Saturday, May 5, 2012

हरियाणवी हो हरियाणा की राजभाषा



सांसदों द्वारा उठी आवाज से जगी हरियाणवी प्रेमियों में आशा
पिछले 25 वर्ष से अनवरत जारी है इसे भाषा के रूप में स्थापित करने के लिये अनूप लाठर का प्रयास 
 
पवन सौन्टी
गत माह रोहतक के सांसद दिपेंद्र हुड्डा व कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल द्वारा हरियाणवी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद में जो आवाज उठाई उसने इतना अहसास जरूर करवा दिया कि अब हरियाणवी भाषा के रूप में स्थापित होने के करीब है। गौरतलब है कि सस्कृति प्रेमी लम्बे समय से इस आवाज को अपने स्तर पर उठाते आ रहे हैं, लेकिन अब वैधानिक स्तर पर इसके बुलंद होने से हरियाणवी प्रेमियों को आस बंधने लगी है।  हरियाणवी को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करवाने की यह मांग देखना है अब कितनी सफल होगी, क्योंकि केवल दो सांसदों के प्रयास मायने नहीं रखते बल्कि सब राजनेताओं व आम जनता को इस आवाज को बुलंद करना होगा। ध्यान रहे कि इस अनुसूची में पहले 14 भाषाएं शामिल थी, लेकिन गढ़वाली, कुमाउनी, बोड़ो, कोंकणी आदि भाषाओं को मिलाकर आज इनकी संख्या 22 हो गई है। ऐसे में हरियाणवी का इसमें शामिल होना कोई कठिन नहीं, जरूरत है थोड़े प्रयास की। यह भाषा हरियाणा के अलावा पश्चिमी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व पंजाब के कई जिलों सहित करीब चार करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली है जिसे कौरवी के नाम से भी जाना जाता है।
            अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में जिस प्रकार सूचन के आधुनिक साधनों ने अहम भूमिका निभाई, उसी प्रकार पिछले काफी समय से हरियाणवी को पूर्णत: स्थापित करने में भी सूचना के आधुनिक साधन अपना योगदान दे रहे हैं। यूं तो समाचार पत्रों के माध्यम से लम्बे समय से हरियाणवी को भाषा के रूप में स्थापित करने के लिये प्रयास जारी हैं। अब न्यू मीडिया के रूप में उभरी सोसल वैब साईटें भी इसमें माध्यम का काम कर रही हैं। हरियाणवी संस्कृति को आधुनिक स्तर तक पहुंचाने में जहां कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर का प्रयास पिछले 25 वर्ष से अनवरत जारी है वहीं इसे भाषा के रूप में स्थापित करने के लिये भी उनके समानांतर प्रयास चल रहे हैं। अब यही प्रयास उनके द्वारा फेसबुक के माध्य से फलित हो रहे हैं। अनूप लाठर व उनके अनुयाईयों द्वारा फेसबुक पर रत्नावली पेज दिनो-दिन अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाता जा रहा है। यह सब लोग एक सोच के साथ विचारों से जुड़े हैं कि हरियाणा की अपनी भाषा हरियाणवी मान्यता प्राप्त भाषाओं में सुमार हो और इसे प्रदेश की राज भाषा का दर्जा भी मिले। निश्चित ही न्यू मीडिया अन्ना हजारे के समर्थन में नैट के माध्यम से चली भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम की तरह हरियाणवी को प्रतिष्ठित करने की मुहिम को भी आगे बढ़ा रहा है। हरियाणवी को भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की मुहिम से जुड़े लोगों का कहना है कि अब यह एक आंदोलन का रूप लेगी और अति शीघ्र हरियाणा सरकार को इस बारे में आग्रह भी किया जाएगा कि हरियाणवी को देश की मान्यता प्राप्त भाषाओं में सुमार किया जाए।
            हरियाणवी संस्कृति के ध्वज वाहक अनूप लाठर के अनुसार जब वह अमेरिका व कनाडा आदि में पंजाबी नाटक रानी जिंदा की प्रस्तुतियां कर रहे थे तभी से उनके मन में ख्याल आया था कि हरियाणवी को भी विश्व पटल की भाषा बनाया जाए। इसके बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अपना पद संभालते ही अपने विचार को कार्यरूप देना आरम्भ कर दिया। हरियाणा दिवस समारोह को किस प्रकार पूर्णत: हरियाणवी से जोड़ कर रत्नावली के नाम से प्रति वर्ष होने वाली हरियाणवी प्रतियोगिताओं ने हरियाणवी को समृद्ध करना आरम्भ किया। आज रत्नावली 25 विधाओं से हरियाणवी को समृद्ध कर चुकी है। अनूप लाठर कहते हैं कि हरियाणवी में वह सभी विशेषताऐं अब विद्यमान हैं जो किसी भाषा में होनी चाहियें। हरियाणवी का अपना व्याकरण है। इसमें सभी साहित्यिक विधाऐं विद्यमान हैं। अगर लिपी की बात की जाए तो देश में अनेकों ऐसी भाषाऐं हैं जिनकी लिपी देव नागरी है और यही लिपी हरियाणवी की भी है। पुरातन समय से हरियाणवी में काव्य लेखन देव नागरी लिपी के माध्यम से ही होता आया है। जब डोगरी आदि क्षेत्रीय बोलियां भाषा का रूप ले सकती हैं तो हरियाणवी क्यों नहीं। यह अकेले किसी क्षेत्र या प्रदेश विशेष की भाषा नहीं अपितु हरियाणा, दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान व चण्डीगढ़ तक विस्तार रखती है। पड़ौसी देश पाकीस्तान तक में लाखों लोग हरियाणवी से जुड़े हैं। अब देखना यह है कि हरियाणवी प्रेमियों को कब यह तोहफा मिलता है। अभी तो आलम यह है कि हरियाणा सरकार द्वारा ही यह उपेक्षित नजर आती है। हरियाणा में उर्दू अकादमी, पंजाबी साहित्य अकादमी आदि तो हैं लेकिन आज तक हरियाणवी अकादमी नहीं है। प्रदेश सरकार को चाहिये कि हरियाणवी अकादमी भी स्थापित करे ताकि हरियाणवी को भाषा का दर्जा मिलने में आसानी हो और फिर इसे राजभाषा घोषित किया जाए।
           

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