लाडवा/ शैलेंद्र चौधरी
जिस ट्रैक्टर के लिए
गोबिंदगढ़ का किसान बलबीर सिंह करीब दो साल से लड़ाई लड़ रहा था। वहीं ट्रैक्टर
शायद किसान बलबीर सिंह की मौत का कारण बन गया है। किसान बलबीर ङ्क्षसह को अगर यह
पता होता की, जिस ट्रैक्टर के
लिए वह लड़ाई लड़ रहा है वहीं उसकी मौत का कारण बनेगा तो शायद वह ट्रैक्टर के लिए
लड़ाई ही नहीं लड़ता। जी हां गांव गोबिंदगढ़ के मृतक किसान बलबीर सिंह ने लाडवा
में एक टै्रक्टर एजैंसी के मालिक से 27 सितम्बर 2010 को 5,85,000 रुपए का महिंद्र 605 टै्रक्टर खरीदा था। एजैंसी मालिक ने उस समय उसको
टै्रक्टर का बिल नहीं दिया था और करीब पिछले दो वर्ष से वह ट्रैक्टर का बिल लेने
के लिए लड़ाई लड़ रहा था। भाकियू के सहयोग व बीच-बचाव से मृतक किसान बलबीर को गत
सप्ताह ट्रैक्टर का बिल तो जरूर मिल गया, लेकिन ट्रैक्टर का बिल मिलने के मात्र एक सप्ताह बाद ही न केवल बलबीर सिंह
ट्रैक्टर, बल्कि अपनी जान से भी
हाथ धो बैठा।
गौरतलब है कि लाडवा
खंड के गांव गोबिंदगढ़ के किसान बलबीर सिंह की गत मंगलवार को हत्यारों ने न केवल
गोली मारकर हत्या कर दी थी, बल्कि
मृतक के ट्रैक्टर को भी साथ ले उड़े। मृतक किसान बलबीर सिंह अपने खेत से गन्ने से
लदी ट्राली अपने महिंद्र टै्रक्टर 605 से पिकाड़ली शुगर मील भादसों ले जा रहा था कि रास्ते में मील के पास ही
गांव बीड़ माजरा के मोड़ के पास सुबह करीब चार बजे अज्ञात हत्यारों द्वारा न केवल
किसान बलबीर ङ्क्षसह को गोली मार दी, बल्कि उसका ट्रैक्टर भी लेकर फरार हो गए। इस घटना से पूरे क्षेत्र में
दहशत का माहौल बना हुआ है। मृतक बलबीर ङ्क्षसह का देर सायं को ही गांव के शमशान
घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। समाचार लिखे जाने तक न तो ट्रैक्टर का पता
चल पाया था और न ही हत्यारों का। पूरे गांव में मातम का मौहल बना हुआ है।
जब इस बारे में
इंद्री थाना के थानाध्यक्ष संजीव मलिक से फोन पर बातचीत करनी चाही तो थाने के
ए.एस.आई. जगबीर सिंह से ने बताया कि अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मामला दर्ज कर
कार्यवाही शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि हत्यारों का सुराग लगाने के लिए टीम
गठित की गई है जोकि जांच में जूटी है। अभी तक हत्यारों व ट्रैक्टर का कोई सुराग
नहीं लग पाया।
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