छुट्टी होने के बाद भी खोले जा रहे हैं स्कूल
लाडवा/ शैलेंद्र चौधरी
अभी 2 दिन पहले ही
अम्बाला जिला मैं धुंध के कारण एक सड़क हादसे में स्कूल की वैन में दर्जनों बचे काल
का ग्रास बने थे, उसके बाद भी निजी स्कूल संचालक णदून पब्लिक स्कूल सरकाही चेते|
सरकार व उपायुक्त के आदेशों के बाद भी खुलने की चर्चा पूरे कस्बे में जोरों पर है।
स्कूल कमेटी के आगे शायद जिला उपायुक्त व सरकार के कोई आदेश मायने नहीं रखते है।
यहीं कारण है कि पूरे प्रदेश के स्कूलों की छुट्टी होने के बाद भी दून पब्लिक
स्कूल बंद नहीं किया गया है। स्कूल में नर्सरी से लेकर 12 वीं कक्षा तक करीब 390 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है। ऐसा भी नहीं है कि
बच्चों के अभिभावक स्कूल बंद करने से परहेज न करते हो। बच्चों के अभिभावकों द्वारा
भी बार-बार मांग करके बाद भी स्कूल को बंद नहीं किया गया, जिससे बच्चों के अभिभावकों में भी भारी रोष पनप रहा
है। कुछ बच्चों के अभिभावकों ने तो ऐसे स्कूलों से तौबा करना शुरू कर दिया है जो
बच्चों को जिंदगियों से खिलवाड़ करते है। लाडवा में मात्र एक दून पब्लिक स्कूल ही
एक ऐसा स्कूल है जो छुट्टी होने के बाद भी खुल रहे है और छोटे-छोटे बच्चे सर्दी के
मौसम में स्कूल आने को विवश हो रहे है। कुछ अभिभावकों ने नाम न छापने की शर्त पर
बताया कि जब उन्होंने स्कूल के चेयरमैन से बच्चों की छुट्टियां करने की बात कहीं
तो उन्होंने कहा कि यदि आपकों अपने बच्चे इतने ही प्यारे है तो इनको स्कूल क्यों
भेजते है घर क्यों नहीं रखते। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल तो लगता ही रहेगा चाहे
आप अपने बच्चों को भेजों या ना भेजों। बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि यदि वह अपने
बच्चों को स्कूल नहीं भेजते है तो उनका सिलेबश छुट जाता है, जिससे बच्चे की पढ़ाई प्रभावित होती है। उन्होंने कहा
कि उनको स्कूल की हठधर्मी के चलते इतनी ठंड व धूंध में भी अपने बच्चों को स्कूल
भेजना पड़ रहा है। कस्बावासियों ने जिला उपायुक्त से मांग करके ऐसे स्कूलों को बंद
करवाने की मांग की है जोकि सरकार व प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते है। जब इस
बारे में लाडवा दून पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल टी.आर. गर्ग से बातचीत की गई तो
उन्होंने कहा कि 18 जनवरी को
स्कूल का स्थापना दिवस है और इस अवसर पर स्कूल में कार्यक्रम रखा गया है, जिसकी तैयारी के लिए बच्चे स्कूल आ रहे हे।
उन्होंने यह भी कहां की बृहस्पतिवार से स्कूल की छुट्टी कर दी जाएगी।
देवी-देवताओं के डरावने व लुभावने एसएमएस से उपभोक्ता
परेशान
लाडवा/ शैलेंद्र चौधरी
लोगों के मनों में
देवी-देवताओ के प्रति किस प्रकार भय बनाया जा रहा है। यह आजकल लोगों के मोबाइल फोन
पर देखने को मिल सकता है। मोबाइल उपभोक्ता न तो इस बारे में किसी को शिकायत कर
सकते है और न ही रोष प्रकट। क्योंकि यह एसएमएस उनके नजदीकी व खास व्यक्ति द्वारा
ही भेजा जाता है। जी हां लाडवा कस्बे में आजकल मोबाइल उपभोक्ताओं पर मोबाइल द्वारा
देवी-देवताओं के डरावने व लुभावने एसएमएस भेजे जा रहे है। इन एसएमएस में किसी देवी
या देवता का नाम लिखा होता है। जो भी इन एसएमएस को अपने अन्य दोस्तों को भेजेगा तो
एक सप्ताह या अगले दिन उसकी मनोकामना पूर्ण होगी, यदि इस एस.एम.एस. को पढऩे के बाद भी नहीं भेजेगा तो एक
सप्ताह में उसको इसके बुरे नतीजे सामने आ जाएगा। कस्बे में मोबाइल उपभोक्ताओं पर आ
रहे ऐसे एस.एम.एस. से उपभोक्ता परेशान भी है और डर भी रहे है। अधिकतर उपभोक्ता तो
इन डरावने एस.एम.एस. को पढक़र अगले अपने दोस्तों व रिश्तेदारों तक को भेज रहे है।
ऐसे ही एक एसएमएस आजकल लाडवा में मोबाइल उपभोक्ता पर आ रहे है। इस एसएमएस में भगवान हनुमान जी के सात नाम से
पुकारा गया है। एसएमएस में लिखा है कि जो इस एसएमएस को अपने पढऩे के बाद 20 लोगों को नहीं भेजेंगे तो उनको अगले मंगलवार
तक इसका प्रभाव नजर आएगा और यदि भेजे देंगे तो शनिवार तक उसको इसके अच्छे परिणाम
आने की बात कहीं है। लोगों के मोबाइलों पर आ रहे डरावने व लुभावने एसएमएस से लोगों
में देवी-देवताओं के प्रति भय बन रहा है।
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