Saturday, December 10, 2011

बाजरे के बिस्कूट ने खींचे दर्शक




कुरुक्षेत्र/पवन सोंटी
कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर तट पर आयोजित सरस मेले में देशभर से आए विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के कुशल कारीगरों द्वारा अनेकों प्रकार के आकर्षक उत्पादों की बिक्री की जा रही है। इसी मेले में स्टाल नं.198 पर कृषि विज्ञान केंद्र झज्जर की ओर से प्रशिक्षण प्राप्त कारीगरों के बाजरे के बिस्कूट भी दर्शकों को खींच रहे हैं। गौरतलब है कि बाजरा झज्जर एरिया में काफी मात्रा में पैदा होता है, जिसे गरीबों का अनाज तो माना जाता है, लेकिन गुणवत्ता की दृष्टि से यह बहुत अमीर है। कृषि विज्ञान केंद्र झज्जर की ओर से आई डॉ. शशि वशिष्ठ के अनुसार बाजरें में जहां अन्य अनाजों के बराबर प्रोटीन होती है, वहीं भारी मात्रा में खनिज लवण भी होते हैं। उन्होंने बताया कि बिस्कूट, केक, ढोकला व नमकीन इत्यादि बनाकर इसका नए रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास किया जा रहा है। सात्विक स्वयं सहायता समूह के प्रधान वेदपाल ने बताया कि वह यहां आने से पहले कई बार भारी मात्रा में बिस्कूट बनवा चुके हैं। भविष्य में वे इसमें और नयापन लाने का प्रयास करेंगे।

सरस मेले में संगठित हुए स्वयं सहायता समूह
कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर आयोजित सरस मेला कई मायनों में भारी सफलता ले रहा है। देश के कोने-कोने से आए स्वयं सहायता समूह ने इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय का सराहनीय कदम बताया है। इसके साथ ही इन समूहों की ओर से संगठित होने का प्रयास भी मेले के दौरान किया गया और स्वयं सहायता समूहों और स्वरोजगारियों की राष्ट्रीय फैडरेशन का एक अभियान भी तैयार किया गया। ये सब चाहते हैं कि कोई राष्ट्रीय स्तर का मंच हो जहां अपने उत्पादों को किसी ब्रांड से सीधा सप्लाई किया जाए। उषा के डॉ. पी.एल. शर्मा ने बताया कि इस कार्य के लिए ब्लॉक स्तर पर इंटर प्राइज पार्क जिसकी बिजली, मशीनरी व ऊर्जा का प्रबंधन किसान अपने स्तर पर कर सकते हैं। इसे संगठित रूप से काफी फायदा होगा। फैडरेशन के लिए शिमला से श्याम ङ्क्षसह, हिमाचल के गुमाबंसतपुर से कृष्ण दास, झज्जर से वेदपाल, भागल से मलखान ङ्क्षसह, राजौंद से सुमित्रा, सीवन से जयनारायण, नालंदा से सुनील कुमार, गुजरात से पूनम, कुल्लू से चौबी देवी, सहारनपुर से नसीन आदि ने सहमति जताई।

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