नई दिल्ली,
प्रेट्र :
भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कडेय काटजू ने विवादास्पद
लेखक सलमान रुश्दी को घटिया और दोयम दर्जे का लेखक करार दिया है। उनका कहना
है कि विवादास्पद पुस्तक सैटेनिक वर्सेज से पहले रुश्दी को लोग नहीं जानते
थे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश काटजू ने रुश्दी के प्रशंसकों की भी
आलोचना की है।
उन्होंने कहा, मैं इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता कि रुश्दी को जयपुर
साहित्य महोत्सव में आने से रोकना सही था या गलत। मैं और भी मूल मुद्दे उठा
रहा हूं। मैंने उनके कुछ उपन्यास पढ़े हैं और मेरा विचार है कि वह निम्न
स्तर के लेखक हैं। उन्होंने रुश्दी के उपन्यास मिडनाइट चिल्ड्रेन को महान
साहित्यक कृतियों में से एक मानने से इंकार कर दिया। रुश्दी की वकालत करने
वालों के खिलाफ काटजू ने कहा कि ऐसे लोग औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त हैं,
जिनका मानना है कि विदेश में रहने वाला लेखक महान होता है। काटजू के
मुताबिक, हमारा तथाकथित शिक्षित वर्ग मानता है कि लंदन या न्यूयॉर्क में
रहने वाला लेखक महान होता है, जबकि भारत में रहने वाले लेखक निम्न स्तर के
होते हैं। रुश्दी के साहित्य महोत्सव में न आने को लेकर मचे बवाल पर काटजू
ने कहा, मैं इस मुद्दे को धर्म से जोड़े जाने के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन
एक दोयम दर्जे के लेखक को हीरो नहीं बनाना चाहिए।
उन्होंने रुश्दी का उपहास उड़ाते हुए कहा, आजकल के लोग कबीरदास और तुलसीदास
को नहीं पूछते क्योंकि वे बनारस के घाट पर रहे हैं। रुश्दी महान हैं
क्योंकि वह टेम्स नदी के घाट पर रहे हैं। यह हमारे यहां साहित्य जगत के
लोगों की सोच है। वहीं पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक डेविड रेमनिक ने इस
प्रकरण को शर्मनाक करार देते हुए कहा है कि यह समकालीन भारतीय राजनीति के
घटिया चलन को प्रदर्शित करता है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ज्यादा
महत्वपूर्ण सत्ता को बरकरार रखना है।
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