Friday, May 18, 2018

भारतीय जीवन मूल्यों की ओर वापसी समय की दरकार: प्रो चौहान


दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

कुरुक्षेत्र, पवन सोंटी (18 मई): हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और ग्रामोदय अभियान के संयोजक प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत बनाने के लिए पहले वर्तमान भारत को वास्तव में भारत बनाए जाने की आवश्यकता है। भारत के राष्ट्रीय जीवन में भारतीय जीवन मूल्य और सिद्धांतों की बहाली और भारतीय जनमानस के प्रति गौरव का भाव निर्माण किए बिना ना तो अखंड भारत का सपना साकार हो सकेगा और ना ही भारत परम वैभव को प्राप्त कर सकेगा। प्रो चौहान विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में पांडुलिपि संरक्षण संसाधन केंद्र, हरियाणा ग्रंथ अकादमी और हरियाणा  संस्कृत  अकादमी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। समापन सत्र की अध्यक्षता पूर्व कुलपति के के शर्मा ने की।
अपने उद्बोधन में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष ने कहा कि महान क्रांतिकारी, लेखक और आध्यात्मिक विभूति महर्षि अरविंद घोष और श्री मां के जीवन और कार्यों को समझ कर नवीन भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जा रहे प्रयासों को और कारगर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंद स्वाधीनता संग्राम के दौरान जहां स्वाधीनता के संघर्ष में सीधे तौर पर जुड़े रहे वही इस बात को लेकर भी लगातार चिंतित थे कि अंग्रेजों के जाने के बाद स्वतंत्र भारत की दिशा व दशा क्या होगी। चौहान ने कहा कि दुर्भाग्य से स्वाधीनता के बाद जिन लोगों के हाथ में देश की कमान आई उन्होंने भारत को वास्तविक अर्थों में भारत ना रहने दिया और ना बनने दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनकी अपनी समझ पश्चिमी चिंतन पर आधारित थी। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में हम भारत के लोग इस बात पर  संतोष कर सकते हैं कि अब देश में सरकार ऐसे लोगों के हाथ में हैं जिन्हें भारत की भारतीयता पर गर्व होता है। जो भारत के महान पूर्वजों और उनकी ज्ञान परंपरा का जिक्र करते हुए न शर्माते हैं और न संकोच करते हैं। भारतीय संस्कृति, संस्कृत और अखंड भारत का सपना देखने वालों के लिए वास्तव में यही अच्छे दिन हैं।
समापन सत्र में अध्यक्षीय वक्तव्य में पूर्व कुलपति के के शर्मा ने संस्कृत के उच्च स्तरीय अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय में एक नए केंद्र के निर्माण की वकालत की।
समापन सत्र में महर्षि अरविंद के महाकाव्य "सावित्री" पर महर्षि अरविंद के अनन्य भक्त डॉ महेंद्र  हंस का विशेष व्याख्यान हुआ। इस अवसर पर डॉ अरुनेश्र्वर झा,प्रचार्य खजान सिंह गुलिया, हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ श्रेयांश द्विवेदी, कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर सुरेंद्र मोहन मिश्र और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के निदेशक युवा कल्याण आचार्य सीडीएस कौशल ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया। दो दिवसीय संगोष्ठी में महाकाव्य सावित्री पर चर्चा के अलावा संस्कृत के पठन पाठन से जुड़ी समस्याओं और सवालों पर भी विस्तार से मंथन हुआ।

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