कहीं धनबल से एवरेस्ट विजय में तो नहीं होता फर्जीवाड़ा?
सुरेंद्र पाल वधावन/ शाहाबाद मारकंडा
विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि आज धन के बल पर अपेक्षाकृत आसानी से एवरेस्ट को फतह किया जा सकता हे। मांऊट एवरेस्ट अभियान के लिए रजिस्टर्ड ट्रैकिंग कंपनियों के माध्यम से पर्वतारोही वहां जाते हैं। इनके पास ऐसे ऐसे अनुभवी शेरपा होते हैं जो कई कई बार एवरेस्ट सर कर चुके हैं। यह शेरपा पूरी तरह से प्रौफेशनल होते हैं और एक पर्वतारोही के सहयोगी और गाईड बनकर साथ जाने के 2-3 लाख चार्ज करते हैं। कई पर्वतारोही आजकल सुविधा के लिए अपने साथ दो या तीन शेरपा ले जाते हैं जो थक जाने पर कई बार तो पर्वतारोही को थोड़ी देर तक उठा कर भी उपर चढऩे में मदद कर देते हैं। ये शेरपा पर्वतारोही की नाक तक साफ कर देते हैं। एवरेस्ट पर पहुंचने के लिए एक व्यक्ति को आक्सीजन के 5 सिलेंडरों की जरुरत पड़ती है। एक्सीपीडिशन पर 17-18 लाख रुपए के आसपाय खर्च होता है। एक अन्य शंका यह भी व्यक्त की जा सकती है कि अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से एवरेस्ट फतह का फर्जी फिल्मांकन भी किया जा सकता है। कारगिल युद्ध के बाद एक ऐसा ही फर्जीवाड़ा सामने आया था। कुल मिला कर इंउियन माऊंटीरिंग फांउडेशन को इस संदर्भ में आगे आकर ऐसे मानदंड तैयार करने चाहिए जिससे एक एवरेस्ट विजेता और धनबल की सहायता से एवरेस्ट फतह करने वाले में फर्क पता चल सके।
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