कुरुक्षेत्र के दर्शकों ने देखी चेखव की खूबसूरत दुनिया
कुरुक्षेत्र/पवन
सोंटी
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से आए कलाकारों का अभिनय कौशल बेजोड़ है। इन कलाकारों
ने जिस खूबसूरती के साथ नाटक चेखव की दुनिया का मंचन किया है उसकी प्रंशसा के लिए कोई
शब्द नहीं है। ये शब्द उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने कहे। वे मल्टी आर्ट कल्चरल सैंटर
में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित दो दिन के नाट्य उत्सव के पहले दिन हुए
नाटक चेखव की दुनिया देखने के बाद दर्शकों को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व दो दिवसीय
नाट्य समारोह में बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए कुरुक्षेत्र के उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़
ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मल्टी आर्ट कल्चरल
सैंटर के उपाध्यक्ष चंद्र शर्मा एवं उप-निदेशक विश्व दीपक त्रिखा तथा राष्ट्रीय नाट्य
विद्यालय टीम के प्रभारी विजयपाल वशिष्ट भी उनके साथ उपस्थित थे। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
नई दिल्ली एवं मल्टी आर्ट कल्चरल सैंटर कुरुक्षेत्र के संयुक्त प्रयास से हरियाणा भर
में आयाजित नाट्य समारोह की कड़ी में कुरुक्षेत्र में नाटक चेखव की दुनिया का मंचन
किया गया। नाटक का निर्देशन प्रसिद्ध नाटक निर्देशक एवं संवाद एवं पटकथा लेखक रंजीत
कपूर द्वारा किया गया है।
चेखव की दुनिया महान रूसी लेखक अंतोन चेखव की छह छोटी कहानियों का कोलाज है। सभी
कहाानियां रिश्तों में मानवीय भावनाओं को दर्शाती है। चेखव की विश्व प्रसिद्ध कहानी
डेथ ऑफ अ क्लर्क को छींक कहानी के नाम से पेश किया गया। इस कहानी में एक ऑपेरा में
अपने जनरल के सिर पर छींकने वाला क्लर्क अपनी गलती के लिए यथासंभव क्षमायाचना नहीं
कर पाता। फलस्वरूप उसके ज़हन में पद अवनति का डर, एक तरह का अपराध बोध घर कर लेता है,
जिसे वह अपने मन से
निकाल नहीं पाता और अंतत: इन्हीं कारणें के चलते उसकी मौत हो जाती है। दूसरी कहानी
थी सर्जरी, जिसमें दिखाया गया कि जब दूर देहात में कोई मनोरंजन का साधन नहीं होता था तो किसी
के दंात में दर्द होना ही लोगों के लिए एक मनांरजक घटना हो जाती थी और उस पर दांत का
दर्द ठीक करने के लिए डाक्टर के स्थान पर उसका नौसिखिया कंपाऊंडर उसे पकड़ लेता है।
इस कहानी का दर्शकों ने ठहाकों के साथ खूब आनंद लिया। शिकारी चेखव की तीसरी कहानी थी।
कहानी में पीटर नाम का एक युवक आइरिना नामक एक विवाहिता को उसके पति के ही माध्यम से
अपने कामजात में फंसाता है। पूरी कहानी के दौरान वह महिलाओं को फंसाने के तरीकों को
बतौर विशेषज्ञ दर्शकों को सुनाता है। स्वयं को दुसरों की बीवियों को पटाने का सबसे
माहिर होने का दावा करता है। किंतु इस कहानी का अंत दर्शकों को इतना पंसद आया कि दर्शक
देर तक ताली बजाते रहे और नाटक के बाद भी दर्शकों में यह कहानी न केवल चर्चा का विषय
बनी रही बल्कि सबसे अधिक सराहना इसी कहानी को मिली। चौथी कहानी एक बेसहारा औरत की थी।
यह एक जंगली व्यवहार करने वाली औरत की कहानी थी जो मानसिक रूप से असंतुलित है। वह एक
बैंक मैनेजर के पास एक शिकायतकर्ता ग्राहक के रूप में जाती है और अपनी ऊलजलूल हरकतों
से उस बैंक मैनेजर को ओर अधिक परेशान करती है और जाते जाते बैंक मैनेजर को भी पागल
कर देती है, जिससे नाटक में एक जबरदस्त हास्य का पुट पैदा होता है। पांचवी कहानी एक ऐसे व्यक्ति
की कहानी थी जो खुद को डूबो कर पैसे कमाता है। जो पैसे लेकर डूबने के लिए समंदर में
कूद जाता है, हालांकि उसे तैरना नहीं आत। वह डूबने का यह तमाशा देखने वाले व्यक्ति को कहता है
कि जब मैं सचमुच डूबने लगूं तो तुम सामने खड़े एक आदमी को आवाज देना ताकि वो मुझे बचा
ले और उसे बचाने वाले व्यक्ति का नाम बताकर समंदर में छलांग लगा देता है किंतु एन वक्त
पर जब वह व्यक्ति सच में डूबने लगता है तो तमाशा देखने वाला बचाने वाले का नाम ही भूल
जाता है। आखिरी कहानी युवाओं और अभिभावकों के लिए एक सबक कहानी थी। एक बाप अपने बेटे
को उसके 19 साल का होने पर उसे बालिग होने का गिफ्ट देना चाहता है किंतु अंत में बाप अपना
इरादा बदल देता है। कहानी का संदेश था कि काश कुछ अभिभावक अपने बच्चों के बारे में
सोच और बच्चे अपने अभिभावकों की भावनाओं के बारे में।
डेढ़ वर्ष से गांवों की बिजली जुड़वाने
के लिए खा रहे है धक्के
बिजली विभाग ने बिजली के खंभे गाड़े, नहीं लगाई बिजली की तारे
लाडवा/शैलेंद्र चौधरी
लाडवा खंड के गांव बूढ़ा कालोनी वासी पिछले डेढ़ वर्ष से कालोनी की बिजली की लाइन
को गांवों की लाइन से जोडऩे की मांग कर रहे है, लेकिन आज तक भी इनकी बिजली की लाइन
को गांवों की लाइन से नहीं जोड़ा गया। कालोनी वासियों के अनुसार कई महीनों से बिजली
के खंभे भी गाड़ दिए गए है और करीब डेढ़ साल पहले बिजली की लाइन को गांव से जोडऩे के
लिए आने वाला खर्च राशि भी भरवा ली गई, लेकिन कालोनी वासियों की समस्या आज भी ज्यों की त्यों
है। कालोनी वासी सरोज, रेखा रानी, भोती देवी, जरनैलो, माया, सत्या, मायावती, जगीर कौर, कमलेश, सुरेंद्र, रोशनी, हरविंद्र कौर, रोशनी, सुखदेवी, राज कुमार, पाला राम आदि ने न केवल बिजली कार्यालय पर जाकर जमकर
सरकार व बिजली विभाग के प्रति नारेबाजी की, बल्कि बिजली विभाग के कर्मचारियों
व अधिकारियों को चेतावनी दी की यदि उनकी कालोनी की बिजली गांव की बिजली से नहीं जोड़ा
गया तो मजबूरन उनको सडक़ों पर उतरना पड़ेगा। कालोनी वासियों के अनुसार उनकी बिजली किसानों
के ट्यूबवेलों से जोड़ी गई है, जोकि न के बराबर आती है, जिससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
हो रही है, बल्कि कालोनी में पीने के पानी तक की समस्या बनी हुई। बार-बार मांग करने के बावजूद
भी बिजली विभाग उनकी बिजली गांवों की लाइन से नहीं जोड़ रही है, जबकि बिजली के खंभे भी लगा
दिए गए है।
एक सप्ताह के अंदर-अंदर जोड़ दी जाएगी गांव से बिजली : अभिषेक
जब इस बारे में बिजली विभाग के एस.डी.ओ. अभिषेक से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि
गेहूं का सीजन के कारण लेबर की समस्या हो गई थी। जिसके कारण कालोनी वासियों की बिजली
गांवों से नहीं जोड़ी गई है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अंदर-अंदर इनकी बिजली को
गांव की लाइन से जोड़ दिया जाएगा।
... आखिर कब पूरा होगा लाडवा-शाहाबाद रोड का निर्माण
रोजाना लगता है घंटा-घंटा वाहनों
का जाम
बाबैन
आखिर कब तक कस्बा बाबैन के लोगों को सडक के चल रहे धीमे निर्माण कार्य के पूरा
होने का का इंतजार करना पड़ेगा। बता दें कि करीब दो साल से चल रहे लाडवा-शाहाबाद रोड
के निर्माण कार्य में अब शहर के बीच में पडी मिट्टी, रोडा व पत्थरों से राहगिरों का चलना
दुश्वार हो गया है। जिस कारण इस सडक़ से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी प्रतिदिन अनेक
परेशानियों से जुझना पड़ रहा है। बाबैन में जाम का घंटों तक लगा रहना तो एक आम बात
हो गई है। दुकानदार राम कुमार, जसपाल, बलविन्द्र कन्दौली, जसबीर सैनी, श्याम सिंह रामपुरा, अनिल लैबोरेट्री, जितेन्द्र सिंगला,
गुरदेव सिंह,
नसीब राठी,
अंगे्रज सिंह नम्बरदार,
राज कुमार गर्ग,
महिन्द्र डैंटल,
कृष्ण वर्मा,
राज कुमार,
कर्मचन्द, डा. बलदेव, भगवान दास, ओमप्रकाश, हरीश कुमार, जय सिंह व बलदेव नम्बरदार
का कहना है कि उनकी दुकानें लाडवा-शाहाबाद रोड पर स्थित हैं और लगभग दो साल से वे सडक़
निर्माण के चल रहे ढुलमुल रवैये से बेहद परेशान व दुखी हैं। उन्होंने बताया कि विभाग
के द्वारा इस रोड को पहले से करीब 5 फुट ऊंचा उठाया जा रहा है और करीब 6-7 माह से अब तक 3-4 बार भारी भरकम मिट्टी डाली
गई और अब 3-4 बार पत्थर डाल कर रोड को काफी ऊंचा किया जा रहा है जिस कारण दुकानदारों से निंरतर
धूल-मिट्टी से उनके स्वास्थ्य से तो खिलवाड़ हो ही रहा है वहीं रोजाना वाहनों के टायरों
से निकलने वाले पत्थर के टुकड़ों से प्रतिदिन राहगीर व दुकानदार घायल हो रहे हैं। घायल
सोहन लाल भूखडी, लाभ ङ्क्षसह, राम कुमार
गुहन, गुरमीत
कार मैकेनिक ने बताया कि उन्हें सडक़ से जा रहे वाहनों से पत्थर निकलकर लगे और वे तुंंरत
बेहोश हो गए और चेहरों पर चोटों के निशान अब तक कायम है, वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिला
महासचिव एवं लाडवा हलका से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अंगे्रज सिंह गुहन ने बताया कि एक
दिन जब वह बाबैन से गांव में जा रहा था तो सडक के पत्थरों से मोटर साईकिल फिसलकर गिरी
जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और अब तक घर पर ही चारपाई पर लेटा हुआ है और कहीं
भी आने-जाने में असमर्थ है। दुकानदारों ने रोड के ऊंचा उठाने पर बताया कि उनकी सभी
दुकानें रोड के कारण 3-4 फुट नीचा हो चुकी है और उन्हें दुकानों के अंदर सिर झुकाकर
जाना पड़ता है और दुकानों पर रखा कीमती सामान धूल-मिट्टी से खराब होता रहता है जिससे
ग्राहक बाबैन में खरीददारी करने में हिचकिचाते हैं। सब्जी व फल विके्रताओं का तो रोना
है कि उनकी सब्जियों व फलों पर सारा दिन धूल मिट्टी जमी रहती हैं वे सारा दिन उन पर
पानी मारते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में एक ही दिन में फल-सब्जियां खराब हो जाती है और सूख जाती
है और वे घाटे के दुकानदार बनकर रह गए हैं। उन्होंने बताया कि यदि रोड का निर्माण शीघ्र
हो जाता है तो वे अपनी दुकानों को उसी हिसाब से ऊंचा उठाकर अच्छे प्रकार से रहना चाहते
हैं लेकिन निर्माण कार्य के कछुआ चाल से वे दुकानों पर कोई भी निर्माण कार्य करने में
संकोच महसूस कर रहे हैं और सभी दुकानदार दोपहर में 1 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक दुकानें बंद करके
घर जाने को मजबूर हो जाते हैं जिससे दुकानदारी पर बूरा असर पड रहा है। इलाकावाीयों
ने विभाग व सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि दुकानदार वे राहगिर करीब दो साल से धूल-मिट्टी
फांक-फांककर दमा, खांसी, जुकाम, एलर्जी व अनेक गंभीर बिमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं, परन्तु सरकार व प्रशासन इस
ओर ध्यान नहीं दे रहा है। काबिलेगौर है कि यदि सरकार व प्रशासन बाबैन में आकर रोड के
निर्माण कार्य का जायजा ले तो कई महीनों तक भी निर्माण कार्य पूरा होने का अंदेशा नहीं
लगाया जा सकता है।
क्या कहते है पीडब्ल्यूडी विभाग के
एक्सईएन के.के. नैन?
जब इस बारे में बीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सईएन के.के. नैन से बात की गई तो उनका
कहना था कि इस समय सडक़ बनाने की निर्माण सामग्री की समस्या है क्योंकि हरियाण व पंजाब
में निर्माण सामग्री उपलब्ध नहीं हो रही है और कुछ ही निर्माण सामग्री अन्य राज्यों
लाई जा रही है जो इस सडक के निर्माण के लिए पर्याप्त नही है। इस कारण सडक के निर्माण
में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि विभाग निर्माण सामग्री जल्द उपलब्ध करवाने के
लिए प्रयासरत है।
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