने का प्रबंध बहुत अच्छा किया गया है और यहां के वातावरण व संस्कृृति को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। महाराष्ट्र से आए प्रतिभागी बी देशमुख ने बताया कि वे पहले भी कुरुक्षेत्र आ चुके है। यह वास्तव में दर्शनीय स्थल है। फिर से यहां आकर उन्हे बहुत अच्छा लग रहा है। वह यहां मराठा सम्राट योगीराज शिवाजी के जीवन पर आधारित पात्रों का हुनर लोगों को दिखाने साथ -साथ अपनी संस्कृृति से भी रूबरू करवाएंगें। कहना न होगा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का मंच आज भिन्न भिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल बना हुआ है।

खुले मंच पर भड़ास निकाल रहे हैं युवा कलाकार
राष्ट्रीय युवा महोत्सव के दौरान जहां मंचों पर कठिन मुकाबले हो रहे हैं वहीं युवा कलाकार आडिटोरियम हाल व धरोहर संग्रहालय के सामने सजे खुले मंच पर खूब अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। खाली समय में यह मंच हरियाणा की लोक विधाओं के साथ देश के अन्य प्रदेशों की लोकविधाओं का प्रर्दशन स्थल भी बना हुआ है। एक ओर बंचारी की नगाड़ा पार्टी की मस्त धुनों पर युवा थिरकते देखे एक तो दूसरी और अन्य प्रदेशों के कलाकारों ने भी अपनी संस्कृति का प्रतियोगिताओं से हट कर यहां प्रदर्शन किया।

हरियाणवी लोकनाट्य सांग को देख मंत्रमुग्ध हुए गैर हरियाणवी

खुले मंच पर देर सांय तक हुआ अजित सिंह राजबाला सांग का मंचन         

पूजा  रावत,
कुरुक्षेत्र/ 19 फरवरी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव के पहले दिन सांय काल खुले मंच पर हरियाणवी लोक नाट्य सांग की प्रस्तुति व्यावसायिक कलाकारों द्वारा दी गई। हरियाणा के लोक नाट्य को आज भी इतना समृद्ध पाकर गैर हरियाणवी कलाकार भी मंत्र मुग्ध हो गए। कुवि युवा एंव सांस्कृतिक विभाग के निदेश अनूप लाठर के अनुसार सूरज बेदी द्वारा गत सांय अजित सिंह राजबाला सांग की प्रस्तुती दी गई। उन्होंने बताया कि देश के कोने कोने से आए युवा कलाकारों को हरियाणवी लोक नाट्य से परीचित करवाने के लिये यह प्रयास युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र द्वारा किया गया है।

    सांग शुरु करने से पहले सभी कलाकारों ने भजन के माध्यम से सरस्वती मां का गुणगान किया गया। जिसके बाद उन्होंने सांग की शुरूआत की। सांग के मुख्य कलाकार सुरज बेदी सांगी ने बताया कि सांग की यह जो विधा है यह एक लोक नाट्य विधा है। यह विधा सन् 1730 में शुरू की गई थी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के दौरान सांग के बारे में विस्तार से बताया कि एक बार एक राजा नाहर सिंह होते थे, जो युद्व के दौरान मारे गए थे। जिसमें उनका लडक़ा जो अजीत सिंह था वह बच जाता है। राजा के मरने के बाद दुष्मनों ने उनकी गद्दी पर कब्जा कर लिया जिसके कारण राजा का बेटा अजीत सिंह अकेला रह जाता है। अजीत सिंह की सगाई बचपन में ही राजबाला नाम की लडक़ी के साथ कर दी जाती है, लेकिन अजीत सिंह को निर्धन व अकेला समझकर राजबाला का परिवार उसका रिश्ता कहीं ओर करने जा रहा था। जब अजीत को पता चला तो  उन्होंने राजबाला के पिता के पास पत्र लिखा कि राजबाला का रिश्ता मेरे साथ ही किया जाए। फिर राजबाला के पिता ने शर्त रखी कि 20 हजार रूपये जमा करवाओ तभी तुम्हारी  राजबाला से शादी  होगी। अजीत सिंह ने शादी के लिए लाला से कर्ज लिया। जिस लाला से उन्होंने कर्ज लिया था उन्होंने कहा कि जब तक तुम कर्ज अदा करोगे तुम्हारा और राजबाला का रिश्ता भाई-बहन का रहेगा। लाला की शर्त के अनुसार वे अपने धर्म के उपर कायम रहे और पांच साल तक ये रिश्ता निभाया। एक जोधपुर के राजा होते थे रणजीत सिंह जिनकी फौज में अजीत सिंह व राजबाला भर्ती हो गए। एक रोज रानी को पता चला कि वे आपस में बीर-मर्द यानि पत्नी पत्नी हैं और धर्म पर कायम हैं। इस बात पर खुश होकर राजा अजीत सिंह को आधी फौज दे देते है और लाला का 20 हजार कर्जा भी दे देते है और फिर उनका राज घराना छुड़ा लेते है।



29 वें अंखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह का आगाज


सरस्वती महोत्सव....


मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर किया उद्घाटन, हरियाणा के सांस्कृतिक रंगो से हुआ प्रतिभागियों का स्वागत

पवन  सोंटी,
कुरुक्षेत्र/ 18 फरवरी।
29 वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह सरस्वती महोत्सव का रंगारंग आगाज मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हो गया। इस कार्यक्रम का आयोजन एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटी, युवा एवं सांस्कृतिक मंत्रालय व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सयुंक्त तत्वाधान में किया जा रहा है। 
कार्यक्रम का शुभारंभ हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दीप जलाकर किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि युवा देश का भविष्य हैं और युवा ही समाज को आगे ले जाते हैं। श्री हुड्डा ने कहा कि  इस प्रकार के आयोजनों से अपसी भाईचारा बढ़ता है और देश के कोने कोने की संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि युवा महोत्सव कला, संस्कृति के साथ साथ खुद का आत्मनिरीक्षण करने का मौका होता है। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे इस महोत्सव के माध्यम से एक दूसरे को समझते हुए प्रेम एवं आपसी भाईचारे का संदेश दें। इसके साथ ही उन्होंने रोहतक में अपनी शिक्षार्जन के दौरान के अपने अनुभवों को भी युवाओं के साथ सांझा किया। उन्होंने देश भर से आए युवाओं का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय कला एवं संस्कृति के कारण दुनिया भर में भारत की अपनी एक अलग पहचान है। आने वाले पांच दिनो में इस महोत्सव के माध्यम से आप सभी देश की सांस्कृतिक विरासत को एक ही मंच पर देख पाएंगे। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल युवा हैं जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय तक जाकर लोगों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया। इसके पश्चात कुवि कुलपति ने मुख्यमंत्री को एक स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। 

    उनसे पूर्व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति लैं जरनल डा. डीडीएस संधु ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए यह गर्व का विषय है कि इस महोत्सव की मेजबानी का तीसरी बार मौका कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को मिला है। उन्होंने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा के लोग अपनी मेजबानी के लिए देश भर में जाने जाते हैं। इस महोत्सव में देश भर के 76 विश्वविद्यालयों के करीब एक हजार से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं जो विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से भारतीय कला संस्कृति एवं जीवन दर्शन को इस मंच पर जीवंत करेंगे। उन्होंने प्रतिभागियों से अपील कि वे पूरी ईमानदारी के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करें। ऐसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के सचिव डेविड सैमसन ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में इस महोत्सव का आयोजन हमेशा ही शानदार तरीके से किया है। यहां के युवा व संस्कृति में एक गजब की महक है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इस मंच ने ऐसी ऐसी प्रतिभाएं देश को दी हैं जो कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में दुनिया भर में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने इस युवा महोत्सव के भव्य आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति व अनूप लाठर को बधाई दी। इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में कुवि युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने कहा कि वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग पिछले 30 वर्षों से अपने पद पर कार्यरत्त हैं। इस दौरान विभाग को तीसरी बार इस महोत्सव के आयोजन का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में कई ऐसी प्रतियोगिताएं है जो कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इस मंच से ही शुरु हुई हैं। इसके लिए उन्होंने ऐसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के सचिव डेविड सैमसन का धन्यवाद किया। उधर इस महोत्सव में बतौर आबजर्वर पहुंचे अरुण पाटिल ने भी इस आयोजन के लिये कुवि व इसके कुलपति और युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर को बधाई दी। इस अवसर पर सांसद नवीन जिंदल, विधायक अनिल धंतौड़ी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष जयभगवान डीडी, पूर्व विधायक रमेश गुप्ता, डीन एकेडमिक अफेयर प्रोफेसर गिरीश चोपड़ा, प्रॉक्टर प्रोफेसर सी.आर.ड्रोलिया, डीन स्टूडेन्ट वैलफेयर प्रोफेसर अनिल वशिष्ठ, निदेशक लोक सम्पर्क प्रोफेसर बृजेश साहनी, चीफ वार्डन महिला प्रोफेसर आशू शौकीन व डा. महासिंह पूनिया सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के चेयरमैन एवं प्राध्यापक तथा हजारों छात्र मौजूद थे।

विविधता में एकता के संदेश का किया संप्रेषण

कुवि की फिजां में बिखरी भारत की बहुरंगी संस्कृति

अनुराधा तुरण/ कुरुक्षेत्र।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 29 वें अखिल भरतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह में  देश के  कोने कोने से पहुंचे हजारों युवाओं के कारण आज कुवि की फिजां में बहुरंगी संस्कृति बिखरी नजर आई। विविधता में एकता का संदेश देती युवाओं की टोलियां जब आडिटोरियम से निकल कर अपने अपने विश्वविद्यालयों व प्रदेशों की पताकाओं के साथ कुवि परिसर में होते हुए सामुदयिक केंद्र की ओर चली तो सडक़ों पर चल रहे लोग रुक कर उन्हें देखने के लिये मजबूर हो गए। अपने प्रदेशों के लोक परिधान व रंग बिरंगी पोशाकों में सजे ये युवा अपनी मस्ती में जब सडक़ों से गुजर रहे थे तो ऐसा लगत था मानो समूचा देश कुवि में सिमट आया है। तामिलनाडू, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, मुम्बई, कनार्टक, मणीपुर, आसाम व उत्तर प्रदेश आदि  से आए युवा कलाकार अपनी सांस्कृतिक पोशाकों में बहुत ही सुंदर लग रहे थे। यही नहीं वह युवा कलाकर नंगे पांवों से अपनी संास्कृतिक विधाओं की छटा बिखेरते हुए सामुदायिक केंद्र पर जाकर आपस में सम्माहित हो गए। ऐसा लग रहा था मानों समूचा भारत एक हो गया हो।

हरियाणवी संस्कृति ने लुभाया देश के युवाओं का दिल

फागण के गीत पर थिरक उठे गैर हयिाणवी युवाओं के पांव

अदिति /कुरुक्षेत्र
कुवि आडिटोरियम में 29वें अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोह के उद्घाटन के पश्चात गैस्ट आईटम के तौर पर तीन सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई। इन हरियाणवी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देश के कोने कोने से आए युवा कलाकारों ने खूब सराहा। सबसे पहले डीएवी कालेज यमुनानगर की छात्राओं ने विवाह गीत गाया। उनके मिश्रित गीत ..हे मेरी लाडो तनै पिया घर जाणा....थारी हेल्ली की 64 पैड़ी पिया जी मैं तो चढ़दी उतरदी हारी..... ने मंच पर खूब रंग जमाया तो हजारों दर्शकों से भरा हाल भी झूमता नजर आया। उधर उनके बाद कुवि युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के सुपरवाईजर हरविंद्र राणा व दिलावर सिंह के संयुक्त बोलों से बमलहरी में शिव विवाह का गुणगान हुआ। भांग रगड़ कै पिया करूं मैं कुंडी सोटे आल़ा सूं....तूृ राजा की राज दुलारी मैं मस्त लंगोटे आल़ा सूं..... के साथ जंगम जोगियों के ढेरू व तुम्बे की मस्त तान और उनका परम्परागत वेश भूषा में झूम झूम कर मंच पर थिरकना सबको भाया। अंत में हरविंद्र राणा व प्रवीण कादियान ने फागण गीत पेश किया। जब मंच पर सह कलाकरों ने कोरड़े का प्रयोग भी आजमाया तो हास्य का पुट भी नजर आया। इस गीत की रोचकता का आलम यह रहा कि आडिटोरियम हाल में बैठे गैर हरियाणवी कलाकार भी उठकर थिरकते नजर आए। 

युवा स्वयंसेवाकों की भूमिका रही सराहनीय
पल्लवी धीमान/ कुरुक्षेत्र
युवा समारोह के दौरान युवा स्वंय सेवकों की भूमिका भी सराहनीय चल रही है। युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के दिशानिर्देशन में जहां युवा स्वंय सेवक मंच के पीछे व मंच पर मुस्तैदी से कमान संभाले रहे वहीं कल से एनएसएस के युवा स्वंयसेवक प्रतिभागियों को रेलवे स्टेशन से लेकर उनके ठहरने के स्थानों पर पहुंचाते रहे। एनएसएस अधिकारी डा. सीडीएस कौशल व डा. तजेंद्र शर्मा के दिशानिर्देशन में एनएसएस के विद्यार्थियों ने अपने स्लोगन नोट वी बट यू पर पूरी तरह से अमल करते हुए मेहमान कलाकारों की सेवा की। बैगलूर विश्वविद्यालय करर्नाटक की समिथेश व भागीरथी आदि मेहमान कलाकारों का कहना है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय उन्हें बहुत पसंद आया। इसका कैम्पस व यहां की व्यवस्था से प्रतिभागी बहुत संतुष्ट नजर आए।






कुवि में अतंर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय युवा समारोह 18 से

सरस्वती महोत्सव.....

देश के हर प्रदेश से पहुंचेगे प्रतिभागी, 70 विश्वविद्यालयों से करीब 1 हजार लोगों की होगी भागीदारी: लाठर

पवन सौन्टी/ कुरुक्षेत्र।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा 29 वें अखिल भारतीय अतंर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय युवा समारोह च्च्सरस्वती महोत्सवज्ज् का आयोजन 18 से 22 फरवरी तक होने जा रहा है। 
इसमें देश के हर राज्य से प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए पत्रकार वार्ता के दौरान कुवि युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस प्रकार के राष्ट्रीय समारोह का तीसरी बार आयोजन करने वाला देश का दूसरा विश्वविद्यालय है। उन्होंने बताया कि इससे पहले 1994 व 2006 में कुवि द्वारा इस आयोजन की मेजबानी की जा चुकी है। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय 2 बार उत्तर क्षेत्रीय अंतर विश्वविद्यालय युवा समारोहों का भी आयोजन कर चुका है। लाठर ने पत्रकारों को बताया कि आज से समारोह के लिये प्रतिभागियों ने आना शुरु कर दिया है।  उन्होंने बताया कि इस समारोह के दौरान आबजर्वर के तौर पर नागपुर से आए डा. अरूण पाटिल उपस्थित होंगे। उन्होंने बताया कि आडिटोरियम हाल में समारोह के उद्घाटन अवसर पर मुख्यअतिथि के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा उपस्थित होंगे। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के तौर पर कुवि कुलपति डा. डीडीएस संधू एवं युवा एवं खेल मंत्रालय के सचिव राजीव गुप्ता आईएएस उपस्थित होंगे। 
सरस्वती प्रवाह के कारण रखा नाम सरस्वती महोत्सवअनूप लाठर ने बताया कि इस समारोह का नाम सरस्वती महोत्सव इस लिये रखा गया है क्योंकि कुरुक्षेत्र शहर से सरस्वती नदी का प्रवाह रहा है। यही वह पवित्र नदी है जिसके किनारे वेदों और पुराणों की रचना हुई। भरतीय संस्कृति सरस्तवी नदी की गोद में ही पल्लवित हुई। उन्होंने कहा कि सरस्वती देवी को विद्या व कला की देवी माना जाता है और यह समारोह कलाओं का संगम है। इस लिये इस समारोह को सरस्वती महोत्सव का नाम दिया गया है।

कब और कहां होंगे कार्यक्रम
अनूप लाठर ने बताया कि समारोह के पहले दिन सुबह 8 बजे क्रश हाल में प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन होगा। उसके बाद 10 बजे सीनेट हाल में टीम मैनेजर्स की मिटिंग होगी। दोपहर बाद 2 बजे कुवि खेल परिसर से सभी प्रतिभागियों का प्रोशैसन शुरु होगा जिसमें सभी प्रतिभागी अपने-अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी परम्परागत पौशाकों में कुवि खेल परिसर से आडिटोरियम में पहुंचेंगे। इसके बाद आडिटोरियम के मंच पर एक ओर से होते हुए ये सब प्रतिभागी अपने स्थान ग्रहण करेंगे। तदोपरांत करीब 3 बजे मुख्यअतिथि प्रतिभागियों को शुभाषीश देंगे। इस कार्यक्रम के सामापन पश्चात आडिटोरियम हाल के सामने खुले मंच पर हयिाणा के लोकनाट्य सांग की प्रस्तुति प्रतिभागियों के देखने हेतू होगी।
नए व पुराने विद्यार्थियों के हाथ में आयोजन की कमान
अनूप लाठर ने बताया कि इस समारोह के सफल आयोजन के लिये जाहां कुवि शिक्षकों व गैरशिक्षक कर्मचारियों की विभिन्न ड्यूटियां लगाई गई हैं वहीं पुराने व नए विद्यार्थियों के हाथों में आयोजन की कमान रहेगी। उन्होंने बताया कि प्रवीन कादियान, हरविंद्र राणा, गगन दीप चौहान, महीमा सिंह, प्रवीन शर्मा, पवन सौन्टी, शौरभ आर्य आदि सहित कई पुराने विद्यार्थी विभिन्न अवसरों पर कार्यक्रम की कमान संभालने हेतू तैयार हैं। इसके साथ ही वर्तमान विद्यार्थियों में राहुल टांक के नेतृत्व में भावना चंद्रा व महक कौशल ने कई दिनों से समारोह के लिये लोगो व अन्य सामग्री डिजाईन करने का कार्य संभाल रखा है। उनके साथ अन्य युवाओं की टीम पूरे आयोजन में विभिन्न कार्यों को संभालने के लिये तैयार है। इनके साथ ही जनसंचार विभाग के प्राध्यापक सुरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में युवा पत्रकारों की टीम ने इस बार समारोह के लिये सरस्वती टाईमस नामक न्यूजलैटर तैयार करने का जिम्मा संभाल रखा है।

ये संभालेंगे कन्वीनर की कमान
अनूप लाठन ने बताया कि सरस्वती महोत्सव में रजिस्ट्रेशन कमेटी के कनवीनर डा. सीडीएस कौशल होंगे। बोर्डिंग और लोजिंग कमेटी के कनवीनर डा. सुरेश ड्रोलिया और डा. कुसुम, अनुशासन कमेटी डा. सीआर ड्रोलिया, रिशैप्शन और सिटिंग अरेंजमैंट कमेटी डा. अनिल वशिष्ठ, प्रोग्राम और स्टेज मैनेजमैंट कमेटी डा. विवेक चावला, डैकोरेशन कमेटी डा. राम विरंजन, ट्रांस्पोर्ट कमेटी, डा. अनिल गुप्ता, प्रैस और मीडिया कमेटी डा. ब्रिजेश शाहनी, मैडिकल कमेटी आरएमओ, प्रौशैसन कमेटी डा. दलेल सिंह, भोजन कमेटी डा. सतदेव व न्यूज लैटर कमेटी के कनवीनर डा. एसएस बूरा होंगे।

Friday, February 14, 2014


टिकट की जुगत के लिए जारी है नेताओं की दौड़ धूप

चंडीगढ़ में कांग्रेस से पवन बंसल और भाजपा के संजय टंडन प्रबल दावेदार

जन्नतजहां हं बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी

आम आदमी पार्टी से कपिलदेव का नाम चर्चा में

(शाहाबाद मारकंडा 13 फरवरी -सुरेंद्र पाल वधावन)
लोकसभा चुनाव की आहट के चलते चंडीगढ़ संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता  अपनी अपनी  टिकट के लिए दौड़ धूप कर रहे हैं और कुछ तो  दिल्ली में ही डेरा डाले हैं। जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है, वर्तमान सांसद पवन बंसल 
 पार्टी टिकट के लिए ज़ोर आजमाईश कर रहे जिला कांग्रेस के एच.एस लक्की को मनाने में कामयाब हो चुके हैं ,इसी कारण  टिकट पर उनका दावा  मजबूत बना है।  सूत्रों के मुताबिक चंडीगढ़ संसदीय क्षेत्र में पैराशूटी उम्मीदवार भी उतारा जा सकता है जिसमें  केद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का जिक्र किया जा रहा है। बहरहाल लोकल दावेदारों में सांसद पवन बंसल का पलड़ा सबसे भारी दिखाई दे रहा है।
 दूसरी और भारतीय जनता पार्टी में टिकट की दौड़ में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन टिकट के प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं।
 इनके अलावा पूर्व सांसद सत्य पाल जैन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरमोहन धवन, महिला मोर्चा राष्ट्रीय सचिव एवं प्रभारी जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश पार्षद आशा जसवाल, सिनीयर डिप्टी मेयर हीरा नेगी, डिप्टी मेयर देवेश मोदगिल, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष पुरषोत्तम महाजन, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष माता राम धीमान, पूर्व पार्षद रंजना शाही, जिला अध्यक्ष बी सी पुरी, प्रदेश सचिव संतोष शर्मा, पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व जिला अध्यक्ष व प्रवक्ता गुरप्रीत सिंह ढिल्लों, पूर्व जिला अध्यक्ष एवं व्यापार प्रकोष्ठ संयोजक विनोद अग्रवाल, पूर्व जिला अध्यक्ष महेश गुप्ता, युवा मोर्चा उपाध्यक्ष हरजीत सिंह, अनुसूचित जाति मोर्चा महासचिव कृष्ण कुमार, अनुसूचित जाति मोर्चा महासचिव सदा सावन लहरी, टेनेमेंट प्रकोष्ठ संयोजक दीपक शर्मा, मानव अधिकार प्रकोष्ठ सह-संयोजक चरणजीत चढढा भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इस बार पार्टी उच्चकमान चंडीगढ़ से किसी युवा चेहरे को आगे लाने की फिराक में हैं। उधर चंउीगढ़ सीट के लिए  इस बार अकाली दल बादल  के सिपहसलारों ने भी दावा जताया है। उनका कहना है कि भाजपा कभी यहां जीत दर्ज नहीं कर पाई इस लिए इस बार अकाली दल बादल के हिस्से में यह सीट आनी चाहिए। इस संदर्भ में पार्टी सुप्रीमों प्रकाश सिंह बादल के समक्ष पूर्व मेयर व अकाली नेत्री हरजिंद्र कौर ने प्रस्ताव भेजा है। वैसे इस बार भाजपा नेताओं को उम्मीद हे कि नरेंद्र मोदी के समर्थन में लहर बन चुकी है और चंडीगढ़ संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को पराजित करने का सामथ्र्य हासिल कर चुकी हे।
चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की टिकट के चार दावेदारों को पार्टी दिल्ली हेडआफिस में बुलाया गया है। याद रहे की टिकट के कुल 204 उम्मीदवारों म ें से 31 नाम छांटे गए थे। जिनमें एच.के अरोड़ा,राम लखन मित्तल ,के.के गर्ग और मीना शर्मा शामिल हैं। क्रिकेटर कपिलदेव का नाम भी चर्चा में हे। चंडीगढ़ लोकसभा सीट के लिए बसपा नेत्री व सिटी काऊंसलर जन्नत जहां के नाम की घोषणा पार्टी पहले ही कर चुकी हैं। बसपा नेत्री जन्नतजहां की चंडीगढ़ व आसपास के क्षेत्र में गहरी पैठ है।